मानहानि के उदाहरण और अपवादों की समझ और उनके व्यावहारिक प्रभाव : भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 356 भाग 2
Himanshu Mishra
29 Jan 2025 11:18 AM

पहले भाग में, हमने भारतीय न्याय संहिता (Bharatiya Nyaya Sanhita - BNS), 2023 की धारा 356 के तहत मानहानि (Defamation) की परिभाषा को समझा।
हमने देखा कि जब कोई व्यक्ति बोले गए या लिखित शब्दों, संकेतों (Signs) या दृश्य प्रस्तुतियों (Visible Representations) के माध्यम से किसी अन्य व्यक्ति की प्रतिष्ठा (Reputation) को नुकसान पहुँचाने के इरादे से कोई आरोप (Imputation) लगाता है, तो इसे मानहानि कहा जाता है।
इस भाग में, हम धारा 356 के अंतर्गत दिए गए उदाहरणों (Illustrations) को विस्तार से समझेंगे, जो यह स्पष्ट करते हैं कि मानहानि किन-किन तरीकों से हो सकती है।
इसके अलावा, हम उन अपवादों (Exceptions) पर चर्चा करेंगे जिनमें मानहानि का अपराध नहीं बनता। ये अपवाद यह सुनिश्चित करते हैं कि हर बयान या आलोचना (Criticism) को मानहानि न माना जाए और सत्य एवं सार्वजनिक हित (Public Good) से जुड़ी अभिव्यक्ति को सुरक्षा मिले।
धारा 356 के अंतर्गत मानहानि के उदाहरण (Illustrations of Defamation under Section 356)
भारतीय न्याय संहिता में तीन उदाहरण दिए गए हैं, जो यह समझाने में मदद करते हैं कि शब्दों, इशारों और दृश्य प्रस्तुतियों के माध्यम से कैसे मानहानि हो सकती है।
उदाहरण (a): व्यंग्यात्मक (Sarcastic) तरीके से आरोप लगाना
इस उदाहरण में, A कहता है— "Z एक ईमानदार व्यक्ति है; उसने कभी B की घड़ी नहीं चुराई।" यह सुनने में तारीफ लग सकती है, लेकिन A का असली इरादा यह है कि लोग यह मानें कि Z ने वास्तव में B की घड़ी चुराई है।
यह मानहानि इसलिए है क्योंकि A ने व्यंग्य (Sarcasm) के माध्यम से Z पर चोरी का झूठा आरोप लगाया है। अगर A ने वास्तव में Z की ईमानदारी की प्रशंसा करने के लिए यह कहा होता, तो यह मानहानि नहीं होती। लेकिन चूंकि A का उद्देश्य लोगों को गुमराह करना है, यह धारा 356 के अंतर्गत मानहानि मानी जाएगी, जब तक कि यह किसी अपवाद के अंतर्गत न आए।
उदाहरण (b): इशारों (Gestures) के माध्यम से आरोप लगाना
इस उदाहरण में, जब A से पूछा जाता है कि B की घड़ी किसने चुराई, तो A कोई शब्द बोले बिना Z की ओर इशारा करता है। इस इशारे का मकसद दूसरों को यह विश्वास दिलाना है कि Z चोर है।
यह उदाहरण दिखाता है कि मानहानि सिर्फ शब्दों तक सीमित नहीं होती। यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति पर झूठा आरोप लगाने के लिए संकेतों या इशारों का प्रयोग करता है, तो वह भी मानहानि की श्रेणी में आएगा। उदाहरण के लिए, यदि कोई व्यक्ति झूठे आरोप को दर्शाने के लिए सिर हिलाए या आँख मारकर संकेत करे, तो इसे भी मानहानि माना जाएगा।
उदाहरण (c): दृश्य (Visual Representation) के माध्यम से मानहानि
इस उदाहरण में, A एक चित्र (Picture) बनाता है जिसमें Z को B की घड़ी लेकर भागते हुए दिखाया गया है, ताकि लोग यह मान लें कि Z ने घड़ी चुराई है।
यह दिखाता है कि मानहानि लिखित या बोले गए शब्दों तक सीमित नहीं है। कोई भी झूठी छवि (Image), एडिट किया गया वीडियो (Edited Video) या व्यंग्यात्मक कार्टून (Satirical Cartoon), जो किसी व्यक्ति की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँचाता है, मानहानि हो सकता है। यदि यह कार्य किसी अपवाद के अंतर्गत नहीं आता, तो A को मानहानि के लिए उत्तरदायी ठहराया जा सकता है।
धारा 356 के अंतर्गत मानहानि के अपवाद (Exceptions to Defamation under Section 356)
हालाँकि कानून प्रतिष्ठा की सुरक्षा करता है, लेकिन यह कुछ स्थितियों में मानहानि को अपराध नहीं मानता। ये अपवाद सुनिश्चित करते हैं कि सत्य, न्यायसंगत आलोचना (Fair Criticism) और सार्वजनिक हित (Public Interest) में दी गई जानकारी को मानहानि न समझा जाए।
अपवाद 1: सत्य (Truth) और सार्वजनिक हित (Public Good)
अगर किसी व्यक्ति द्वारा किया गया आरोप सत्य (True) है और इसे सार्वजनिक हित (Public Good) में प्रकाशित किया गया है, तो यह मानहानि नहीं होगी। लेकिन यह तय करना कि कोई बात सार्वजनिक हित में है या नहीं, एक तथ्यात्मक प्रश्न (Question of Fact) होगा, जिसे अदालत तय करेगी।
उदाहरण के लिए, यदि एक पत्रकार किसी नेता की भ्रष्टाचार (Corruption) में संलिप्तता को साक्ष्यों (Evidence) के आधार पर उजागर करता है, तो यह मानहानि नहीं होगी, क्योंकि भ्रष्टाचार का खुलासा सार्वजनिक हित में है। लेकिन अगर कोई व्यक्ति किसी के निजी जीवन से जुड़ी सच्ची लेकिन गैर-जरूरी बातें सार्वजनिक कर देता है, तो यह अपवाद लागू नहीं होगा।
अपवाद 2: लोक सेवकों (Public Servants) की निष्पक्ष आलोचना
जो लोग सार्वजनिक पदों (Public Office) पर होते हैं, उनकी कार्यप्रणाली (Conduct) पर सवाल उठाना जनता का अधिकार है। इसलिए, अगर कोई व्यक्ति किसी लोक सेवक (Public Servant) की आधिकारिक कार्यों से जुड़ी निष्पक्ष आलोचना करता है, तो इसे मानहानि नहीं माना जाएगा। लेकिन यह अपवाद उनकी निजी जिंदगी (Private Life) पर लागू नहीं होता।
उदाहरण के लिए, अगर कोई अखबार किसी जज के फैसले की आलोचना करता है और कहता है कि यह पक्षपाती (Biased) लगता है, तो यह मानहानि नहीं होगी। लेकिन अगर वही अखबार झूठा आरोप लगाए कि जज का अवैध संबंध (Illicit Affair) है, तो यह अपवाद के अंतर्गत नहीं आएगा।
अपवाद 3: सार्वजनिक मामलों (Public Questions) पर राय व्यक्त करना
यदि कोई व्यक्ति किसी सार्वजनिक मुद्दे (Public Issue) से जुड़े किसी व्यक्ति की आलोचना करता है, तो यह मानहानि नहीं होगी, जब तक कि वह आलोचना निष्पक्ष और भले इरादे से की गई हो।
उदाहरण के लिए, यदि एक सामाजिक कार्यकर्ता (Social Activist) किसी उद्योगपति (Industrialist) की पर्यावरण को नुकसान पहुँचाने वाली नीतियों की आलोचना करता है, तो यह मानहानि नहीं होगी। लेकिन अगर वह बिना प्रमाण (Evidence) के उद्योगपति पर मानव तस्करी (Human Trafficking) का आरोप लगाता है, तो यह अपवाद के अंतर्गत नहीं आएगा।
अपवाद 4: न्यायालयीन कार्यवाही (Court Proceedings) की सत्य रिपोर्टिंग
अगर कोई व्यक्ति अदालत की कार्यवाही (Court Proceedings) की सत्य और संक्षिप्त रिपोर्ट (Substantially True Report) प्रकाशित करता है, तो यह मानहानि नहीं होगी। यह अपवाद इसलिए दिया गया है ताकि न्यायपालिका (Judiciary) की पारदर्शिता (Transparency) बनी रहे।
उदाहरण के लिए, अगर एक समाचार पत्र यह रिपोर्ट करता है कि किसी व्यक्ति को धोखाधड़ी (Fraud) के लिए दोषी ठहराया गया है और यह रिपोर्ट अदालत के रिकॉर्ड पर आधारित है, तो यह मानहानि नहीं होगी। लेकिन अगर अखबार झूठी खबर प्रकाशित करे कि वह व्यक्ति दोषी था जबकि वास्तव में उसे बरी कर दिया गया था, तो यह मानहानि होगी।
धारा 356 के उदाहरण यह स्पष्ट करते हैं कि मानहानि न केवल सीधे आरोपों से होती है, बल्कि व्यंग्य, इशारों और चित्रों के माध्यम से भी हो सकती है। साथ ही, अपवाद यह सुनिश्चित करते हैं कि सत्य, निष्पक्ष आलोचना और न्यायसंगत रिपोर्टिंग को गलत तरीके से मानहानि का अपराध न बनाया जाए।
आज के डिजिटल युग में, जहाँ झूठी जानकारी तेजी से फैलती है, इन प्रावधानों (Provisions) को समझना बेहद जरूरी है। भारतीय न्याय संहिता, 2023 का यह कानूनी ढांचा प्रतिष्ठा की सुरक्षा और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (Freedom of Expression) के बीच संतुलन बनाए रखता है।
अगले भाग में, हम मानहानि के कानूनी परिणामों, सजा, और इससे बचाव (Defenses) के उपायों पर चर्चा करेंगे।