किसी के घर के अंदर शव जलाना अपमानजनक कृत्य: राजस्थान हाईकोर्ट
Amir Ahmad
19 Oct 2024 11:50 AM IST
राजस्थान हाईकोर्ट ने 40-50 लोगों के साथ हथियार लेकर शिकायतकर्ता के घर में घुसने तोड़फोड़ करने और घर के अंदर एक लड़की के शव को जलाने के आरोपी दो व्यक्तियों की जमानत याचिका खारिज की
हाईकोर्ट ने कहा,
“40-50 व्यक्तियों की संलिप्तता और इन अत्याचारों को करने के लिए शिकायतकर्ता के घर में घुसने का स्पष्ट कृत्य कानून के प्रति गहरी अवहेलना दर्शाता है। यह देखते हुए कि आरोपी एक बड़े समूह का हिस्सा थे, इस बात की प्रबल संभावना है कि अगर आरोपी को जमानत दी जाती है तो शिकायतकर्ता सहित गवाहों को खतरा या दबाव महसूस हो सकता है।”
जस्टिस राजेंद्र प्रकाश सोनी की पीठ ने याचिकाकर्ता की इस दलील को खारिज कर दिया कि दोनों पक्ष आदिवासी समुदाय से थे। यह कृत्य मौतना की सामाजिक प्रथा के अनुसार किया गया, क्योंकि शिकायतकर्ता का बेटा उस लड़की की मौत के लिए जिम्मेदार था, जिसका शव जला दिया गया।
अदालत जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें एक व्यक्ति ने शिकायत दर्ज कराई। इसमें कहा गया कि उसका बेटा जीप चलाते समय दुर्घटना में शामिल हो गया, जिसमें याचिकाकर्ता की बेटी की मौत हो गई। इसके बाद लड़की के परिवार के सदस्य 40-50 अन्य लोगों के साथ हथियार लेकर शिकायतकर्ता के घर पहुंचे।
समूह ने घर में घुसकर तोड़फोड़ की और घर के अंदर लकड़ियों का उपयोग करके लड़की के शव को आग लगा दी। नतीजतन शिकायतकर्ता को काफी नुकसान हुआ।
याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि दोनों पक्ष आदिवासी समुदाय से थे, जिनकी सामाजिक रीति-रिवाज़ों में मौतना और चढ़ोत्रा शामिल हैं। मौताणा (मृत्यु के लिए मुआवज़ा) परंपरा के अनुसार, किसी व्यक्ति की मृत्यु होने पर, शव को गांव के नेताओं, अधिकारियों या जिम्मेदार व्यक्ति के घर के सामने एक सप्ताह या उससे अधिक समय तक रखा जाता है, जिससे समाधान की प्रतीक्षा की जा सके।
याचिकाकर्ता का तर्क खारिज करते हुए न्यायालय ने कहा कि उचित संस्कार किए बिना शिकायतकर्ता के घर के अंदर शव को जलाना और इस तरह के आपराधिक तरीके से शव का उपयोग करना न केवल अत्यधिक अपमानजनक है बल्कि अपवित्रता का कार्य भी है।
इसके अलावा यह देखा गया कि बड़ी संख्या में हथियारों से लैस होकर आना यह दर्शाता है कि याचिकाकर्ताओं का इरादा शिकायतकर्ता के परिवार को डराना और आतंकित करना था। शिकायतकर्ता को हानिकारक आदिवासी प्रथा का पालन करने के लिए मजबूर किया गया, जिससे उसका मूल्य बढ़ाया जा सके।
इसके अनुसार, जमानत याचिका खारिज कर दी गई।
केस टाइटल: रूपा राम एवं अन्य बनाम राजस्थान राज्य