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विदेशी संपत्तियों का खुलासा न करने पर काला धन अधिनियम की धारा 50 का पूर्वव्यापी प्रभाव से लागू होना असंवैधानिक: कर्नाटक हाईकोर्ट
विदेशी संपत्तियों का खुलासा न करने पर काला धन अधिनियम की धारा 50 का पूर्वव्यापी प्रभाव से लागू होना असंवैधानिक: कर्नाटक हाईकोर्ट

कर्नाटक हाईकोर्ट ने काला धन (अघोषित विदेशी आय और संपत्ति) कर अधिरोपण अधिनियम, 2015 की धारा 50 के तहत कई व्यापारियों के खिलाफ शुरू किए गए आपराधिक अभियोजन को रद्द कर दिया है, जिन पर अधिनियम के लागू होने से कई साल पहले कथित तौर पर उल्लंघन के आरोप लगाए गए थे। यह प्रावधान करदाता को भारत के बाहर स्थित किसी संपत्ति की कोई भी जानकारी, जिसमें वित्तीय हित भी शामिल है, प्रस्तुत करने में विफल रहने पर दंडित करता है।जस्टिस एम नागप्रसन्ना की एकल न्यायाधीश पीठ ने धनश्री रवींद्र पंडित और अन्य द्वारा दायर...

पंजाब यूनिवर्सिटी कैलेंडर | सीनियरिटी की परवाह किए बिना हर शिक्षक को रोटेशन के आधार पर डिपार्टमेंट हेड बनने का मौका दिया जाना चाहिए: हाईकोर्ट
पंजाब यूनिवर्सिटी कैलेंडर | सीनियरिटी की परवाह किए बिना हर शिक्षक को रोटेशन के आधार पर डिपार्टमेंट हेड बनने का मौका दिया जाना चाहिए: हाईकोर्ट

पंजाब यूनिवर्सिटी कैलेंडर वॉल्यूम III की व्याख्या करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि शिक्षण विभाग में जूनियर और सीनियर के रूप में कद के बावजूद सभी को रोटेशन के आधार पर डिपार्टमेंट हेड बनने का मौका दिया जाना चाहिए।जस्टिस संजय वशिष्ठ ने कहा,"इस कोर्ट को नियमों की सही व्याख्या करने में कोई हिचकिचाहट नहीं है, इसे बनाने के इरादे और उद्देश्य को देखते हुए यानी शिक्षण विभाग में जूनियर और सीनियर के रूप में कद के बावजूद सभी को रोटेशन के आधार पर डिपार्टमेंट हेड बनने का मौका दिया जाना चाहिए। यह व्याख्या नियम 2.3...

एक ही व्यक्ति द्वारा दूसरी आपराधिक पुनरीक्षण याचिका पर रोक, हालांकि हाईकोर्ट सीआरपीसी की धारा 482 के तहत ऐसी याचिका पर विचार कर सकता है: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट
एक ही व्यक्ति द्वारा दूसरी आपराधिक पुनरीक्षण याचिका पर रोक, हालांकि हाईकोर्ट सीआरपीसी की धारा 482 के तहत ऐसी याचिका पर विचार कर सकता है: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा कि एक ही व्यक्ति द्वारा दूसरी आपराधिक पुनरीक्षण याचिका दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के तहत वर्जित है, लेकिन हाईकोर्ट सीआरपीसी की धारा 482 के तहत निहित अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करके ऐसी याचिका पर विचार कर सकता है। जस्टिस सुमीत गोयल ने कहा, "सीआरपीसी, 1973 की धारा 397(3) और धारा 399(2) में निहित वैधानिक आदेश के मद्देनजर एक ही व्यक्ति द्वारा दायर दूसरी आपराधिक पुनरीक्षण याचिका पर विचार नहीं किया जा सकता। फिर भी, हाईकोर्ट सीआरपीसी, 1973 की धारा 482 के तहत अपने...

शादी का झूठा वादा | कोर्ट को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि न केवल महिलाओं का दुरुपयोग न हो, बल्कि पुरुषों के खिलाफ भी कानून का दुरुपयोग न हो: मद्रास हाईकोर्ट
शादी का झूठा वादा | कोर्ट को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि न केवल 'महिलाओं का दुरुपयोग न हो, बल्कि पुरुषों के खिलाफ भी कानून का दुरुपयोग न हो': मद्रास हाईकोर्ट

यौन उत्पीड़न के एक मामले में दोषसिद्धि को खारिज करते हुए मद्रास हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि जब पीड़िता को पहले से पता था कि आरोपी एक विवाहित व्यक्ति है और एक बच्चे का पिता है, तो वह यह आरोप नहीं लगा सकती कि शादी के झूठे वादे पर सहमति प्राप्त की गई थी। जस्टिस एम ढांडापानी ने कहा कि इस तरह के मामलों से निपटने के दौरान न्यायालयों का दोहरा कर्तव्य है- पहला यह कि महिलाओं का दुरुपयोग न हो और दूसरा और समान रूप से यह कि कानून का दुरुपयोग पुरुषों के खिलाफ न हो।न्यायालय ने कहा कि हालांकि न्यायालयों को...

सुप्रीम कोर्ट ने पेड़ों की कटाई से पहले Delhi LG के साइट विजिट के बारे में जानकारी न देने पर DDA को फटकार लगाई
सुप्रीम कोर्ट ने पेड़ों की कटाई से पहले Delhi LG के साइट विजिट के बारे में जानकारी न देने पर DDA को फटकार लगाई

सुप्रीम कोर्ट ने उसने दिल्ली के उपराज्यपाल (Delhi LG) वी के सक्सेना के साइट पर जाने के बारे में जानकारी नहीं देने पर दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) की आलोचना की। उक्त साइट पर कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन करते हुए पेड़ों की कटाई की गई थी।DDA के वाइस चेयरमैन पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का उल्लंघन करते हुए राजधानी के रिज फॉरेस्ट में पेड़ों की कटाई करने के लिए अवमानना ​​का मामला चल रहा है।जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच ने पाया कि एग्जीक्यूटिव इंजीनियर द्वारा ठेकेदार को भेजे गए...

उत्पीड़न के विशिष्ट उदाहरणों के बिना सर्वव्यापी आरोप आत्महत्या के लिए उकसाने का अपराध आकर्षित करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं: जम्मू एंड कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट
उत्पीड़न के विशिष्ट उदाहरणों के बिना सर्वव्यापी आरोप आत्महत्या के लिए उकसाने का अपराध आकर्षित करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं: जम्मू एंड कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट

अपने मृतक भाई को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में चार भाइयों के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करते हुए जम्मू एंड कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने कहा है कि बिना किसी विशेष उदाहरण के उत्पीड़न के केवल आरोप आईपीसी की धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना) के तहत दोषसिद्धि के लिए पर्याप्त नहीं होंगे। इस प्रावधान के तहत दायित्व को पुख्ता करने के लिए साबित किए जाने वाले आवश्यक तत्वों को स्पष्ट करते हुए ज‌स्टिस संजय धर ने कहा,“यह दिखाने के लिए कि किसी व्यक्ति ने अपराध करने के लिए उकसाया है, उसका इरादा स्पष्ट...

आबकारी पॉलिसी मामले में मनीष सिसोदिया को कभी दोषी नहीं ठहराया, CBI ने मीडिया में झूठी कहानी फैलाई: अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली कोर्ट में बताया
आबकारी पॉलिसी मामले में मनीष सिसोदिया को कभी दोषी नहीं ठहराया, CBI ने मीडिया में झूठी कहानी फैलाई: अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली कोर्ट में बताया

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बुधवार को दिल्ली आबकारी नीति मामले में CBI की हिरासत की मांग वाली याचिका का विरोध करते हुए शहर की राउज एवेन्यू कोर्ट को व्यक्तिगत रूप से संबोधित किया।AAP नेता ने मीडिया की उन खबरों का खंडन किया, जिसमें दावा किया गया कि उन्होंने घोटाले के लिए उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को दोषी ठहराया।केजरीवाल ने कहा,"CBI द्वारा मीडिया में झूठी कहानी फैलाई जा रही है कि मैंने शराब नीति घोटाले का दोष मनीष सिसोदिया पर डाला है। मैंने मनीष सिसोदिया या किसी अन्य व्यक्ति को दोषी...

कोर्ट फीस के संबंध में धारा 17 के तहत विविध आवेदनों पर आदेश SARFAESI अधिनियम की धारा 18 के तहत अपील योग्य है: इलाहाबाद हाईकोर्ट
कोर्ट फीस के संबंध में धारा 17 के तहत विविध आवेदनों पर आदेश SARFAESI अधिनियम की धारा 18 के तहत अपील योग्य है: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माना है कि न्यायालय शुल्क के संबंध में विविध आवेदन पर आदेश वित्तीय आस्तियों के प्रतिभूतिकरण एवं पुनर्निर्माण तथा प्रतिभूति हित प्रवर्तन अधिनियम, 2002 की धारा 18 के अंतर्गत अपील योग्य है। जस्टिस अजीत कुमार ने माना कि SARFAESI अधिनियम की धारा 18, जो अपील का प्रावधान करती है, यह निर्दिष्ट नहीं करती है कि अपील केवल अंतिम आदेशों के विरुद्ध दायर की जा सकती है, न कि अंतरिम आदेशों के विरुद्ध। यह देखते हुए कि धारा 17 के अंतर्गत आदेश अंतरिम प्रकृति का हो सकता है, न्यायालय ने माना कि...

कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा कि दोषी कर्मचारी को सजा देते समय लंबी सेवा, पदोन्नति जैसे कारकों पर विचार किया जाना चाहिए
कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा कि दोषी कर्मचारी को सजा देते समय लंबी सेवा, पदोन्नति जैसे कारकों पर विचार किया जाना चाहिए

कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा है कि दोषी कर्मचारी को सजा अपराध की गंभीरता के अनुरूप होनी चाहिए और सजा देते समय दोषी द्वारा की गई लंबी और बेदाग सेवा, अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू होने तक उसके द्वारा अर्जित पदोन्नति की संख्या और प्रकृति, उसे दिया गया सम्मान, सेवानिवृत्ति के लिए शेष अवधि की कमी आदि कारकों पर विचार किया जाना चाहिए। जस्टिस कृष्ण एस दीक्षित और जस्टिस रामचंद्र डी हुड्डार की खंडपीठ ने सिंडिकेट बैंक के पूर्व कर्मचारी एम आर नागराजन द्वारा दायर अपील को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए यह टिप्पणी...

घरेलू हिंसा अधिनियम | तलाकशुदा पत्नी को कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अलावा साझा घर से बेदखल नहीं किया जा सकता: केरल हाईकोर्ट
घरेलू हिंसा अधिनियम | तलाकशुदा पत्नी को कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अलावा 'साझा घर' से बेदखल नहीं किया जा सकता: केरल हाईकोर्ट

केरल हाईकोर्ट ने हाल ही में दिए गए एक फैसले में कहा कि तलाकशुदा होने के बावजूद पूर्व पत्नी को कानून द्वारा निर्धारित प्रक्रिया के अलावा साझा घर से बेदखल नहीं किया जा सकता। न्यायालय ने कहा कि भले ही तलाकशुदा महिला का साझा घर पर कोई अधिकार नहीं है, लेकिन अगर वह तलाक के दौरान या उसके बाद वहां रह रही थी, तो उसे कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया के माध्यम से ही बेदखल किया जा सकता है।जस्टिस ए. बदरुद्दीन ने कहा:“इसलिए, यह माना जाता है कि तलाकशुदा महिला साझा घर में रहने के अधिकार का दावा नहीं कर सकती।...

मृत्यु पूर्व कथन दर्ज करने का कोई निर्धारित प्रारूप नहीं, लेकिन न्यायालयों को यह सुनिश्चित करना होगा कि यह स्वस्थ मनःस्थिति में किया गया: झारखंड हाईकोर्ट
मृत्यु पूर्व कथन दर्ज करने का कोई निर्धारित प्रारूप नहीं, लेकिन न्यायालयों को यह सुनिश्चित करना होगा कि यह स्वस्थ मनःस्थिति में किया गया: झारखंड हाईकोर्ट

झारखंड हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि मृत्यु पूर्व कथन दर्ज करने का कोई निर्धारित प्रारूप नहीं है और यह मौखिक या लिखित हो सकता है। हालांकि इस पर भरोसा करने वाले किसी भी न्यायालय को यह सुनिश्चित करना होगा कि यह घोषणाकर्ता द्वारा स्वस्थ मनःस्थिति में किया गया।जस्टिस सुभाष चंद और जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ ने कहा,"यह स्थापित कानून है कि मृत्यु पूर्व कथन मौखिक या लिखित हो सकता है। लेकिन मृत्यु पूर्व कथन पर भरोसा करते समय न्यायालय को यह सुनिश्चित करना होगा कि यह 'स्वस्थ मनःस्थिति' में किया गया। मृत्यु...

होमगार्डों की नियुक्ति दैनिक वेतन के आधार पर की जाती है, भर्ती और चयन प्रक्रिया सिविल पुलिस अधिकारियों से अलग: केरल हाईकोर्ट ने वेतन समानता से इनकार किया
होमगार्डों की नियुक्ति दैनिक वेतन के आधार पर की जाती है, भर्ती और चयन प्रक्रिया सिविल पुलिस अधिकारियों से अलग: केरल हाईकोर्ट ने वेतन समानता से इनकार किया

केरल हाईकोर्ट ने कहा है कि होमगार्डों की नियुक्ति दैनिक वेतन के आधार पर की जाती है और उनकी भर्ती और चयन प्रक्रिया सिविल पुलिस अधिकारी से भिन्न होती है। न्यायालय ने आगे कहा कि गृह रक्षक, होमगार्ड वेलफेयर एसोसिएशन बनाम हिमाचल प्रदेश राज्य और अन्य (2015) में सुप्रीम कोर्ट ने यह घोषित नहीं किया था कि होमगार्डों को सिविल पुलिस अधिकारियों के बराबर माना जाएगा। इस मामले में, होमगार्डों को पुलिस कांस्टेबल के समान वेतन देने के न्यायाधिकरण के आदेश से व्यथित होकर, राज्य सरकार ने अपील के साथ हाईकोर्ट का...

कंपनी कीटनाशक अधिनियम के तहत अपराध करती है तो व्यवसाय के संचालन के लिए जिम्मेदार सभी लोग उत्तरदायी होंगे: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट
कंपनी कीटनाशक अधिनियम के तहत अपराध करती है तो व्यवसाय के संचालन के लिए जिम्मेदार सभी लोग उत्तरदायी होंगे: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट

जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि कीटनाशक अधिनियम 1968 (Insecticides Act, 1968 ) के तहत यदि कोई कंपनी कोई अपराध करती है तो कंपनी और उस समय प्रभारी व्यक्ति दोनों को दोषी माना जाता है और उन पर मुकदमा चलाया जा सकता है। साथ ही उन्हें दंडित भी किया जा सकता है।कंपनी को वास्तव में आरोपी बनाए बिना कंपनी के कर्मचारियों के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही को रद्द करते हुए जस्टिस रजनीश ओसवाल की पीठ ने कहा,“जब कंपनी को आरोपी नहीं बनाया जाता है तो याचिकाकर्ता जो कंपनी के कर्मचारी हैं, उन पर कंपनी...

तेलंगाना हाईकोर्ट सीनियर एडवोकेट के खिलाफ दर्ज एफआईआर दर्ज करने से किया इनकार, जजों को प्रभावित करने के लिए रिश्वत लेने के हैं आरोपी
तेलंगाना हाईकोर्ट सीनियर एडवोकेट के खिलाफ दर्ज एफआईआर दर्ज करने से किया इनकार, जजों को प्रभावित करने के लिए रिश्वत लेने के हैं आरोपी

तेलंगाना हाईकोर्ट ने सीनियर एडवोकेट द्वारा दायर याचिका खारिज की। उक्त याचिका में उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर रद्द करने की मांग की गई थी। एफआईआर में कथित तौर पर हाईकोर्ट के जजों को रिश्वत देने के इरादे से एक वादी से 7 करोड़ रुपये स्वीकार करने का आरोप लगाया गया था।जस्टिस के. लक्ष्मण ने कहा,"याचिकाकर्ता के खिलाफ लगाए गए आरोप गंभीर हैं। इस न्यायालय के जजों को रिश्वत देने के लिए धन प्राप्त करने का आरोप न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर गंभीर संदेह पैदा करता है और इसका तात्पर्य है कि न्याय बिकाऊ है। ऐसे गंभीर...

अरविंद केजरीवाल ने हाईकोर्ट के स्थगन आदेश के खिलाफ दायर याचिका सुप्रीम कोर्ट से वापस ली
अरविंद केजरीवाल ने हाईकोर्ट के स्थगन आदेश के खिलाफ दायर याचिका सुप्रीम कोर्ट से वापस ली

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बुधवार (26 जून) को सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका वापस ले ली, जिसमें कथित दिल्ली शराब नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उन्हें जमानत देने वाले ट्रायल कोर्ट के 20 जून के आदेश के क्रियान्वयन पर दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा 21 जून को पारित आदेश को चुनौती दी गई थी।केजरीवाल के वकील सीनियर एडवोकेट डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट को बताया कि दिल्ली हाईकोर्ट ने ED की स्थगन याचिका पर अंतिम आदेश पारित किया और जमानत आदेश पर रोक लगाने के कारण बताए। मामले के इस दृष्टिकोण...

अदालत न तो परामर्शदाता है और न ही जल्लाद, जो पक्षों को अव्यवहारिक विवाह जारी रखने के लिए मजबूर करे: तेलंगाना हाईकोर्ट
अदालत न तो परामर्शदाता है और न ही जल्लाद, जो पक्षों को अव्यवहारिक विवाह जारी रखने के लिए मजबूर करे: तेलंगाना हाईकोर्ट

हिंदू विवाह अधिनियम (HMA) के तहत तलाक की मांग करने वाले पति की अपील स्वीकार करते हुए तेलंगाना हाईकोर्ट ने दोहराया कि विवाह को व्यक्तियों पर मजबूर नहीं किया जा सकता और अदालत को पार्टियों को प्रेमहीन विवाह में पत्नी और पति के रूप में रहने के लिए मजबूर करने के लिए जल्लाद या परामर्शदाता के रूप में कार्य नहीं करना चाहिए।जस्टिस मौसमी भट्टाचार्य और जस्टिस एम.जी. प्रियदर्शिनी की खंडपीठ ने कहा,“वैवाहिक संबंधों का विलोपन पूरी तरह से विवाह में शामिल व्यक्तियों पर निर्भर करता है और उन्हें अपने हिसाब से इसका...

सुप्रीम कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में भूषण स्टील के पूर्व एमडी नीरज सिंघल की जमानत याचिका पर ED को नोटिस जारी किया
सुप्रीम कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में भूषण स्टील के पूर्व एमडी नीरज सिंघल की जमानत याचिका पर ED को नोटिस जारी किया

सुप्रीम कोर्ट ने भूषण स्टील लिमिटेड के पूर्व प्रबंध निदेशक नीरज सिंघल की याचिका पर नोटिस जारी किया। उक्त याचिका में दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा उनकी गिरफ्तारी और जमानत खारिज किए जाने को चुनौती दी गई।सिंघल को पिछले साल 9 जून को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बैंक धोखाधड़ी मामले में कथित संलिप्तता और मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध के लिए गिरफ्तार किया था।आरोपों के अनुसार, सिंघल ने 46,000 करोड़ रुपये से अधिक का सार्वजनिक नुकसान पहुंचाया। ED का कहना है कि याचिकाकर्ता ने अन्य आरोपी व्यक्तियों/व्यावसायिक संस्थाओं के...