जानिए हमारा कानून
Interpretation of Law किसे कहते हैं?
अदालतों द्वारा संविधियों की भाषा, शब्दों एवं अभिव्यक्तियों के अर्थ- निर्धारण की प्रक्रिया को ही निर्वाचन अथवा व्याख्या कहा जाता है। निर्वाचन के माध्यम से न्यायालयों द्वारा संविधि में प्रयुक्त भाषा या शब्दों का अर्थान्वयन या अर्थ-निर्धारण किया जाता है। Interpretation (व्याख्या) एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसके द्वारा कोर्ट संविधि में प्रयुक्त शब्दों का विधायिका के आशय के अनुरूप अर्थ लगाते हैं। इस प्रकार निर्वचन द्वारा संविधि में प्रयुक्त शब्दों को अर्थ प्रदान किया जाता है या उनका अर्थ निर्धारित किया...
किसी भी फैसले में केस लॉ का महत्व
किसी बड़ी अदालत का दिया कोई निर्णय उसकी अधीनस्थ अदालत पर लागू होता है, अधीनस्थ अदालत अपनी उच्च अदालत के दिए निर्णय से परे नहीं हो सकती है। इसलिए कानून में पूर्व निर्णय अति महत्वपूर्ण हो जाते हैं। सामान्य बोलचाल की भाषा में इन्हें रुलिंग अथवा केस लॉ कहा जाता है। बहस के दौरान अधिवक्ताओं द्वारा अपने-अपने पक्ष समर्थन में ऐसे निर्णय न्यायालय के समक्ष पेश किये जाते हैं जो न्यायनिर्णयन में अदालतों का मार्गदर्शन करते हैं।जहाँ तक पूर्व-निर्णयों की प्रयोज्यता का प्रश्न है, हर निर्णय को उस मामले के...
लोक अदालत किसे कहते है?
अदालतों में चलने वाले मुक़दमों को राजीनामा से ख़त्म करवाने के लिए लोक अदालत की व्यवस्था शुरू हुई है। यह निर्विवाद है कि आज विचारण में अत्यधिक एवं अनावश्यक विलम्ब होता है। लोगों को वर्षों तक न्याय की प्रतीक्षा करनी पड़ती है। कई बार तो स्थिति यह बन जाती है कि पक्षकार मर जाता है लेकिन कार्यवाही जीवित रहती है।इस स्थिति से निपटने के लिए हालांकि समय-समय पर प्रयास किये जाते रहे हैं। फास्ट ट्रेक कोर्ट भी स्थापित किये गये तो दूसरी तरफ लोक अदालत व्यवस्था पर भी विचार रखे गए। भारत में किसी समय पंचायतों से...
ARREST WARRANT जारी किये जाने के कारण
गिरफ्तारी का वारंट सदैव किसी अदालत या फिर सेमी ज्यूडिशियल कोर्ट जैसे कलेक्टर, एसडीएम इत्यादि द्वारा जारी किया जाता है। इन लोगों के अलावा किसी भी व्यक्ति के पास गिरफ्तारी वारंट जारी करने की शक्ति नहीं है।गिरफ्तारी वारंट जारी करने की शक्ति अदालत के पास होती है। यह शक्ति अदालत को इसलिए दी गई है क्योंकि अदालत जिस व्यक्ति को किसी मुकदमे में बुलाना चाहती है उसे पुलिस के मार्फ़त बुला सकें। जैसे किसी प्रकरण में यदि अदालत को किसी व्यक्ति के बयान लेने है तब भी वह उस संबंधित व्यक्ति को गिरफ्तारी का वारंट...
किसी भी प्रकरण में पुलिस का निष्पक्ष इन्वेस्टिगेशन
यह समझा जाता है कि पुलिस किसी भी मामले में शिकायतकर्ता की वकील होती है जबकि यह बात ठीक नहीं है। पुलिस को भारतीय कानून में पूरी तरह से निष्पक्ष बनाया गया है। किसी व्यक्ति की शिकायत मात्र से पुलिस उसकी वकील नहीं बन जाती है। उदाहरण के तौर पर एक व्यक्ति पुलिस को यह शिकायत करता है कि किसी दूसरे व्यक्ति ने उसका बलात्कार कर लिया है, इस तरह उसने बलात्कार का अपराध कारित किया है। पुलिस को ऐसी शिकायत मिलने पर उसका कर्तव्य यह है कि वह दोनों पक्षों के मामलों को देखें, परिस्थितियों की जांच करें, सबूतों को...
ड्रिंक एंड ड्राइव पर क़ानून
ड्रिंक एंड ड्राइव अपराध है। शराब पीकर गाड़ी चलाना एक बड़ा अपराध है। जब कभी किसी व्यक्ति को शराब पीकर ड्राइविंग करने के आरोप में पकड़ा जाता है तब पुलिस द्वारा ऐसे व्यक्ति की सांसों की जांच की जाती है। यदि इस जांच में पॉजिटिव आता है तब उस व्यक्ति पर मुकदमा बनाया जाता है। पुलिस के पास एक मशीन होती है जो व्यक्ति के मुंह में डाली जाती है और उसकी सांसों को कैप्चर किया जाता है। यदि उस मशीन में पॉजिटिव का संकेत मिलता है तब व्यक्ति मोटर व्हीकल अधिनियम की धारा 188 के अंतर्गत आरोपी बना दिया जाता है।मोटर...
नजूल ज़मीन किसे कहते हैं?
भारत में किसी समय अंग्रेजों का शासन रहा है।अंग्रेजों के रूल्स भारत में चलते थे। शासन व्यवस्था अंग्रेजों के पास ही थी। अंग्रेजों के विरुद्ध कई भारतीयों ने विद्रोह किया है, जिन्हें स्वतंत्रता संग्राम सेनानी कहा गया। ऐसा विद्रोह सभी स्तर पर किया गया है। एक आम आदमी से लेकर एक राजा द्वारा भी विद्रोह किया गया है। अंग्रेजों के शासन के पहले भारत कोई एक देश नहीं था बल्कि अलग-अलग इलाकों पर अलग-अलग राजाओं की हुकूमत रहा करती थी, बहुत सारी रियासतें थी। इन रियासतों में कई रियासत अंग्रेजों का समर्थन करती थी और...
लाइसेंस के बगैर ब्याज पर उधार रुपये देना
अनेक लोग ऐसे होते हैं जिन्हें बैंक द्वारा लोन नहीं दिया जाता है, क्योंकि बैंक लोन लेने के लिए जिन शर्तों को लगाती है, वे लोग इन शर्त को पूरी नहीं कर पाते हैं, बैंक उन्हें लोन लेने का पात्र नहीं मानती है। बैंक की ऐसी शर्त की पूर्ति नहीं करने के कारण व्यक्ति कर्ज़ लेने के लिए निजी लोगों के पास जाता है।ब्याज़ से संबंधित कोई भी काम करने के लिए मनी लेंडिंग एक्ट के अंतर्गत सरकार द्वारा स्थापित संस्था से लाइसेंस लेना होता है। अलग-अलग प्रदेशों में साहूकार अधिनियम भी होता है। इस साहूकार अधिनियम के अंतर्गत...
Criminal law में नेचुरल जस्टिस का महत्व
कानून पार्लियामेंट द्वारा बनाया जाता है। इसे सामान्य बोध में विधायिका द्वारा कानून निर्माण कहा जाता है। लेकिन कानून केवल वही नहीं होता जो विधायिका द्वारा बना दिया जाए अपितु उसमे नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों का भी दखल होता है। यह वैश्विक अवधारणा है कि कोई भी कानून इस प्रकार नहीं बनाया जाएगा कि उसमे नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों का अभाव हो। न्याय प्रशासन में प्राकृतिक न्याय के सिद्धान्तों का महत्वपूर्ण स्थान है। न्याय की सार्थकता प्राकृतिक न्याय के सिद्धान्तों पर ही निर्भर करती है। प्राकृतिक न्याय...
फ्री कानूनी मदद पर कानून
गरीब लोगों को मुफ्त कानूनी सहायता के लिए लीगल एड क़ानून बनाया गया है। आज के समय में न्याय अत्यंत खर्चीला है, ऐसे में एक निर्धन अभियुक्त अपने बचाव से विरत रह जाता है। इस समस्या से निपटने के लिए ही निःशुल्क विधिक सहायता की अवधारणा अस्तित्व में आई है। जहां एक निर्धन अभियुक्त को अपना बचाव करने के लिए सरकार द्वारा अपने खर्च से एडवोकेट उपलब्ध कराया जाता है जो अभियुक्त की ओर से उसका बचाव करता है। इस आलेख में इस ही निःशुल्क विधिक सहायता से संबंधित कानून पर चर्चा की जा रही है।प्राकृतिक न्याय का यह...
नकली विल के खिलाफ कोर्ट केस
वसीयत किसी भी व्यक्ति की अंतिम इच्छा है जो यह तय करती है कि किसी व्यक्ति की संपत्ति उसके मरने के बाद कहाँ और किन्हें दी जाएगा। कोई भी व्यक्ति अपनी कमाई हुई संपत्ति को किसी भी व्यक्ति को या संस्था वसीयत कर सकता है। जब तक वह व्यक्ति जीवित रहता है तब तक संपत्ति उस व्यक्ति की होती है और जब उस व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तब संपत्ति उसके द्वारा तय किये गए व्यक्ति को दे दी जाती है। जब कोई व्यक्ति बगैर वसीयत किए मर जाता है तब उसकी संपत्ति का बंटवारा उत्तराधिकार कानून के ज़रिए होता है।वसीयत को किसी...
पुलिस द्वारा रिपोर्ट नहीं लिखे जाने पर फरियादी के कानूनी अधिकार
पुलिस राज्य के नागरिकों की सुरक्षा के लिए बनाई गई है। पुलिस का यह कर्तव्य है कि वह अपने राज्य के नागरिकों की सुरक्षा करें। भारतीय दंड संहिता और उसी की तरह के अन्य दाण्डिक कानून अलग-अलग अपराधों का उल्लेख करते हैं। बहुत से कार्य और लोप ऐसे हैं जिन्हें पार्लियामेंट या फिर राज्य विधान मंडल ने अपराध बनाया है। किसी भी व्यक्ति के साथ जब ऐसा कोई अपराध घटता है तब उस व्यक्ति को पीड़ित कहा जाता है।ऐसा पीड़ित व्यक्ति सबसे पहले अपने साथ होने वाली घटना के संबंध में शिकायत करने उस क्षेत्र के थाने में जाता है...
ऐसे कॉन्ट्रैक्ट जिनका पालन Specific Relief Act के अनुसार नहीं करवाया जा सकता
Specific Relief Act केवल उन संविदा का उल्लेख नहीं करता है जिनका कोर्ट में प्रवर्तन कराया जा सकता है अपितु उन संविदाओं का भी उल्लेख कर रहा है जिनका प्रवर्तन नहीं कराया जा सकता। धारा 14 के अनुसार निम्नलिखित संविदा को विनिर्दिष्ट प्रवर्तित नहीं कराया जा सकता-वह संविदा जिसके पालन के लिए धन के रूप में प्रतिकर योग्य अनुतोष है यदि संविदा ऐसी है जिसका पालन नहीं किए जाने पर धन के रूप में प्रतिकर दिया जा सकता है और ऐसा प्रतिकर योग्य प्रतिकर है तो विनिर्दिष्ट अनुतोष अधिनियम के अंतर्गत अनुतोष नहीं दिया...
Specific Relief Act के तहत पालन करवाए जा सकने वाले कॉन्ट्रैक्ट
Specific performance के कुछ मूल महत्वपूर्ण सिद्धांत हैं जिन्हें न केवल स्वीकार किया गया वरण सामान्यता कोर्ट ने लागू करते हैं। सर्वप्रथम महत्वपूर्ण सिद्धांत यह है कि Specific Performance की डिक्री पारित करना कोर्ट के विवेक पर निर्भर करता है। दूसरा मौलिक सिद्धांत यह है कि Specific Performance का अनुतोष उन मामलों में लागू किया जाता है जहां प्रतिकर एक यथायोग्य नहीं अनुतोष है। तीसरा भली-भांति स्थापित सिद्धांत यह है कि कोर्ट उन मामलों में भी विनिर्दिष्ट अनुतोष प्रदान नहीं करते हैं जिनमें कोर्ट द्वारा...
Specific Relief Act में विशेष जंगम संपत्ति के कब्जे की Recovery
जंगम संपत्ति के कब्जे का के प्रत्युद्धरण के संबंध में उपबंध विनिर्दिष्ट अनुतोष अधिनियम 1963 की धारा 7 और 8 में उल्लिखित हैं। इन धाराओं के अनुसार धारा 7 महत्वपूर्ण धारा मानी जाती है। धारा 7 के अनुसार जो व्यक्ति किसी निर्दिष्ट जंगम संपत्ति के कब्जे का हकदार है सिविल प्रक्रिया संहिता 1960 द्वारा उपबंधित प्रकार से उसका वितरण कर सकता है।स्पष्टीकरण एक- न्यासी ऐसी जंगम संपत्ति के कब्जे के लिए इस धारा के अंतर्गत वाद ला सकता है जिसमें कि लाभप्रद हित का वह व्यक्ति हकदार है जिसके लिए वह न्यासी...
Specific Relief Act में कब्ज़े की Recovery
स्थावर संपत्ति के प्रत्युद्धरण के संबंध में अधिनियम के भाग 2 के अध्याय एक में दो प्रकार के उपबंध है। पहले प्रकार का उपबंध कब्जे के हक पर आधारित है तथा इसका वर्णन धारा 5 में किया गया है तथा दूसरे प्रकार का उपबंध कब्ज़े पर आधारित है तथा इसके संबंध में विधि धारा 6 में वर्णित है। जब कभी किसी व्यक्ति को उसके कब्जे की संपत्ति में से निकाल दिया जाता है वहां पर विनिर्दिष्ट अनुतोष अधिनियम की धारा 5, 6, 7 और 8 के अनुसार न्याय प्रदान किया जाता है।वी श्रीनिवासन राजू अन्य बनाम भारत इलेक्ट्रॉनिक लिमिटेड अन्य...
Specific Relief Act में Recovery Of Property और कॉन्ट्रैक्ट का पालन करवाने की रिलीफ
Recovery of Propertyविनिर्दिष्ट अनुतोष अधिनियम 1963 के भाग 2 के अध्याय 1 में Recovery of Property से संबंधित उपबंध है। यह उपबंध विनिर्दिष्ट स्थावर तथा विनिर्दिष्ट जंगम दोनों प्रकार की संपत्तियों के संबंध में है। विनिर्दिष्ट स्थावर संपत्ति के कब्जे के प्रत्युध्दरण से संबंधित उपबंध धारा 5 धारा 6 में है जबकि विनिर्दिष्ट जंगम संपत्ति के प्रत्युध्दरण के बारे में उपबंध धारा 7 तथा धारा 8 में दिए गए हैं।भारत में संविदा विधि के मूल सिद्धांत भारतीय संविदा अधिनियम 1872 में उल्लिखित हैं परंतु उनमें...
Specific Relief Act के प्रावधान
यह अधिनियम किसी विशेष व्यक्ति के विरुद्ध अनुतोष के संबंध में उल्लेख कर रहा है, यदि कोई अधिकार प्रभुसत्ता द्वारा व्यक्ति को दिया जाता है तो इस अधिकार के साथ में उस अधिकार के लिए उपचार भी दिए जाते हैं। यदि केवल अधिकार दे दिया जाए उपचार नहीं दिया जाए तो ऐसी स्थिति में उस अधिकार का कोई महत्व नहीं रह जाता है। सिविल अधिकार जब दिए जाते हैं तो उस अधिनियम में उस अधिकार के उपचार से संबंधित प्रावधानों का भी उल्लेख किया जाता है जैसे कि भारत के संविधान के अंतर्गत भाग 3 में मूल अधिकारों का उल्लेख किया गया है...
Partnership Act पार्टनरशिप बिजनेस का कानून
भारतीय साझेदारी अधिनियम 1932 साझेदारी से संबंधित समस्त प्रावधानों को अधिनियमित करता है। साझेदारी व्यापार को नियंत्रित करने हेतु यह अधिनियम उपयोगी अधिनियम हैं। आज भी भारत की अर्थव्यवस्था साझेदारी उद्योग धंधों से संचालित हो रही है क्योंकि कंपनी संचालित कर पाना इतना सरल नहीं है। भारतीय अर्थव्यवस्था में या तो एकल व्यवसाय किया जा रहा है या फिर भागीदारी व्यवसाय किया जा रहा है। अधिकांश उद्योग व्यापार एकल या साझेदारी के आधार पर ही संचालित हो रहे है। इस प्रकार के उद्योगों को संचालित करने के लिए राज्य पर...
Partnership Act के अनुसार पार्टनर कौन है?
भारतीय भागीदारी अधिनियम 1932 इस संबंध में उल्लेख कर रहा है कि भागीदारी क्या होती है तथा भागीदारी किस प्रकार संचालित की जाती है। इस अधिनियम के अंतर्गत किसी कारोबार में व्यक्तियों का कोई दल या व्यक्ति भागीदार है या नहीं यहां भी उल्लेखित किया गया। अधिनियम की धारा 6 उल्लेखित करती है कि यह अवधारणा करने के लिए की व्यक्तियों का कोई समूह फर्म है या नहीं या कोई व्यक्ति फर्म का भागीदार है या नहीं पक्षकारों के बीच वास्तविक संबंध को ध्यान में रखा जाएगा जो शख्स व्यक्तियों को एक साथ लेने में दर्शित होता...




















