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राजस्थान भू राजस्व अधिनियम, 1956 की धारा 40-ए से 44 : लम्बरदारों की सेवा समाप्ति और ग्राम सेवकों की नियुक्ति
राजस्थान भू राजस्व अधिनियम, 1956 की धारा 40-ए से 44 : लम्बरदारों की सेवा समाप्ति और ग्राम सेवकों की नियुक्ति

राजस्थान भू राजस्व अधिनियम, 1956 में ग्राम स्तर पर प्रशासनिक व्यवस्था और राजस्व संग्रहण के सुचारु संचालन के लिए अनेक प्रावधान किए गए हैं। इस अधिनियम की धारा 40-ए से लेकर धारा 44 तक विशेष रूप से लम्बरदार व्यवस्था को समाप्त कर ग्राम सेवकों की नई व्यवस्था को लागू करने की दिशा में बनाई गई हैं। इन धाराओं में स्पष्ट रूप से यह बताया गया है कि ग्राम सेवकों की नियुक्ति कैसे होगी, उनकी सूची कैसे बनाई जाएगी, खाली पदों को कैसे भरा जाएगा और उन्हें कितना पारिश्रमिक दिया जाएगा। यह लेख इन सभी धाराओं को सरल भाषा...

राजस्थान भू राजस्व अधिनियम 1956 की धारा 32 से 36 : भू अभिलेख निरीक्षण प्रणाली और संबंधित अधिकारियों की भूमिका
राजस्थान भू राजस्व अधिनियम 1956 की धारा 32 से 36 : भू अभिलेख निरीक्षण प्रणाली और संबंधित अधिकारियों की भूमिका

राजस्थान भू राजस्व अधिनियम 1956 (Rajasthan Land Revenue Act, 1956) में ग्रामीण प्रशासन और भूमि अभिलेखों के रख-रखाव से संबंधित कई महत्त्वपूर्ण प्रावधान शामिल किए गए हैं।इनमें से धारा 32 से लेकर 36 तक की धाराएँ विशेष रूप से पटवारियों, गिरदावर कानूनगो, रिकॉर्ड निरीक्षक तथा सदर कानूनगो जैसे अधिकारियों के कार्यक्षेत्र, नियुक्ति, योग्यता, निरीक्षण व्यवस्था और आम नागरिकों की सूचनाएं देने की जिम्मेदारी को स्पष्ट करती हैं। यह लेख इन धाराओं की सरल भाषा में व्याख्या करता है जिससे आमजन, किसान तथा राजस्व...

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 443 : हाईकोर्ट की पुनर्विचार याचिकाओं को स्थानांतरित करने या वापस लेने की शक्ति
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 443 : हाईकोर्ट की पुनर्विचार याचिकाओं को स्थानांतरित करने या वापस लेने की शक्ति

परिचयभारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 एक नई आपराधिक प्रक्रिया संहिता है, जो देश की न्यायिक व्यवस्था को अधिक आधुनिक, सरल और प्रभावी बनाने के उद्देश्य से लागू की गई है। इस संहिता में पुनरीक्षण (Revision) से संबंधित विस्तृत प्रावधान अध्याय 32 (धारा 438 से लेकर धारा 447 तक) में किए गए हैं। इस लेख में हम धारा 443 को विस्तारपूर्वक सरल हिंदी में समझने का प्रयास करेंगे, जो हाईकोर्ट को पुनरीक्षण मामलों को स्थानांतरित करने अथवा अपने पास वापस लेने की विशेष शक्ति प्रदान करती है। धारा 443 का उद्देश्य और...

राजस्थान भू राजस्व अधिनियम 1956 की धारा 32 से 36: भू अभिलेख निरीक्षण प्रणाली और संबंधित अधिकारियों की भूमिका
राजस्थान भू राजस्व अधिनियम 1956 की धारा 32 से 36: भू अभिलेख निरीक्षण प्रणाली और संबंधित अधिकारियों की भूमिका

राजस्थान भू राजस्व अधिनियम 1956 (Rajasthan Land Revenue Act, 1956) में ग्रामीण प्रशासन और भूमि अभिलेखों के रख-रखाव से संबंधित कई महत्त्वपूर्ण प्रावधान शामिल किए गए हैं।इनमें से धारा 32 से लेकर 36 तक की धाराएँ विशेष रूप से पटवारियों, गिरदावर कानूनगो, रिकॉर्ड निरीक्षक तथा सदर कानूनगो जैसे अधिकारियों के कार्यक्षेत्र, नियुक्ति, योग्यता, निरीक्षण व्यवस्था और आम नागरिकों की सूचनाएं देने की जिम्मेदारी को स्पष्ट करती हैं। यह लेख इन धाराओं की सरल भाषा में व्याख्या करता है जिससे आमजन, किसान तथा राजस्व...

राजस्थान कोर्ट फीस और वाद मूल्यांकन अधिनियम, 1961 की धारा 48 और 49: उन Suits का मूल्य निर्धारण जिनके लिए कोई विशेष प्रावधान मौजूद नहीं है
राजस्थान कोर्ट फीस और वाद मूल्यांकन अधिनियम, 1961 की धारा 48 और 49: उन Suits का मूल्य निर्धारण जिनके लिए कोई विशेष प्रावधान मौजूद नहीं है

धारा 48 का उद्देश्य उन वादों (Suits) की वैल्यू तय करना है जिनके लिए इस अधिनियम (Act) या किसी अन्य कानून (Law) में स्पष्ट रूप से कोई वैल्यू निर्धारण का तरीका नहीं दिया गया है।उपधारा (1) कहती है कि यदि किसी वाद (Suit) की वैल्यू तय करने के लिए अदालत की अधिकारिता (Jurisdiction) के उद्देश्य से कोई विशेष प्रावधान मौजूद नहीं है, तो उस वाद की वैल्यू वही मानी जाएगी जो कोर्ट फीस (Court Fees) निकालने के लिए मानी जाती है। यानी, जिस रकम के आधार पर कोर्ट फीस ली जाती है, वही रकम अदालत की अधिकारिता तय करने के...

राजस्थान भू राजस्व अधिनियम 1956 की धारा 29 30 और 31 में बताए गए राजस्व अधिकारियों और पटवारियों से जुड़े प्रावधान
राजस्थान भू राजस्व अधिनियम 1956 की धारा 29 30 और 31 में बताए गए राजस्व अधिकारियों और पटवारियों से जुड़े प्रावधान

धारा 29 – अधिकारियों की अस्थायी अनुपस्थिति में कार्यभार का प्रबंधनधारा 29 एक ऐसी स्थिति के बारे में है जब कोई राजस्व अधिकारी अस्थायी रूप से अपने कार्य से अनुपस्थित हो जाता है। यह अनुपस्थिति किसी भी कारण से हो सकती है, जैसे – अवकाश पर जाना, बीमार होना, या अन्य प्रशासनिक कारणों से कुछ समय के लिए कार्य से दूर रहना। इस धारा का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि अधिकारी की अनुपस्थिति के दौरान उसके कार्यालय का कार्य बाधित न हो और जनता को कोई असुविधा न हो। इस धारा में दो प्रकार की स्थितियाँ बताई गई हैं।...