सार्वजनिक स्थान पर नशे में अनुचित व्यवहार: धारा 355 भारतीय न्याय संहिता, 2023
Himanshu Mishra
27 Jan 2025 12:40 PM

सार्वजनिक व्यवस्था (Public Order) और शिष्टाचार किसी भी सभ्य समाज का महत्वपूर्ण हिस्सा भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 355 सार्वजनिक स्थान पर नशे में अनुचित (Misconduct) व्यवहार को रोकने के लिए बनाई गई है।
यह प्रावधान सुनिश्चित करता है कि नशे में व्यक्तियों का आचरण (Conduct) सार्वजनिक शांति (Public Peace) को भंग न करे और अन्य व्यक्तियों के अधिकारों का उल्लंघन न हो।
इस लेख में हम धारा 355 के प्रावधानों, उनके महत्व, कानूनी परिणाम, और इससे जुड़े उदाहरणों का विस्तार से विश्लेषण करेंगे।
धारा 355 का सार (Essence of Section 355)
धारा 355 नशे में सार्वजनिक स्थान (Public Place) पर अनुचित व्यवहार करने वाले व्यक्तियों को दंडित करती है। इसका उद्देश्य सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखना और दूसरों को होने वाली असुविधा या परेशानी को रोकना है।
इस धारा के अंतर्गत निम्नलिखित दंड (Punishment) का प्रावधान है:
1. साधारण कारावास (Simple Imprisonment), जो 24 घंटे तक बढ़ सकता है।
2. जुर्माना (Fine), जो ₹1,000 तक हो सकता है।
3. कारावास और जुर्माने का संयोजन (Combination) या सामुदायिक सेवा (Community Service)।
अपराध के घटक (Elements of the Offense)
नशे की स्थिति (State of Intoxication)
व्यक्ति शराब या अन्य नशीले पदार्थों (Intoxicants) के प्रभाव में होना चाहिए, जिससे उसका सार्वजनिक स्थान पर जिम्मेदार व्यवहार बाधित हो।
सार्वजनिक स्थान या अतिक्रमण (Public Place or Trespass)
अपराध का होना किसी सार्वजनिक स्थान पर आवश्यक है, जैसे पार्क, सड़क या अन्य सार्वजनिक क्षेत्र। यदि व्यक्ति किसी ऐसे स्थान पर प्रवेश करता है जहाँ वह कानूनी रूप से जाने का अधिकार नहीं रखता, तो यह अतिक्रमण (Trespass) के अंतर्गत आता है।
परेशानी या असुविधा (Annoyance or Discomfort)
व्यक्ति का आचरण दूसरों को असुविधा, परेशानी, या अतिक्रमण का कारण बनना चाहिए।
धारा 355 का उद्देश्य (Purpose of the Law)
इस प्रावधान का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सार्वजनिक स्थानों पर नशे की वजह से कोई भी असुविधा या असहमति उत्पन्न न हो। यह प्रावधान व्यक्ति की स्वतंत्रता (Freedom) और समाज के शिष्टाचार (Decorum) के बीच संतुलन बनाए रखता है।
उदाहरण (Illustrations)
उदाहरण 1: पार्क में अनुचित व्यवहार
रमेश शराब के नशे में सार्वजनिक पार्क में प्रवेश करता है और जोर-जोर से चिल्लाना शुरू कर देता है, जिससे वहाँ मौजूद परिवारों और बच्चों को परेशानी होती है। रमेश का यह आचरण धारा 355 के अंतर्गत अपराध है।
उदाहरण 2: अतिक्रमण और अनुचित व्यवहार
सुनील नशे में एक निजी पार्टी में बिना अनुमति के प्रवेश करता है और अनुचित आचरण करने लगता है, जिससे उपस्थित लोगों को असुविधा होती है। यह धारा 355 के अंतर्गत अतिक्रमण और सार्वजनिक असुविधा का मामला है।
अन्य धाराओं से संबंध (Relation with Other Sections)
धारा 355 का संबंध IPC की अन्य धाराओं से भी है:
1. धारा 268 (सार्वजनिक उपद्रव - Public Nuisance): दोनों प्रावधान सार्वजनिक व्यवस्था को बाधित करने वाले कृत्यों को संबोधित करते हैं।
2. धारा 504 (जानबूझकर अपमान - Intentional Insult): यदि नशे में व्यक्ति किसी को अपमानित करता है, तो यह प्रावधान भी लागू हो सकता है।
3. धारा 352 (आक्रमण या आपराधिक बल - Assault or Use of Criminal Force): यदि अनुचित व्यवहार हिंसात्मक हो जाए, तो धारा 352 लागू होगी।
सजा और कानूनी परिणाम (Punishment and Legal Consequences)
धारा 355 के तहत अधिकतम 24 घंटे की साधारण कारावास या ₹1,000 तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
न्यायिक विवेक (Judicial Discretion)
न्यायालय अपराध की गंभीरता, नशे की अवस्था, और अन्य परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए दंड निर्धारित करता है। पहली बार अपराध करने वालों को हल्की सजा दी जा सकती है, जबकि बार-बार अपराध करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाती है।
सामुदायिक सेवा का महत्व (Importance of Community Service)
सामुदायिक सेवा को दंड के विकल्प के रूप में अपनाना एक प्रगतिशील कदम है। यह अपराधियों को समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझने और सकारात्मक योगदान देने का अवसर देता है। उदाहरण के लिए, सार्वजनिक स्थानों की सफाई करना या नशे के खतरों के प्रति जागरूकता फैलाना।
समाज पर प्रभाव (Social Implications)
यह प्रावधान सार्वजनिक स्थानों को सुरक्षित और आरामदायक बनाए रखने में सहायक है। यह कमजोर व्यक्तियों को उत्पीड़न से बचाता है और समाज में अनुशासन और शिष्टाचार को प्रोत्साहित करता है।
आधुनिक चुनौतियाँ (Modern Challenges)
डिजिटल युग में, सार्वजनिक असुविधा का दायरा ऑनलाइन प्लेटफार्म तक फैल गया है। नशे में अनुचित आचरण की लाइव स्ट्रीमिंग या वीडियो पोस्ट करने से समाज पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यद्यपि धारा 355 भौतिक स्थानों तक सीमित है, इसके सिद्धांत ऑनलाइन आचरण को भी नियंत्रित कर सकते हैं।
अपवाद और बचाव (Exceptions and Defenses)
मात्र नशे में होना अपराध नहीं (Mere Intoxication is Not an Offense)
इस धारा के तहत नशे में होना अपराध नहीं है। अपराध उस नशे की वजह से हुए अनुचित आचरण से बनता है।
अनजाने में नशा (Unintentional Intoxication)
यदि कोई व्यक्ति अनजाने में नशे में हो (जैसे पेय में नशीला पदार्थ मिला हो), तो उसे जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।
परेशानी का अभाव (Lack of Annoyance)
यदि व्यक्ति का आचरण, भले ही अनुचित हो, दूसरों को परेशान नहीं करता, तो इसे अपराध नहीं माना जाएगा।
निवारक उपाय (Preventive Measures)
दंडात्मक उपायों के साथ, रोकथाम भी आवश्यक है। नशे के दुष्प्रभावों के प्रति जागरूकता अभियान और जिम्मेदारी से शराब परोसने के नियम लागू करने से ऐसी घटनाओं को कम किया जा सकता है।
धारा 355 सार्वजनिक व्यवस्था और शिष्टाचार बनाए रखने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। यह प्रावधान नशे में अनुचित आचरण को रोककर सार्वजनिक स्थानों को सुरक्षित और आनंददायक बनाए रखता है।
यह प्रावधान व्यक्ति की स्वतंत्रता और सामाजिक हितों के बीच संतुलन बनाता है। सामुदायिक सेवा को दंड के रूप में शामिल करना न्याय के प्रति एक प्रगतिशील दृष्टिकोण को दर्शाता है।
धारा 355 का सख्ती से अनुपालन और सार्वजनिक जागरूकता ऐसे आचरण को हतोत्साहित कर सकते हैं और जिम्मेदार आचरण को बढ़ावा दे सकते हैं, जिससे समाज में समरसता और सम्मानपूर्ण वातावरण बना रहे।