राजस्व प्रशासन में अधिकारियों की नियुक्ति: धारा 17 से 20, राजस्थान भू-राजस्व अधिनियम, 1956 की
Himanshu Mishra
25 April 2025 1:03 PM

राज्य में ज़मीन से जुड़ी व्यवस्था और राजस्व (Revenue) प्रशासन को सुचारू रूप से चलाने के लिए एक संगठित ढांचा आवश्यक होता है। इस उद्देश्य से राजस्थान भू-राजस्व अधिनियम, 1956 के तहत राज्य सरकार को यह अधिकार प्राप्त है कि वह अलग-अलग स्तरों पर विभिन्न प्रकार के राजस्व अधिकारी नियुक्त कर सके।
पहले के प्रावधानों जैसे धारा 4 में Board of Revenue की स्थापना और धारा 6 से 14 तक Revenue Officers की श्रेणियों और उनकी शक्तियों को निर्धारित करने के बाद, अब धाराs 17 से 20 तक राज्य सरकार द्वारा किए जाने वाले अधिकारियों की नियुक्तियों का विधिवत विवरण दिया गया है।
धारा 17 – आयुक्तों की नियुक्ति (Commissioners and Additional Commissioners)
इस धारा के अनुसार, राज्य सरकार को यह कर्तव्य सौंपा गया है कि वह राज्य के प्रत्येक Division (मंडल) में एक Commissioner (आयुक्त) नियुक्त करे। साथ ही, राज्य सरकार आवश्यकतानुसार एक या एक से अधिक Additional Commissioners भी नियुक्त कर सकती है। ये Additional Commissioners एक Division में नियुक्त हो सकते हैं या दो या दो से अधिक Divisions के सम्मिलित क्षेत्रों में भी लगाए जा सकते हैं।
Illustration (उदाहरण): अगर राज्य सरकार को लगे कि Jaipur Division में ज़मीनी विवादों की संख्या बढ़ रही है और वहां के Commissioner पर अत्यधिक कार्यभार हो रहा है, तो वह वहां एक Additional Commissioner की नियुक्ति कर सकती है। वहीं, अगर Kota और Udaipur Division के कुछ सीमावर्ती इलाकों में एक साथ कार्य की निगरानी करनी हो, तो दोनों को मिलाकर एक संयुक्त Additional Commissioner भी नियुक्त किया जा सकता है।
Commissioners राजस्व और सामान्य प्रशासन के उच्च अधिकारी होते हैं जो Division स्तर पर सरकारी नीतियों के क्रियान्वयन और अधिकारियों की निगरानी करते हैं।
धारा 18 – सेटलमेंट कमिश्नर की नियुक्ति (Settlement Commissioner and Additional Settlement Commissioner)
इस प्रावधान के अनुसार, राज्य सरकार पूरे राज्य के लिए एक Settlement Commissioner (न्यस्तिकरण आयुक्त) की नियुक्ति करेगी। यह अधिकारी राज्य में ज़मीन के रिकॉर्ड के पुनः परीक्षण (Resettlement), सीमांकन, नाप-जोख और ज़मीन से जुड़े अन्य सेटलमेंट कार्यों की निगरानी करता है।
इसके अतिरिक्त, राज्य सरकार यह भी तय कर सकती है कि उसे कितने Additional Settlement Commissioners की ज़रूरत है। ये Additional Settlement Commissioners राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में या विभिन्न परियोजनाओं के अंतर्गत नियुक्त किए जा सकते हैं।
उदाहरण: यदि राज्य सरकार को ज़मीन की नयी नाप-जोख योजना (Re-survey project) शुरू करनी हो, तो वह एक अतिरिक्त Settlement Commissioner को सिरोही और पाली ज़िलों के लिए नियुक्त कर सकती है, जिससे कार्य शीघ्र और प्रभावी रूप से हो सके।
धारा 19 – भूमि अभिलेख निदेशक की नियुक्ति (Director and Additional Directors of Land Records)
यह धारा कहती है कि राज्य सरकार राज्य के लिए एक Director of Land Records (भूमि अभिलेख निदेशक) की नियुक्ति करेगी। यह अधिकारी राज्य भर में भूमि अभिलेखों (Land Records) को व्यवस्थित करने, संधारण (Maintenance) करने और उनके डिजिटलीकरण (Digitization) को सुनिश्चित करने का कार्य करता है।
राज्य सरकार आवश्यकतानुसार कई Additional और Assistant Directors of Land Records भी नियुक्त कर सकती है। ये अधिकारी Director के अधीन कार्य करते हैं और जिलावार, मंडलवार या परियोजना आधारित जिम्मेदारियाँ निभाते हैं।
उदाहरण: यदि राज्य में भूमि रिकॉर्ड को डिजिटल पोर्टल से जोड़ने की योजना है, तो अलग-अलग ज़िलों में Assistant Directors की नियुक्ति की जा सकती है, जो पूरे राज्य में डिजिटल Land Records प्रणाली लागू करवा सकें।
धारा 20 – अन्य अधिकारियों की नियुक्ति (Appointment of Other Officers)
यह सबसे व्यापक और विस्तार वाला प्रावधान है, जो District, Tehsil और Sub-Tehsil स्तर पर अधिकारियों की नियुक्ति के बारे में बताता है। इसमें चार भाग हैं—(a), (b), (c), और (d)—जिनमें अनिवार्य और विवेकाधीन (Discretionary) नियुक्तियों का भेद किया गया है।
धारा 20(a): अनिवार्य नियुक्तियाँ (Shall Appoint)
राज्य सरकार प्रत्येक District में एक Collector नियुक्त करेगी, जो उस जिले का मुख्य राजस्व अधिकारी होगा और साथ ही Land Records Officer भी होगा। इसके अलावा, प्रत्येक Tehsil में एक Tehsildar नियुक्त करना अनिवार्य होगा।
उदाहरण: जयपुर ज़िले के लिए एक Collector की नियुक्ति अनिवार्य है, जो ज़िले के सभी तहसीलों के राजस्व मामलों की देखरेख करेगा। इसी तरह, झोटवाड़ा तहसील के लिए एक Tehsildar की नियुक्ति होगी।
धारा 20(b): विकल्प के आधार पर नियुक्तियाँ (May Appoint)
राज्य सरकार ज़रूरत अनुसार निम्नलिखित नियुक्तियाँ कर सकती है:
• एक District के लिए Additional Land Record Officer
• एक District के लिए Settlement Officer
• एक District में आवश्यकतानुसार Assistant Collectors
• एक Tehsil में आवश्यकतानुसार Naib-Tehsildars
उदाहरण: यदि जोधपुर ज़िले में ज़मीन से जुड़े विवाद बहुत अधिक हैं, तो वहाँ एक Settlement Officer नियुक्त किया जा सकता है जो सिर्फ सेटलमेंट कार्य देखे। Similarly, किसी बड़े Tehsil जैसे किशनगढ़बास में दो Naib-Tehsildar नियुक्त हो सकते हैं ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में भी सेवा पहुंच सके।
धारा 20(c): उपखंड और उप-तहसील अधिकारियों की नियुक्तियाँ (Shall Appoint)
राज्य सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि हर Sub-Division में एक Assistant Collector नियुक्त हो और हर Sub-Tehsil के लिए एक Tehsildar या Naib-Tehsildar की नियुक्ति की जाए।
उदाहरण: अगर नागौर जिले में खींवसर एक Sub-Division है, तो वहां एक Assistant Collector का होना अनिवार्य है। वहीं, अगर नागौर तहसील में मकराना को Sub-Tehsil का दर्जा मिला है, तो वहां एक Naib-Tehsildar की नियुक्ति ज़रूरी है।
धारा 20(d): विशेष परिस्थितियों में अतिरिक्त नियुक्तियाँ (May Appoint)
राज्य सरकार विशेष परिस्थितियों में निम्नलिखित नियुक्तियाँ कर सकती है:
• एक या एक से अधिक District के लिए Additional Collector
• एक या एक से अधिक Tehsils के लिए Additional Tehsildar
उदाहरण: अगर अजमेर और भीलवाड़ा ज़िले पास-पास हैं और वहां किसी विशेष योजना जैसे "भूमि सुधार परियोजना" पर कार्य चल रहा है, तो सरकार दोनों जिलों के लिए एक Additional Collector नियुक्त कर सकती है। इसी तरह, यदि बांसवाड़ा ज़िले की दो तहसीलों—गरदी और कुशलगढ़—में भूमि विवाद बढ़ रहे हों, तो एक संयुक्त Additional Tehsildar नियुक्त किया जा सकता है।
धाराs 17 से 20 Rajasthan Land Revenue Act, 1956 के ऐसे प्रावधान हैं जो पूरे राज्य के राजस्व प्रशासन की रीढ़ हैं। ये धाराs न केवल यह निर्धारित करते हैं कि कौन-कौन अधिकारी कहां नियुक्त होंगे, बल्कि यह भी स्पष्ट करते हैं कि राज्य सरकार को किस स्तर पर अनिवार्य नियुक्ति करनी है और कहां उसे विवेकाधीन शक्ति प्राप्त है।
धारा 17 Division स्तर पर नियुक्ति की व्यवस्था करता है।
धारा 18 Settlement प्रक्रिया के लिए राज्यव्यापी संरचना देता है।
धारा 19 भूमि अभिलेखों के संधारण के लिए प्रबंधन तंत्र तैयार करता है।
धारा 20 जिला, तहसील और उप-तहसील स्तर पर अधिकारियों की विस्तृत नियुक्तियों की व्यवस्था करता है।
इन सभी प्रावधानों का उद्देश्य यही है कि राज्य के हर कोने में राजस्व संबंधी सेवाएं प्रभावी, पारदर्शी और लोगों के लिए सुलभ रूप से पहुंच सकें। समय की मांग के अनुसार सरकार इनमें बदलाव या अतिरिक्त नियुक्तियाँ भी कर सकती है।