धारा 40 राजस्थान न्यायालय शुल्क मूल्यांकन अधिनियम, 1961 – विशिष्ट निष्पादन के वादों में न्याय शुल्क की गणना

Himanshu Mishra

25 April 2025 1:06 PM

  • धारा 40 राजस्थान न्यायालय शुल्क मूल्यांकन अधिनियम, 1961 – विशिष्ट निष्पादन के वादों में न्याय शुल्क की गणना

    राजस्थान न्यायालय शुल्क और वाद मूल्यांकन अधिनियम, 1961 (Rajasthan Court Fees and Suits Valuation Act, 1961) का उद्देश्य विभिन्न प्रकार के दीवानी वादों में न्यायालय शुल्क की गणना के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश प्रदान करना है। इस अधिनियम की धारा 40 विशेष रूप से उन वादों से संबंधित है जहाँ वादी किसी अनुबंध के विशिष्ट निष्पादन (Specific Performance) की मांग करता है। इस धारा में यह निर्धारित किया गया है कि ऐसे वादों में न्यायालय शुल्क किस प्रकार से और कितनी राशि पर निर्धारित किया जाएगा।

    धारा 40 का सारांश

    धारा 40 के अनुसार, विशिष्ट निष्पादन के वादों में, चाहे वह कब्जे के साथ हो या बिना कब्जे के, न्यायालय शुल्क निम्नलिखित आधारों पर निर्धारित किया जाएगा:

    (A) विक्रय अनुबंध (Contract of Sale): यदि वाद किसी विक्रय अनुबंध के विशिष्ट निष्पादन के लिए है, तो शुल्क उस राशि पर आधारित होगा जो अनुबंध में विचार (Consideration) के रूप में निर्धारित की गई है। उदाहरण के लिए, यदि किसी संपत्ति का विक्रय अनुबंध ₹10 लाख में हुआ है, तो न्यायालय शुल्क ₹10 लाख पर आधारित होगा।

    (B) बंधक अनुबंध (Contract of Mortgage): यदि वाद किसी बंधक अनुबंध के विशिष्ट निष्पादन के लिए है, तो शुल्क उस राशि पर आधारित होगा जो बंधककर्ता द्वारा सुरक्षित करने के लिए सहमत की गई है। उदाहरण के लिए, यदि बंधक अनुबंध में ₹5 लाख की राशि सुरक्षित करने की बात है, तो शुल्क ₹5 लाख पर आधारित होगा।

    (C) पट्टा अनुबंध (Contract of Lease): यदि वाद किसी पट्टा अनुबंध के विशिष्ट निष्पादन के लिए है, तो शुल्क उस राशि पर आधारित होगा जो अनुबंध में जुर्माना या प्रीमियम (यदि कोई हो) और वार्षिक किराए के औसत के रूप में निर्धारित की गई है। उदाहरण के लिए, यदि पट्टा अनुबंध में ₹1 लाख का प्रीमियम और ₹20,000 वार्षिक किराया है, तो शुल्क ₹1 लाख + ₹20,000 = ₹1,20,000 पर आधारित होगा।

    (D) विनिमय अनुबंध (Contract of Exchange): यदि वाद किसी विनिमय अनुबंध के विशिष्ट निष्पादन के लिए है, तो शुल्क उस राशि पर आधारित होगा जो विचार के रूप में निर्धारित की गई है, या उस संपत्ति के बाजार मूल्य पर आधारित होगा जिसे विनिमय में प्राप्त किया जाना है, जो भी अधिक हो। उदाहरण के लिए, यदि दो संपत्तियों का विनिमय अनुबंध हुआ है और एक संपत्ति का मूल्य ₹15 लाख है जबकि दूसरी का ₹12 लाख, तो शुल्क ₹15 लाख पर आधारित होगा।

    (E) अन्य अनुबंध (Other Contracts): यदि वाद किसी अन्य प्रकार के अनुबंध के विशिष्ट निष्पादन के लिए है, और उस अनुबंध का विचार बाजार मूल्य रखता है, तो शुल्क उस बाजार मूल्य पर आधारित होगा। यदि विचार का कोई बाजार मूल्य नहीं है, तो शुल्क धारा 45 में निर्दिष्ट दरों के अनुसार निर्धारित किया जाएगा।

    धारा 45 का संदर्भ

    धारा 45 उन वादों के लिए शुल्क निर्धारण की प्रक्रिया बताती है जहाँ वाद का मूल्यांकन सामान्य रूप से बाजार मूल्य के अनुसार संभव नहीं है। उदाहरण के लिए, घोषणात्मक राहत (Declaratory Relief) के वादों में, जहाँ वादी किसी अधिकार की घोषणा चाहता है, शुल्क धारा 45 के अनुसार निर्धारित किया जाता है।

    अन्य संबंधित धाराओं का संदर्भ

    धारा 38 और 39 भी न्यायालय शुल्क की गणना से संबंधित हैं। धारा 38 में डिक्री या दस्तावेज को निरस्त करने के वादों में शुल्क की गणना का प्रावधान है, जबकि धारा 39 में कुर्की को रद्द करने के वादों में शुल्क की गणना का प्रावधान है। इन धाराओं के अध्ययन से यह स्पष्ट होता है कि अधिनियम विभिन्न प्रकार के वादों में शुल्क निर्धारण के लिए विस्तृत दिशा-निर्देश प्रदान करता है।

    धारा 40, विशिष्ट निष्पादन के वादों में न्यायालय शुल्क की गणना के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश प्रदान करती है। यह सुनिश्चित करती है कि वादी द्वारा अनुबंध के प्रकार और उसमें निर्धारित विचार के आधार पर उचित शुल्क अदा किया जाए। यह प्रावधान न्यायिक प्रक्रिया में पारदर्शिता और न्यायसंगतता सुनिश्चित करने में सहायक होता है।

    न्यायिक उदाहरण

    मान लीजिए कि किसी व्यक्ति ने ₹10 लाख में एक संपत्ति खरीदने का अनुबंध किया है, लेकिन विक्रेता ने संपत्ति हस्तांतरित नहीं की। वादी विशिष्ट निष्पादन के लिए वाद दायर करता है। इस स्थिति में, न्यायालय शुल्क ₹10 लाख पर आधारित होगा।

    इसी प्रकार, यदि किसी व्यक्ति ने ₹5 लाख की राशि पर बंधक अनुबंध किया है और बंधककर्ता ने अनुबंध का पालन नहीं किया, तो वादी विशिष्ट निष्पादन के लिए वाद दायर करता है। इस स्थिति में, न्यायालय शुल्क ₹5 लाख पर आधारित होगा।

    इन उदाहरणों से स्पष्ट है कि धारा 40 विभिन्न प्रकार के अनुबंधों के विशिष्ट निष्पादन के वादों में न्यायालय शुल्क की गणना के लिए एक स्पष्ट और न्यायसंगत प्रक्रिया प्रदान करती है।

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