जानिए हमारा कानून
धारा 156 (3) सीआरपीसी: क्या मजिस्ट्रेट दे सकता है CBI अन्वेषण (Investigation) का आदेश?
सुप्रीम कोर्ट ने 19-मई-2020 (मंगलवार) को रिपब्लिक टीवी के एडिटर-इन-चीफ अर्नब गोस्वामी द्वारा दाखिल याचिका, जिसमे उन्होंने अपने केस को महाराष्ट्र पुलिस से सीबीआई को हस्तांतरित करने की मांग की थी, उसे खारिज कर दिया।जांच के तरीके से आरोपी का नाराजगी जांच CBI को ट्रांसफर करने का आधार नहीं बन सकती : सुप्रीम कोर्टदरअसल, गोस्वामी ने मुंबई पुलिस की निष्पक्षता पर संदेह जताते हुए सीबीआई को अपने मामले का अन्वेषण स्थानांतरित करने की मांग इस याचिका में की थी।जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ और जस्टिस एम. आर. शाह की...
जानिए मुस्लिम विधि में हक़ शुफ़ा (अग्रक्रयाधिकार) से संबंधित प्रावधान
अग्रक्रयाधिकार अर्थात हक शुफ़ा (Pre-emption right) कुछ स्थितियों में क्रेताओं के स्थान पर किसी अचल संपत्ति के अनिवार्य क्रय करने का अधिकार है। यह एक प्रकार का ऐसा अधिकार है जो किसी अचल संपत्ति से निकट का संबंध रखने वाले को उसके क्रय करने के संबंध में प्राप्त होता है। मुस्लिम विधि में अग्रक्रय भी एक अधिकार बताया गया है। यदि कोई व्यक्ति अपनी संपत्ति को विक्रय करता है तो ऐसी स्थिति में उस संपत्ति को क्रय करने का प्रथम अधिकार किसके पास होगा। आधुनिक विधियां यह कहती हैं कि कोई भी व्यक्ति अपनी...
जानिए रेल प्रशासन दुर्घटना/अनपेक्षित घटना के मामलों में कब देता है मुआवजा
एक बेहद दर्दनाक हादसे में, बीते 8 मई 2020 को नांदेड़ डिवीजन में बदलापुर और करमद स्टेशनों के बीच 16 प्रवासी मज़दूर एक माल गाड़ी की चपेट में आकर मारे गए थे। यह दर्दनाक हादसा तब हुआ जब रेलवे लाइन पर ये श्रमिक सो रहे थे।मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जहाँ चौदह मजदूरों की मौके पर ही मौत हो गई थी वहीँ दो अन्य मजदूरों ने बाद में दम तोड़ दिया था। ये मज़दूर मध्यप्रदेश लौटने के लिए "श्रमिक स्पेशल" ट्रेन में सवार होने के लिए जालौन से भुसावल की ओर जा रहे थे।कथित तौर पर, लगभग 20 श्रमिक, जालना से भुसावल तक पैदल जा...
जानिए सुप्रीम कोर्ट को अपनी अवमानना (Contempt) के लिए दंड देने की शक्ति कहां से प्राप्त होती है?
बीते 27 अप्रैल 2020 (सोमवार) को सुप्रीम कोर्ट ने सुओ मोटो कंटेम्प्ट पिटीशन (क्रिमिनल) नंबर 2 ऑफ 2019 RE. विजय कुर्ले एवं अन्य के मामले में तीन व्यक्तियों को जजों के खिलाफ 'अपमानजनक और निंदनीय' आरोपों के लिए अवमानना का दोषी ठहराया।न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की पीठ ने विजय कुरले (राज्य अध्यक्ष, महाराष्ट्र और गोवा, इंडियन बार एसोसिएशन), राशिद खान पठान (राष्ट्रीय सचिव, मानवाधिकार सुरक्षा परिषद) और नीलेश ओझा (राष्ट्रीय अध्यक्ष, इंडियन बार एसोसिएशन) को अवमानना का दोषी...
जानिए मुस्लिम महिला के तलाक लेने के अधिकार, कौन सी परिस्थितियों में मुस्लिम महिला तलाक मांग सकती है
लगभग सभी प्राचीन राष्ट्रों में विवाह विच्छेद दांपत्य अधिकारों का स्वाभाविक परिणाम समझा जाता है। रोम वासियों, यहूदियों, इसरायली आदि सभी लोगों में विवाह विच्छेद किसी न किसी रूप में प्रचलित रहा है। इस्लाम आने के पहले तक पति को विवाह विच्छेद के असीमित अधिकार प्राप्त थे। मुस्लिम विधि में तलाक को स्थान दिया गया है परंतु स्थान देने के साथ ही तलाक को घृणित भी माना गया है। पैगंबर साहब का कथन है कि जो मनमानी रीति से पत्नी को अस्वीकार करता है, वह खुदा के शाप का पात्र होगा। पैगम्बर के निकट मनमाना तलाक...
संविधान का अनुच्छेद 47: जानिए शराब पर प्रतिबन्ध को लेकर भारत का संविधान क्या कहता है?
बीते 04 मई 2020 को मद्रास उच्च न्यायालय ने आर. धनासेकरण बनाम तमिलनाडु सरकार एवं अन्य WP No. 7565/2020 के मामले में तमिलनाडु राज्य में शराब के निर्माण, बिक्री और उपभोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की मांग करने वाली रिट याचिकाओं पर विचार करने से इनकार कर दिया था।दरअसल इस मामले में, याचिकाकर्ता आर. धनासेकरण ने यह मांग की थी कि चूंकि लोग COVID-19 लॉकडाउन के कारण शराब का सेवन न करने के आदी हो गए हैं, इसलिए सरकार को इस अवसर का उपयोग, शराब के उपभोग और सेवन पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने के लिए करना...
जानिए वसीयत क्या है और कैसे की जा सकती है
The importance of a A will is a very important basic document in the whole conspectus of inheritance. The importance of a will is often undermined or ignored by individuals and they therefore shy away from making a will, probably in the belief that things and situations have the inbuilt ability to resolve themselves.
COVID-19: कोरोना-संक्रमित शवों को दफनाना उचित है या जलाना, जानिए क्या कहते हैं दिशानिर्देश?
अभी हाल ही में, मुंबई निवासी प्रदीप गांधी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर बॉम्बे हाईकोर्ट के 27 अप्रैल के एक अंतरिम आदेश को चुनौती दी थी। इस याचिका में मुंबई के बांद्रा वेस्ट में बने कब्रिस्तान में COVID-19 के संक्रमण से मृत हुए लोगों के शवों को दफनाने पर रोक का अनुरोध किया गया था।गौरतलब है कि इससे पहले, बॉम्बे हाईकोर्ट ने बांद्रा पश्चिम स्थित तीन कब्रिस्तानों में कोरोना से मरने वाले लोगों को दफनाए जाने पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। इसी अंतरिम आदेश को उच्चतम न्यायालय में प्रदीप गांधी...
धारा 102 (3) सीआरपीसी: जानिए जब्त वाहन को बांड पर छोड़ने की पुलिस की शक्ति क्या है?
अभी हाल ही में मोहम्मद आरिफ जमील बनाम भारत संघ Order on I.A. No. 9/2020 in WP No. 6435/2020 के मामले में कर्नाटक उच्च न्यायालय ने यह आदेश दिया कि COVID-19 लॉकडाउन दिशानिर्देशों के उल्लंघन करने पर पुलिस द्वारा जब्त किए गए सभी वाहनों को वाहन मालिक को लौटाया जा सकेगा और ऐसा करने के लिए पुलिस अधिकारी को दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 102 (3) के तहत शक्ति का प्रयोग करने की अनुमति होगी।अपने आदेश में कर्नाटक उच्च न्यायालय ने बीते गुरुवार (30-04-2020) को बेंगलुरु पुलिस को 35,000 वाहनों को छोड़ने की अनुमति...
जानिए मुस्लिम लॉ में हिबा (गिफ्ट) का मूलभूत अर्थ, क्या हिबा रद्द किया जा सकता है?
मुस्लिम लॉ में कोई भी मुस्लिम व्यक्ति अपनी संपत्ति का एक तिहाई हिस्सा ही वसीयत कर सकता है। ऐसा हिस्सा वह किसी बाहरी व्यक्ति को वसीयत कर सकता है, जो उत्तराधिकारी शरीयत द्वारा तय किए गए हैं, उन्हें वसीयत अन्य उत्तराधिकारियों की सहमति द्वारा ही की जा सकती है, परंतु मुस्लिम लॉ में हिबा नाम की एक व्यवस्था रखी गई है, जिसे दान या गिफ्ट कहा जाता है। मुस्लिम लॉ में संपत्ति को हिबा के माध्यम से दान किया जा सकता है। हिबा क्या है- हिबा, दान और गिफ्ट का ही एक रूप है जिसमें कोई व्यक्ति अपनी संपत्ति को...
धारा 295A आईपीसी: जानिए कब धार्मिक भावनाओं को आहत करना बन जाता है अपराध?
अभी हाल ही में, केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने राष्ट्रीय लॉकडाउन के बीच "रामायण" धारावाहिक देखने की खुद की एक तस्वीर को ट्वीट किया था। इस ट्वीट पर वकील प्रशांत भूषण द्वारा ट्विटर पर ही कथित रूप से एक आलोचनात्मक टिपण्णी की गयी थी, जिसके चलते उनके खिलाफ एक एफआईआर दर्ज की गई थी।दरअसल वकील प्रशांत भूषण ने अपने ट्विटर पर (केन्द्रीय मंत्री की तस्वीर के सम्बन्ध में) लिखा था, "लॉकडाउन के कारण करोड़ों भूखे और सैकड़ों मील घर के लिए चल रहे हैं, हमारे हृदयहीन मंत्री लोगों को रामायण और महाभारत की अफीम का...
धारा 188 आईपीसी : जानिए कैसे और कब लिया जाता है अदालत द्वारा इस अपराध का संज्ञान?
कोरोना महामारी के बीच जैसे कि हम जानते ही हैं कि देश में तमाम जगहों पर शासन/प्रशासन द्वारा अधिसूचना जारी/प्रख्यापित करते हुए तमाम प्रकार के ऐसे आदेश जारी किये जा रहे हैं या किये जा चुके हैं, जिससे इस महामारी से लड़ने में हमे मदद मिले।ऐसे किसी आदेश, जिसे एक लोकसेवक द्वारा प्रख्यापित किया गया है और यदि ऐसे आदेश की अवज्ञा की जाती है तो अवज्ञा करने वाले व्यक्ति को भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 188 के अंतर्गत दण्डित किया जा सकता है।एक पिछले लेख में हम विस्तार से इस बारे में जान चुके हैं कि आखिर...
साक्ष्य अधिनियम: जानिए किसी मामले में साक्षियों (Witnesss) की संख्या पर क्या है कानून?
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 में साक्षियों की संख्या को लेकर प्रावधान एक अलग धारा में प्रदान किया गया है। अधिनियम की धारा 134 इस विषय में प्रावधान करती है कि आखिर किसी मामले में साक्षियों की संख्या क्या होनी चाहिए। इसी धारा को मौजूदा लेख में हम समझने का प्रयास करेंगे और यह जानेंगे कि किसी मामले में साक्षियों (Witnesss) की संख्या पर क्या कानून है। वास्तव में, यह धारा एक प्रकार का स्पष्टीकरण देती है कि किसी भी मामले में किसी तथ्य को साबित करने के लिए साक्षियों की कोई विशिष्ट संख्या अपेक्षित...
जानिए महामारी रोग (संशोधन) अध्यादेश 2020 के बारे में ख़ास बातें
बीते बुधवार (22 अप्रैल, 2020) को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने देश के स्वास्थ्य कर्मचारियों के खिलाफ हमलों के लिए कड़ी सजा का प्रावधान करने के लिए महामारी रोग अधिनियम, 1897 में संशोधन करने के लिए एक अध्यादेश को मंजूरी दी थी। उसी दिन (22 अप्रैल, 2020) राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इस अध्यादेश पर हस्ताक्षर करते हुए इसे अपनी मंजूरी दी और यह कानून बन गया। गौरतलब है कि संविधान के अंतर्गत, अनुच्छेद 123 के तहत भारत के राष्ट्रपति को, संसद के सत्र में न होने की स्थिति में एक अध्यादेश जारी करने की शक्ति प्राप्त...
धारा 235 (2) सीआरपीसी: जानिए सजा-पूर्व सुनवाई (Pre-sentence Hearing) के बारे में खास बातें
दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 का अध्याय 18 (XVIII) सेशन न्यायालय के समक्ष विचारण के बारे में प्रावधान करता है। इस अध्याय के अंतर्गत धाराएँ 225 से 237 आती हैं। इसी के अंतर्गत एक धारा 235 है, जिसकी उपधारा (2) दोषी व्यक्ति के सम्बन्ध में सजा-पूर्व सुनवाई (pre-sentence hearing) के बारे में प्रावधान करती है।इसके अंतर्गत, यदि अभियुक्त दोषसिद्ध किया जाता है तो न्यायाधीश, दण्ड (Sentence) के प्रश्न पर अभियुक्त की सुनवाई करता है, और उसके पश्च्यात ही विधि के अनुसार दण्ड पारित करता है। हालाँकि, वह ऐसा तब करने...
साक्ष्य अधिनियम: जानिए रेप पीड़िता की गवाही पर अदालत द्वारा कब भरोसा किया जा सकता है?
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 का अध्याय 9, 'साक्षियों के विषय में' प्रावधान करता है। इसके अंतर्गत धारा 118 यह बताती है कि कौन व्यक्ति टेस्टिफाई करने/गवाही देने या साक्ष्य देने में सक्षम है, हालाँकि, इस धारा के अंतर्गत किसी ख़ास वर्ग के व्यक्तियों की सूची नहीं दी गयी है जिन्हें साक्ष्य देने में सक्षम कहा गया हो।गौरतलब है कि इस धारा के अंतर्गत, ऐसी कोई आयु या व्यक्तियों के वर्ग का उल्लेख नहीं किया गया है, जो गवाह के गावही/बयान/साक्ष्य देने की योग्यता के प्रश्न को निर्धारित करते हों। मसलन, यह धारा...
धारा 165 साक्ष्य अधिनियम: जानिए क्या है गवाहों से प्रश्न पूछने की न्यायाधीश की स्वतंत्र शक्ति?
यदि एक अदालत को न्याय देने में एक प्रभावी साधन के तौर पर उभारना है, तो पीठासीन न्यायाधीश को महज़ एक दर्शक और एक रिकॉर्डिंग मशीन नहीं होना चाहिए कि वह मामले को बस सुने और एक टाइपिस्ट की तरह अपना निर्णय सुना दे।उसे मामले में सत्य का पता लगाने हेतु स्वतंत्र रूप से गवाहों से सवाल करते हुए अपनी बुद्धिमत्ता, सक्रियता एवं रुचि का परिचय देना चाहिए। इसके जरिये न केवल सत्य की जीत होगी, बल्कि न्यायालय, मामले के परीक्षण में स्वयं भागीदार भी बन सकेगा और न्याय विजयी हो सकेगा।यह आम तौर पर कहा भी जाता है कि...


















