जानिए हमारा कानून
धारा 358 सीआरपीसी: जानिए क्या है निराधार गिरफ्तारी के लिए प्रतिकर (Compensation) सम्बन्धी प्रावधान?
अक्सर ऐसा देखा जाता है कि समाज में लोग एक दूसरे को आपसी रंजिश, मतभेद, विवाद या अन्य कारणों के चलते, कानूनी दांव पेंच में फंसाने के लिए कानून का दुरुपयोग करते हैं। वे कानून का सहारा लेकर किसी दूसरे पक्ष पर निराधार आरोप लगाते हैं, जिसके परिणाम-स्वरुप कभी-कभार उस व्यक्ति की पुलिस अफसर द्वारा गिरफ्तारी हो जाती है। ऐसे मामलों में गिरफ्तार किये गए पक्ष को काफी परेशानी एवं बिना वजह की समस्याओं से जूझना पड़ता है, ऐसे में यह जरुरी हो जाता है कि कानून द्वारा ऐसे गिरफ्तार किये गए व्यक्ति को कथित तौर पर...
च्युइंग-गम और पान-मसाला बैन: जानिए खाद्य पदार्थों की बिक्री पर रोक को लेकर क्या है कानून?
COVID-19 संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए हाल ही में चंडीगढ़ प्रशासन ने एहतियात के तौर पर, चंडीगढ़ में च्युइंग-गम, बबल-गम, पान-मसाला और अन्य संबद्ध उत्पादों की बिक्री और इनके थूकने पर प्रतिबन्ध लगा दिया। केंद्र शासित प्रदेश, चंडीगढ़ में प्रधान गृह सचिव, अरुण गुप्ता, जो इस केंद्र शासित प्रदेश के खाद्य सुरक्षा आयुक्त का प्रभार भी संभालते हैं, ने 6 अप्रैल (सोमवार) को ये आदेश जारी किए। उनके मुताबिक, ऐसा इसलिए किया गया कि चूँकि यह वायरस मनुष्य के लार (सैलाइवा) में मौजूद हो सकता है, और...
COVID-19: जानिए आपदा के दौरान एक अधिकारी कीकर्त्तव्य-पालन में असफलता के क्या होंगे परिणाम?
जैसा कि हम सभी जानते हैं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 मार्च, रात 12 बजे से अगले 21 दिनों के लिए देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की थी। पीएम ने यह घोषणा करते हुए कहा था कि कोरोना-वायरस को आम-जन के बीच फैलने से रोकने के लिए यह उपाय नितांत आवश्यक है। प्रधानमंत्री की इस घोषणा के पश्च्यात, गृह मंत्रालय (एमएचए) ने 24 मार्च को ही आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 को सम्पूर्ण देश में लागू कर दिया था, ताकि देश में फैलते COVID -19 के प्रभाव को रोकने के लिए सोशल डिसटैन्सिंग (या फिजिकल डिसटैन्सिंग) के उपायों को...
क्या है फर्जी खबर और IPC की धारा 505 (1) के बीच संबंध, जानिए कौन से मामलों में लागू होगी यह धारा?
यह बात हम सभी जानते हैं कि वैसे तो फर्जी खबर को फैलाना एवं इसके फैलने में अपना योगदान देना अपने आप में बिलकुल भी उचित नहीं है, परन्तु आपदा के दौरान फर्जी ख़बरों का वितरण, बेहद खतरनाक साबित हो सकता है। इसके दुष्परिणाम शायद किसी से भी छुपे नहीं हैं। हाल ही में, अलख आलोक श्रीवास्तव बनाम भारत संघ [Writ Petition(s) (Civil) No(s). 468/2020] के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने भी यह टिपण्णी की थी कि फर्जी ख़बरों के जरिये फैलने वाला आतंक, लोगों के मानसिक स्वास्थ्य को बुरी तरह से प्रभावित कर सकता है। पीठ का...
COVID-2019: आपदा संबंधी फर्जी ख़बर फ़ैलाने के क्या हो सकते हैं दुष्परिणाम, जानिए क्या कहता है कानून?
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (31 मार्च, 2020) को अलख आलोक श्रीवास्तव बनाम भारत संघ Writ Petition(s) (Civil) No(s). 468/2020 के मामले में यह कहा कि शहरों में काम कर रहे मज़दूरों का पलायन, देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा के बाद इस फ़र्ज़ी खबर के कारण शुरू हुआ कि लॉकडाउन 3 महीने तक चलेगा। इस मामले में पीठ ने आगे यह भी कहा कि, "...हम मीडिया (प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक या सोशल) से यह उम्मीद करते हैं कि वह जिम्मेदारी भरा रवैया अपनाएगी और यह सुनिश्चित करेगी कि दहशत का माहौल पैदा करने वाली खबरें, बिना पुष्टि के...
COVID 19: समझिये क्या है IPC की धारा 271, जानिए Quarantine नियम के बारे में महत्वपूर्ण बातें
हम सभी अबतक यह जान ही चुके हैं कि कैसे कोरोना-वायरस पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले चुका है, और अब यह भारत में भी अपने पाँव तेज़ी पसार रहा है।इसी के मद्देनजर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मंगलवार (24 मार्च) रात 12 बजे से अगले 21 दिनों के लिए तीन सप्ताह के देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा कर दी। पीएम ने कहा था कि COVID-19 वायरस को फैलने से रोकने के लिए यह उपाय नितांत आवश्यक था।दरअसल, COVID-19 महामारी को फैलने से रोकने के लिए केंद्र सरकार ने आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत शक्तियों का उपयोग करते हुए...
COVID-2019: जानिए क्या है सीआरपीसी की धारा 144 और आईपीसी की धारा 188 के मध्य सम्बन्ध?
पिछले कई लेखों में हम कोरोना-वायरस से जुड़े तमाम कानूनी पहलुओं पर चर्चा कर चुके हैं। हम देख रहे हैं कि केंद्र और तमाम राज्य सरकारें, किस प्रकार इस महामारी को लेकर गंभीर कदम उठाने पर मजबूर हो रही हैं।लॉकडाउन से लेकर दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 (सीआरपीसी) की धारा 144 लागू करने तक, सरकारों द्वारा इस वायरस के प्रकोप पर काबू पाने के लिए हर संभव प्रयास किये जा रहे हैं। इसी क्रम में हम ने देखा कि 23 मार्च से ही देश के तमाम जगहों पर सीआरपीसी धारा 144 को लागू कर दिया गया।मौजूदा लेख में हम यह...
जानिए उपभोक्ता संंरक्षण अधिनियम के अनुसार उपभोक्ता कौन है?
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम में उपभोक्ता कौन है? इसको लेकर समय-समय पर विवाद रहे हैं। न्यायालय अनेक मामलों में उपभोक्ता कौन है, इसकी परिभाषा स्पष्ट करता रहा है। अनेक मामलों में हमें यह मालूम हुआ है कि इस अधिनियम के अंतर्गत उपभोक्ता किसे माना जा सकता है। उपभोक्ता संरक्षणअधिनियम 1986 भारत भर के उपभोक्ताओं के अधिकारों को सुरक्षित करने के लिए बनाया गया है। अधिनियम तो उपभोक्ता के अधिकारों को सुरक्षित कर भी रहा है, परंतु अधिकांश मामलों में यह तय करना मुश्किल होता है कि उपभोक्ता है कौन? इस लेख के माध्यम...
COVID -19 : जानिए क्या कहती है आईपीसी की धारा 188, क्या हो सकते हैंं प्रशासन के आदेश की अवज्ञा के परिणाम
कोरोना वायरस के बढ़ते असर को देखते हुए देश में तमाम जगहों पर प्रशासन द्वारा अधिसूचना जारी करते हुए यह आदेश जारी कर दिया गया है/किया जा रहा है कि तमाम दुकाने (आवश्यक वस्तुओं को बेचने वाली दुकानों को छोड़कर), रेस्तरां, पब, म्यूजियम, डिस्को, पर्यटन स्थल इत्यादि बंद कर दिए जाएँ। यह आदेश इस वायरस के प्रभाव को कम करने के लिए जारी किये जा रहे हैं। हम सभी अबतक यह जान ही चुके हैं कि कैसे यह वायरस पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले चुका है और अब यह भारत में भी अपने पाँव तेज़ी पसार रहा है। इस आदेश के साथ...
जानिए महामारी संबंधित क्या है कानून और सरकार के अधिकार
किसी भी समाज,देश के लिए महामारी एक विकराल रूप हो सकती है। इस समय विश्व भर में कोरोना वायरस जैसी एक विकराल महामारी फैल रही है,जो मनुष्य के लिए अभिशाप बन कर आयी है। विश्व भर में इस महामारी से निपटने के प्रयास किए जा रहे हैं। 20 मार्च 2020 तक यह बीमारी भारत में भी फैल चुकी है तथा यह संक्रमण भारत भर में तेजी से फेल रहा है। भारत की सरकार इस संक्रमण से निपटने के हर संभव प्रयास कर रही है। सरकार की सहायता हेतु भारतीय विधि विधान में भी महामारी से निपटने हेतु संपूर्ण व्यवस्था है। भारतीय दंड संहिता की...
कोविड-19 और कनिका कपूर मामले के सन्दर्भ में आईपीसी की धारा 269 एवं 270 को समझिए
जैसा कि हम जानते हैं, भारत में COVID 2019 ने अपने पांव तेज़ी से पसारने की शुरुआत कर दी है। ऐसे कई मामले प्रकाश में आ रहे हैं जो चौंकाने वाले हैं, और जिनके चलते इस वायरस को तेज़ी से बढ़ने में बढ़त मिल रही है।हालिया मामला मशहूर पार्श्व गायिका, कनिका कपूर का है, जो COVID 2019 पॉजिटिव पायी गयी हैं, लेकिन ऐसी आशंका है कि उनके जरिये यह वायरस अन्य लोगों में भी फ़ैल गया हो।ख़बरों के मुताबिक, कनिका कपूर बीते 9 मार्च को लंदन से वापस भारत आई थीं, और बकौल कनिका, एयरपोर्ट पर उनकी थर्मल स्क्रीनिंग भी हुई थी, लेकिन...
जानिए गिरफ्तारी और मजिस्ट्रेट तथा प्राइवेट व्यक्ति द्वारा गिरफ्तारी संबंधी प्रावधान
गिरफ्तारी शब्द आपराधिक विधि में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। आपराधिक विधि में पीड़ित पक्षकार को न्याय देने हेतु आरोपी को गिरफ्तार किया जाना आवश्यक है। पुलिस तथा मजिस्ट्रेट को आपराधिक विधि में गिरफ्तार करने संबंधी शक्तियां दी गई हैं। पुलिस और मजिस्ट्रेट न्याय प्रशासन संबंधी दो महत्वपूर्ण कड़ियां हैं। इन दोनों को ही व्यक्तियों की गिरफ्तारी करने संबंधी अधिकार दिए गए हैं।गिरफ्तारी कब की जा सकती हैदंड प्रक्रिया संहिता की धारा 41 के अंतर्गत यह बताया गया है कि गिरफ्तारी किस समय की जा सकती है। इस...
जानिए दंड प्रक्रिया संहिता के उद्घोषणा (ऐलान) और कुर्की संबंधी प्रावधान
दंड प्रक्रिया संहिता 1973 ने न्यायालय को उद्घोषणा और कुर्की जैसी अमूल्य शक्ति प्रदान की है। उद्घोषणा एवं कुर्की किसी भी फरार व्यक्ति को न्यायालय में हाजिर करवाने को बाध्य कर देने के उपयोग में लायी जाती है। उद्घोषणा के माध्यम से जिस व्यक्ति के विरुद्ध वारंट जारी किया जाता है उस व्यक्ति को उस स्थिति में फरार घोषित किया जाता है, जब न्यायालय को यह समाधान हो जाता है तथा यह विश्वास कर लिया जाता है कि ऐसा व्यक्ति जिसके विरुद्ध वारंट जारी किया गया है, वह गिरफ्तारी से बच रहा है। ऐसी स्थिति में...
समन क्या है और इसकी तामील कैसे करवाई जाती है
नए अधिवक्ता और विधि के छात्रों को न्यायालय में हाजिर होने को विवश करने के लिए आदेशिकाओ के संबंध में अत्यंत दुविधा रहती है तथा वे समन एवं वारंट इत्यादि शब्दों की अवधारणा में उलझ जाते हैं। इन लेख के माध्यम से वारंट, समन और उद्घोषणा तथा कुर्की के संबंध में कुछ विशेष जानकारियां प्रस्तुत की जा रही हैं। यह लेख उन जानकारियों में से एक है। समन दंड प्रकिया संहिता 1973 की धारा 61 से लेकर 70 तक में समन संबंधी प्रावधान किए गए हैं। इन प्रावधानों में समन का जारी किया जाना और समन की तामील से संबंधित...
क्या होता है वारंट? जानिए वारंट कैसे जारी होता है
दंड प्रक्रिया संहिता 1973 में वारंट शब्द अत्यंत महत्वपूर्ण शब्द है। सहिंता में वारंट की परिभाषा प्राप्त नहीं होती है परंतु अध्याय 6 के भीतर वारंट से संबंधित धाराएं दी गई है। वारंट न्यायालय को प्राप्त ऐसी शक्ति है जो व्यक्ति को गिरफ्तार कर न्यायालय के समक्ष लाए जाने का प्रावधान करती है। वारंट शक्ति के बगैर न्यायालय को अपंग माना जा सकता है। भारतीय दंड संहिता वारंट के माध्यम से न्यायालय को वह अस्त्र प्रदान करती है, जिसके सामने बड़ी बड़ी शक्तियों को पस्त किया जा सकता है। न्यायाधीश और मजिस्ट्रेट...
साक्ष्य अधिनियम : जानिए विशेषज्ञ (Expert) कौन होता और क्या होता है उसका प्रमुख कार्य?
साक्ष्य कानून का सामान्य सिद्धांत यह है कि प्रत्येक गवाह तथ्य का साक्षी होता है, राय का नहीं। इसका मतलब यह है कि एक व्यक्ति, जो किसी अदालत के समक्ष गवाह के रूप में पेश होता है, वह न्यायालय को केवल उन तथ्यों के बारे में बताने का हकदार है, जिन तथ्यों के बारे में उसके पास उसका व्यक्तिगत ज्ञान है, न कि यह बताने का कि उन तथ्यों के बारे में उसकी राय क्या है। यदि हम भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 की बात करें तो इसके अंतर्गत भी सामान्य नियम यह है कि एक गवाह को यह अनुमति अवश्य दी गयी है कि वह या तो किसी...
जानिए दहेज मृत्यु से संबंधित अपराध और प्रमुख केस
भारतीय समाज के लिए दहेज एक अभिशाप है। दहेज ने स्त्रियों के जीवन को दूभर कर दिया है। दहेज की प्रथा के खिलाफ संपूर्ण भारतवर्ष में समय-समय पर आंदोलन होते रहे हैं। नवाचार की क्रांति के माध्यम से दहेज का उन्मूलन करने तथा समाज से दहेज के समूल को नष्ट करने के प्रयास किए जाते रहे हैं। दहेज की मांग, दहेज संबंधित कई अपराधों को जन्म देती है। भारतीय संसद ने भी समय-समय पर दहेज के खिलाफ विधि विधान का निर्माण किया है तथा समाज में दहेज समर्थक विचारों का अंत करने का प्रयास किया है। आवश्यक रूप से दहेज दिए जाने...
जानिए सिविल मामलों में आवश्यक (Necessary) एवं उचित (Proper) पक्षकार कौन होते हैं
यह कानून का एक मूल सिद्धांत है कि एक शिकायत/समस्या के निवारण के लिए एक कानूनी कार्यवाही किसी भी व्यक्ति द्वारा शुरू की जा सकती है; यह स्वाभाविक है कि इस तरह की शिकायत/समस्या के सम्बन्ध में व्यक्ति उचित न्याय कि अदालत से राहत चाहता है। यह अदालत का कर्तव्य है कि वह व्यक्ति की समस्या का समाधान, कानून की सीमाओं के भीतर रहकर करे।चूँकि इस लेख में हम सिविल मामलों के बारे में चर्चा कर रहे हैं, तो हमारे लिए यह जान लेना आवश्यक है कि आखिर किस प्रकार के मामले सिविल मामले कहे जाते हैं। इस सबंध में हम एक लेख...
















