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NI Act में धारा 58 के प्रावधान
लिखत को अपराध द्वारा प्राप्त करना- धारा 58 के अधीन उन मामलों को विहित किया गया है जिसके अधीन एक लिखत अपराध द्वारा अभिप्राप्त माना जाता है। वे हैंचुराया हुआ लिखत- खोने की दशा में,कपट के द्वारा अभिप्राप्त लिखत,अवैध प्रतिफल के लिए अभिप्राप्त लिखत,कूटरचित लिखत, अर्थात् कूटरचना द्वारा प्राप्त लिखत,कूटरचित पृष्ठांकन, अर्थात् कूटरचित पृष्ठांकन से प्राप्त लिखतचुराया हुआ लिखत- एक व्यक्ति जिसने किसी लिखत को चुराया है, इसका संदाय उसके अधीन किसी दायी पक्षकार से लागू नहीं करा सकता है एवं न तो इसे उस व्यक्ति...
NI Act में अवैध रूप से किसी इंस्ट्रूमेंट को प्राप्त करने के परिणाम
NI Act में कुछ तरीके ऐसे बताये गए हैं जिनसे अवैध रूप से कोई इंस्ट्रूमेंट प्राप्त कर लिया जाता है। इस प्रकार निम्नलिखित के सम्बन्ध में संरक्षण प्रदान किया गया है-लिखत के खोनेलिखत के चोरी होनेलिखत को कपटपूर्ण तरीके से प्राप्त करनेलिखत को अवैध तरीकों से प्राप्त करनेऐसा कब्जाधारी या पृष्ठांकिती जो लिखत को पाने वाले, चोरी करने वाले या कपटपूर्ण तरीके या अवैध प्रतिफल से प्राप्त करने वाले व्यक्ति से प्राप्त किया है, लिखत के रचयिता, प्रतिग्रहीता या धारक या किसी पूर्विक पक्षकार से धन का दावा नहीं कर सकता...
राजस्थान न्यायालय शुल्क अधिनियम, 1961 की धारा 11 के तहत उचित शुल्क निर्धारण की प्रक्रिया
न्यायालय में मुकदमा दायर करने की प्रक्रिया में उचित कोर्ट फीस (Court Fee) का भुगतान आवश्यक होता है। राजस्थान कोर्ट फीस और वाद मूल्यांकन अधिनियम, 1961 (Rajasthan Court Fees and Suits Valuation Act, 1961) के तहत, किसी भी मुकदमे में उचित शुल्क के निर्धारण की जिम्मेदारी न्यायालय की होती है। इस संबंध में धारा 11 एक महत्वपूर्ण प्रावधान है, जो न्यायालय को यह तय करने का अधिकार देता है कि मुकदमे के लिए सही कोर्ट फीस क्या होनी चाहिए। यह धारा यह भी स्पष्ट करती है कि यदि कोई पक्षकार मुकदमे की विषय-वस्तु...
धारा 17 राजस्थान किराया नियंत्रण अधिनियम, 2001: अपीलीय किराया के समक्ष पक्षकारों की उपस्थिति की तिथि निर्धारित करना और अंतिम आदेश की प्रतियां प्रदान करना
राजस्थान किराया नियंत्रण अधिनियम, 2001 (Rajasthan Rent Control Act, 2001) में किराया न्यायाधिकरण (Rent Tribunal) द्वारा सुनवाई के बाद अपील की प्रक्रिया को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है। धारा 17 (Section 17) इस संबंध में महत्वपूर्ण प्रावधान करता है, जिसमें यह निर्धारित किया गया है कि जब कोई मामला एकतरफा रूप से (Ex-Parte) नहीं चल रहा हो, तब न्यायाधिकरण द्वारा अंतिम आदेश (Final Order) पारित करने के बाद अपील से संबंधित प्रक्रिया कैसे आगे बढ़ेगी।अपीलीय किराया न्यायाधिकरण के समक्ष उपस्थिति की...
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 401: प्रथम बार अपराध करने वाले व्यक्तियों की प्रोबेशन पर रिहाई भाग 1
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 401 उन मामलों से संबंधित है, जहां किसी व्यक्ति को पहली बार अपराध के लिए दोषी ठहराया गया है और उसे सीधे सजा देने के बजाय न्यायालय उसे प्रोबेशन (Probation) पर रिहा करने का आदेश दे सकता है। यह प्रावधान अपराधियों के पुनर्वास (Rehabilitation) और समाज में पुनः एकीकृत (Reintegration) करने के उद्देश्य से बनाया गया है, खासकर जब अपराधी की पृष्ठभूमि और अपराध की प्रकृति को देखते हुए यह उचित लगे कि उसे सुधार का एक और मौका दिया जाना चाहिए।किसे प्रोबेशन पर रिहा किया...
क्या पिछड़े वर्गों के भीतर विशेष आरक्षण संवैधानिक रूप से वैध है?
Pattali Makkal Katchi v. A. Mayilerumperumal (2022) मामले ने विशेष रूप से पिछड़े वर्गों (Most Backward Classes - MBC) के भीतर दिए गए आरक्षण की संवैधानिकता (Constitutionality) पर महत्वपूर्ण सवाल उठाए। मद्रास हाई कोर्ट ने तमिलनाडु विशेष आरक्षण अधिनियम, 2021 (Tamil Nadu Special Reservation Act, 2021) को रद्द कर दिया, जिसने वन्नियार (Vanniyar) समुदाय को MBC श्रेणी के भीतर 10.5% आंतरिक आरक्षण (Internal Reservation) दिया था।यह निर्णय इस आधार पर लिया गया कि यह अधिनियम पर्याप्त ठोस आधार पर आधारित नहीं...
NI Act में Endorsement के रूल्स
Endorsement के सामान्य सिद्धान्त या विधिमान्य Endorsement की शर्तें या नियमएक प्रभावी Endorsement होने के लिए इसे नियमित एवं विधिमान्य होना चाहिए। एक विधिमान्य Endorsement के निम्न सिद्धान्त या शर्तें हैं-Endorsement स्वयं लिखत पर होनी चाहिए जगह न होने की दशा में पृथक् कागज के टुकड़े (एलान्ज) पर होना चाहिए।पृष्ठांकक या उसके प्राधिकृत अभिकर्ता से हस्ताक्षरित होना चाहिए।Endorsement इन्क से होना चाहिए। पेन्सिल से भी किया जा सकता है, परन्तु इसे मिटाया जा सकेगा अतः पेन्सिल से बचना चाहिए।टाइप से लिखित...
NI Act में निरंक Endorsement
धारा 49 के अंतर्गत दिए गए निरंक Endorsement के प्रावधान को विधि विदानों के दिए इस उदाहरण से समझा जा सकता है-'अ' एक निरंक Endorsement द्वारा लिखत को 'ब' को परिदत्त करता है यहाँ अ पृष्ठांकक है और 'ब' पृष्ठांकिती है। 'ब' चाहता है कि वह इसे 'स' को पृष्ठांकित कर दे तो वह केवल 'स' का नाम 'अ' के हस्ताक्षर के ऊपर लिखकर पृष्ठांकित कर सकेगा उसे अपना हस्ताक्षर करना आवश्यक नहीं होगा।इस संव्यवहार में धारक 'अ' के विरुद्ध या किसी भी पक्षकार के विरुद्ध अधिकार रखेगा जिससे वह लिखत का दावा करता है और निरंक...
धारा 16 राजस्थान किराया नियंत्रण अधिनियम, 2001: Immediate Possession प्राप्त करने की प्रक्रिया
राजस्थान किराया नियंत्रण अधिनियम, 2001 (Rajasthan Rent Control Act, 2001) में मकान मालिक (Landlord) या किसी अन्य व्यक्ति को, जो किसी संपत्ति पर तत्काल कब्जे (Immediate Possession) का दावा करता है, कानूनी रूप से कब्जा प्राप्त करने का अधिकार दिया गया है। धारा 16 (Section 16) में इसकी विस्तृत प्रक्रिया बताई गई है, जो यह सुनिश्चित करती है कि वास्तविक मालिक को शीघ्र और निष्पक्ष न्याय मिले।तत्काल कब्जे के लिए याचिका दाखिल करना (Filing a Petition for Immediate Possession) अगर किसी मकान मालिक को अपनी...
BNSS, 2023 की धारा 400 में न्यायालय द्वारा अभियुक्त को शिकायतकर्ता के कानूनी खर्चों के भुगतान
भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता (Criminal Procedure Code) में विभिन्न प्रावधान शामिल हैं जो न्यायिक प्रक्रियाओं को संचालित करते हैं। इनमें से एक महत्वपूर्ण प्रावधान धारा 400 है, जो गैर-संज्ञेय अपराधों (Non-Cognizable Offenses) के मामलों में अभियुक्त को अभियोजन की लागत (Cost of Prosecution) का भुगतान करने का आदेश देने से संबंधित है।यह धारा यह सुनिश्चित करती है कि शिकायतकर्ता (Complainant) को न्यायिक प्रक्रिया में हुए खर्चों की प्रतिपूर्ति (Reimbursement) मिल सके, जिससे न्याय तक पहुंच अधिक सुलभ हो। ...
राजस्थान कोर्ट फीस और वाद मूल्यांकन अधिनियम, 1961 की धारा 10: मुकदमे की विषय-वस्तु और वादी के मूल्यांकन की अनिवार्यता
न्यायालय में मुकदमा दाखिल करते समय कोर्ट फीस (Court Fee) का निर्धारण एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया होती है। राजस्थान कोर्ट फीस और वाद मूल्यांकन अधिनियम, 1961 (Rajasthan Court Fees and Suits Valuation Act, 1961) के तहत विभिन्न मामलों में शुल्क का निर्धारण किया जाता है। धारा 10 इस संदर्भ में एक अहम प्रावधान है, जो यह सुनिश्चित करता है कि वादी (Plaintiff) मुकदमे की विषय-वस्तु (Subject Matter) का सही मूल्यांकन करे और उसे निर्धारित प्रारूप (Prescribed Form) में प्रस्तुत करे।धारा 10: मुकदमे की विषय-वस्तु...
नडकेरप्पा बनाम पिल्लम्मा मामले में सुप्रीम कोर्ट ने संपत्ति और उत्तराधिकार से जुड़े कौन से महत्वपूर्ण सिद्धांत स्थापित किए
नडकेरप्पा बनाम पिल्लम्मा (Nadakerappa v. Pillamma) 31 मार्च 2022 का यह मामला संपत्ति अधिकार (Property Rights) और उत्तराधिकार कानून (Inheritance Law) से जुड़े महत्वपूर्ण प्रश्नों पर केंद्रित था।इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने विभिन्न कानूनी प्रावधानों (Statutory Provisions) की व्याख्या की और पहले दिए गए महत्वपूर्ण निर्णयों (Judicial Precedents) को संदर्भित किया। इस लेख में, हम उन मूलभूत कानूनी मुद्दों (Fundamental Legal Issues) पर चर्चा करेंगे, जिनका इस मामले में निपटारा किया गया और...
NI Act की धारा 47 और 48 के प्रावधान
धारा 47 एवं 48 के अनुसारकोई लिखत जब खो जाता हैकोई लिखत अभिप्राप्त किया गया है।(क) अपराध से(ख) कपट से(ग) विधिविरुद्ध प्रतिफल से,ऐसा कब्जाधारी या पृष्ठांकिती देय लिखत के देय रकम पाने का हकदार नहीं होगा।जब तक कि ऐसा कब्जाधारी या पृष्ठांकिती सम्यक् अनुक्रम धारक नहीं है, या ऐसा कब्जाधारी या पृष्ठांकिती जिससे वह दावा करता है, सम्यक् अनुक्रम धारक है। धारा 58 की प्रयोज्यता धारा 47 एवं 48 पर धारा 47 एवं 45 का प्रारम्भ होने वाला वाक्य यह स्पष्ट करता है कि धारा 58 उक्त दोनों धाराओं पर एक सीमा के रूप में...
NI Act में Endorsement से Negotiation
वाहक को देय लिखत का पृष्ठांकन एक वाहक को देय लिखत के Negotiation के लिए पृष्ठांकन की आवश्यकता नहीं होती है। ऐसे वाहक को देय लिखत का Negotiation धारा 46 के अनुसार केवल परिदान के द्वारा पूर्ण हो जाता है। परन्तु विधि में किसी वाहक के देय लिखत के धारक को पृष्ठांकन करने से प्रतिबन्धित नहीं किया गया है। यदि इसका पृष्ठांकन किया जाता है तो तत्पश्चात् इसका परिदान किया जाना आवश्यक होगा, क्योंकि परिदान के बिना पृष्ठांकन पूर्ण नहीं होता है यद्यपि कि व्यवहार में एक वाहक लिखत के धारण को चेक का संदाय लेने के...
क्या संदेहजनक परिस्थितियों के आधार पर वसीयत को अमान्य किया जा सकता है?
सुप्रीम कोर्ट ने स्वर्णलता बनाम कलावती मामले में भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम, 1925 (Indian Succession Act, 1925) के तहत वसीयत की वैधता (Validity) से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार किया। इस मामले में मुख्य प्रश्न यह था कि क्या वसीयत संदिग्ध परिस्थितियों से ग्रस्त थी और क्या इसे रद्द (Invalidate) किया जाना चाहिए।यह निर्णय वसीयत से जुड़े कानूनी सिद्धांतों (Legal Principles) पर प्रकाश डालता है, जैसे कि वसीयत को मान्यता देने के लिए क्या आवश्यक शर्तें होती हैं और कब इसे चुनौती दी जा सकती है। अदालत...
गलत तरीके से गिरफ्तारी पर मुआवजा: भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 399
व्यक्तिगत स्वतंत्रता (Personal Liberty) प्रत्येक लोकतांत्रिक समाज का एक मौलिक अधिकार (Fundamental Right) है। भारत में, संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत, प्रत्येक व्यक्ति को जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार (Right to Life and Personal Liberty) प्राप्त है। यह अधिकार सुनिश्चित करता है कि किसी भी व्यक्ति को कानूनन उचित प्रक्रिया (Legal and Just Procedure) के बिना स्वतंत्रता से वंचित नहीं किया जा सकता।लेकिन कई बार गलत गिरफ्तारी (Wrongful Arrest) हो जाती है, जो या तो गलत जानकारी, व्यक्तिगत दुश्मनी,...
धारा 15 राजस्थान किराया नियंत्रण अधिनियम, 2001: किरायेदार बेदखली के लिए प्रक्रिया
राजस्थान किराया नियंत्रण अधिनियम, 2001 (Rajasthan Rent Control Act, 2001) मकान मालिक (Landlord) और किरायेदार (Tenant) के बीच संबंधों को नियंत्रित करता है। इस अधिनियम की धारा 15 (Section 15) में किरायेदार को बेदखल (Eviction) करने की प्रक्रिया बताई गई है।यह प्रक्रिया स्पष्ट रूप से बताती है कि मकान मालिक या संपत्ति पर अधिकार (Possession) का दावा करने वाला कोई भी व्यक्ति किस तरह किरायेदार को कानूनी रूप से हटाने के लिए न्यायाधिकरण (Tribunal) में याचिका (Petition) दायर कर सकता है। किरायेदार बेदखली के...
धारा 7, 8 और 9 राजस्थान न्यायालय शुल्क और वाद मूल्यांकन अधिनियम, 1961 के तहत बाज़ार मूल्य निर्धारण, सेट ऑफ और काउंटर क्लेम
बाज़ार मूल्य निर्धारण (Determination of Market Value) - धारा 7राजस्थान न्यायालय शुल्क और वाद मूल्यांकन अधिनियम, 1961 (Rajasthan Court Fees and Suits Valuation Act, 1961) में यह निर्धारित किया गया है कि किसी संपत्ति (Property) का बाज़ार मूल्य (Market Value) कैसे तय किया जाएगा, क्योंकि न्यायालय शुल्क (Court Fees) का निर्धारण इसी पर निर्भर करता है। यह प्रावधान सुनिश्चित करता है कि संपत्तियों का मूल्यांकन न्यायसंगत तरीके से किया जाए। मूल्यांकन की तिथि (Date for Determining Market Value) धारा 7(1)...
NI Act में डिलीवरी और Negotiation
जहाँ Negotiation से भिन्न किसी अन्य प्रयोजन के लिए लिखत को परिदत्त किया गया है, अर्थात् सुरक्षित अभिरक्षा या बैंक की उगाही के लिए या किसी ऋणदाता को प्रतिभूति के रूप में, ऐसा धारक सिवाय सम्यक् अनुक्रम में धारक को छोड़कर सही मायने में लिखत का धारक नहीं होगा।परक्रमण से संबंधित धारा 46 दो तत्वों को प्रावधानित करती हैलिखतों के लिखने, प्रतिग्रहीत या पृष्ठांकन करने के लिए परिदान आवश्यक हैपरक्रामण के तरीके, जो हो सकते हैंपरिदान द्वारा- जहाँ लिखत वाहक को देय हैपृष्ठांकन एवं परिदान द्वारा- जहाँ लिखत...
NI Act की धारा 14 के प्रावधान
इस अधिनियम की धारा 14 Negotiation को परिभाषित करती है, जबकि वचन पत्र, विनिमय पत्र या चेक किसी व्यक्ति को ऐसे अन्तरित कर दिया जाता है कि वह व्यक्ति उसका धारक हो जाता है तब यह कहा जाता है कि वह उसमें पृष्ठांकित करता है और वह पृष्ठांकक कहलाता है। इस प्रकार लिखत का Negotiation केवल लिखत के सम्पत्ति का (स्वामित्व) का अन्तरण होता है जिसके अधीन कोई व्यक्ति इसका धारक हो जाता है।Negotiation लिखत का सबसे प्रमुख लक्षण उसकी परक्राम्यता का है । इसका संकल्पनीय पहलू अन्तरणीयता के सम्बन्ध में समझा जा सकता है।...