मद्रास हाईकोर्ट

मद्रास हाईकोर्ट ने YouTuber सवुक्कु शंकर की स्वास्थ्य स्थिति पर रिपोर्ट मांगी, हिरासत में यातना के हैं आरोप
मद्रास हाईकोर्ट ने YouTuber सवुक्कु शंकर की स्वास्थ्य स्थिति पर रिपोर्ट मांगी, हिरासत में यातना के हैं आरोप

हिरासत में यातना के आरोपों के बीच मद्रास हाईकोर्ट ने YouTuber सवुक्कू शंकर की स्वास्थ्य स्थिति के बारे में जिला कानूनी सेवा प्राधिकरण, कोयंबटूर से रिपोर्ट मांगी है।यह सूचित किए जाने के बाद कि डीएलएसए ने शंकर के स्वास्थ्य की जांच के लिए पैनल में शामिल तीन वकीलों और एक्सपर्ट डॉक्टर को नियुक्त किया, जस्टिस एडी जगदीश चंदिरा और जस्टिस आर कलाईमथी की अवकाश पीठ ने प्राधिकरण को 9 मई 2024 तक एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।खंडपीठ ने शंकर की मां ए कमला द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर यह...

पीएम मोदी के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंची Congress, कथित हेट स्पीच पर स्पष्टीकरण के लिए ECI को निर्देश देने की मांग
पीएम मोदी के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंची Congress, कथित हेट स्पीच पर स्पष्टीकरण के लिए ECI को निर्देश देने की मांग

तमिलनाडु कांग्रेस (TN Congress) कमेटी ने मद्रास हाईकोर्ट में याचिका दायर कर भारत के चुनाव आयोग (ECI) को निर्देश देने की मांग की कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) से उनकी हेट स्पीच पर स्पष्टीकरण मांगें और झूठे, अपमानजनक बयानों पर अंकुश लगाने के लिए कार्रवाई करें और उन्हें आगे कांग्रेस चुनाव घोषणापत्र के खिलाफ अपमानजनक बयान और गुमराह करने से रोकें।समिति के अध्यक्ष के.सेल्वापेरुन्थागई के माध्यम से दायर याचिका में आरोप लगाया गया कि आगामी 2024 लोकसभा चुनावों में हार के डर से BJP हिंदू...

वैधानिक प्राधिकरण के समक्ष प्रस्तुत किए गए अभ्यावेदन पर विचार न करना कर्तव्य की उपेक्षा के समान: मद्रास हाइकोर्ट
वैधानिक प्राधिकरण के समक्ष प्रस्तुत किए गए अभ्यावेदन पर विचार न करना कर्तव्य की उपेक्षा के समान: मद्रास हाइकोर्ट

मद्रास हाइकोर्ट की जज जस्टिस आर.एन. मंजुला की एकल पीठ ने सी. चंद्रन बनाम तमिलनाडु राज्य परिवहन निगम (तिरुनेलवेली) लिमिटेड एवं अन्य के मामले में रिट याचिका पर निर्णय लेते हुए कहा कि वैधानिक प्राधिकरण के समक्ष प्रस्तुत किए गए अभ्यावेदन पर विचार न करना कर्तव्य की उपेक्षा के समान है।मामले की पृष्ठभूमिसी. चंद्रन (याचिकाकर्ता) को 1989 में तमिलनाडु राज्य परिवहन निगम (तिरुनेलवेली) लिमिटेड एवं अन्य (प्रतिवादी) में ट्रेड्समैन के रूप में नियुक्त किया गया और वे 30.06.2022 को विशेष ग्रेड ट्रेड्समैन के रूप...

विकास तब होता है जब आप अपनी गलती पहचानते हैं और इसे बदलने की कोशिश करते हैं: मद्रास हाईकोर्ट के जज ने 2018 से खुद के फैसले की आलोचना की
"विकास तब होता है जब आप अपनी गलती पहचानते हैं और इसे बदलने की कोशिश करते हैं": मद्रास हाईकोर्ट के जज ने 2018 से खुद के फैसले की आलोचना की

राकेश लॉ फाउंडेशन के समन्वय में मद्रास बार एसोसिएशन अकादमी द्वारा आयोजित एक व्याख्यान श्रृंखला में बोलते हुए, मद्रास हाईकोर्ट के जस्टिस आनंद वेंकटेश ने जोर देकर कहा कि एक व्यक्ति को अपनी गलतियों को स्वीकार करने का साहस होना चाहिए और इसे बदलने के लिए तैयार होना चाहिए।जज ने "भूमि के लिए सूट के मामले में अपने स्वयं के निर्णय की आलोचना करने वाले जज" पर एक व्याख्यान दिया। जज ने चर्चा की कि कैसे उन्होंने हर्ष एस्टेट्स बनाम कल्याण चक्रवर्ती के मामले में 2018 के एक मामले में फैसला सुनाते समय गलती की थी।...

हाथ से मैला ढोने की प्रथा राज्य द्वारा स्वीकृत जातिवाद, यह गहरे तक जड़ें जमाए भेदभाव की याद दिलाती है: मद्रास उच्च हाइकोर्ट  ने इसके उन्मूलन के लिए दिशा-निर्देश जारी किए
हाथ से मैला ढोने की प्रथा राज्य द्वारा स्वीकृत जातिवाद, यह गहरे तक जड़ें जमाए भेदभाव की याद दिलाती है: मद्रास उच्च हाइकोर्ट ने इसके उन्मूलन के लिए दिशा-निर्देश जारी किए

आज के समय में हाथ से मैला ढोने की प्रथा के जारी रहने पर दुख जताते हुए मद्रास हाइकोर्ट ने हाथ से मैला ढोने की प्रथा के उन्मूलन और हाथ से मैला ढोने वालों के रूप में रोजगार के निषेध और उनके पुनर्वास अधिनियम, 2013 के अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिए कई दिशा-निर्देश जारी किए।चीफ जस्टिस एसवी गंगापुरवाला और जस्टिस सत्य नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने टिप्पणी की कि यद्यपि टेक्नोलॉजी के अभाव के युग में हाथ से मैला ढोने की प्रथा की आवश्यकता हो सकती है लेकिन आज के तकनीकी विकास के युग में इस प्रथा को जारी रखना...

पीजी डॉक्टरों का सरकारी अस्पतालों में काम करने से इनकार करना गरीब मरीजों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन: मद्रास हाइकोर्ट ने बॉन्ड समझौता बरकरार रखा
पीजी डॉक्टरों का सरकारी अस्पतालों में काम करने से इनकार करना गरीब मरीजों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन: मद्रास हाइकोर्ट ने बॉन्ड समझौता बरकरार रखा

मद्रास हाइकोर्ट ने हाल ही में टिप्पणी की कि डॉक्टरों, जो करदाताओं के पैसे का उपयोग करके कम लागत पर पोस्ट ग्रेजुएट (पीजी) अध्ययन करते हैं, उन्हें राज्य में गरीबों और जरूरतमंदों की सेवा करनी चाहिए।जस्टिस एसएम सुब्रमण्यम ने यह भी टिप्पणी की कि पीजी कोर्स पूरा करने के बाद सरकारी अस्पतालों में काम करने से इनकार करने वाले डॉक्टर सरकारी अस्पतालों में इलाज करा रहे गरीब और जरूरतमंद मरीजों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन कर रहे हैं।अदालत ने कहा,“अगर ये डॉक्टर मेडिकल स्पेशलिटी कोर्स करने के बाद सरकारी अस्पताल...

शारीरिक दंड बच्चों को सही राह दिखाने का समाधान नहीं, उन्हें बेहतर तरीके से सुना जाना चाहिए और उनके साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार किया जाना चाहिए: मद्रास हाइकोर्ट
शारीरिक दंड बच्चों को सही राह दिखाने का समाधान नहीं, उन्हें बेहतर तरीके से सुना जाना चाहिए और उनके साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार किया जाना चाहिए: मद्रास हाइकोर्ट

बच्चों के साथ देखभाल और सम्मानपूर्वक व्यवहार करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए मद्रास हाइकोर्ट ने हाल ही में बच्चों पर शारीरिक दंड लगाने की प्रथा की निंदा की।जस्टिस एस.एम. सुब्रमण्यम ने कहा कि शारीरिक दंड पूरी तरह से अस्वीकार्य है और बच्चों के निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 की धारा 17(1) के तहत निषिद्ध है। न्यायालय ने यह भी कहा कि शारीरिक दंड बच्चों को सही राह दिखाने का समाधान नहीं है। इसके बजाय बच्चों के साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार करने के प्रयास किए जाने चाहिए।कोर्ट ने कहा,“बढ़ते...

मद्रास हाइकोर्ट ने तिरुनेलवेली में BJP और Congress उम्मीदवारों के खिलाफ PMLA कार्यवाही शुरू करने की याचिका पर ED से जवाब मांगा
मद्रास हाइकोर्ट ने तिरुनेलवेली में BJP और Congress उम्मीदवारों के खिलाफ PMLA कार्यवाही शुरू करने की याचिका पर ED से जवाब मांगा

मद्रास हाइकोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) से लोकसभा चुनाव 2024 में तिरुनेलवेली निर्वाचन क्षेत्र से BJP और Congress के उम्मीदवारों नैनार नागेंद्रन और रॉबर्ट ब्रूस के खिलाफ धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA Act) के तहत कार्यवाही शुरू करने की मांग करने वाली याचिका पर जवाब देने को कहा।जस्टिस एमएस रमेश और जस्टिस सुंदर मोहन की खंडपीठ ने प्रथम दृष्टया माना कि आरोपित अपराध अनुसूचित अपराध नहीं है और PMLA Act के तहत कार्रवाई की आवश्यकता नहीं है। इसने ED से 24 अप्रैल तक याचिका पर जवाब देने को कहा।यह याचिका...

सद्गुरु के ईशा फाउंडेशन से लापता हुए ज्यादातर लोगों का पता लगाया जा रहा: राज्य ने मद्रास हाईकोर्ट को बताया
सद्गुरु के ईशा फाउंडेशन से लापता हुए ज्यादातर लोगों का पता लगाया जा रहा: राज्य ने मद्रास हाईकोर्ट को बताया

राज्य सरकार ने गुरुवार को मद्रास हाईकोर्ट को सूचित किया कि सद्गुरु द्वारा स्थापित ईशा फाउंडेशन से व्यक्ति के लापता होने के मामले में जांच चल रही है। जस्टिस एमएस रमेश और जस्टिस सुंदर मोहन की खंडपीठ तिरुनेलवेली जिले के तिरुमलाई द्वारा अपने भाई गणेशन के शव को पेश करने के लिए दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई कर रही थी। पिछली सुनवाई में अतिरिक्त लोक अभियोजक ने मौखिक रूप से अदालत को सूचित किया था कि 2016 से ईशा फाउंडेशन से छह लोग लापता हो गए हैं। गुरुवार को, जब पहले के सबमिशन के संबंध में जांच...

Poll-Ads Pre-Certification: मद्रास हाईकोर्ट ने ECI से सुप्रीम कोर्ट का आदेश पेश करने को कहा, कहा- ECI हाईकोर्ट के अधिकार क्षेत्र को सीमित करने वाले आदेश पारित नहीं कर सकता
Poll-Ads Pre-Certification: मद्रास हाईकोर्ट ने ECI से सुप्रीम कोर्ट का आदेश पेश करने को कहा, कहा- ECI हाईकोर्ट के अधिकार क्षेत्र को सीमित करने वाले आदेश पारित नहीं कर सकता

मद्रास हाईकोर्ट ने बुधवार को टिप्पणी की कि ECI संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत हाईकोर्ट की शक्तियों को दोगुना नहीं कर सकता। अदालत ने यह भी टिप्पणी की कि ECI हाईकोर्ट के अधिकार क्षेत्र को सीमित करने वाले आदेश पारित नहीं कर सकता।चीफ जस्टिस एसवी गंगापुरवाला और जस्टिस सत्य नारायण प्रसाद की खंडपीठ द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें टेलीविजन चैनलों और केबल नेटवर्क पर राजनीतिक दलों द्वारा विज्ञापनों को विनियमित करने के लिए 2023 के समेकित दिशानिर्देशों को चुनौती दी गई।...

ट्रेडमार्क रजिस्ट्री में लंबित सुधार याचिका को हाईकोर्ट अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर स्थानांतरित कर सकता है: मद्रास हाईकोर्ट
ट्रेडमार्क रजिस्ट्री में लंबित सुधार याचिका को हाईकोर्ट अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर स्थानांतरित कर सकता है: मद्रास हाईकोर्ट

मद्रास हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि एक हाईकोर्ट के पास ट्रेडमार्क रजिस्ट्री में लंबित एक सुधार आवेदन को अपने पास स्थानांतरित करने की अंतर्निहित शक्तियां होंगी जो उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं है।जस्टिस अब्दुल कुद्घोस ने कहा कि ट्रेड मार्क अधिनियम ने जानबूझकर "हाईकोर्ट" शब्द को परिभाषित करने के लिए छोड़ दिया था और इस प्रकार विधायिका का इरादा हाईकोर्ट की शक्तियों को कम करना नहीं था। कोर्ट ने कहा कि विधायिका का इरादा एक ही विषय से निपटने और परस्पर विरोधी निर्णय देने के लिए दो मंचों के लिए नहीं है। ...

राज्य राजपत्र में नाम या जेंडर परिवर्तन प्रकाशित करने के लिए ट्रांसजेंडर व्यक्ति के सेक्स रीअसाइनमेंट सर्जरी सर्टिफिकेट पर जोर नहीं दे सकता: मद्रास हाइकोर्ट
राज्य राजपत्र में नाम या जेंडर परिवर्तन प्रकाशित करने के लिए ट्रांसजेंडर व्यक्ति के सेक्स रीअसाइनमेंट सर्जरी सर्टिफिकेट पर जोर नहीं दे सकता: मद्रास हाइकोर्ट

मद्रास हाइकोर्ट ने राज्य सरकार से कहा कि वह आधिकारिक राजपत्र में ट्रांसजेंडर व्यक्ति के नाम या जेंडर परिवर्तन को प्रकाशित करने के लिए मेडिकल जांच रिपोर्ट और सेक्सुअल री-ओरिएंटेशन सर्जरी सर्टिफिकेट प्रस्तुत करने पर जोर न दे।चीफ जस्टिस एसवी गंगापुरवाला और जस्टिस सत्य नारायण प्रसाद की पीठ ने कहा कि राज्य को ट्रांस व्यक्तियों द्वारा दायर स्व-घोषणा प्रपत्रों और हलफनामों पर भरोसा करना चाहिए। यदि आवश्यक हो तो आधिकारिक राजपत्र में प्रकाशन के लिए आधार कार्ड या अन्य वैध पहचान दस्तावेज मांग सकता है।...

केवल इस आधार पर अनुकंपा नियुक्ति से इनकार नहीं किया जा सकता कि याचिकाकर्ता दूसरी पत्नी से पैदा हुआ नाजायज बच्चा है: मद्रास हाइकोर्ट ने दोहराया
केवल इस आधार पर अनुकंपा नियुक्ति से इनकार नहीं किया जा सकता कि याचिकाकर्ता दूसरी पत्नी से पैदा हुआ नाजायज बच्चा है: मद्रास हाइकोर्ट ने दोहराया

मद्रास हाइकोर्ट की जस्टिस आरएन मंजुला की पीठ ने एम. अनंथा बाबू बनाम जिला कलेक्टर एवं अन्य के मामले में रिट याचिका पर निर्णय लेते हुए दोहराया कि केवल इस आधार पर अनुकंपा नियुक्ति से इनकार नहीं किया जा सकता कि बच्चा मृतक कर्मचारी की दूसरी पत्नी से है।तथ्यों की पृष्ठभूमिएम. अनंथा बाबू (याचिकाकर्ता) के पिता ग्राम सहायक के रूप में कार्यरत थे और सेवा में रहते हुए 2007 में उनकी मृत्यु हो गई। याचिकाकर्ता ने 2008 में अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन किया। हालांकि 2021 में जिला कलेक्टर (प्रतिवादी) ने...

UAPA की धारा 7 (1) के तहत केंद्र सरकार के आदेश के बिना यूएपीए के तहत बैंक खाते को फ्रीज नहीं किया जा सकता है: मद्रास हाईकोर्ट
UAPA की धारा 7 (1) के तहत केंद्र सरकार के आदेश के बिना यूएपीए के तहत बैंक खाते को फ्रीज नहीं किया जा सकता है: मद्रास हाईकोर्ट

मद्रास हाईकोर्ट ने हाल ही में सहायक पुलिस आयुक्त, वेपेरी रेंज द्वारा पारित एक आदेश को रद्द कर दिया और तमिलनाडु डेवलपमेंट फाउंडेशन ट्रस्ट के बैंक खाते को डी-फ्रीज करने का आदेश दिया, क्योंकि ट्रस्ट के खाते को उचित जांच किए बिना गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम के तहत फ्रीज कर दिया गया था।जस्टिस एमएस रमेश और जस्टिस सुंदर मोहन की खंडपीठ ने कहा कि प्रतिबंधात्मक आदेश पारित करते हुए यूएपीए की धारा 7(1) के अनुसार, जांच की जानी थी। कोर्ट ने कहा कि मौजूदा मामले में ऐसी कोई जांच नहीं की गई। इस प्रकार,...

जिला रजिस्ट्रार अर्ध-न्यायिक अधिकारी हैं, वे सारांश कार्यवाही करके सेल्स डीड रद्द नहीं कर सकते: मद्रास हाइकोर्ट
जिला रजिस्ट्रार अर्ध-न्यायिक अधिकारी हैं, वे सारांश कार्यवाही करके सेल्स डीड रद्द नहीं कर सकते: मद्रास हाइकोर्ट

मद्रास हाइकोर्ट ने हाल ही में देखा कि रजिस्ट्रेशन ऑफिसर या डिस्ट्रिक्ट रजिस्ट्रार अर्ध-न्यायिक अधिकारी हैं और उन्हें सारांश कार्यवाही के माध्यम से सेल्स डीड रद्द करने का अधिकार नहीं है।जस्टिस एसएम सुब्रमण्यम और जस्टिस के राजशेखर की खंडपीठ ने कहा कि जिला रजिस्ट्रार के पास रजिस्ट्रेशन के दौरान गलतियों, चूक या उल्लंघन या अधिनियम के तहत प्रक्रियाओं के उल्लंघन के बारे में राय बनाने की शक्तियां हैं।खंडपीठ ने कहा कि सेल्स डीड रद्द करने के लिए टेस्ट की आवश्यकता है, जो सिर्फ सिविल कोर्ट द्वारा किया जा...

Lok Sabha Election 2024: मतदान की तारीख और मतगणना की तारीख के बीच अंतर पर किए थे सवाल, हाईकोर्ट ने याचिका खारिज की
Lok Sabha Election 2024: मतदान की तारीख और मतगणना की तारीख के बीच अंतर पर किए थे सवाल, हाईकोर्ट ने याचिका खारिज की

मद्रास हाईकोर्ट ने आगामी लोकसभा चुनाव 2024 में मतदान की तारीख और मतगणना की तारीख के बीच अंतर पर सवाल उठाने वाली याचिका को बुधवार को खारिज कर दिया।चीफ जस्टिस एसवी गंगापुरवाला और जस्टिस भरत चक्रवर्ती की खंडपीठ ने कहा कि याचिका किसी सार्वजनिक मुद्दे का समर्थन नहीं करती। अदालत चुनाव आयोजित करने के तरीके के संबंध में भारतीय चुनाव आयोग (ECI) को निर्देश जारी नहीं कर सकती।अदालत ने याचिका खारिज करने से पहले मौखिक रूप से टिप्पणी की,“क्या यह सचमुच जनहित याचिका है? आप कैसे प्रभावित हैं? चुनाव की तारीख, इसे...

राजीव गांधी हत्याकांड दोषियों को श्रीलंका वापस जाने के लिए दस्तावेज जारी किए जाएं: श्रीलंकाई उच्चायोग ने मद्रास हाईकोर्ट से कहा
राजीव गांधी हत्याकांड दोषियों को श्रीलंका वापस जाने के लिए दस्तावेज जारी किए जाएं: श्रीलंकाई उच्चायोग ने मद्रास हाईकोर्ट से कहा

श्रीलंका उच्चायोग ने मद्रास हाईकोर्ट को सूचित किया है कि राजीव गांधी हत्या मामले के दोषियों बालासुंदरम रॉबर्ट पायस, श्री वेत्रिवेल श्रीकरण और श्री षणमुगलिंघम जयकुमार को अस्थायी यात्रा दस्तावेज जारी किए गए हैं और उन्हें श्रीलंका वापस भेजने की अनुमति दे दी गई है।जस्टिस आर सुरेश कुमार और जस्टिस के कुमारेश बाबू की खंडपीठ के समक्ष यह दलील दी गई। कोर्ट श्रीकरण की याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें अनुरोध किया गया था कि पुनर्वास निदेशक को उन्हें एक फोटो पहचान पत्र जारी करने का निर्देश दिया जाए जिससे वह...

सीआरपीसी की धारा 144 के तहत कोई निषेधाज्ञा नहीं होने पर पुलिस के खिलाफ लोगों का इकट्ठा होना, प्रदर्शन करना अपराध नहीं: मद्रास हाइकोर्ट
सीआरपीसी की धारा 144 के तहत कोई निषेधाज्ञा नहीं होने पर पुलिस के खिलाफ लोगों का इकट्ठा होना, प्रदर्शन करना अपराध नहीं: मद्रास हाइकोर्ट

मद्रास हाइकोर्ट ने हाल ही में टिप्पणी की कि जब सीआरपीसी की धारा 144 के तहत कोई निषेधाज्ञा नहीं है तो कुछ लोगों का पुलिस के खिलाफ इकट्ठा होना और प्रदर्शन करना कोई अवैधानिक बात नहीं है और यह कोई अपराध नहीं है।जस्टिस एम ढांडापानी ने पुलिस की बर्बरता के कारण सिलंबरासन नामक व्यक्ति की मौत के मामले में पुलिस की निष्क्रियता के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों के समूह के खिलाफ दर्ज एफआईआर रद्द करने की मांग करने वाली याचिका पर यह टिप्पणी की।अदालत ने कहा,"बेशक, प्रासंगिक समय पर आम जनता को किसी विशेष क्षेत्र...