राज�थान हाईकोट
राजस्थान हाईकोर्ट ने ऑनलाइन कार्यवाही में अव्यवस्था फैलाने वाले घुसपैठिए की पहचान मांगी
एक अवांछित घुसपैठिए द्वारा ऑनलाइन ओपन कोर्ट की कार्यवाही में तीखी और अपमानजनक टिप्पणियां करके बाधा डालने के बाद राजस्थान हाईकोर्ट ने रजिस्ट्रार जनरल और रजिस्ट्रार-सह-सीपीसी से उसकी पहचान का पता लगाने और वेबएक्स मीटिंग सिस्टम को संशोधित करने की संभावनाओं का पता लगाने के लिए कहा, जिससे कोई व्यक्ति न्यायालय की अनुमति के बिना ऑनलाइन अदालत की कार्यवाही में प्रवेश न कर सके।"इस न्यायालय के अनुसार ओपन कोर्ट कार्यवाही इस तरह से नहीं की जा सकती कि मुकदमे से अलग कोई भी व्यक्ति जबरन घुसकर अपनी मर्जी से कुछ...
सम्मान के साथ जीने के अधिकार में सप्तपदी समारोह के दौरान जीवनसाथी के प्रति लिए गए वैवाहिक वचनों को पूरा करने में सक्षम होना शामिल: राजस्थान हाईकोर्ट
राजस्थान हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि अनुच्छेद 21 में एक इंसान के रूप में सम्मान के साथ जीने का अधिकार शामिल है, जिसमें हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार सप्तपदी समारोह के दौरान लिए गए वैवाहिक वचनों के संदर्भ में एक अच्छे पति के रूप में कार्य करना भी शामिल है।जस्टिस अरुण मोंगा की पीठ आरोपी की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जो संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी से संबंधित धोखाधड़ी और आपराधिक विश्वासघात के अपराधों के लिए कई एफआईआर के संबंध में पिछले 2 वर्षों से न्यायिक हिरासत में था।याचिकाकर्ता अपनी पत्नी...
पर्यावरण संरक्षण अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार का अभिन्न अंग: राजस्थान हाईकोर्ट ने जल निकायों के अतिक्रमण पर स्वत: संज्ञान जनहित याचिका शुरू की
राजस्थान हाईकोर्ट ने नदियों के किनारों और कई अन्य जल निकायों पर बड़े पैमाने पर अतिक्रमण और अवैध निर्माण का स्वत: संज्ञान लिया है और इसे जल (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम 1974 का सीधा उल्लंघन और सरकारी प्रशासन की निष्क्रियता करार दिया है। जस्टिस अनूप कुमार ढांड ने इस बात पर प्रकाश डाला कि पर्यावरण का संरक्षण और सुरक्षा भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार का एक अविभाज्य हिस्सा है, जो मानव अधिकारों की रक्षा के अलावा, एक प्रजाति को विलुप्त होने से बचाने और संरक्षित करने का...
बेटे को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में बहू के खिलाफ पिता की विरोध याचिका उसकी अनुकंपा नियुक्ति से इनकार करने का आधार नहीं: राजस्थान हाईकोर्ट
मृतक सरकारी कर्मचारी के पिता द्वारा दायर याचिका को खारिज करते हुए राजस्थान हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि मृतक की पत्नी के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में नकारात्मक पुलिस रिपोर्ट के खिलाफ विरोध याचिका का लंबित होना उसकी अनुकंपा नियुक्ति से इनकार करने का पर्याप्त आधार नहीं है।जस्टिस महेंद्र कुमार गोयल की पीठ दो याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। पहली याचिका मृतक सरकारी कर्मचारी के पिता द्वारा दायर की गई, जिसमें उनके बेटे की मृत्यु के बाद उनकी बहू को अनुकंपा नियुक्ति से वंचित करने की मांग की...
कर्मचारी के आधिकारिक कर्तव्यों से असंबंधित लंबित आपराधिक मामले के कारण सेवानिवृत्ति लाभ रोकना जीवन के अधिकार का उल्लंघन: राजस्थान हाईकोर्ट
राजस्थान हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि किसी कर्मचारी के सेवानिवृत्ति लाभों को केवल आपराधिक कार्यवाही के लंबित होने के आधार पर रोकना, जिसका आधिकारिक कर्तव्यों से कोई लेना-देना नहीं है, अनुचित और जीवन के अधिकार का उल्लंघन है, क्योंकि ये वे स्रोत हैं जिनके द्वारा कर्मचारी सेवानिवृत्ति के बाद अपनी आवश्यकताओं की व्यवस्था करता है। कोर्ट ने कहा,“पेंशन, ग्रेच्युटी और अन्य सेवानिवृत्ति लाभ विभाग के साथ उसके द्वारा की गई सेवाओं के लिए कर्मचारी की कमाई है। सेवानिवृत्ति के बाद ऐसे लाभों को वापस लेना या रोकना...
लंबी जिरह के बावजूद नाबालिग पीड़िता की गवाही में कोई बदलाव नहीं: राजस्थान हाईकोर्ट ने बलात्कार के प्रयास के 33 साल पुराने मामले में दोषसिद्धि बरकरार रखी
राजस्थान हाईकोर्ट की जयपुर पीठ ने हाल ही में एक नाबालिग लड़की से बलात्कार के प्रयास के लिए एक व्यक्ति को दोषी ठहराने वाले 33 साल पुराने ट्रायल कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा, साथ ही यह भी कहा कि घटना के बारे में लड़की के बयान में बदलाव नहीं है, भले ही बचाव पक्ष ने उससे लंबी जिरह की है। ऐसा करते हुए हाईकोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि लड़की के बयान को एफएसएल रिपोर्ट के आलोक में देखा जाना चाहिए और केवल इसलिए कि उसने वास्तविक हमले के बारे में कुछ नहीं कहा था, यह निष्कर्ष निकालने के लिए पर्याप्त नहीं है...
प्रतिकूल पुलिस रिपोर्ट पैरोल से इनकार करने का आधार नहीं हो सकती: राजस्थान हाईकोर्ट
राजस्थान हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि यदि पैरोल आवेदक राजस्थान कैदियों की पैरोल पर रिहाई नियम 2021 (नियम) के नियम 16 के तहत अपनी रिहाई के लिए किसी भी अयोग्यता से ग्रस्त नहीं है तो प्रतिकूल पुलिस रिपोर्ट पैरोल से इनकार करने का आधार नहीं हो सकती।जस्टिस पुष्पेंद्र सिंह भाटी और जस्टिस मनोज कुमार गर्ग की खंडपीठ ने कहा कि पैरोल अपराधी के समाज में सुधार और पुनर्वास का साधन है। पैरोल के ऐसे उद्देश्य को अस्पष्ट और निराधार कारणों के आधार पर निराश नहीं किया जा सकता।अदालत कैदी द्वारा 20 दिनों के लिए पैरोल...
भर्ती प्रक्रिया शुरू होने के बाद उत्पन्न होने वाली अतिरिक्त रिक्तियों को संबंधित सेवा नियमों की आड़ में "दो अंशों" में विभाजित करना अवैध: राजस्थान हाईकोर्ट
राजस्थान हाईकोर्ट ने आयुष विभाग में कंपाउंडर या नर्सों की भर्ती से संबंधित एक मामले में कहा कि प्रक्रिया शुरू होने के बाद उत्पन्न होने वाली अतिरिक्त रिक्तियों को संबंधित सेवा नियमों की आड़ में "दो अंशों" में विभाजित करना अवैध है और उम्मीदवारों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है।हाईकोर्ट ने आगे कहा कि राजस्थान आयुर्वेदिक, यूनानी, होम्योपैथी और प्राकृतिक चिकित्सा अधीनस्थ सेवा नियमों का नियम 16 राज्य प्राधिकरणों को केवल एक शॉर्टकट बनाने के लिए नए अर्जित / बाद में सूचित किए गए पदों को विभाजित या...
बलात्कार के मामले में DNA प्रोफाइलिंग के न्यायालय के आदेश के बाद आरोपी ब्लड का सैंपल देने से मना कर सकता है: राजस्थान हाईकोर्ट
राजस्थान हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि बलात्कार के मामले में आरोपी की DNA प्रोफाइलिंग की अनुमति देने वाला न्यायिक आदेश अनुच्छेद 20(3) के तहत आत्म-दोष के खिलाफ संवैधानिक संरक्षण का उल्लंघन नहीं करता, क्योंकि न्यायालय द्वारा ऐसा आदेश पारित करने के बाद भी ब्लड का सैंपल देने से मना करने का विकल्प आरोपी के पास होगा।जस्टिस अरुण मोंगा की एकल पीठ ने कहा,"याचिकाकर्ता के पास यह विकल्प है कि वह विचाराधीन DNA test के लिए अपना ब्लड सैंपल दे या नहीं। यदि वह विचाराधीन DNA टेस्ट के लिए अपना ब्लड सैंपल नहीं देना...
मुख्य गवाह की गवाही दर्ज करने में देरी से इसकी विश्वसनीयता पर संदेह पैदा होता है: राजस्थान हाईकोर्ट ने दोहराया
एक मामले की सुनवाई करते हुए जिसमें गवाह ने एक साल बाद गवाही दी थी, जिसमें उसने दावा किया कि उसने हत्या के लिए गिरफ्तार किए गए लोगों को देखा था, राजस्थान हाईकोर्ट की जोधपुर पीठ ने दोहराया कि महत्वपूर्ण साक्ष्य प्रदान करने में देरी से मुख्य गवाह की गवाही की सत्यता पर संदेह पैदा होता है।यह देखते हुए कि कोई प्रत्यक्ष चश्मदीद गवाह नहीं था और न ही कथित हमलावरों की तुरंत पहचान की गई थी, अदालत ने कहा कि मुख्य साक्ष्य जो परिस्थितिजन्य था, उसे आसानी से चुनौती दी जा सकती है।जस्टिस राजेंद्र प्रकाश सोनी की...
ड्राइविंग स्कूल लाइसेंस धारक की मृत्यु पर स्वतः रद्द होने का कोई प्रावधान नहीं, राज्य को उत्तराधिकारी को हस्तांतरण की अनुमति देनी चाहिए: राजस्थान हाईकोर्ट
राजस्थान हाईकोर्ट ने एक फैसले में कहा कि लाइसेंसधारी की मृत्यु पर मोटर ड्राइविंग स्कूल चलाने के लिए लाइसेंस को स्वतः रद्द करने की अनुमति नहीं दी जा सकती, क्योंकि इसके लिए कोई वैधानिक प्रावधान नहीं है। इसलिए न्यायमूर्ति रेखा बोराना की पीठ ने इस आशय के आदेश को रद्द कर दिया और परिवहन विभाग को निर्देश दिया कि वह मृतक की पत्नी (याचिकाकर्ता) की योग्यता का आकलन लागू कानूनों के तहत करे, ताकि उसे ऐसा लाइसेंस दिया जा सके और यदि वह योग्य पाई जाती है, तो उसके पति का लाइसेंस उसके नाम पर स्थानांतरित कर दिया...
अवैध रूप से प्रतिबंधित पदार्थ ले जा रहे वाहन का स्वामित्व मात्र NDPS Act के तहत अपराध में संलिप्तता का संकेत नहीं देता: राजस्थान हाईकोर्ट
964 किलोग्राम पोस्ता भूसा के संबंध में NDPS Act के तहत आरोपित आरोपी को जमानत देते हुए राजस्थान हाईकोर्ट में जस्टिस राजेंद्र प्रकाश सोनी की पीठ ने फैसला सुनाया कि जिस वाहन से प्रतिबंधित पदार्थ बरामद किया गया, उसके स्वामित्व या उससे संबंध मात्र से यह संकेत नहीं मिलता कि आरोपी को अपराध की जानकारी थी या वह वास्तव में उसमें संलिप्त था।मामले के तथ्य यह थे कि पुलिस को चौराहे पर वाहन खड़ा मिला, जिसका टायर पंक्चर था> चालक की तरफ के दरवाजे पर गोली के निशान थे और चालक की सीट पर खून लगा था। जब उसकी तलाशी...
राजस्थान हाईकोर्ट ने बलात्कार के आरोपी चाचा को जमानत देने से किया इनकार
राजस्थान हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि नाबालिग पीड़िता के बयानों में कुछ विरोधाभास, खासकर यौन शोषण के मामले में ऐसी घटनाओं की दर्दनाक प्रकृति के कारण हो सकते हैं। पीड़िता की गवाही में ऐसी मामूली असंगतताएं आरोपी को जमानत देने के लिए पर्याप्त नहीं हैं जब आरोपों की समग्र विश्वसनीयता बरकरार है।जस्टिस राजेंद्र प्रकाश सोनी की पीठ ने यह भी कहा कि यौन अपराधों की गंभीरता, खासकर पारिवारिक संबंधों से जुड़े अपराध, अपराध को और गंभीर बनाते हैं और इस पर सख्त विचार की आवश्यकता है।अदालत ऐसे मामले में जमानत याचिका...
किसी के घर के अंदर शव जलाना अपमानजनक कृत्य: राजस्थान हाईकोर्ट
राजस्थान हाईकोर्ट ने 40-50 लोगों के साथ हथियार लेकर शिकायतकर्ता के घर में घुसने तोड़फोड़ करने और घर के अंदर एक लड़की के शव को जलाने के आरोपी दो व्यक्तियों की जमानत याचिका खारिज कीहाईकोर्ट ने कहा,“40-50 व्यक्तियों की संलिप्तता और इन अत्याचारों को करने के लिए शिकायतकर्ता के घर में घुसने का स्पष्ट कृत्य कानून के प्रति गहरी अवहेलना दर्शाता है। यह देखते हुए कि आरोपी एक बड़े समूह का हिस्सा थे, इस बात की प्रबल संभावना है कि अगर आरोपी को जमानत दी जाती है तो शिकायतकर्ता सहित गवाहों को खतरा या दबाव महसूस...
राजस्थान हाईकोर्ट ने अनावश्यक वित्तीय बोझ के कारण अभियुक्त को जेल से वर्चुअली ट्रायल में शामिल होने की अनुमति दी
राजस्थान हाईकोर्ट ने अभियुक्त की ट्रायल कोर्ट के समक्ष शारीरिक रूप से उपस्थित होने से छूट की याचिका स्वीकार की और उसे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से गवाहों के बयान दर्ज करने सहित कार्यवाही में शामिल होने की अनुमति दी। कोर्ट ने उक्त अनुमित इस आधार पर दी कि अभियुक्त को यात्रा के दौरान दुश्मन गिरोहों से सुरक्षा को खतरा होने की आशंका है।“यह उचित माना जाता है कि याचिकाकर्ता की शारीरिक उपस्थिति को ट्रायल कोर्ट द्वारा केवल तभी निर्देशित किया जाए, जब यह आवश्यक हो कारणों को दर्ज करके अन्य सुनवाई में...
राजस्थान हाईकोर्ट ने नगर निगम बोर्ड के अध्यक्ष की पत्नी की भूमि के बगल में जिला अस्पताल स्थापित करने का आरोप लगाने वाली याचिका खारिज की
राजस्थान हाईकोर्ट ने याचिका खारिज की, जिसमें आरोप लगाया गया कि देवली में जिला अस्पताल नगर निगम बोर्ड के अध्यक्ष की पत्नी की भूमि के बगल में स्थापित किया जा रहा है, जिससे उसकी भूमि का मूल्य बढ़ाया जा सके।जस्टिस अवनीश झिंगन की पीठ ने फैसला सुनाया कि अस्पताल स्थापित करना नीतिगत निर्णय है और न्यायालय इस पर अपील नहीं कर सकता।याचिकाकर्ता का मामला यह था कि अस्पताल को केवल इसलिए निर्दिष्ट भूमि पर स्थापित किया जा रहा है, क्योंकि वह भूमि नगर निगम बोर्ड के अध्यक्ष की पत्नी की भूमि से सटी हुई है।यह तर्क...
आपराधिक कानून का उपयोग करके पारिवारिक विवादों को सुलझाना कानूनी प्रक्रियाओं का दुरुपयोग: राजस्थान हाईकोर्ट ने संपत्ति विवाद पर भतीजे की FIR खारिज की
धोखाधड़ी और जालसाजी के अपराधों के लिए अपने चाचा के खिलाफ भतीजे की FIR खारिज करते हुए राजस्थान हाईकोर्ट ने दोहराया कि पारिवारिक संपत्ति के मुद्दों को निपटाने के लिए आपराधिक न्याय प्रणाली का उपयोग करना कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग है, जब तक कि आपराधिक इरादे का स्पष्ट प्रथम दृष्टया सबूत न हो।शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि याचिकाकर्ता ने अपने पिता की संपत्ति पर कब्जा करने के लिए उसके कागजात जाली बनाए और शिकायतकर्ता को उसके पिता की मृत्यु के बाद संपत्ति खाली करने की धमकी दे रहा था।दूसरी ओर, याचिकाकर्ता...
राजस्थान हाईकोर्ट ने नामांकन में हुई चूक के बावजूद 'अनपढ़' विधवा को पारिवारिक पेंशन जारी करने का आदेश दिया, रेलवे पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया
राजस्थान हाईकोर्ट ने बीमा योजना के लिए नामांकन फॉर्म में नाम न होने के बावजूद रेलवे विभाग को मृतक कर्मचारी की 'अशिक्षित' विधवा और बेटियों को पारिवारिक पेंशन देने का निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा कि प्रक्रियागत खामियों के कारण किसी नागरिक के मौलिक अधिकार को अस्वीकार नहीं किया जा सकता, खासकर तब जब पीड़ित व्यक्ति अशिक्षित हो। कोर्ट ने कहा, “कानून की यह स्थापित स्थिति है कि ऐसे मामलों में जहां पीड़ित व्यक्ति अशिक्षित है या कानूनी औपचारिकताओं के बारे में उसे कोई जानकारी नहीं है, उसे कानून की तकनीकी और...
वाहक चेक के फिजिकल कब्जे में व्यक्ति को इसका लाभार्थी माना जाता है, जब तक साबित न हो जाए: राजस्थान हाईकोर्ट ने धोखाधड़ी की FIR खारिज की
राजस्थान हाईकोर्ट की जोधपुर पीठ ने धोखाधड़ी और जालसाजी के लिए दर्ज तीन लोगों के खिलाफ़ दर्ज की गई FIR खारिज की। शिकायतकर्ता ने दावा किया कि पूर्व ने गलत तरीके से एक खाली हस्ताक्षरित चेक का इस्तेमाल किया, जो उसके साहूकार को सुरक्षा के रूप में दिया गया था और नकली मूल्य भरकर इसे किसी और को दे दिया।जस्टिस अरुण मोंगा की एकल पीठ ने फैसला सुनाया कि वाहक चेक परक्राम्य साधन हैं, जो व्यक्ति इन चेकों के फिजिकल कब्जे में था। उसे इसके लाभार्थी मालिक माना जाता है, जब तक कि साबित न हो जाए।शिकायतकर्ता ने दावा...
जाति-आधारित भेदभाव: राजस्थान हाईकोर्ट ने मंदिर में प्रवेश करने वाली महिला के खिलाफ़ दर्ज की गई FIR खारिज की
राजस्थान हाईकोर्ट ने महाकालेश्वर महादेव जी सिद्ध धाम मंदिर में जबरन मंदिर का ताला तोड़कर प्रवेश करने का प्रयास करके अराजकता पैदा करने के कथित अपराध के लिए हाशिए के समुदाय की महिला के खिलाफ़ दर्ज की गई FIR खारिज की।जस्टिस अरुण मोंगा की पीठ ने कहा कि कथित अपराध के लिए याचिकाकर्ता की ओर से आपराधिक इरादे को दर्शाने वाले किसी भी सबूत की पृष्ठभूमि में FIR गलत इरादों से शुरू की गई कानून का दुरुपयोग है। खासकर याचिकाकर्ता की एससी/एसटी पृष्ठभूमि के मद्देनजर जिससे मंदिर के ट्रस्टियों के बीच कुछ असहजता पैदा...