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पुत्र जीवित है तो पुत्री मिताक्षरा हिंदू पिता की संपत्ति की उत्तराधिकारी नहीं हो सकती, जिनकी मृत्यु 1956 से पहले हुई थी: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने कहा कि मिताक्षरा विधि के अनुसार, यदि पुत्र जीवित है तो पुत्री अपने मृत हिंदू पिता की संपत्ति की उत्तराधिकारी नहीं हो सकती, जिनकी मृत्यु 1956 (हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के लागू होने के वर्ष) से पहले हुई।जस्टिस नरेंद्र कुमार व्यास की एकल पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि पुत्र की अनुपस्थिति में पुत्री ऐसी संपत्ति पर अपना अधिकार जता सकती है।कोर्ट ने कहा,“यह विधिक स्थिति सर्वविदित है कि मिताक्षरा कानून के अनुसार, पुत्री, अधिनियम, 1956 के लागू होने से पूर्व अपने पिता की संपत्ति की...
बॉम्बे हाईकोर्ट ने Deepfakes की वास्तविक प्रकृति पर चिंता जताई, अक्षय कुमार के पर्सनैलिटी राइट्स की रक्षा की
बॉलीवुड एक्टर अक्षय कुमार के व्यक्तित्व अधिकारों की रक्षा करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का उपयोग करके बनाई जा रही Deepfake तस्वीरों और वीडियो की "वास्तविक" प्रकृति पर चिंता व्यक्त की।सिंगल जज जस्टिस आरिफ एस. डॉक्टर ने अपने 15 अक्टूबर के आदेश में कहा कि व्यक्तित्व अधिकारों की सुरक्षा की मांग करने वाले मशहूर हस्तियों के ऐसे मामलों में यह देखना चिंताजनक है कि AI द्वारा बनाई गई सामग्री भ्रामक और इतनी परिष्कृत है कि किसी के लिए भी यह समझना संभव नहीं होगा कि यह नकली है या...
सेशन कोर्ट केवल पुनर्विचार याचिका दायर करने के लिए अभियुक्त की सज़ा निलंबित नहीं कर सकता: गुजरात हाईकोर्ट
गुजरात हाईकोर्ट ने कहा कि CrPC/BNSS में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, जो प्रथम अपीलीय कोर्ट को किसी अभियुक्त की सज़ा निलंबित करने या उसे केवल इस आधार पर रिहा करने का अधिकार देता हो कि वह हाईकोर्ट में दोषसिद्धि को चुनौती देने के लिए पुनर्विचार याचिका दायर कर सके।अदालत ने कहा कि विधायिका का इरादा अपीलीय कोर्ट को सज़ा स्थगित करने या निलंबित करने या अभियुक्त को आत्मसमर्पण करने के लिए दी गई समय सीमा बढ़ाने का अधिकार देने का नहीं है ताकि वह पुनरीक्षण याचिका दायर कर सके।हाईकोर्ट इस बात पर विचार कर रहा था...
वॉलंटियर के नाम पर नागरिकों का शोषण कर रहे अधिकारी': पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने तीन दशकों से सेवारत होमगार्ड को नियमित करने का निर्देश दिया
लंबे समय से सेवारत कर्मियों के शोषण के विरुद्ध कड़ी टिप्पणी करते हुए पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने लगभग तीन दशकों से सेवारत एक होमगार्ड को नियमित करने का निर्देश दिया।जस्टिस जगमोहन बंसल ने कहा,"जो सदस्य दिन के कुछ भाग, महीने के कुछ भाग या वर्ष के कुछ भाग में काम करता है और अपनी आजीविका के लिए कोई अन्य कार्य करता है, उसे वॉलंटियर कहा जा सकता है। हालांकि, जो व्यक्ति तीन दशकों से बिना किसी रुकावट के पूरे दिन काम कर रहा है, उसे स्वयंसेवक नहीं कहा जा सकता।"अदालत ने इस बात पर ज़ोर दिया कि यह अनुचित और...
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को गर्भधारण पूर्व एवं प्रसव पूर्व निदान तकनीक अधिनियम के प्रावधानों का कड़ाई से पालन करने का निर्देश दिया
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने सोमवार (14 अक्टूबर) को राज्य सरकार को गर्भधारण पूर्व एवं प्रसव पूर्व निदान तकनीक (लिंग चयन प्रतिषेध) अधिनियम, 1994 और गर्भवती महिलाओं की सोनोग्राफी करने वाले डॉक्टरों एवं कर्मचारियों की योग्यता संबंधी नियम, 2014 के प्रावधानों का कड़ाई से पालन करने का निर्देश दिया।ऐसा करते हुए अदालत ने एक पत्रकार द्वारा दायर जनहित याचिका खारिज की, जो केवल एक व्यक्ति को निशाना बना रहा था और उक्त संस्थान या अन्य संस्थानों द्वारा उल्लंघन के उदाहरण दिखाने में विफल रहा।चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा...
CRPF के जलवाहक ने जमा किया था फर्जी मैट्रिकुलेशन सर्टिफिकेट, हाईकोर्ट ने बर्खास्तगी बरकरार रखी
यह कहते हुए कि सुरक्षा बलों में कोई भी भूमिका मामूली नहीं होती, दिल्ली हाईकोर्ट ने CRPF के जलवाहक को फर्जी मैट्रिकुलेशन प्रमाणपत्र जमा करने पर बर्खास्त किए जाने का फैसला बरकरार रखा।जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद और जस्टिस विमल कुमार यादव की खंडपीठ ने इस तर्क को खारिज करते हुए कि वह गैर-लड़ाकू कर्मचारी था- किसी भी सुरक्षा ड्यूटी में शामिल नहीं था और बर्खास्तगी की सजा अनुपातहीन है, टिप्पणी की,"सुरक्षा/पुलिस संगठन में इससे ज़्यादा अपरिहार्य कुछ नहीं हो सकता। एक मामूली और मामूली-सी चूक CRPF कर्मियों, आम...
OBC युवक को दूसरे के पैर धोने के लिए मजबूर करने का मामला | मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने आरोपियों को NSA के तहत हिरासत में लेने पर उठाए सवाल
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा कि उन्होंने OBC समुदाय के एक युवक को दूसरे के पैर धोने के लिए मजबूर करने के आरोपी व्यक्तियों को अदालत के आदेश - जिसमें राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत हिरासत भी शामिल है - उसके आधिकारिक तौर पर अपलोड होने से पहले ही हिरासत में क्यों लिया।अदालत OBC समुदाय के एक युवक को दूसरे व्यक्ति के पैर धोने और उस पानी को पीने के लिए मजबूर करने वाले वीडियो पर स्वतः संज्ञान लेकर दायर की गई याचिका पर सुनवाई कर रही थी।14 अक्टूबर को जस्टिस अतुल श्रीधरन और जस्टिस प्रदीप...
आरोपी का केवल मृतका को परेशान करना आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला साबित करने के लिए पर्याप्त नहीं: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा कि आरोपी के खिलाफ केवल उत्पीड़न का आरोप भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 306 के तहत आत्महत्या के लिए उकसाने के अपराध को साबित करने के लिए पर्याप्त नहीं है।अदालत ने मृतका की सास को बरी कर दिया, जिसे आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में दोषी ठहराया गया। आरोप लगाया गया कि सास और ननद दहेज के अभाव और बच्चे न होने के कारण उसे परेशान कर रही थीं और ट्रायल कोर्ट ने उसे IPC की धारा 306 के तहत दोषी ठहराया था।जस्टिस कीर्ति सिंह ने कहा,"चूंकि आत्महत्या का कारण विशेष रूप से...
घरेलू हिंसा अधिनियम (DV Act) में मजिस्ट्रेट के दिए गए संरक्षण आदेश का भंग किया जाना
घरेलू हिंसा अधिनियम की धारा 31 संरक्षण आदेश, अन्तिम अथवा अन्तरिम के भंग को उक्त अधिनियम के अधीन अपराध बनाता है। उसमें विहित परिसीमा अवधि की समाप्ति के पश्चात् संज्ञान लेने के लिए रोक विहित करते हुए बीएनएसएस को प्रयोज्यनीयता का विवाद घरेलू हिंसा अधिनियम की धारा 31 के अधीन यथा अभिव्यक्त ऐसे अपराध का केवल संज्ञान लेने के समय ही उद्भूत होगा। प्रत्यर्थीगण के अभिकथित अभित्यजन की तारीख पर कोई संरक्षण आदेश नहीं था और इसके कारण उक्त घटना को उक्त अधिनियम की धारा 31 के अधीन यथा अभिव्यक्त उसे अपराध में...
घरेलू हिंसा अधिनियम (DV Act) के तहत दिए गए फैसलों का Execution
इस एक्ट की धारा 31 में इस एक्ट में दिए गए ऑर्डर के एग्जीक्यूशन की व्यवस्था की गई है अगर कोई व्यक्ति मजिस्ट्रेट के आर्डर को नहीं मानता है तब उसे जेल भिजवा कर ऑर्डर का पालन करवाया जाता है। किसी भी कोर्ट के आदेश को नहीं मानने पर पहले भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत दंडित किया जाता था लेकिन अभी के अधिनियम ऐसे हैं जिनमें यह व्यवस्था उक्त अधिनियम में ही कर दी गई है। इस ही तरह घरेलू हिंसा अधिनियम में भी दंड की व्यवस्था की गई है।इस एक्ट की धारा 31 के अनुसार-प्रत्यर्थी द्वारा संरक्षण आदेश के भंग के लिए...
भर्ती मामलों में CBI जांच का आदेश देना सही नहीं, इसे केवल असाधारण मामलों में ही दिया जाना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (16 अक्टूबर) को इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला रद्द कर दिया, जिसमें उत्तर प्रदेश विधान परिषद और विधानसभा सचिवालयों की भर्ती प्रक्रिया में कथित अनियमितताओं की CBI जांच का निर्देश दिया गया था।जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस विजय बिश्नोई की खंडपीठ ने दोहराया कि CBI जांच एक असाधारण उपाय है, जो केवल दुर्लभ परिस्थितियों में ही उचित है, जैसे कि राज्य एजेंसियों के साथ समझौता किया गया हो, मौलिक अधिकार दांव पर लगे हों, या राष्ट्रीय महत्व के मुद्दे उत्पन्न हों। कोर्ट ने कहा कि भर्ती...
सुप्रीम कोर्ट ने बसों में भीड़भाड़ रोकने के उपायों की मांग वाली जनहित याचिका खारिज की
सुप्रीम कोर्ट ने सार्वजनिक और निजी बसों में यात्रियों की अत्यधिक भीड़भाड़ के खिलाफ निर्देश देने की मांग वाली जनहित याचिका पर सुनवाई करने से इनकार किया।चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) बीआर गवई और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की खंडपीठ ने यह मानते हुए जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार किया कि यह मामला सार्वजनिक नीति के दायरे में आता है।वकील ने ज़ोर देकर कहा कि सार्वजनिक और निजी बसों में भीड़भाड़ के कारण कई लोग अपनी जान जोखिम में डालते हैं और कुछ की तो मौत भी हो जाती है।उन्होंने कहा:"यह जनहित याचिका देश...
सीएम रेड्डी के खिलाफ वीडियो मामले में महिला पत्रकारों को हिरासत में लेने के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक
सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगाई, जिसमें राज्य पुलिस को मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी के खिलाफ कथित आपत्तिजनक वीडियो मामले में ज़मानत मिलने के बावजूद दो महिला पत्रकारों को हिरासत में लेने की अनुमति दी गई।जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की खंडपीठ ने सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ दवे (याचिकाकर्ता महिला पत्रकारों की ओर से) की दलीलें सुनने के बाद यह आदेश पारित किया।सुनवाई के दौरान, दवे ने तर्क दिया कि ज़मानत रद्द किए बिना ज़मानत मिलने के बाद किसी व्यक्ति को पुलिस हिरासत में...
हाईकोर्ट ने हरियाणा के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी को उजागर करने वाली मीडिया रिपोर्ट पर लिया स्वतः संज्ञान
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी के मुद्दे पर मीडिया रिपोर्टों का स्वतः संज्ञान लिया- जहां एक शिक्षक कथित तौर पर 500 से अधिक छात्रों का प्रबंधन कर रहा है।चीफ जस्टिस शील नागू और जस्टिस संजीव बेरी की खंडपीठ ने हरियाणा सरकार से जवाब मांगा।कोर्ट ने कहा,"हरियाणा के 8 जिलों में स्टूडेंट के अनुपात में प्राथमिक शिक्षकों की संख्या में गिरावट- कुछ जिलों में 500 स्टूडेंट पर केवल एक शिक्षक है" पर प्रकाश डालने वाली एक खबर 10.10.2025 के 'दैनिक भास्कर' समाचार...
असम में दर्ज मानहानि मामले में राहुल गांधी को हाईकोर्ट से राहत
गुवाहाटी हाईकोर्ट ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ दर्ज 2016 के आपराधिक मानहानि मामले में शिकायतकर्ता को तीन अतिरिक्त गवाह पेश करने की अनुमति देने वाला सेशन कोर्ट का आदेश रद्द कर दिया।अदालत ने कहा कि जिन आधारों पर शिकायतकर्ता ने अतिरिक्त गवाहों को बुलाने की मांग की थी, वे विशिष्ट, व्यापक या सामान्य नहीं हैं और शिकायतकर्ता ने यह साबित नहीं किया कि उनके साक्ष्य किस प्रकार संबंधित तथ्यों से संबंधित हैं, सिवाय इसके कि ये गवाह महत्वपूर्ण और सारगर्भित हैं।शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि गांधी...
पत्नी की शिक्षा का खर्च उठाना और उसे सशक्त बनाना पति का दायित्व: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने होम्योपैथी में एमडी कर रही पत्नी को गुजारा भत्ता दिया
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने बुधवार (15 अक्टूबर) को अपने पति से अलग रह रही और होम्योपैथी में एमडी कर रही एक महिला को गुजारा भत्ता देते हुए कहा कि पति का भी यह कर्तव्य है कि वह अपनी पत्नी की क्षमताओं को बढ़ाने और उसे सशक्त बनाने के लिए उसे कोर्स पूरा करने में मदद करे।ऐसा करते हुए पीठ ने फैमिली कोर्ट के उस आदेश को भी रद्द कर दिया, जिसमें महिला के गुजारा भत्ते का आवेदन खारिज कर दिया गया।जस्टिस गजेंद्र सिंह की पीठ ने कहा;"वैवाहिक बंधन में बंधने का मतलब पत्नी के व्यक्तित्व का अंत नहीं है... अगर पति का...
Order VII Rule 11 CPC | वादपत्र की अस्वीकृति का निर्णय केवल वादपत्र के कथनों के आधार पर होगा: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि Order VII Rule 11 CPC के तहत वादपत्र की अस्वीकृति के लिए आवेदन का निर्णय वादपत्र में दिए गए कथनों के आधार पर किया जाएगा। इसमें प्रतिवादी के बचाव या किसी बाहरी साक्ष्य पर विचार नहीं किया जाएगा।जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की खंडपीठ ने पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट का फैसला खारिज किया, जिसमें वादपत्र में दिए गए कथनों को नज़रअंदाज़ करते हुए प्रतिवादी के बचाव को ध्यान में रखते हुए वादपत्र को शुरुआत में ही खारिज कर दिया गया था।कोर्ट ने कहा,"इसके तहत वादपत्र की...
हम मैच फिक्सिंग को अपराध घोषित करने का समर्थन करते हैं: सुप्रीम कोर्ट में बोला BCCI
सट्टेबाजी और मैच फिक्सिंग के परिणामों को उजागर करने वाले मामले में भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने मैच फिक्सिंग को आपराधिक अपराध घोषित करने का समर्थन किया।जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की खंडपीठ को एडवोकेट शिवम सिंह ने BCCI के रुख से अवगत कराया, जिन्हें इस मामले में सहायता के लिए एमिक्स क्यूरी नियुक्त किया गया।सिंह ने अदालत को बताया कि BCCI ने मैच फिक्सिंग को अपराध घोषित करने के समर्थन में हस्तक्षेप आवेदन दायर किया। इस आवेदन में कहा गया कि मैच फिक्सिंग भारतीय दंड संहिता...
राज्य बार काउंसिल चुनावों की निगरानी के BCI के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती
सुप्रीम कोर्ट में आवेदन दायर कर बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) को विभिन्न राज्य बार काउंसिलों के चुनावों के संचालन में हस्तक्षेप करने या उन पर नियंत्रण करने से रोकने के निर्देश देने की मांग की गई।आवेदन में कहा गया,"बार काउंसिल ऑफ इंडिया का आचरण बार के भीतर प्रतिनिधि स्वशासन की जड़ पर प्रहार करता है। एडवोकेट एक्ट, 1961 की धारा 3 और 8 के तहत परिकल्पित राज्य बार काउंसिलों के लोकतांत्रिक स्वरूप को कमजोर करता है। यदि BCI के निरंतर हस्तक्षेप पर तत्काल रोक नहीं लगाई गई तो परिणामी देरी से बार के स्व-नियामक...
UAPA मामले में गिरफ्तार वकील को सुप्रीम कोर्ट ने ज़मानत देने से किया इनकार
सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार किया, जिसमें वकील वसीद खान को ज़मानत देने से इनकार करने वाला ट्रायल कोर्ट आदेश बरकरार रखा गया था। खान पर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत विभिन्न आरोप हैं, जिनमें ब्रिटिश शासन से पहले मौजूद 'मुगल व्यवस्था' स्थापित करने के उद्देश्य से समाज में सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने का कथित प्रयास शामिल है।जस्टिस एम.एम. सुंदरेश और जस्टिस विपुल एम. पंचोली की खंडपीठ के समक्ष सीनियर एडवोकेट शेओब आलम ने खान की ओर से...




















