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धारा 432 BNSS 2023 : अपीलीय न्यायालय द्वारा अतिरिक्त साक्ष्य लेना या उसे लेने का निर्देश देना
धारा 432 BNSS 2023 : अपीलीय न्यायालय द्वारा अतिरिक्त साक्ष्य लेना या उसे लेने का निर्देश देना

अदालतों द्वारा दिए गए निर्णय अंतिम माने जाते हैं, लेकिन हमारे देश की न्यायिक व्यवस्था में अपील का अधिकार एक महत्वपूर्ण अधिकार है, जिससे किसी भी व्यक्ति को न्याय पाने का दूसरा मौका मिलता है। जब कोई मामला अपीलीय अदालत में पहुँचता है, तब वहाँ सिर्फ रिकॉर्ड देख कर ही निर्णय नहीं लिया जाता, बल्कि यदि आवश्यक हो, तो अदालत खुद से या अन्य किसी सक्षम अदालत को यह आदेश दे सकती है कि अतिरिक्त साक्ष्य (Additional Evidence) लिया जाए। यही प्रावधान धारा 432 में किया गया है।अपीलीय न्यायालय द्वारा अतिरिक्त साक्ष्य...

राजस्थान न्यायालय शुल्क मूल्यांकन अधिनियम, 1961 की धारा 38– डिक्री अथवा अन्य दस्तावेज को रद्द करने के लिए वादों में कोर्ट फीस की गणना
राजस्थान न्यायालय शुल्क मूल्यांकन अधिनियम, 1961 की धारा 38– डिक्री अथवा अन्य दस्तावेज को रद्द करने के लिए वादों में कोर्ट फीस की गणना

संपत्ति के अधिकारों और आर्थिक विवादों में अक्सर कुछ ऐसे दस्तावेज या डिक्री सामने आते हैं जिनसे किसी व्यक्ति के मौलिक अधिकारों, संपत्ति के स्वामित्व, दावे या हक को नुकसान पहुंचता है। ऐसे मामलों में व्यक्ति अदालत की शरण में जाकर उस डिक्री या दस्तावेज को रद्द करने की मांग करता है। Rajasthan Court Fees and Suits Valuation Act, 1961 की धारा 38 इन्हीं वादों में देय न्याय शुल्क (Court Fee) की गणना की विधि को निर्धारित करती है।धारा 38 विशेष रूप से उन मामलों को कवर करती है जिनमें वादी (Plaintiff) किसी...

राजस्थान भू-राजस्व अधिनियम, 1956 की धारा 11 से 14– प्रश्नों के संदर्भ, हाईकोर्ट से मत, भिन्न मतों का एवं अभिलेखों का संधारण
राजस्थान भू-राजस्व अधिनियम, 1956 की धारा 11 से 14– प्रश्नों के संदर्भ, हाईकोर्ट से मत, भिन्न मतों का एवं अभिलेखों का संधारण

प्रस्तावनाराजस्थान भू-राजस्व अधिनियम, 1956 राज्य के भीतर भूमि राजस्व प्रशासन और न्यायिक व्यवस्था को नियंत्रित करने वाला एक प्रमुख अधिनियम है। इसकी प्रारंभिक धाराओं में राजस्व बोर्ड की स्थापना, उसकी शक्तियों और अधीनस्थ न्यायालयों पर नियंत्रण की व्यवस्था की गई है। जैसे कि हमने पहले देखा, धारा 9 में अधीनस्थ न्यायालयों पर बोर्ड का सामान्य पर्यवेक्षण निर्धारित है, जबकि धारा 10 में बोर्ड द्वारा मामलों को एकल सदस्य या पीठ के माध्यम से कैसे सुना जाएगा, यह स्पष्ट किया गया है। अब हम उन धाराओं को समझते...

राजस्थान भू-राजस्व अधिनियम, 1956 की धारा 9 और 10 के अंतर्गत अधीनस्थ राजस्व न्यायालयों पर सामान्य पर्यवेक्षण और बोर्ड का क्षेत्राधिकार किस प्रकार प्रयोग किया जाता है?
राजस्थान भू-राजस्व अधिनियम, 1956 की धारा 9 और 10 के अंतर्गत अधीनस्थ राजस्व न्यायालयों पर सामान्य पर्यवेक्षण और बोर्ड का क्षेत्राधिकार किस प्रकार प्रयोग किया जाता है?

राजस्थान भू-राजस्व अधिनियम, 1956 के प्रारंभिक प्रावधानों में राज्य में राजस्व न्यायिक प्रणाली की नींव रखी गई है। अधिनियम की धारा 4 से लेकर धारा 8 तक, राजस्व बोर्ड की स्थापना, उसकी संरचना, मुख्यालय, अधिकार और कर्तव्यों के बारे में विस्तार से बताया गया है। धारा 4 में बोर्ड के गठन की बात की गई है, धारा 5 में सदस्यों की नियुक्ति और कार्यकाल का उल्लेख है, धारा 6 में मुख्यालय अजमेर बताया गया है, जबकि धारा 7 में मंत्रीगणीय अधिकारियों की नियुक्ति और धारा 8 में बोर्ड की शक्तियों को बताया गया है।अब हम...

धारा 430 भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 : अपील लंबित होने पर सजा पर रोक और दोषी को जमानत पर रिहा करने का प्रावधान
धारा 430 भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 : अपील लंबित होने पर सजा पर रोक और दोषी को जमानत पर रिहा करने का प्रावधान

BNS, 2023 के अंतर्गत जब किसी व्यक्ति को किसी अपराध के लिए दोषी ठहराया जाता है और वह उस निर्णय के विरुद्ध अपील करता है, तो यह स्वाभाविक है कि वह अपीलीय न्यायालय से यह प्रार्थना करेगा कि जब तक उसकी अपील पर निर्णय नहीं हो जाता, तब तक उसे जेल में न रखा जाए और उसकी सजा पर रोक लगाई जाए।इसी संदर्भ में भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 430 एक अत्यंत महत्वपूर्ण प्रावधान है। यह धारा यह निर्धारित करती है कि अपील लंबित रहने के दौरान सजा को निलंबित कैसे किया जा सकता है और दोषी व्यक्ति को किन...

राजस्थान भूमि राजस्व अधिनियम, 1956 की धारा 7 और 8 के अंतर्गत राजस्व बोर्ड के मंत्रीगणीय अधिकारी और उसकी शक्तियां
राजस्थान भूमि राजस्व अधिनियम, 1956 की धारा 7 और 8 के अंतर्गत राजस्व बोर्ड के मंत्रीगणीय अधिकारी और उसकी शक्तियां

राजस्थान भूमि राजस्व अधिनियम, 1956 राज्य की राजस्व व्यवस्था को सुव्यवस्थित करने हेतु बनाया गया एक प्रमुख अधिनियम है। इस अधिनियम के प्रारंभिक प्रावधानों में, विशेष रूप से धारा 4, 5 और 6 में राजस्व बोर्ड की स्थापना, संरचना और उसके मुख्यालय से संबंधित नियम निर्धारित किए गए हैं।धारा 4 में बताया गया कि यह बोर्ड एक अध्यक्ष और कम से कम तीन तथा अधिकतम पंद्रह सदस्यों से मिलकर बनेगा। धारा 5 में सदस्यों के कार्यकाल की चर्चा की गई और धारा 6 में बोर्ड का मुख्यालय अजमेर घोषित किया गया। अब हम इस लेख में धारा 7...