जानिए हमारा कानून

भरण पोषण क्यों है प्रक्रिया विधि का हिस्सा? जानिए सीआरपीसी की धारा 125 से संबंधित मुख्य बातें
भरण पोषण क्यों है प्रक्रिया विधि का हिस्सा? जानिए सीआरपीसी की धारा 125 से संबंधित मुख्य बातें

भारतीय विधि ने व्यक्ति पर अपनी पत्नी, संतान और वृद्ध माता-पिता के भरण-पोषण का दायित्व सौंपा है। भरण-पोषण के संबंध में अदालतों के कई ऐसे निर्णय हैं, जिनमें किसी व्यक्ति को अपने आश्रितों के भरण पोषण को सामाजिक दायित्व कहा है। जागीर कौन बनाम जसवंत कौर AIR 1963 सुप्रीम कोर्ट 1521 के मामले में यह कहा गया है कि यह केवल व्यक्ति का ही दायित्व नहीं अपितु सामाजिक दायित्व भी है। किसी सामाजिक उद्देश्य की पूर्ति हेतु दंड प्रक्रिया संहिता में पत्नी संतान एवं वृद्ध माता-पिता के भरण पोषण संबंधी वैधानिक...

जानिए कब पुलिस रिपोर्ट पर विचार करते हुए मजिस्ट्रेट के लिए अपराध की सूचना देने वाले (Informant) को सुनना होता है अनिवार्य
जानिए कब पुलिस रिपोर्ट पर विचार करते हुए मजिस्ट्रेट के लिए अपराध की सूचना देने वाले (Informant) को सुनना होता है अनिवार्य

पिछले लेख में हमने जाना कि नाराजी याचिका (Protest Petition) क्या होती है और कौन कर सकता है इसे दाखिल। हम ने यह समझा कि "प्रोटेस्ट पिटीशन" (नाराजी याचिका) के सम्बन्ध में दंड प्रक्रिया संहिता, 1973, भारतीय दंड संहिता, 1860 या भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 या किसी अन्य अधिनियम में कोई प्रावधान नहीं दिया गया है। हालाँकि, नाराजी याचिका की अवधारणा पीड़ित पक्ष या मामले की पुलिस को इत्तिला देने वाले पक्ष के लिए एक अहम् अधिकार के रूप में साबित हुई है। हम यह कह सकते हैं कि जब पुलिस किसी आपराधिक मामले...

क्या हम अपने मूल अधिकारों का परित्याग कर सकते हैं, जानिए सुप्रीम कोर्ट का मत
क्या हम अपने मूल अधिकारों का परित्याग कर सकते हैं, जानिए सुप्रीम कोर्ट का मत

भारत का संविधान अपने नागरिकों को (कुछ मामलों में गैर-नागरिकों को भी) कुछ मौलिक अधिकारों को लागू करने की गारंटी देता है। संविधान के अंतर्गत मौजूद मौलिक अधिकार, वैदिक काल से इस देश के लोगों द्वारा पोषित मूल्यों का प्रतिनिधित्व करते हैं। ये अधिकार, मानवाधिकारों की बुनियादी संरचना के मद्देनजर कुछ मूलभूत गारंटियों का पैटर्न बुनते हैं।इसके अलावा यह अधिकार, राज्य पर सम्बंधित नकारात्मक दायित्वों को लागू करते हैं, ताकि इसके विभिन्न आयामों में व्यक्ति की व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अतिक्रमण न किया जा सके।...