जानिए हमारा कानून

जानिए सुप्रीम कोर्ट को अपनी अवमानना  (Contempt) के लिए दंड देने की शक्ति कहां से प्राप्त होती है?
जानिए सुप्रीम कोर्ट को अपनी अवमानना (Contempt) के लिए दंड देने की शक्ति कहां से प्राप्त होती है?

बीते 27 अप्रैल 2020 (सोमवार) को सुप्रीम कोर्ट ने सुओ मोटो कंटेम्प्ट पिटीशन (क्रिमिनल) नंबर 2 ऑफ 2019 RE. विजय कुर्ले एवं अन्य के मामले में तीन व्यक्तियों को जजों के खिलाफ 'अपमानजनक और निंदनीय' आरोपों के लिए अवमानना का दोषी ठहराया।न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की पीठ ने विजय कुरले (राज्य अध्यक्ष, महाराष्ट्र और गोवा, इंडियन बार एसोसिएशन), राशिद खान पठान (राष्ट्रीय सचिव, मानवाधिकार सुरक्षा परिषद) और नीलेश ओझा (राष्ट्रीय अध्यक्ष, इंडियन बार एसोसिएशन) को अवमानना का दोषी...

जानिए मुस्लिम महिला के तलाक लेने के अधिकार, कौन सी परिस्थितियों में मुस्लिम महिला तलाक मांग सकती है
जानिए मुस्लिम महिला के तलाक लेने के अधिकार, कौन सी परिस्थितियों में मुस्लिम महिला तलाक मांग सकती है

लगभग सभी प्राचीन राष्ट्रों में विवाह विच्छेद दांपत्य अधिकारों का स्वाभाविक परिणाम समझा जाता है। रोम वासियों, यहूदियों, इसरायली आदि सभी लोगों में विवाह विच्छेद किसी न किसी रूप में प्रचलित रहा है। इस्लाम आने के पहले तक पति को विवाह विच्छेद के असीमित अधिकार प्राप्त थे। मुस्लिम विधि में तलाक को स्थान दिया गया है परंतु स्थान देने के साथ ही तलाक को घृणित भी माना गया है। पैगंबर साहब का कथन है कि जो मनमानी रीति से पत्नी को अस्वीकार करता है, वह खुदा के शाप का पात्र होगा। पैगम्बर के निकट मनमाना तलाक...

COVID-19: कोरोना-संक्रमित शवों को दफनाना उचित है या जलाना, जानिए क्या कहते हैं दिशानिर्देश?
COVID-19: कोरोना-संक्रमित शवों को दफनाना उचित है या जलाना, जानिए क्या कहते हैं दिशानिर्देश?

अभी हाल ही में, मुंबई निवासी प्रदीप गांधी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर बॉम्बे हाईकोर्ट के 27 अप्रैल के एक अंतरिम आदेश को चुनौती दी थी। इस याचिका में मुंबई के बांद्रा वेस्ट में बने कब्रिस्तान में COVID-19 के संक्रमण से मृत हुए लोगों के शवों को दफनाने पर रोक का अनुरोध किया गया था।गौरतलब है कि इससे पहले, बॉम्बे हाईकोर्ट ने बांद्रा पश्चिम स्थित तीन कब्रिस्तानों में कोरोना से मरने वाले लोगों को दफनाए जाने पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। इसी अंतरिम आदेश को उच्चतम न्यायालय में प्रदीप गांधी...

साक्ष्य अधिनियम: जानिए रेप पीड़िता की गवाही पर अदालत द्वारा कब भरोसा किया जा सकता है?
साक्ष्य अधिनियम: जानिए रेप पीड़िता की गवाही पर अदालत द्वारा कब भरोसा किया जा सकता है?

भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 का अध्याय 9, 'साक्षियों के विषय में' प्रावधान करता है। इसके अंतर्गत धारा 118 यह बताती है कि कौन व्यक्ति टेस्टिफाई करने/गवाही देने या साक्ष्य देने में सक्षम है, हालाँकि, इस धारा के अंतर्गत किसी ख़ास वर्ग के व्यक्तियों की सूची नहीं दी गयी है जिन्हें साक्ष्य देने में सक्षम कहा गया हो।गौरतलब है कि इस धारा के अंतर्गत, ऐसी कोई आयु या व्यक्तियों के वर्ग का उल्लेख नहीं किया गया है, जो गवाह के गावही/बयान/साक्ष्य देने की योग्यता के प्रश्न को निर्धारित करते हों। मसलन, यह धारा...

धारा 165 साक्ष्य अधिनियम: जानिए क्या है गवाहों से प्रश्न पूछने की न्यायाधीश की स्वतंत्र शक्ति?
धारा 165 साक्ष्य अधिनियम: जानिए क्या है गवाहों से प्रश्न पूछने की न्यायाधीश की स्वतंत्र शक्ति?

यदि एक अदालत को न्याय देने में एक प्रभावी साधन के तौर पर उभारना है, तो पीठासीन न्यायाधीश को महज़ एक दर्शक और एक रिकॉर्डिंग मशीन नहीं होना चाहिए कि वह मामले को बस सुने और एक टाइपिस्ट की तरह अपना निर्णय सुना दे।उसे मामले में सत्य का पता लगाने हेतु स्वतंत्र रूप से गवाहों से सवाल करते हुए अपनी बुद्धिमत्ता, सक्रियता एवं रुचि का परिचय देना चाहिए। इसके जरिये न केवल सत्य की जीत होगी, बल्कि न्यायालय, मामले के परीक्षण में स्वयं भागीदार भी बन सकेगा और न्याय विजयी हो सकेगा।यह आम तौर पर कहा भी जाता है कि...