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अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और अश्लीलता की सीमाएं: महाराष्ट्र राज्य बनाम देविदास रामचंद्र तुलजापुरकर में न्यायिक दृष्टिकोण
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और अश्लीलता की सीमाएं: महाराष्ट्र राज्य बनाम देविदास रामचंद्र तुलजापुरकर में न्यायिक दृष्टिकोण

देविदास रामचंद्र तुलजापुरकर बनाम महाराष्ट्र राज्य (2015) के इस मामले में भारत के सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court of India) ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (Freedom of Expression) के अधिकार और इसके अश्लीलता (Obscenity) के आरोपों के संदर्भ में सीमाओं पर महत्वपूर्ण प्रश्नों का समाधान किया।इस मामले में अनुच्छेद 19(1)(a) के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 292 द्वारा अश्लील प्रकाशनों पर लगाए गए प्रतिबंधों के बीच संबंध का विश्लेषण किया गया। इस निर्णय में "काव्यात्मक...

सेशन कोर्ट में झूठे आरोप और अभियुक्त के मुआवजे का अधिकार : धारा 260, BNSS, 2023 के अंतर्गत सेशन कोर्ट में मुकदमे का अंतिम चरण भाग 5
सेशन कोर्ट में झूठे आरोप और अभियुक्त के मुआवजे का अधिकार : धारा 260, BNSS, 2023 के अंतर्गत सेशन कोर्ट में मुकदमे का अंतिम चरण भाग 5

यह लेख सेशन कोर्ट में मुकदमे की प्रक्रिया पर आधारित हमारी श्रृंखला का अंतिम भाग है, जिसमें भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS), 2023 के तहत सेशन कोर्ट की कार्यवाही को समझाया गया है। पिछले भागों में, हमने आरोप तय करने, अभियुक्त का जवाब (Plea) लेने, गवाहों की जांच (Witness Examination), बरी (Acquittal) और न्यायालय के निर्णय (Judgment) की प्रक्रिया पर चर्चा की। इस अंतिम भाग में, हम धारा 260 पर चर्चा करेंगे, जिसमें विशेष मामलों में गलत आरोपों के लिए अभियुक्त को मुआवजा देने का प्रावधान है। यह धारा...