जानिए हमारा कानून
POCSO Act बच्चों के साथ होने वाले लैंगिक अपराधों की रोकथाम का क़ानून
वर्तमान परिदृश्य लैगिक अपराधों में बढ़ती हुई प्रवृत्ति का स्पष्ट कारण यह है कि लैंगिकता, जो जैव-शारीरिकीय घटना है, मानव जीवन के लिए उतना आवश्यक है, जितना भोजन अथवा पानी आवश्यक होता है। वास्तव में, जीवन और मैथुन अपृथक्करणीय होते है। इसके अलावा लैगिक आवेग सभी व्यक्तियों, चाहे वे पुरुष हो या स्त्री हो, धनी हो, या गरीब हो, शिक्षित हो, या अशिक्षित हो, उच्च स्तर का व्यक्ति हो, या निम्न स्तर का व्यक्ति हो, को समान रूप में प्रभावित करते हैं लेकिन व्यक्तियों के बीच कामवासना की भावना उनके वैयक्तिक लक्षण...
चेक बाउंस होने पर कार्यवाही शुरू होने के पहले चेक राशि का बीस प्रतिशत फरियादी को दिया जाना
लोग किसी दूसरे व्यक्ति को नगद रुपए न देकर चेक के माध्यम से खाते में रुपए देने का आश्वासन देते हैं। जैसे कि किसी सामान को खरीदने पर उसके भुगतान को चेक के माध्यम से करना, किसी सेवा को लेने पर उसके भुगतान को चेक के माध्यम से करना या फिर किसी व्यक्ति से रुपए उधार लेने पर उसे चुकता करते समय चेक के जरिए रुपए देना।ऐसे लेनदेन के बाद अनेक मामलों में धोखाधड़ी भी देखने को मिलती है। जहां लोग चेक दे देते हैं लेकिन उनके खाते में चेक जितनी रकम उपलब्ध नहीं होती है या फिर वह गलत साइन कर देते हैं या फिर कोई ऐसा...
पुलिस द्वारा कोई कार्यवाही नहीं किये जाने पर फरियादी के अधिकार
क़ानून में किसी भी अपराध में एक पक्ष अभियुक्त का होता है और एक शिकायतकर्ता का होता है। कभी-कभी देखने में यह आता है कि पुलिस द्वारा एफआईआर दर्ज की गई, एफआईआर दर्ज करने के बाद अन्वेषण किया गया। अन्वेषण के बाद कोर्ट में चालान प्रस्तुत नहीं किया गया और पुलिस ने आरोपियों को क्लीन चिट देते हुए क्लोजर रिपोर्ट या फाइनल रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी।इस स्थिति में शिकायतकर्ता व्यथित हो जाता है। क्योंकि शिकायतकर्ता अपनी शिकायत लेकर पुलिस के पास जाता है। उसके साथ घटने वाले किसी अपराध की जानकारी उसके द्वारा पुलिस को...
लड़की का अपने पिता से भरण-पोषण लेने का अधिकार
एक बालिग़ बेटी भी अपने पिता से मेंटेनेंस मांग सकती है यह अधिकार उसे क़ानून ने दिया है। भरण पोषण एक ऐसे व्यक्ति को देना होता है जिस व्यक्ति पर दूसरे लोग आश्रित होते हैं। BNSS में एक पुरुष पर यह जिम्मेदारी डाली गई है कि वे अपने बच्चों, पत्नी तथा आश्रित माता-पिता का भरण पोषण करेगा।भरण पोषण से संबंधित कानून घरेलू हिंसा अधिनियम में भी मिलते हैं, जहां महिलाओं को भरण-पोषण दिलवाने की व्यवस्था की गई है। इसी के साथ हिंदू विवाह अधिनियम के अंतर्गत भी भरण-पोषण के प्रावधान मिलते हैं। जहां पर एक पत्नी अपने पति...
Gift Deed पर क़ानून
किसी भी प्रॉपर्टी का ट्रांसफर गिफ्ट डीड से भी किया जा सकता है। छोटी छोटी चीजों का दान साधारण तरीके से हो जाता है लेकिन बड़ी संपत्तियों का दान कानून द्वारा निर्धारित की गई प्रक्रिया के जरिए ही होता है। संपत्ति अंतरण अधिनियम किसी भी संपत्ति के हस्तांतरण से संबंधित प्रावधानों को उल्लेखित करता है, जहां मुख्य रूप से अचल संपत्तियों का उल्लेख है।इस अधिनियम के अंतर्गत दान को भी परिभाषित किया गया है। किसी भी संपत्ति को हस्तांतरण करने की प्रक्रिया होती है और प्रकार होते हैं। जैसे विक्रय,दान, हक त्याग,...
घरेलू हिंसा अधिनियम (DV Act) में मजिस्ट्रेट के दिए गए संरक्षण आदेश का भंग किया जाना
घरेलू हिंसा अधिनियम की धारा 31 संरक्षण आदेश, अन्तिम अथवा अन्तरिम के भंग को उक्त अधिनियम के अधीन अपराध बनाता है। उसमें विहित परिसीमा अवधि की समाप्ति के पश्चात् संज्ञान लेने के लिए रोक विहित करते हुए बीएनएसएस को प्रयोज्यनीयता का विवाद घरेलू हिंसा अधिनियम की धारा 31 के अधीन यथा अभिव्यक्त ऐसे अपराध का केवल संज्ञान लेने के समय ही उद्भूत होगा। प्रत्यर्थीगण के अभिकथित अभित्यजन की तारीख पर कोई संरक्षण आदेश नहीं था और इसके कारण उक्त घटना को उक्त अधिनियम की धारा 31 के अधीन यथा अभिव्यक्त उसे अपराध में...
घरेलू हिंसा अधिनियम (DV Act) के तहत दिए गए फैसलों का Execution
इस एक्ट की धारा 31 में इस एक्ट में दिए गए ऑर्डर के एग्जीक्यूशन की व्यवस्था की गई है अगर कोई व्यक्ति मजिस्ट्रेट के आर्डर को नहीं मानता है तब उसे जेल भिजवा कर ऑर्डर का पालन करवाया जाता है। किसी भी कोर्ट के आदेश को नहीं मानने पर पहले भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत दंडित किया जाता था लेकिन अभी के अधिनियम ऐसे हैं जिनमें यह व्यवस्था उक्त अधिनियम में ही कर दी गई है। इस ही तरह घरेलू हिंसा अधिनियम में भी दंड की व्यवस्था की गई है।इस एक्ट की धारा 31 के अनुसार-प्रत्यर्थी द्वारा संरक्षण आदेश के भंग के लिए...
घरेलू हिंसा अधिनियम (DV Act) में अपील की Hearing और Process
एक्ट की धारा 29 यह प्रावधान करती है कि किसी आदेश से, जिसे मजिस्ट्रेट पारित कर सकता है, अपील 'सत्र कोर्ट के समक्ष होगी। यह उल्लेख करना सुसंगत है कि अधिनियम यह नहीं कहता है कि अधिनियम की धारा 29 के अधीन प्रस्तुत की गई अपील को स्वीकार करते समय तथा सुनते समय सत्र कोर्ट को किस प्रक्रिया का पालन करना है।अपीलों को स्वीकृति, सुनवाई तथा निस्तारण से सम्बन्धित संहिता के प्रावधानों को अधिनियम की धारा 29 के अधीन सत्र कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत की गई अपील को लागू होना चाहिए। धारा 29 के अधीन अपील 'सत्र कोर्ट के...
घरेलू हिंसा अधिनियम (DV Act) में अपील से संबंधित प्रावधान
इस एक्ट की धारा 29 अपील से संबंधित है जिसके अनुसार,उस तारीख से, जिसको मजिस्ट्रेट द्वारा किये गये आदेश की, यथास्थिति, व्यथित व्यक्ति या प्रत्यर्थी पर जिस पर भी पश्चात्वर्ती हो, तामील की जाती है, तीस दिनों के भीतर सेशन कोर्ट में कोई अपील हो सकेगी।धारा 29 मजिस्ट्रेट के द्वारा पारित किये गये किसी आदेश, जो व्यथित व्यक्ति अथवा प्रत्यर्थी, जैसे भी स्थिति हो, पर तामील किया गया हो, के विरुद्ध सत्र कोर्ट के समक्ष अपील के लिए प्रावधान करती है।धारा 29 की उपधारा (3) विवाह तथा विवाह विच्छेद से सम्बन्धित किसी...
घरेलू हिंसा अधिनियम (DV Act) धारा 28 के प्रावधान
धारा 28 के अनुसार-(1) इस अधिनियम में अन्यथा उपबन्धित के सिवाय धारा 12, धारा 18, धारा 19, धारा 20, धारा 21, धारा 22 और धारा 23 के अधीन सभी कार्यवाहियाँ और धारा 31 के अधीन अपराध, दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 (1974 का 2) के उपबन्धों द्वारा शासित होंगे।(2) उपधारा (1) की कोई बात, धारा 12 के अधीन या धारा 23 की उपधारा (2) के अधीन किसी आवेदन के निपटारे के लिए अपनी स्वयं की प्रक्रिया अधिकथित करने से कोर्ट को निवारित नहीं करेगी।धारा 28 (1) विनिर्दिष्ट रूप से यह प्रावधान करती है कि धारा 12 के अधीन सभी...
घरेलू हिंसा अधिनियम (DV Act) की धारा 27 के प्रावधान
इस एक्ट की धारा 27 के अनुसार-(1) यथास्थिति, प्रथम वर्ग के न्यायिक मजिस्ट्रेट या महानगर मजिस्ट्रेट का न्यायालय, जिसकी स्थानीय सीमाओं के भीतर,(क) व्यथित व्यक्ति स्थायी रूप से या अस्थायी रूप से निवास करता है या कारबार करता है या नियोजित है; या(ख) प्रत्यर्थी निवास करता है या कारबार करता है या नियोजित है; या(ग) हेतुक उद्भूत होता है,इस अधिनियम के अधीन कोई संरक्षण आदेश और अन्य आदेश अनुदत्त करने और इस अधिनियम के अधीन अपराधों का विचारण करने के लिए सक्षम कोर्ट होगा।(2) इस अधिनियम अधीन किया गया कोई आदेश...
घरेलू हिंसा अधिनियम (DV Act) में Interim Order दिए जाने में मजिस्ट्रेट का जूरिडिक्शन
इस एक्ट से संबंधित एक मामले में कहा गया है कि चूंकि हिंसा का कृत्य स्वयं द्वारा अधिनियम के अधीन दण्डनीय अपराध गठित नहीं करता है और यह केवल अधिनियम की धारा 18 अथवा 23 के अधीन मजिस्ट्रेट द्वारा पारित किये गये आदेश का भंग है, जो दण्डनीय बनाया गया है, तारीख, जिस पर घरेलू हिंसा का कृत्य कारित किया गया था, का पूर्ण रूप से मामले के साथ कोई सम्बन्ध नहीं है। इसी प्रकार यह पूर्ण रूप से अतात्विक है कि क्या 'व्यथित व्यक्ति अपराध कारित करने की तारीख पर प्रत्यर्थी के साथ रह रहा था अथवा नहीं।जब एक बार...
घरेलू हिंसा अधिनियम (DV Act) में मजिस्ट्रेट द्वारा Interim Order दिया जाना
इस एक्ट की धारा धारा 23 के अनुसार-अन्तरिम और एकपक्षीय आदेश देने की शक्ति(1) मजिस्ट्रेट, इस अधिनियम के अधीन उसके समक्ष किसी कार्यवाही में, ऐसा अन्तरिम आदेश, जो न्यायसंगत और उपयुक्त हो, पारित कर सकेगा।(2) यदि मजिस्ट्रेट का यह समाधान हो जाता है कि प्रथमदृष्ट्या उसका कोई आवेदन यह प्रकट करता है कि प्रत्यर्थी घरेलू हिंसा का कोई कार्य कर रहा है या उसने किया है, या यह सम्भावना है कि प्रत्यर्थी घरेलू हिंसा का कोई कार्य कर सकता है, तो वह व्यथित व्यक्ति के ऐसे प्ररूप में जो विहित किया जाये, शपथ-पत्र के...
घरेलू हिंसा अधिनियम (DV Act) में मुआवजा आदेश
इस अधिनियम की धारा 22 के प्रावधान है कि-अन्य अनुतोष के अतिरिक्त, जो इस अधिनियम के अधीन अनुदत्त की जायें, मजिस्ट्रेट, व्यथित व्यक्ति द्वारा किये गये आवेदन पर, प्रत्यर्थी को क्षतियों के लिए जिसके अन्तर्गत उस प्रत्यर्थी द्वारा की गई घरेलू हिंसा के कार्यों द्वारा मानसिक यातना और भावनात्मक कष्ट सम्मिलित हैं, प्रतिकर और नुकसानी का संदाय करने के लिए प्रत्यर्थी को निदेश देने का आवेदन पारित कर सकेगा।अधिनियम की धारा 22 प्रतिकर आदेश से सम्बन्धित है जो मजिस्ट्रेट पारित कर सकता है।धारा 22 के अधीन, मजिस्ट्रेट...
घरेलू हिंसा अधिनियम (DV Act) में अभिरक्षा आदेश
इस एक्ट में अभिरक्षा के संबंध में धारा 21 के अंतर्गत निम्न प्रावधान किये गए हैं-तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि में अन्तर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी, मजिस्ट्रेट, इस अधिनियम के अधीन संरक्षण आदेश या किसी अन्य अनुतोष के लिए आवेदन की सुनवाई के किसी प्रक्रम पर व्यथित व्यक्ति को या उसकी ओर से आवेदन करने वाले व्यक्ति को किसी सन्तान की अस्थायी अभिरक्षा दे सकेगा और यदि आवश्यक हो तो प्रत्यर्थी द्वारा ऐसी सन्तान या सन्तानों से भेंट के इन्तजाम को विनिर्दिष्ट कर सकेगा :परन्तु, यदि मजिस्ट्रेट की यह राय है...
घरेलू हिंसा अधिनियम (DV Act) में घरेलू हिंसा के केस का Maintainable होना
इस एक्ट से संबंधित एक वाद में कहा गया है कि तथ्य कि तलाक विदेशी कोर्ट द्वारा अनुदत्त किया गया था, जिसका घरेलू हिंसा वाद की पोषणीयता से कोई प्रभाव नहीं होगा, यदि उसमें आरोप अधिनियम के प्रावधानों के अधीन विवाद को अन्यथा लाते हैं, दावाकृत का अधिकार, निश्चित रूप से ऐसे आरोप के अन्तिम सबूत पर आधारित होता है।आर्थिक हिंसा मजिस्ट्रेट संरक्षण अधिकारी की रिपोर्ट पर आधारित व्यथित व्यक्ति के आवेदन पर आदेश पारित करने में सक्षम होता है। ऐसे आदेश के पारित करने के बाद भी, यदि प्रत्यर्थी उसे नहीं सुनेगा एवं उनका...
घरेलू हिंसा अधिनियम (DV Act) की धारा 20 के प्रावधान
इस एक्ट की धारा 20 में धनीय अनुतोष से संबंधित प्रावधान हैं जिसके अनुसार-(1) धारा 12 की उपधारा (1) के अधीन किसी आवेदन का निपटारा करते समय, मजिस्ट्रेट, घरेलू हिंसा के परिणामस्वरूप व्यथित व्यक्ति और व्यथित व्यक्ति की किसी सन्तान द्वारा उपगत व्यय और सहन की गई हानियों की पूर्ति के लिए धनीय अनुतोष का संदाय करने के लिए प्रत्यर्थी को निदेश दे सकेगा और ऐसे अनुतोष में निम्नलिखित सम्मिलित हो सकेंगे किन्तु वह निम्नलिखित तक ही सीमित नहीं होगा(क) उपार्जनों की हानि;(ख) चिकित्सीय व्ययों;(ग) व्यथित व्यक्ति के...
घरेलू हिंसा अधिनियम (DV Act) में पीड़ित महिला द्वारा निवास करने के लिए दावा
इस एक्ट में घरेलू हिंसा से पीड़ित कोई भी महिला घर में निवास करने का दावा भी कर सकती है। श्रीमती विजया वसन्त सावन्त बनाम शुभांगी शिवलिंग परब, 2013 के वाद में आवेदन में लगाये गये विभिन्न आरोप अस्पष्ट हैं एवं अभिकथन में प्रत्यर्थी संख्या-2 से 4 के विरुद्ध प्रताड़ना का कोई स्पष्ट कृत्य अन्तर्विष्ट नहीं है। आरोप प्रत्यर्थी संख्या-1 एवं पति को प्रताड़ित करने के लिए उकसाने और दहेज की मांग तक ही सीमित है। सत्र कोर्ट ने इसे भी इंगित किया कि सभी दृष्टान्त सितम्बर, 2004 को अवधि से सम्बन्धित हैं जब याची ने...
घरेलू हिंसा अधिनियम (DV Act) में किसी भी महिला का घर से बेदखल नहीं किये जाने का अधिकार
धारा 19 की उपधारा (1) का खण्ड (ख) विशेषतः "प्रत्यर्थी को, उस साझी गृहस्थी से स्वयं को हटाने का निर्देश देता है।" धारा 19 की उपधारा (1) का परन्तुक, हालांकि, कथित करता है कि "परन्तु यह कि खण्ड (ख) के अधीन कोई आदेश किसी व्यक्ति, जो महिला है, के विरुद्ध पारित नहीं किया जायेगा।घरेलू हिंसा अधिनियम की धारा 19 प्रावधानित करती है कि मजिस्ट्रेट, यह समाधान होने पर कि घरेलू हिंसा हुई है, प्रत्यर्थी को साझी गृहस्थी से, किसी व्यक्ति के कब्जे को बेकब्जा करने से या किसी अन्य रीति से उस कब्जे में विघ्न डालने से...
घरेलू हिंसा अधिनियम (DV Act) की धारा 18 के प्रावधान
इस एक्ट की धारा 18 मजिस्ट्रेट को संरक्षण आदेश पारित करने की शक्ति देती है। संरक्षण आदेश में घरेलू हिंसा के किसी कार्य को करना, या उसकी सहायता या दुष्प्रेरण करना, व्यथित व्यक्ति के नियोजन के स्थान में या यदि व्यथित व्यक्ति बालक है, तो उसके विद्यालय में या किसी अन्य स्थान में जहाँ व्यथित व्यक्ति बार-बार आता जाता है, प्रवेश करना, व्यथित व्यक्ति से सम्पर्क करने का प्रयत्न करना, चाहे वह किसी रूप में हो, किन्हीं आस्तियों का अन्य संक्रामण करना, उन बैंक लाकरों का बैंक खातों का प्रचालन कराना, जिनका दोनों...

















