धारा 52 और 53 राजस्थान आबकारी अधिनियम, 1950 के तहत पुलिस अधिकारियों के कर्तव्य और सार्वजनिक शांति के लिए दुकानों को बंद करने की शक्ति

Himanshu Mishra

29 Jan 2025 11:20 AM

  • धारा 52 और 53 राजस्थान आबकारी अधिनियम, 1950 के तहत पुलिस अधिकारियों के कर्तव्य और सार्वजनिक शांति के लिए दुकानों को बंद करने की शक्ति

    राजस्थान आबकारी अधिनियम, 1950 (Rajasthan Excise Act, 1950) एक कानून है जो राज्य में शराब और नशीले पदार्थों (Intoxicating Drugs) के उत्पादन, बिक्री और नियंत्रण को नियमित करता है।

    इस अधिनियम के तहत विभिन्न सरकारी अधिकारियों को कुछ विशेष ज़िम्मेदारियाँ सौंपी गई हैं ताकि अवैध गतिविधियों (Illegal Activities) पर प्रभावी रूप से रोक लगाई जा सके।

    इस अधिनियम की धारा 52 (Section 52) पुलिस अधिकारियों को जब्त किए गए सामानों (Seized Articles) को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी देती है, जबकि धारा 53 (Section 53) मजिस्ट्रेट (Magistrate) को सार्वजनिक शांति (Public Peace) बनाए रखने के लिए शराब और नशीली दवाओं की दुकानों को बंद करने की शक्ति प्रदान करती है।

    धारा 52: पुलिस थाने के प्रभारी अधिकारी का जब्त किए गए सामान को संभालने का कर्तव्य (Duty of Officer-in-Charge of Police Station to Take Charge of Seized Articles)

    इस धारा के अनुसार, किसी भी पुलिस थाने के प्रभारी अधिकारी (Officer-in-Charge) का कर्तव्य है कि वह राजस्थान आबकारी अधिनियम के तहत जब्त किए गए किसी भी सामान को अपने कब्जे में लेकर सुरक्षित रखे।

    इन सामानों को तब तक सुरक्षित रखना होता है जब तक कि मजिस्ट्रेट (Magistrate), आबकारी आयुक्त (Excise Commissioner) या किसी अधिकृत आबकारी अधिकारी (Excise Officer) द्वारा आगे के आदेश जारी न किए जाएँ।

    जब कोई आबकारी अधिकारी (Excise Officer) जब्त किए गए सामान को पुलिस थाने में लाता है, तो पुलिस अधिकारी को उस सामान को अपने नियंत्रण में लेना होता है। साथ ही, आबकारी अधिकारी को अनुमति दी जाती है कि वह इन सामानों पर अपनी सील (Seal) लगा सके, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी अनधिकृत व्यक्ति इन सामानों से छेड़छाड़ न कर सके।

    आबकारी अधिकारी को यह भी अधिकार दिया गया है कि वह इन सामानों के नमूने (Samples) ले सके, जिन्हें आगे की जांच के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। इन नमूनों को भी पुलिस अधिकारी और आबकारी अधिकारी दोनों की सील के साथ सुरक्षित किया जाना आवश्यक है।

    उदाहरण (Illustration)

    मान लीजिए कि एक आबकारी अधिकारी एक गोदाम (Warehouse) पर छापा मारता है और वहाँ से बड़ी मात्रा में अवैध शराब (Illegal Liquor) जब्त करता है।

    वह इस शराब को नजदीकी पुलिस थाने में जमा करता है। पुलिस अधिकारी को इसे सुरक्षित रखना होगा और आबकारी अधिकारी को इसकी सील लगाने की अनुमति देनी होगी। यदि आबकारी अधिकारी नमूने लेना चाहता है, तो पुलिस अधिकारी को यह सुनिश्चित करना होगा कि इन नमूनों को दोनों अधिकारियों की सील के साथ सुरक्षित रखा जाए।

    इस प्रावधान का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि जब्त किए गए सामानों से कोई छेड़छाड़ न हो और इन्हें सबूत (Evidence) के रूप में अदालत में प्रस्तुत किया जा सके।

    अन्य प्रावधानों से संबंध (Connection to Other Provisions)

    धारा 52, राजस्थान आबकारी अधिनियम की कई अन्य धाराओं से जुड़ी हुई है:

    • धारा 50 (Section 50) के तहत पुलिस, कस्टम्स (Customs), नारकोटिक्स (Narcotics) और भूमि राजस्व विभाग (Land Revenue Department) के अधिकारियों को आबकारी विभाग की सहायता करने का दायित्व दिया गया है। यदि ये अधिकारी किसी अवैध गतिविधि का पता लगाते हैं, तो वे जब्त किए गए सामान को पुलिस थाने में जमा कर सकते हैं।

    • धारा 48 (Section 48) अवैध सामानों को जब्त करने की शक्ति प्रदान करती है, और धारा 52 यह सुनिश्चित करती है कि जब्त किया गया सामान सुरक्षित रूप से रखा जाए।

    • धारा 46 (Section 46) आबकारी आयुक्त को तलाशी और जब्ती (Search and Seizure) का अधिकार देती है, और धारा 52 इस प्रक्रिया को पूरा करने में मदद करती है।

    इन प्रावधानों के माध्यम से यह सुनिश्चित किया जाता है कि अवैध शराब और नशीले पदार्थों की तस्करी (Smuggling) पर प्रभावी रूप से रोक लगाई जा सके।

    धारा 53: सार्वजनिक शांति के लिए दुकानों को बंद करने की शक्ति (Power to Close Shops for the Sake of Public Peace)

    इस धारा के तहत जिला मजिस्ट्रेट (District Magistrate) और अन्य अधिकारियों को यह अधिकार दिया गया है कि वे शराब और नशीले पदार्थों की दुकानों को बंद करने का आदेश जारी कर सकें, यदि उन्हें लगे कि इन दुकानों की वजह से सार्वजनिक शांति भंग हो सकती है।

    उपधारा (1) के अनुसार, जिला मजिस्ट्रेट एक लिखित आदेश (Written Order) के माध्यम से किसी भी दुकान के लाइसेंसधारी (Licensee) को निर्देश दे सकता है कि वह अपनी दुकान को एक निश्चित समय या अवधि के लिए बंद रखे। यह आदेश तब दिया जाता है जब मजिस्ट्रेट को लगता है कि ऐसा करना सार्वजनिक शांति बनाए रखने के लिए आवश्यक है।

    उपधारा (2) के अनुसार, यदि किसी शराब या नशीले पदार्थों की दुकान के पास दंगा (Riot) या अवैध सभा (Unlawful Assembly) होने की आशंका हो या ऐसी कोई घटना हो जाए, तो किसी भी श्रेणी का मजिस्ट्रेट (Magistrate of Any Class) या एक हेड कांस्टेबल से उच्च पद का पुलिस अधिकारी (Police Officer Above the Rank of Constable) तुरंत दुकान को बंद करने का आदेश दे सकता है।

    इसके अलावा, यदि कोई दंगा या अवैध सभा होती है और वहाँ कोई मजिस्ट्रेट या पुलिस अधिकारी मौजूद नहीं है, तो दुकान के मालिक को बिना किसी आदेश का इंतजार किए खुद ही दुकान बंद कर देनी चाहिए। यह प्रावधान यह सुनिश्चित करता है कि किसी भी स्थिति में सार्वजनिक सुरक्षा (Public Safety) को प्राथमिकता दी जाए।

    उदाहरण (Illustration)

    मान लीजिए कि किसी शहर में एक त्योहार के दौरान दो गुटों के बीच तनाव बढ़ जाता है और अधिकारियों को हिंसा होने की आशंका होती है। जिला मजिस्ट्रेट सभी शराब की दुकानों को दो दिनों के लिए बंद करने का आदेश देता है ताकि कोई भी व्यक्ति शराब पीकर स्थिति को और न बिगाड़े।

    एक अन्य स्थिति में, यदि किसी शराब की दुकान के पास अचानक एक हिंसक विरोध प्रदर्शन (Violent Protest) शुरू हो जाता है, तो वहाँ मौजूद पुलिस अधिकारी तुरंत दुकान को बंद करने का आदेश दे सकता है।

    यदि दुकान मालिक देखता है कि उसके इलाके में हिंसा भड़क रही है, तो उसे बिना किसी आधिकारिक आदेश का इंतजार किए खुद ही दुकान बंद कर देनी चाहिए।

    अन्य प्रावधानों से संबंध (Connection to Other Provisions)

    धारा 53 कई अन्य प्रावधानों से जुड़ी हुई है:

    • धारा 50 के तहत अधिकारियों को किसी भी अवैध गतिविधि की सूचना देनी होती है, जिससे उन्हें पता चल सकता है कि किसी क्षेत्र में कानून व्यवस्था की समस्या उत्पन्न हो सकती है।

    • धारा 51 गाँव के मुखिया और ज़मींदारों को अवैध गतिविधियों की सूचना देने का दायित्व देता है, जिसमें शराब की दुकानों के पास होने वाले दंगे भी शामिल हो सकते हैं।

    • धारा 52 जब्त किए गए सामानों की सुरक्षा सुनिश्चित करती है, जबकि धारा 53 यह सुनिश्चित करती है कि ऐसी दुकानें, जो सार्वजनिक शांति को खतरे में डाल सकती हैं, समय पर बंद की जाएँ।

    राजस्थान आबकारी अधिनियम, 1950 की धारा 52 और 53 महत्वपूर्ण प्रावधान हैं जो यह सुनिश्चित करते हैं कि आबकारी कानून प्रभावी ढंग से लागू हो और सार्वजनिक शांति बनी रहे।

    धारा 52 यह निर्धारित करती है कि जब्त किए गए सामानों को पुलिस अधिकारी सुरक्षित रखें, ताकि इनका दुरुपयोग न हो। धारा 53 जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस अधिकारियों को यह शक्ति देती है कि वे शराब और नशीली दवाओं की दुकानों को बंद करने का आदेश जारी कर सकें, यदि वे सार्वजनिक व्यवस्था के लिए खतरा बन रहे हों।

    इन प्रावधानों के सही क्रियान्वयन से अवैध शराब व्यापार पर रोक लगाई जा सकती है और कानून व्यवस्था बनाए रखी जा सकती है।

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