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घरेलू हिंसा अधिनियम (DV Act) में Interim Order दिए जाने में मजिस्ट्रेट का जूरिडिक्शन
इस एक्ट से संबंधित एक मामले में कहा गया है कि चूंकि हिंसा का कृत्य स्वयं द्वारा अधिनियम के अधीन दण्डनीय अपराध गठित नहीं करता है और यह केवल अधिनियम की धारा 18 अथवा 23 के अधीन मजिस्ट्रेट द्वारा पारित किये गये आदेश का भंग है, जो दण्डनीय बनाया गया है, तारीख, जिस पर घरेलू हिंसा का कृत्य कारित किया गया था, का पूर्ण रूप से मामले के साथ कोई सम्बन्ध नहीं है। इसी प्रकार यह पूर्ण रूप से अतात्विक है कि क्या 'व्यथित व्यक्ति अपराध कारित करने की तारीख पर प्रत्यर्थी के साथ रह रहा था अथवा नहीं।जब एक बार...
घरेलू हिंसा अधिनियम (DV Act) में मजिस्ट्रेट द्वारा Interim Order दिया जाना
इस एक्ट की धारा धारा 23 के अनुसार-अन्तरिम और एकपक्षीय आदेश देने की शक्ति(1) मजिस्ट्रेट, इस अधिनियम के अधीन उसके समक्ष किसी कार्यवाही में, ऐसा अन्तरिम आदेश, जो न्यायसंगत और उपयुक्त हो, पारित कर सकेगा।(2) यदि मजिस्ट्रेट का यह समाधान हो जाता है कि प्रथमदृष्ट्या उसका कोई आवेदन यह प्रकट करता है कि प्रत्यर्थी घरेलू हिंसा का कोई कार्य कर रहा है या उसने किया है, या यह सम्भावना है कि प्रत्यर्थी घरेलू हिंसा का कोई कार्य कर सकता है, तो वह व्यथित व्यक्ति के ऐसे प्ररूप में जो विहित किया जाये, शपथ-पत्र के...
घरेलू हिंसा अधिनियम (DV Act) में मुआवजा आदेश
इस अधिनियम की धारा 22 के प्रावधान है कि-अन्य अनुतोष के अतिरिक्त, जो इस अधिनियम के अधीन अनुदत्त की जायें, मजिस्ट्रेट, व्यथित व्यक्ति द्वारा किये गये आवेदन पर, प्रत्यर्थी को क्षतियों के लिए जिसके अन्तर्गत उस प्रत्यर्थी द्वारा की गई घरेलू हिंसा के कार्यों द्वारा मानसिक यातना और भावनात्मक कष्ट सम्मिलित हैं, प्रतिकर और नुकसानी का संदाय करने के लिए प्रत्यर्थी को निदेश देने का आवेदन पारित कर सकेगा।अधिनियम की धारा 22 प्रतिकर आदेश से सम्बन्धित है जो मजिस्ट्रेट पारित कर सकता है।धारा 22 के अधीन, मजिस्ट्रेट...
घरेलू हिंसा अधिनियम (DV Act) में अभिरक्षा आदेश
इस एक्ट में अभिरक्षा के संबंध में धारा 21 के अंतर्गत निम्न प्रावधान किये गए हैं-तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि में अन्तर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी, मजिस्ट्रेट, इस अधिनियम के अधीन संरक्षण आदेश या किसी अन्य अनुतोष के लिए आवेदन की सुनवाई के किसी प्रक्रम पर व्यथित व्यक्ति को या उसकी ओर से आवेदन करने वाले व्यक्ति को किसी सन्तान की अस्थायी अभिरक्षा दे सकेगा और यदि आवश्यक हो तो प्रत्यर्थी द्वारा ऐसी सन्तान या सन्तानों से भेंट के इन्तजाम को विनिर्दिष्ट कर सकेगा :परन्तु, यदि मजिस्ट्रेट की यह राय है...
घरेलू हिंसा अधिनियम (DV Act) में घरेलू हिंसा के केस का Maintainable होना
इस एक्ट से संबंधित एक वाद में कहा गया है कि तथ्य कि तलाक विदेशी कोर्ट द्वारा अनुदत्त किया गया था, जिसका घरेलू हिंसा वाद की पोषणीयता से कोई प्रभाव नहीं होगा, यदि उसमें आरोप अधिनियम के प्रावधानों के अधीन विवाद को अन्यथा लाते हैं, दावाकृत का अधिकार, निश्चित रूप से ऐसे आरोप के अन्तिम सबूत पर आधारित होता है।आर्थिक हिंसा मजिस्ट्रेट संरक्षण अधिकारी की रिपोर्ट पर आधारित व्यथित व्यक्ति के आवेदन पर आदेश पारित करने में सक्षम होता है। ऐसे आदेश के पारित करने के बाद भी, यदि प्रत्यर्थी उसे नहीं सुनेगा एवं उनका...
घरेलू हिंसा अधिनियम (DV Act) की धारा 20 के प्रावधान
इस एक्ट की धारा 20 में धनीय अनुतोष से संबंधित प्रावधान हैं जिसके अनुसार-(1) धारा 12 की उपधारा (1) के अधीन किसी आवेदन का निपटारा करते समय, मजिस्ट्रेट, घरेलू हिंसा के परिणामस्वरूप व्यथित व्यक्ति और व्यथित व्यक्ति की किसी सन्तान द्वारा उपगत व्यय और सहन की गई हानियों की पूर्ति के लिए धनीय अनुतोष का संदाय करने के लिए प्रत्यर्थी को निदेश दे सकेगा और ऐसे अनुतोष में निम्नलिखित सम्मिलित हो सकेंगे किन्तु वह निम्नलिखित तक ही सीमित नहीं होगा(क) उपार्जनों की हानि;(ख) चिकित्सीय व्ययों;(ग) व्यथित व्यक्ति के...
घरेलू हिंसा अधिनियम (DV Act) में पीड़ित महिला द्वारा निवास करने के लिए दावा
इस एक्ट में घरेलू हिंसा से पीड़ित कोई भी महिला घर में निवास करने का दावा भी कर सकती है। श्रीमती विजया वसन्त सावन्त बनाम शुभांगी शिवलिंग परब, 2013 के वाद में आवेदन में लगाये गये विभिन्न आरोप अस्पष्ट हैं एवं अभिकथन में प्रत्यर्थी संख्या-2 से 4 के विरुद्ध प्रताड़ना का कोई स्पष्ट कृत्य अन्तर्विष्ट नहीं है। आरोप प्रत्यर्थी संख्या-1 एवं पति को प्रताड़ित करने के लिए उकसाने और दहेज की मांग तक ही सीमित है। सत्र कोर्ट ने इसे भी इंगित किया कि सभी दृष्टान्त सितम्बर, 2004 को अवधि से सम्बन्धित हैं जब याची ने...
घरेलू हिंसा अधिनियम (DV Act) में किसी भी महिला का घर से बेदखल नहीं किये जाने का अधिकार
धारा 19 की उपधारा (1) का खण्ड (ख) विशेषतः "प्रत्यर्थी को, उस साझी गृहस्थी से स्वयं को हटाने का निर्देश देता है।" धारा 19 की उपधारा (1) का परन्तुक, हालांकि, कथित करता है कि "परन्तु यह कि खण्ड (ख) के अधीन कोई आदेश किसी व्यक्ति, जो महिला है, के विरुद्ध पारित नहीं किया जायेगा।घरेलू हिंसा अधिनियम की धारा 19 प्रावधानित करती है कि मजिस्ट्रेट, यह समाधान होने पर कि घरेलू हिंसा हुई है, प्रत्यर्थी को साझी गृहस्थी से, किसी व्यक्ति के कब्जे को बेकब्जा करने से या किसी अन्य रीति से उस कब्जे में विघ्न डालने से...
घरेलू हिंसा अधिनियम (DV Act) की धारा 18 के प्रावधान
इस एक्ट की धारा 18 मजिस्ट्रेट को संरक्षण आदेश पारित करने की शक्ति देती है। संरक्षण आदेश में घरेलू हिंसा के किसी कार्य को करना, या उसकी सहायता या दुष्प्रेरण करना, व्यथित व्यक्ति के नियोजन के स्थान में या यदि व्यथित व्यक्ति बालक है, तो उसके विद्यालय में या किसी अन्य स्थान में जहाँ व्यथित व्यक्ति बार-बार आता जाता है, प्रवेश करना, व्यथित व्यक्ति से सम्पर्क करने का प्रयत्न करना, चाहे वह किसी रूप में हो, किन्हीं आस्तियों का अन्य संक्रामण करना, उन बैंक लाकरों का बैंक खातों का प्रचालन कराना, जिनका दोनों...
घरेलू हिंसा अधिनियम (DV Act) में किसी भी महिला को घर में रहने का अधिकार
इस एक्ट की धारा 17 एक महिला को साझी गृहस्थी में रहने का अधिकार देती है, जिसके अनुसार- साझी गृहस्थी में निवास करने का अधिकार (1) तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि में अन्तर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी, घरेलू नातेदारी में प्रत्येक महिला को साझी गृहस्थी में निवास करने का अधिकार होगा चाहे वह उसमें कोई अधिकार, हक या फायदाप्रद हित रखती हो या नहीं।(2) विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अनुसरण में के सिवाय, कोई व्यथित व्यक्ति, प्रत्यर्थी द्वारा किसी साझी गृहस्थी या उसके किसी भाग से बेदखल या अपवर्जित नहीं...
घरेलू हिंसा अधिनियम (DV Act) में व्यथित महिला द्वारा मजिस्ट्रेट को आवेदन करने का तरीका
धारा 12 के अधीन अनुतोष के लिए आवेदन की पोषणीयता यह सत्य है कि अधिनियम, भूतलक्षी नहीं है। तथापि याची अधिनियम के अधीन भविष्यलक्षी अनुतोष की वांछा कर रहा न कि भूतलक्षी परिणामतः यह नहीं कहा जा सकता है कि अधिनियम की धारा 12 के अधीन प्रत्यर्थी द्वारा दाखिल आवेदन पोषणीय नहीं है।अभिव्यक्ति "जो साझी गृहस्थी में एक साथ रहते हैं या किसी समय एक साथ रह चुके हैं" प्रदर्शित करती है कि पक्षकारगण अर्थात् व्यथित व्यक्ति एवं प्रत्यर्थी के बीच विद्यमान नातेदारी, अधिनियम की धारा 12 के अधीन अनुतोष चाहने के लिए आवेदन...
घरेलू हिंसा अधिनियम (DV Act) का घरेलू नातेदारी पर लागू होना
घरेलू नातेदारी से संबधित एक मामले में आन्ध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा कि- इस प्रकार, मुख्य प्रावधान की अन्तर्वस्तुओं की दृष्टि में प्रत्यर्थिनों के रूप में अपवर्जित घरेलू नातेदारी में स्वयं उसी महिला सदस्य को पुनः धारा के परन्तुक के अधीन सम्मिलित किये जाने का प्रश्न उद्भूत नहीं हो सकता है। इसलिए इसे इससे समझा जाना है कि परन्तुक केवल उन पुरुष सदस्यों, जो घरेलू नातेदारी में से भी भिन्न हों, को सम्मिलित करने का आशय रखता है परन्तुक में विनिर्दिष्ट रूप से महिला को अपवर्जित करने का अनाशयित लोप होना...
घरेलू हिंसा अधिनियम (DV Act) की आधारभूत धारा
घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2005 की धारा 12 के शब्द जिसके अन्तर्गत अधिनियम के अधीन आदेश या अनुतोष पाने के लिए प्रक्रिया दी गई है, प्रदर्शित करती है कि ऐसी कार्यवाही के लिए समय सीमा निश्चित नहीं है एवं यह प्रदर्शित करना अपेक्षित होता है कि अधिनियम के अधीन आवेदक व्यक्ति व्यक्ति है। अधिनियम की धारा 12 मजिस्ट्रेट के समक्ष आवेदन दाखिल करने हेतु प्रावधान करती है एवं इसकी उपधारा (1) प्रावधानित करती है कि कोई व्यक्ति व्यक्ति या संरक्षण अधिकारी या व्यक्ति व्यक्ति की ओर से कोई अन्य व्यक्ति...
घरेलू हिंसा अधिनियम (DV Act) में घरेलू हिंसा का मतलब
इस अधिनियम की धारा 3 "घरेलू हिंसा" की विस्तृत परिभाषा अन्तर्विष्ट करती है एवं बड़ी मात्रा में कार्य एवं लोप को शामिल करती है जो व्यथित व्यक्ति के स्वास्थ्य, सुरक्षा, जीवन, अंग की या चाहे उसकी मानसिक या शारीरिक भलाई की अपहानि या क्षति या खतरा करता है। इसमें शारीरिक दुरुपयोग, लैंगिक दुरुपयोग, मौखिक एवं भावनात्मक दुरुपयोग साथ ही साथ आर्थिक दुरुपयोग सम्मिलित है। इस प्रकार घरेलू हिंसा पद के अर्थों के अधीन विभिन्नप्रकार के कार्य एवं लोप शामिल हैं।अधिनियम की धारा 12 के अधीन अनुतोष अधिनियम के लागू होने...
घरेलू हिंसा अधिनियम (DV Act) में गृहस्थी और सांझी गृहस्थी का मतलब
इस एक्ट में गृहस्थी का निश्चित अर्थ होता है एवं इस प्रकार इसे "घर" शब्द के साथ पारस्परिक परिवर्तनीय रीति से साधारण शाब्दिक अर्थों में अर्थावित नहीं किया जा सकता इसलिए प्रश्नगत संविधि में सीधे "गृहस्थी" शब्द को प्रयुक्त करने में विधायन को निवारित नहीं किया जा सकता शब्द घर के कई अर्थ होते हैं जिसमें से एक है। "लोगों के रहने के लिए मकान जो सामान्यतया एक परिवार के लिए होता है" जैसा कि आक्सफोर्ड एडवांस डिक्शनरी न्यू 7वां संस्करण में परिभाषित है अमेरिकन हेरिटेज डिक्शनरी "घर" को "एक या अधिक व्यक्तियों...
घरेलू हिंसा अधिनियम (DV Act) में व्यथित व्यक्ति किसे कहा गया?
इस एक्ट में व्यथित व्यक्ति से ऐसी कोई महिला अभिप्रेत है जो प्रत्यर्थी की घरेलू नातेदारी में है या रही है और जिसका अभिकथन है कि वह प्रत्यर्थी द्वारा किसी घरेलू हिंसा की शिकार रही है।"व्यथित व्यक्ति" की परिभाषा के पठन से यह इंगित होता है कि महिला जो प्रत्यर्थी के साथ घरेलू नातेदारी में है या रही है एवं जो प्रत्यर्थी द्वारा घरेलू हिंसा के किसी कृत्य का शिकार है अधिनियम के प्रावधानों के अधीन संरक्षण की वांछा करने के लिए व्यथित व्यक्ति को महिला होना चाहिए और प्रत्यर्थी के साथ वह घरेलू नातेदारी में हो...
घरेलू हिंसा अधिनियम (DV Act) में परिवाद, नातेदार और प्रत्यर्थी का मतलब
एक मामले में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने यह तर्क ग्रहण किया है कि अधिनियम की धारा 2 (थ) के परन्तुक में प्रयुक्त "परिवाद" पद, अधिनियम के अधीन किसी परिभाषा के अभाव में दण्ड प्रक्रिया संहिता में पारिभाषित रूप में समझा जाना होगा। न्यायाधीश के अनुसार ऐसा परिवाद किसी दाण्डिक संविधि के अधीन दण्डनीय किसी अपराध के लिए हो सकता है और चूंकि अधिनियम केवल दो अपराधों अर्थात् अधिनियम की धारा 31 के अधीन प्रत्यर्थी द्वारा संरक्षण आदेश के भंग के लिए तथा अधिनियम की धारा 33 के अधीन जैसा प्रावधानित है अपने कर्तव्य का...
घरेलू हिंसा अधिनियम (DV Act) की Section 1 के प्रावधान
इस एक्ट की धारा 1 शुरूआती धारा है जो अधिनियम के नाम लागू से संबंधित है। यह विवादित नहीं है कि घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005 के अधीन कोई अभिव्यक्त उपबन्ध नहीं है कि यह भूतलक्षी रूप से लागू होता है जब तक कि विधायिका के आशय को दर्शित करने के लिए संविधि में पर्याप्त शब्द न हों या आवश्यक विवक्षा से भूतलक्षी प्रवर्तन न दिया गया हो, यह केवल भविष्यलक्षी समझा जाता है। भूतलक्षी विधायन कभी उपधारित नहीं किया जाता है और इसलिए विधि केवल इसके प्रवर्तन में आने की तिथि के बाद घटित होने वाले मामलों पर लागू होती है,...
घरेलू हिंसा (DV Act) का उद्देश्य
घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2005 के नामित अधिनियमन के लिए उद्देश्यों और कारणों का कथन असंदिग्ध रूप से घोषणा करता है कि 1994 के वियना समझौते के सभी सहभागी राज्यों, बीजिंग घोषणा-पत्र, कार्यवाही के लिए मंच (1995), किसी भी प्रकार की विशेष रूप से परिवार के भीतर घटित होने वाली, हिंसा के विरुद्ध महिलाओं के संरक्षण की स्वीकृति देता है।घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2005 के अधिनियमन के लिए उद्देश्यों एवं कारणों का कथन दर्शित करता है कि चूंकि पति या उसके नातेदार द्वारा महिला के...
घरेलू हिंसा अधिनियम (DV Act) महिलाओं पर अत्याचार रोकने का क़ानून
इस एक्ट का पूरा नाम घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2005 है। घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005 का उद्देश्य महिलाएं, जो परिवार के अन्दर घटित होने वाली किसी भी प्रकार की हिंसा की शिकार हैं, के लिए संविधान के अधीन प्रत्याभूत अधिकारों के प्रभावी संरक्षण के लिए उपबन्ध करना है। अधिनियम केवल घरेलू सम्बन्ध में पत्नियों तथा महिलाओं को उपचार का अधिकार प्रदान करता है। उपर्युक्त उद्देश्य की प्राप्ति के लिए एक प्रणाली का उपबन्ध है, अर्थात् यह पुलिस अधिकारी, संरक्षण अधिकारी, सेवा प्रदाता एवं मजिस्ट्रेट का...
















