सम्मान के साथ जीने के अधिकार में सप्तपदी समारोह के दौरान जीवनसाथी के प्रति लिए गए वैवाहिक वचनों को पूरा करने में सक्षम होना शामिल: राजस्थान हाईकोर्ट
Amir Ahmad
28 Oct 2024 12:11 PM IST
राजस्थान हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि अनुच्छेद 21 में एक इंसान के रूप में सम्मान के साथ जीने का अधिकार शामिल है, जिसमें हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार सप्तपदी समारोह के दौरान लिए गए वैवाहिक वचनों के संदर्भ में एक अच्छे पति के रूप में कार्य करना भी शामिल है।
जस्टिस अरुण मोंगा की पीठ आरोपी की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जो संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी से संबंधित धोखाधड़ी और आपराधिक विश्वासघात के अपराधों के लिए कई एफआईआर के संबंध में पिछले 2 वर्षों से न्यायिक हिरासत में था।
याचिकाकर्ता अपनी पत्नी के मेडिकल आधार पर 3 महीने के लिए अंतरिम ज़मानत की मांग कर रहा था, जो रेडिकुलोपैथी नामक एक गंभीर बीमारी से पीड़ित थी, जिसके लिए उसे तत्काल शल्य चिकित्सा से गुजरना पड़ा।
परिवार में सर्जरी से पहले और बाद में सहायता और समर्थन प्रदान करने वाला कोई और नहीं था। इसलिए वह आरोपी के बिना सर्जरी नहीं करवा पाई। सर्जरी में देरी करने से उसकी स्थिति और खराब होने का जोखिम था जिससे उसकी जान को बड़ा खतरा था।
समय की कमी को देखते हुए याचिकाकर्ता प्रत्येक एफआईआर में ज़मानत की मांग करने में सक्षम नहीं था, क्योंकि उस प्रक्रिया में लगने वाला समय पूरे प्रयास को निष्फल कर देता। इसलिए अदालत के समक्ष याचिका दायर की गई।
कोर्ट ने पाया कि याचिकाकर्ता के पारिवारिक संबंध हैं। उसके भागने का कोई खतरा नहीं है। उसके खिलाफ अभियोजन पक्ष के साक्ष्य की प्रकृति ज्यादातर दस्तावेज थे, जिन्हें जब्त कर लिया गया। उनके साथ किसी भी तरह की छेड़छाड़ की कोई संभावना नहीं थी।
यह कहा गया,
“भारत के संविधान 1950 के अनुच्छेद 21 के तहत निहित मौलिक अधिकार में एक इंसान के रूप में सम्मान के साथ जीने का अधिकार भी शामिल है, जो हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार सप्तपदी समारोह के दौरान लिए गए वैवाहिक वचनों के संदर्भ में एक अच्छे पति के रूप में कार्य करने के लिए आवश्यक है।”
तदनुसार, रिट याचिका को अनुमति दी गई, जिसमें याचिकाकर्ता को 60 दिनों के लिए अस्थायी जमानत पर रिहा करने का निर्देश दिया गया।
केस टाइटल: अमर सिंह राठौर बनाम राजस्थान राज्य और अन्य।