राजस्थान कोर्ट फीस मूल्यांकन अधिनियम 1961 की धारा 50 और 51 के अनुसार वसीयत और उत्तराधिकार पत्र के लिए आवेदन

Himanshu Mishra

2 May 2025 12:48 PM

  • राजस्थान कोर्ट फीस मूल्यांकन अधिनियम 1961 की धारा 50 और 51 के अनुसार वसीयत और उत्तराधिकार पत्र के लिए आवेदन

    धारा 50 – वसीयत (Probate) या उत्तराधिकार पत्र (Letters of Administration) के लिए आवेदन

    यह धारा बताती है कि जब कोई व्यक्ति किसी मृतक (Deceased) की संपत्ति के लिए वसीयत (Probate) या उत्तराधिकार पत्र (Letters of Administration) प्राप्त करना चाहता है, तो उसे एक आवेदन (Application) करना होता है। इस आवेदन के साथ मृतक की पूरी संपत्ति का मूल्यांकन (Valuation) दो प्रतियों (Duplicates) में देना जरूरी होता है। यह मूल्यांकन अधिनियम की अनुसूची III के भाग I में दिए गए फॉर्मेट के अनुसार होना चाहिए।

    इस आवेदन को प्राप्त करने के बाद अदालत (Court) उस आवेदन और मूल्यांकन की एक प्रति उस ज़िले के कलेक्टर (Collector) को भेजती है जहां मृतक की संपत्ति स्थित है। यदि संपत्ति एक से अधिक जिलों में फैली है, तो उस ज़िले के कलेक्टर को भेजी जाती है जहां सबसे अधिक मूल्य की अचल संपत्ति (Immovable Property) स्थित है।

    उदाहरण

    मान लीजिए कि किसी मृतक की संपत्ति जयपुर और जोधपुर दोनों जगह है, लेकिन जयपुर वाली संपत्ति की कीमत ज्यादा है। तो इस स्थिति में अदालत जयपुर के कलेक्टर को आवेदन और मूल्यांकन भेजेगी।

    धारा 51 – फीस (Fee) वसूलने की प्रक्रिया

    यह धारा बताती है कि वसीयत (Probate) या उत्तराधिकार पत्र (Letters of Administration) जारी करने के लिए कितनी फीस ली जाएगी और इसे कैसे तय किया जाएगा।

    यह फीस अनुसूची I के अनुच्छेद 6 में तय की गई दरों (Rates) के अनुसार लगाई जाएगी।

    यदि आवेदन मृत्यु के एक साल के अंदर किया गया हो

    तो मृतक की संपत्ति का जो बाजार मूल्य (Market Value) मृत्यु की तारीख को था, उसी पर फीस तय होगी।

    यदि आवेदन मृत्यु के एक साल बाद किया गया हो

    तो उस तारीख को संपत्ति का जो बाजार मूल्य होगा जब आवेदन किया गया है, उसी पर फीस तय की जाएगी।

    स्पष्टिकरण (Explanation):

    अगर किसी संयुक्त हिन्दू परिवार (Joint Hindu Family) के किसी सदस्य की मृत्यु हो गई हो और परिवार का कोई अन्य सदस्य Probate या Letters of Administration के लिए आवेदन करता है, तो फीस उस हिस्से की कीमत के अनुसार तय होगी जो मृतक को संपत्ति का विभाजन (Partition) उसी समय होने पर मिलती।

    ट्रस्ट में रखी गई संपत्ति (Trust Property) पर फीस नहीं लगेगी:

    यदि संपत्ति ऐसी हो जो ट्रस्ट (Trust) के अंतर्गत हो और जिससे किसी को सीधा लाभ (Beneficial Interest) न मिलता हो या संपत्ति पर किसी को लाभ देने की शक्ति (General Power) न हो, तो उस पर इस अध्याय के तहत कोई फीस नहीं लगेगी।

    फीस की गणना (Computation of Fee) के लिए विशेष प्रावधान

    (a) संपत्ति के कुछ हिस्सों की कीमत घटाई जा सकती है

    अनुसूची III के भाग I के परिशिष्ट B में जिन वस्तुओं का उल्लेख किया गया है, उनकी कीमत कुल संपत्ति की कीमत से घटाई जा सकती है।

    पहली शर्त:

    यदि आवेदन पूरी संपत्ति के लिए नहीं बल्कि उसके किसी हिस्से के लिए किया गया है, तो उस हिस्से से संबंधित ऋण (Debt), मृत्यु संस्कार (Funeral Expenses) या बंधक (Mortgage) आदि को घटाने की अनुमति नहीं होगी।

    दूसरी शर्त:

    यदि पहले किसी संपत्ति के लिए उत्तराधिकार प्रमाणपत्र (Certificate under Indian Succession Act, 1925) पहले ही दिया गया हो, और अब उसी संपत्ति के लिए Probate या Letters of Administration का आवेदन किया जा रहा हो, तो नये प्रमाणपत्र पर लगने वाली फीस में पहले प्रमाणपत्र पर दी गई फीस की राशि घटा दी जाएगी।

    (b) मृतक की किसी संपत्ति पर अधिकार (Power of Appointment)

    यदि मृतक को किसी संपत्ति पर अधिकार (Power of Appointment) मिला था या उसने किसी वसीयत में ऐसा अधिकार बनाया था, तो उस संपत्ति की कीमत को भी फीस की गणना में शामिल किया जाएगा।

    उदाहरण 1:

    मृतक ने अपनी संपत्ति में से कुछ हिस्सा अपने एक मित्र के लिए ट्रस्ट में डाल दिया था, जिसमें किसी को भी लाभ लेने का अधिकार नहीं था। ऐसी स्थिति में उस ट्रस्ट की संपत्ति पर कोई फीस नहीं लगेगी।

    उदाहरण 2:

    किसी व्यक्ति ने अपने भाई की मृत्यु के बाद उसकी संपत्ति के हिस्से के लिए आवेदन किया। अगर संयुक्त परिवार के नियमों के अनुसार मृत्यु के समय विभाजन होता, तो मृतक को कुल संपत्ति का 1/3 हिस्सा मिलता। तो फीस केवल उस 1/3 हिस्से की कीमत पर ही लगेगी।

    उदाहरण 3:

    यदि पहले मृतक की संपत्ति के एक हिस्से के लिए उत्तराधिकार प्रमाणपत्र (Succession Certificate) जारी हो चुका है, और अब सम्पूर्ण संपत्ति के लिए Probate मांगा जा रहा है, तो पहले दी गई फीस घटाकर बाकी फीस ही देनी होगी।

    राजस्थान कोर्ट फीस एंड सूट्स वैल्यूएशन अधिनियम, 1961 का अध्याय VI Probate या Letters of Administration जैसे मामलों में फीस से संबंधित स्पष्ट और संगठित प्रक्रिया तय करता है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि मृतक की संपत्ति के लिए सही तरीके से आवेदन हो, संपत्ति का मूल्यांकन ईमानदारी से हो और जो व्यक्ति कानूनी रूप से पात्र है, वही संपत्ति को प्राप्त करे। इसके साथ ही, कानून यह भी सुनिश्चित करता है कि एक ही संपत्ति के लिए दो बार फीस न ली जाए और ट्रस्ट जैसी विशेष स्थितियों में छूट दी जाए।

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