धारा 15 राजस्थान भू-राजस्व अधिनियम, 1956 के तहत प्रशासनिक सीमाओं की संरचना
Himanshu Mishra
24 April 2025 12:19 PM

राजस्थान भू-राजस्व अधिनियम, 1956, राज्य में ज़मीन से जुड़े प्रशासन और Revenue व्यवस्था को संचालित करने वाला एक मुख्य कानून है। इस Act की शुरुआत में ज़मीन से जुड़ी संस्थाओं और अधिकारियों की नियुक्ति से लेकर उनके अधिकारों और कार्यों का विवरण दिया गया है। जैसे—Section 4 में Board of Revenue की स्थापना होती है, Section 6 से 8 तक Revenue Officers जैसे Divisional Commissioner, Collector, Tehsildar आदि की नियुक्ति होती है। फिर Section 9 में Board को इन अधिकारियों पर Supervisory (निरीक्षणात्मक) अधिकार मिलते हैं और Section 10 में उनके कार्य-निष्पादन की प्रक्रिया बताई जाती है।
इन संस्थागत प्रावधानों के बाद, Act यह तय करता है कि राज्य को प्रशासनिक और Revenue उद्देश्यों से कैसे विभाजित किया जाए। Section 15 और Section 16 यही कार्य करते हैं—राज्य की भूमि को प्रशासनिक इकाइयों में बाँटना और उन्हें ज़रूरत के अनुसार बनाना, हटाना या सीमाएं बदलना।
Section 15 – प्रशासनिक विभाजन (Territorial Divisions)
Section 15(1): राज्य का Division और District में विभाजन
Section 15 की पहली उपधारा कहती है कि पूरे राज्य को जितने भी Division (मंडल) और District (ज़िला) राज्य सरकार उपयुक्त समझे, उतने में बाँटा जाएगा। इसका मतलब यह हुआ कि राज्य सरकार यह तय करेगी कि उसे प्रशासन चलाने के लिए कितने Division और District की ज़रूरत है।
Illustration (उदाहरण): अगर राज्य सरकार को लगता है कि कोई ज़िला बहुत बड़ा हो गया है और एक Collector के लिए उसे संभालना कठिन हो गया है, तो वह उस ज़िले को दो हिस्सों में बाँटकर नया District बना सकती है। जैसे, Bharatpur ज़िले के कुछ हिस्सों को काटकर नया ज़िला बना दिया जाए।
Section 15(2): Division में एक या अधिक District हो सकते हैं
यह उपधारा बताती है कि एक Division में एक या एक से अधिक District हो सकते हैं। उदाहरण के तौर पर Jaipur Division में Jaipur, Alwar, Dausa आदि ज़िले आते हैं। इससे बड़े क्षेत्र की एक साथ निगरानी और समन्वय (Coordination) आसान हो जाता है।
Section 15(3): District का Sub-Division में विभाजन
District को और अधिक सुगम प्रशासन के लिए Sub-Division (उप-मंडल) में बाँटा जा सकता है। एक Sub-Division में एक या एक से अधिक Tehsil (तहसील) हो सकती है। Sub-Divisional Officer (SDO) या SDM इन क्षेत्रों का प्रमुख होता है।
उदाहरण: Jodhpur District को Osian और Shergarh जैसे Sub-Divisions में बाँटा गया है ताकि स्थानीय प्रशासन तेज़ी से काम कर सके।
Section 15(4): Tehsil को Sub-Tehsil में बाँटना
अगर कोई Tehsil भी बहुत बड़ी हो जाए या दूर-दराज़ इलाकों तक प्रशासन पहुंचाना मुश्किल हो जाए, तो राज्य सरकार उस Tehsil को Sub-Tehsil में बाँट सकती है। Sub-Tehsil को कुछ जगहों पर 'Niyamat' भी कहा जाता है।
उदाहरण: Kotputli Tehsil को दो Sub-Tehsil—Paota और Bansur में बाँटा जा सकता है ताकि ग्रामीण लोगों को पास में ही Revenue सेवा मिल सके।
Section 15(5): सीमाएं तय करना (Defining Limits)
राज्य सरकार को अधिकार है कि वह हर Division, District, Sub-Division, Tehsil और Sub-Tehsil की सीमाएं तय करे। सीमाएं तय करना ज़रूरी है ताकि यह स्पष्ट हो सके कि किस अधिकारी की सीमा कहां तक है और वहां कौन-कौन से गांव या कस्बे आते हैं।
Section 15(6): Notification द्वारा सूचना देना
कोई भी नया Division, District, Sub-Division, Tehsil या Sub-Tehsil बनने या सीमाएं बदलने पर इसकी जानकारी Official Gazette (राजपत्र) में दी जानी चाहिए। Gazette में Notification से ही यह निर्णय कानूनी रूप से प्रभावी (Effective) होता है।
Section 15(7): पहले से मौजूद इकाइयों की मान्यता
जब यह कानून लागू हुआ था, उस समय जितने भी District, Tehsil, Sub-Tehsil वगैरह अस्तित्व में थे, उन्हें तब तक वैध (Valid) माना जाएगा जब तक कि राज्य सरकार द्वारा कोई नया आदेश नहीं दिया जाए। इसका मतलब है कि पुरानी व्यवस्थाएं बनी रहेंगी, लेकिन सरकार उन्हें बदल भी सकती है।
Section 16 – नई इकाई बनाना, हटाना या सीमा बदलना (Creation, Abolition or Alteration)
Section 16 राज्य सरकार को यह शक्ति देता है कि वह Gazette Notification के माध्यम से कोई नया Division, District, Tehsil, Sub-Tehsil या Village (गांव) बना सकती है, किसी मौजूदा इकाई को हटा सकती है, या उसकी सीमाएं बदल सकती है।
Section 16(a): नई इकाई बनाना या पुरानी हटाना
राज्य सरकार, अगर प्रशासनिक दृष्टि से ज़रूरी समझे, तो कोई नया District बना सकती है या किसी Sub-Tehsil को समाप्त कर सकती है।
उदाहरण: अगर आबादी बढ़ने के कारण Jhunjhunu और Sikar ज़िलों से मिलाकर Neem Ka Thana नाम का नया District बनाया जाए, तो यह कार्य Section 16(a) के अंतर्गत होगा।
Section 16(b): सीमाओं में बदलाव करना
सरकार किसी इकाई की सीमा में बदलाव कर सकती है। जैसे किसी गांव को एक Tehsil से हटाकर दूसरी Tehsil में जोड़ना ताकि स्थानीय लोग सरकारी दफ्तर आसानी से पहुंच सकें।
उदाहरण: अगर गांव A पहले Tehsil X में आता था लेकिन वहां तक सड़क कनेक्टिविटी नहीं थी, और पास की Tehsil Y ज़्यादा सुगम है, तो सरकार उसे Tehsil Y में शामिल कर सकती है।
पूर्ववर्ती प्रावधानों से संबंध (Connection with Earlier Provisions)
Sections 15 और 16 को समझने के लिए यह ज़रूरी है कि पहले के प्रावधानों का भी संदर्भ लिया जाए। जैसे:
• Section 4 में Board of Revenue की स्थापना की गई है, जो इन सभी इकाइयों पर नियंत्रण रखता है।
• Section 6 से 8 में उन Revenue Officers की नियुक्ति का प्रावधान है जो इन्हीं Divisions, Districts और Tehsils में कार्यरत होते हैं।
• Section 9 में Board को Supervisory powers दिए गए हैं, लेकिन यह कार्य तभी संभव है जब प्रशासनिक इकाइयों की सीमाएं स्पष्ट हों।
Section 15 और Section 16 राजस्थान Land Revenue Act, 1956 की रीढ़ (Backbone) माने जा सकते हैं, क्योंकि यह राज्य को प्रशासनिक इकाइयों में विभाजित करके पूरी Revenue व्यवस्था को एक संगठित रूप देते हैं। यह प्रावधान राज्य सरकार को यह लचीलापन (Flexibility) भी देते हैं कि वह समय-समय पर जनता की ज़रूरत के अनुसार इकाइयों को बना या हटा सके।
सही सीमाएं तय करना, Notification द्वारा सूचना देना और जनता तक प्रशासन को पहुंचाना, इन सभी का आधार यही दो Sections हैं। अगर राज्य को सुशासन (Good Governance) की ओर ले जाना है, तो यही संरचना ज़रूरी है। जब इनका संयोजन Section 4 से 10 तक के प्रावधानों से किया जाता है, तब एक मजबूत और प्रभावी Revenue व्यवस्था की नींव रखी जाती है।