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POCSO Act में Sexual Harassment का अपराध
इस Act की धारा 11 Sexual Harassment के संबंध में उल्लेख करती है।किसी व्यक्ति द्वारा किसी बालक पर लैंगिक उत्पीड़न किया गया है जब ऐसा व्यक्ति-(i) लैंगिक आशय से कोई शब्द कहता है या ध्वनि या अंग विक्षेप करता है या कोई वस्तु या शरीर का भाग प्रदर्शित इस आशय के साथ करता है कि बालक द्वारा ऐसा शब्द या ध्वनि सुनी जाए या ऐसा अंग विक्षेप या वस्तु या शरीर का भाग देखा जाए या(ii) लैंगिक आशय से उस व्यक्ति द्वारा किसी अन्य व्यक्ति द्वारा किसी बालक को अपने शरीर या शरीर का कोई भाग प्रदर्शित करने के लिए कहता...
POCSO Act की धारा 9 के प्रावधान
इस एक्ट की धारा 9 के अनुसार-(क) जो कोई पुलिस अधिकारी होते हुए, किसी बालक पर(i) पुलिस थाने या ऐसे परिसरों की सीमाओं के भीतर जहां उसकी नियुक्ति की गई है. प्रवेशन लैंगिक हमला करता है; या(ii) किसी थाने के परिसर चाहे उस पुलिस थाने में अवस्थित है या नहीं जहां उसकी नियुक्ति की गई है. प्रवेशन लैंगिक हमला करता है; या(iii) अपने कर्तव्यों के अनुक्रम में या अन्यथा प्रवेशन लैंगिक हमला करता है, या(iv) जहां कोई पुलिस अधिकारी के रूप में ज्ञात या पहचाना गया व्यक्ति प्रवेशन लैंगिक हमला करता है; या(ख) कोई सशस्त्र...
POCSO Act में Sexual Assault के लिए सजा
इस एक्ट की धारा 8 में Sexual Assault में सज़ा का प्रावधान रखा गया है। इस धारा के अनुसार-लैंगिक हमले के लिए दंड- जो कोई लैंगिक हमला कारित करेगा वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से जिसकी अवधि तीन वर्ष से कम की नहीं होगी किन्तु जो पांच वर्ष तक की हो सकेगी और जुर्माने से भी दंडनीय होगा।लैंगिक हमले के अपराध में कम से कम कारावास तीन वर्ष का रखा गया है और अधिकतम पांच वर्ष तक हो सकता है। इस प्रकार लैंगिग हमले का अपराध भी अपने आप में एक गंभीर अपराध है जिसके लिए कठोर दंड है।एक मामले में अभियुक्त को...
POCSO Act की धारा 7 से संबंधित प्रावधान
अधिनियम की धारा 7 के अनुसार-लैंगिक हमला- जो कोई, लैंगिक आशय के साथ बालक की योनि, लिंग, गुदा या स्तनों को छूता है या बालक को ऐसे व्यक्ति या अन्य व्यक्ति की योनि, लिंग, गुदा या स्तन छूने के लिए तैयार करता है या लैंगिक आशय के साथ ऐसा कोई अन्य कार्य करता है जिसमें प्रवेशन किए बिना शारीरिक संपर्क अंतर्ग्रस्त होता है, उसके द्वारा लैंगिक हमला किया गया माना जाएगा।पॉक्सो अधिनियम, 2012 की धारा 7 के अधीन लैंगिक हमले की व्याप्ति और परिधि केवल पीड़िता की योनि को स्पर्श करने तक ही विस्तारित नहीं होती है, वरन्...
POCSO Act की धारा 6 के प्रावधान
इस एक्ट की धारा 6 में गुरुतर लैंगिक हमले के अपराध में सज़ा दिए जाने के प्रावधान किये गए हैं। जिसके अनुसार-(1) जो कोई गुरुतर प्रवेशन लैंगिक हमला करेगा, वह कठिन कारावास से, जिसकी अवधि बीस वर्ष से कम की नहीं होगी, किन्तु जो आजीवन कारावास, जिसका अभिप्राय उस व्यक्ति के शेष प्राकृत जीवनकाल के लिए कारावास होगा, तक ही हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने का भी दायी होगा या मृत्यु से दण्डित किया जाएगा।(2) उपधारा (1) के अधीन अधिरोपित जुर्माना न्यायोचित और युक्तियुक्त होगा और उसका संदाय, पीड़ित के...
POCSO Act में दिए गए फैसले, जिसमें सज़ा बरकरार रही
इस एक्ट से जुड़े अनेक मामलों में सज़ा दी गयी है। कुछ ऐसे प्रकरण हैं जिनमें सुप्रीम कोर्ट और अलग अलग हाई कोर्ट ने अपना मत दिया है। सानो मुरमू बनाम उड़ीसा राज्य, 2003 क्रि लॉ ज 2365 जहाँ तक उन घटनाओं जो घटना की तारीख पर घटित हुई थी के अनुक्रम का सम्बन्ध है अभियोजन के अभिसाक्ष्य में कोई शैथिल्यता नहीं है। चिकित्सीय साक्ष्य अभियोक्त्री के साय के द्वारा संपुष्ट हुआ था। चक्षुदर्शी साक्षी का यह साक्ष्य कि तात्विक समय पर वह अभियुक्त को अभियोक्त्री के द्वारा विरोध तथा उसके द्वारा हस्तक्षेप के बावजूद...
POCSO Act में लोक सेवक का अर्थ
शब्द लोक सेवक का तात्पर्य ऐसे व्यक्ति से है, जो इस समय सेवा में, जब कोर्ट से अपराध का संज्ञान लेने के लिए कहा गया हो। बलात्संग के अपराध से सम्बन्धित विधि में परिवर्तन के लिए प्रेरणा विख्यात मथुरा वाद जहाँ पीडिता मथुरा नामक जनजातीय लड़की थी ने बलात्संग के अपराध से सम्बन्धित विधि में परिवर्तन के लिए प्रभावित किया था। वर्तमान वाद में एक युवा लड़की के साथ पुलिस थाना में बलात्संग किए जाने का अभिकथन किया गया था। उसे स्वयं उसके भाई के द्वारा परिवाद पर उसके पति के साथ रात में पूछताछ के लिए बुलाया गया...
POCSO Act में गुरुतर लैंगिक हमले से संबंधित प्रावधान
इस एक्ट की धारा 5 गुरुतर लैंगिक हमले की परिभाषा देती है। जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कि गुरुतर अर्थात बड़ा। अगर कोई किसी विश्वास के पद पर रहते हुए किसी बालक के साथ लैंगिक हमला करता है तो इसे गुरुतर लैंगिक हमला माना गया है। जैसे एक पुलिस अधिकारी पद पर रहते हुए अगर लैंगिक हमला करेगा तो यह गुरुतर लैंगिक हमला होगा। इस आलेख में धारा 5 पर प्रकाश डाला जा रहा है।एक मामले में कहा गया है कि तीन वर्ष की लड़की की योनि में अंगुली डालना, जो चिकित्सीय साक्ष्य के द्वारा समर्पित है इसमें कोई संदेह नहीं छोड़ता है...
POCSO Act की धारा 4 पर अदालतों के फैसलें
इस एक्ट की धारा 4 प्रवेशन लैंगिक हमले से संबंधित है। अदालतों ने समय समय पर ऐसे निर्णय दिए हैं जो इस धारा से संबंधित हैं। यदि सम्बद्ध विषय के बारे में अभियोजन का साक्ष्य लेने अभियुक्त की परीक्षा करने और अभियोजन और प्रतिरक्षा को सुनने के पश्चात् न्यायाधीश का यह विचार है कि इस बात का साक्ष्य नहीं है कि अनियुक्त ने अपराध किया है तो न्यायाधीश दोषमुक्ति का आदेश अभिलिखित करेगा।राजस्थान राज्य बनाम नूरे खान एआईआर 2000 एससी 1812 के मामले में दोषमुक्ति के आदेश की वैधानिकता कोर्ट को महिलाओं पर लैंगिक हमले...
POCSO Act में पीड़ित बालक की उम्र के आधार पर सज़ा का निर्धारण
इस एक्ट में सज़ा पीड़ित बालक की उम्र देखकर तय की जाती है। राज नाथ बनाम उप्र राज्य 2003 के प्रकरण में चिकित्सा अधिकारी का कथन संदेह से परे यह साबित करता है कि लड़की, जो एक वर्ष से कम आयु की थी, के साथ अपीलार्थी के द्वारा बलात्संग कारित किया गया था। अभियोजन मामले को नामंजूर करने के लिए पूर्ण रूप में कोई कारण नहीं है और विद्वान अवर कोर्ट अपीलार्थी को दोषसिद्ध करते हुए अभियोजन मामले पर विश्वास व्यक्त करने में पूर्ण रूप में न्यायसंगत था।टी के गोपाल बनाम कर्नाटक राज्य,1999 के मामले में, पीड़िता डेढ़ वर्ष...
POCSO Act में किसी भी अपराध के लिए प्रदान किया गया दण्ड सुसंगत होना चाहिए
अपराध और दण्ड के बीच का अनुपात ऐसा लक्ष्य है जिसका सिद्धांत सम्मान किया गया था और भ्रामक विचारधाराओं के बावजूद दण्डादेश के निर्धारण में यह सशक्त प्रभाव रखता है। समान कठोरता के साथ सभी गम्भीर अपराधों को दण्डित करने का व्यवहार अब सभ्य समाज में अज्ञात है. परन्तु आनुपातिकता के सिद्धांत से ऐसा मूलभूत विचलन विधि से केवल हाल के समयों में ही समाप्त हुआ है।अपर्याप्त दण्डादेश अधिरोपित करने के लिए असम्यक् सहानुभूति विधि की प्रभावकारिता में जन विश्वास को क्षीण करने के लिए न्यायिक प्रणाली को और अधिक हानि...
POCSO Act की धारा 4 के प्रावधान
इस अधिनियम की धारा 4 में प्रवेशन लैंगिक हमले के लिए दण्ड की व्यवस्था की गयी है। धारा के अनुसार-[(1)] जो कोई प्रवेशन लैंगिक हमला कारित करेगा वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से जिसकी अवधि दस वर्ष से कम की नहीं होगी किन्तु जो आजीवन कारावास तक की हो सकेगी और जुर्माने से भी दंडनीय होगा।(2) जो कोई सोलह वर्ष से कम आयु के किसी बालक पर प्रवेशन लैंगिक हमला करेगा, वह कारावास से, जिसकी अवधि बीस वर्ष से कम की नहीं होगी, किन्तु जो आजीवन कारावास, जिसका अभिप्राय उस व्यक्ति के शेष प्राकृत जीवनकाल के लिए...
POCSO Act लैंगिक हमला के मामले में बलात्संग के आपराधिक लक्षण
इस अपराध के आपराधिक लक्षण को निर्धारित करने में निम्नलिखित प्रारूपिक स्थितियों, जहाँ पर बलात्संग अधिकांशत होता है, को सुभेदित करना महत्वपूर्ण होता हैबलात्संग कारित करने वाला व्यक्ति पार्टी, विवाह के स्वागत, आदि में रहते समय बलात्संग कारित करने के आशय से उस मदमत्त स्थिति का लाभ लेता है,बलात्संग करित करने वाला व्यक्ति पीड़िता से सार्वजनिक स्थान (रेस्तरां में या बीच आदि पर) मिलता है, और धोखा के माध्यम से उसे एकान्त स्थान पर ले जाता है, जहाँ पर बलात्संग कारित किया जाता है।बलात्संग कारित करने वाला...
POCSO Act की धारा 3 के प्रावधान
इस एक्ट की धारा 3 में लैंगिक हमला का प्रावधान किया गया है जिसके अनुसार-लैंगिक हमला कोई व्यक्ति प्रवेशन लैंगिक हमला करता है यदि वह(क) अपना लिंग, किसी भी सीमा तक किसी बालक की योनि, मुंह, मूत्रमार्ग या गुदा में प्रवेश करता है या बालक से उसके साथ या किसी अन्य व्यक्ति के साथ ऐसा करवाता है, या(ख) किसी वस्तु या शरीर के किसी ऐसे भाग को, जो लिंग नहीं है, किसी सीमा तक बालक की योनि, मूत्रमार्ग या गुदा में घुसेड़ता है या बालक से उसके साथ या किसी अन्य व्यक्ति के साथ ऐसा करवाता है, या(ग) बालक के शरीर के किसी...
POCSO Act में देखरेख में रखा जाने वाला बालक कौन है?
देखरेख और संरक्षण की आवश्यकता वाला बालक से ऐसा बालक अभिप्रेत है-(i) जिसके बारे में यह पाया जाता है कि उसका कोई घर या निश्चित निवास स्थान नहीं है और जिसके पास जीवन निर्वाह के कोई दृश्यमान साधन नहीं हैं; या(ii) जिसके बारे में यह पाया जाता है कि उसने तत्समय प्रवृत्त श्रम विधियों का उल्लंघन किया है या पथ पर भीख मांगते या वहाँ रहते पाया जाता है; या(iii) जो किसी व्यक्ति के साथ रहता है (चाहे वह बालक का संरक्षक हो या नहीं) और ऐसे व्यक्ति ने,(क) बालक को क्षति पहुँचाई है, उसका शोषण किया है, उसके साथ...
POCSO Act में बालक किसे कहा गया है?
इस एक्ट में बालक का सामान्य अर्थ ऐसा कोई व्यक्ति है, जो अट्ठारह वर्ष से कम आयु का हो और इसमें कोई दत्तकग्रहीत, सौतेला अथवा धात्रेय बालक शामिल है।"बालक" का तात्पर्य ऐसा युवा मानव है, जो अभी वयस्क न हुआ हो, जबकि बालक के अधिकारों पर अभिसमय "बालक" को निम्न प्रकार से परिभाषित करती थी :"प्रत्येक मानव, जो अट्ठारह वर्ष से कम आयु का हो, जब तक बालक के द्वारा प्रयोज्यनीय विधि के अधीन वयस्कता पहले ही प्राप्त न कर ली गयी हो ।" 192 देशों के द्वारा अनुसमर्थित दिनांक 20.11.1989 को आयोजित बालक के अधिकारों पर...
POCSO Act क्यों बनाया गया?
बालकों को लैंगिक अपराधों से बचाने के उद्देश्य से पोक्सो एक्ट बनाया गया जिसमें ऐसे कढ़े प्रावधान किए गए हैं जिससे बालकों के साथ घटित होने वाले यह अपराधों में कमी लाई जा सके। इस अधिनियम में कढ़े प्रावधान किए जाने का कारण बालकों के साथ दिन प्रतिदिन होने वाले लैंगिक अपराध ही हैं।संविधान का अनुच्छेद 15 अन्य बातों के साथ ही साथ राज्य को बालकों के लिए विशेष उपबन्ध करने के लिए शक्तियां प्रदान करता है। पुनः अनुच्छेद 39 अन्य बातों के साथ ही साथ यह प्रावधान करता है कि राज्य अपनी नीति का विशिष्ट रूप में इस...
POCSO Act बच्चों के साथ होने वाले लैंगिक अपराधों की रोकथाम का क़ानून
वर्तमान परिदृश्य लैगिक अपराधों में बढ़ती हुई प्रवृत्ति का स्पष्ट कारण यह है कि लैंगिकता, जो जैव-शारीरिकीय घटना है, मानव जीवन के लिए उतना आवश्यक है, जितना भोजन अथवा पानी आवश्यक होता है। वास्तव में, जीवन और मैथुन अपृथक्करणीय होते है। इसके अलावा लैगिक आवेग सभी व्यक्तियों, चाहे वे पुरुष हो या स्त्री हो, धनी हो, या गरीब हो, शिक्षित हो, या अशिक्षित हो, उच्च स्तर का व्यक्ति हो, या निम्न स्तर का व्यक्ति हो, को समान रूप में प्रभावित करते हैं लेकिन व्यक्तियों के बीच कामवासना की भावना उनके वैयक्तिक लक्षण...
चेक बाउंस होने पर कार्यवाही शुरू होने के पहले चेक राशि का बीस प्रतिशत फरियादी को दिया जाना
लोग किसी दूसरे व्यक्ति को नगद रुपए न देकर चेक के माध्यम से खाते में रुपए देने का आश्वासन देते हैं। जैसे कि किसी सामान को खरीदने पर उसके भुगतान को चेक के माध्यम से करना, किसी सेवा को लेने पर उसके भुगतान को चेक के माध्यम से करना या फिर किसी व्यक्ति से रुपए उधार लेने पर उसे चुकता करते समय चेक के जरिए रुपए देना।ऐसे लेनदेन के बाद अनेक मामलों में धोखाधड़ी भी देखने को मिलती है। जहां लोग चेक दे देते हैं लेकिन उनके खाते में चेक जितनी रकम उपलब्ध नहीं होती है या फिर वह गलत साइन कर देते हैं या फिर कोई ऐसा...
पुलिस द्वारा कोई कार्यवाही नहीं किये जाने पर फरियादी के अधिकार
क़ानून में किसी भी अपराध में एक पक्ष अभियुक्त का होता है और एक शिकायतकर्ता का होता है। कभी-कभी देखने में यह आता है कि पुलिस द्वारा एफआईआर दर्ज की गई, एफआईआर दर्ज करने के बाद अन्वेषण किया गया। अन्वेषण के बाद कोर्ट में चालान प्रस्तुत नहीं किया गया और पुलिस ने आरोपियों को क्लीन चिट देते हुए क्लोजर रिपोर्ट या फाइनल रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी।इस स्थिति में शिकायतकर्ता व्यथित हो जाता है। क्योंकि शिकायतकर्ता अपनी शिकायत लेकर पुलिस के पास जाता है। उसके साथ घटने वाले किसी अपराध की जानकारी उसके द्वारा पुलिस को...















