हाईकोर्ट

कफ सिरप से मौतें मेडिकल हिस्ट्री का सबसे चौंकाने वाला मामला: एमपी हाईकोर्ट ने डिस्ट्रीब्यूटर की सीलिंग और लाइसेंस सस्पेंड करने के खिलाफ राहत देने से मना किया
कफ सिरप से मौतें 'मेडिकल हिस्ट्री का सबसे चौंकाने वाला मामला': एमपी हाईकोर्ट ने डिस्ट्रीब्यूटर की सीलिंग और लाइसेंस सस्पेंड करने के खिलाफ राहत देने से मना किया

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने कोल्डरिफ कफ सिरप के डिस्ट्रीब्यूटर की अपील खारिज की, जिसमें उसने अपनी दुकान की सीलिंग और ड्रग लाइसेंस कैंसिल करने को चुनौती दी थी। कोर्ट ने कहा कि यह मामला 'मेडिकल हिस्ट्री का सबसे चौंकाने वाला मामला' है।बेंच ने कहा कि अपील करने वाले के पास ड्रग रूल्स, 1945 के तहत राज्य सरकार के सामने अपील करने का एक असरदार तरीका था।यह मामला कोल्डरिफ नाम के कोल्ड सिरप के कथित सेवन से 30 बच्चों की मौत से जुड़ा था। ये मौतें अगस्त में शुरू हुईं।यह अपील राजपाल कटारिया ने दायर की, जिसमें उस...

महिला ट्रांसजेंडर उम्मीदवारों को पुरुषों जैसी कठोर चयन प्रक्रिया से नहीं गुजरना चाहिए: गुवाहाटी हाईकोर्ट, राज्य को दी आरक्षण नीति पर सलाह
महिला ट्रांसजेंडर उम्मीदवारों को पुरुषों जैसी कठोर चयन प्रक्रिया से नहीं गुजरना चाहिए: गुवाहाटी हाईकोर्ट, राज्य को दी आरक्षण नीति पर सलाह

गुवाहाटी हाईकोर्ट ने पुलिस भर्ती विज्ञापन में ट्रांसजेंडर उम्मीदवारों को पुरुष अभ्यर्थियों के साथ क्लब किए जाने को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि महिला ट्रांसजेंडर उम्मीदवारों को पुरुष उम्मीदवारों जैसी कठोर चयन प्रक्रिया से नहीं गुजारा जा सकता। अदालत ने राज्य सरकार को सुझाव दिया कि भविष्य की भर्तियों में ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए अधिक समावेशी और न्यायसंगत नीति अपनाई जाए।यह मामला उस भर्ती विज्ञापन से जुड़ा था, जिसमें सब-इंस्पेक्टर और कांस्टेबल पदों के लिए ट्रांसजेंडर...

बिना ड्राइविंग लाइसेंस वाहन चलाने से दुर्घटना में मृत व्यक्ति पर सह-लापरवाही का दोष नहीं लगाया जा सकता: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट
बिना ड्राइविंग लाइसेंस वाहन चलाने से दुर्घटना में मृत व्यक्ति पर सह-लापरवाही का दोष नहीं लगाया जा सकता: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसले में स्पष्ट किया कि दुर्घटना के समय मृत व्यक्ति के पास ड्राइविंग लाइसेंस न होना उसे सह-लापरवाही का दोषी नहीं बनाता। अदालत ने कहा कि लाइसेंस न होने पर उसके खिलाफ मोटर वाहन अधिनियम के तहत केवल दंडात्मक कार्यवाही की जा सकती थी परंतु इसे दुर्घटना में उसके योगदान के रूप में नहीं देखा जा सकता।जस्टिस जिया लाल भारद्वाज की पीठ ने टिप्पणी की कि यदि मृतक के पास लाइसेंस नहीं था तो यह स्थिति उसके खिलाफ दुर्घटना का कारण या आंशिक जिम्मेदारी निर्धारित करने का आधार नहीं...

एमपी हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय: मृत कर्मचारी के विवाहित पुत्र को भी 25 वर्ष की आयु तक मिलती रहेगी फैमिली पेंशन
एमपी हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय: मृत कर्मचारी के विवाहित पुत्र को भी 25 वर्ष की आयु तक मिलती रहेगी फैमिली पेंशन

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण आदेश में स्पष्ट किया कि मृत कर्मचारी के विवाहित पुत्र को भी पारिवारिक पेंशन प्राप्त करने का अधिकार है। अदालत ने कहा कि विवाह होना पुत्र के अधिकार को समाप्त नहीं करता और वह 25 वर्ष की आयु तक या स्वयं की आय से जीवनयापन शुरू करने तक या मृत्यु तक, जो भी पहले हो पारिवारिक पेंशन पाने का हकदार है।जस्टिस आशिष श्रोटी की सिंगल बेंच ने कहा कि केवल विवाह होना पात्रता समाप्त होने का आधार नहीं हो सकता। आदेश में उल्लेख किया गया कि नियम 47(6) के अनुसार पुत्र के लिए पेंशन की...

NEET एडमिशन पर राजस्थान हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: कक्षा 11 में जीवविज्ञान अनिवार्य नहीं, कक्षा 12 में अतिरिक्त विषय के रूप में लेने पर भी मान्य
NEET एडमिशन पर राजस्थान हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: कक्षा 11 में जीवविज्ञान अनिवार्य नहीं, कक्षा 12 में अतिरिक्त विषय के रूप में लेने पर भी मान्य

राजस्थान हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण आदेश में उस अभ्यर्थी को राहत दी, जिसकी NEET 2025 में सफलता के बावजूद MBBS एडमिशन इसलिए रद्द कर दिया गया, क्योंकि उसने कक्षा 11 में जीवविज्ञान विषय नहीं पढ़ा था। अभ्यर्थी ने यह विषय केवल कक्षा 12 में अतिरिक्त विषय के रूप में लिया था। अदालत ने स्पष्ट किया कि कक्षा 11 में जीवविज्ञान पढ़ना प्रवेश के लिए अनिवार्य नहीं है।जस्टिस डॉ. नूपुर भाटी की एकलपीठ ने राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग द्वारा वर्ष 2023 में जारी सार्वजनिक सूचना और उससे जारी सूचना पुस्तिका का हवाला देते हुए कहा...

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने चीफ जस्टिस को लिखी पत्र, लिस्टिंग व रोस्टर को लेकर जताई गंभीर चिंताएं
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने चीफ जस्टिस को लिखी पत्र, लिस्टिंग व रोस्टर को लेकर जताई गंभीर चिंताएं

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने बुधवार 26 नवंबर को चीफ जस्टिस को विस्तृत पत्र लिखकर वादों की लिस्टिंग, रोस्टर आवंटन और अदालत के प्रशासनिक प्रबंधन से जुड़ी कई गंभीर समस्याओं को तत्काल ध्यान देने योग्य बताया।पत्र में कहा गया कि पहले प्रचलित स्लिप ड्रॉप बॉक्स सिस्टम के हटने से वकीलों को अत्यधिक असुविधा का सामना करना पड़ रहा है। वकील अपनी कोर्ट स्लिप के माध्यम से वादों के लिए संभावित तिथि का अनुरोध सुगमता से कर पाते थे लेकिन अब ऐसा संभव नहीं रह गया। बार ने यह भी कहा कि जिन मामलों की सुनवाई...

टेंडर विवादों में आहत अहंकार और कारोबारी प्रतिद्वंद्विता पर आधारित याचिकाएं अदालतों पर बोझ: इलाहाबाद हाईकोर्ट
टेंडर विवादों में आहत अहंकार और कारोबारी प्रतिद्वंद्विता पर आधारित याचिकाएं अदालतों पर बोझ: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि टेंडर प्रक्रिया में असफल रहे पक्षों की काल्पनिक शिकायतें, आहत अहंकार और कारोबारी प्रतिद्वंद्विता के कारण दायर याचिकाएं न्यायिक हस्तक्षेप का आधार नहीं बन सकतीं।जस्टिस शेखर बी. सराफ और जस्टिस मंजिवे शुक्ला की खंडपीठ ने कहा कि संविदात्मक मामलों में न्यायिक समीक्षा का दायरा सीमित है और केवल गंभीर एवं स्पष्ट अवैधानिकता ही हस्तक्षेप का कारण हो सकती है।मामले में हाईकोर्ट के जजों के लिए प्रयागराज और लखनऊ में आवास निर्माण हेतु 143 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत वाला...

न्यूज़लॉन्ड्री की महिला पत्रकारों का मानहानि मुकदमा ख़ारिज करने की मांग: अभिजीत अय्यर मित्रा दिल्ली हाईकोर्ट पहुंचे
न्यूज़लॉन्ड्री की महिला पत्रकारों का मानहानि मुकदमा ख़ारिज करने की मांग: अभिजीत अय्यर मित्रा दिल्ली हाईकोर्ट पहुंचे

अभिजीत अय्यर मित्रा ने डिजिटल न्यूज़ प्लेटफ़ॉर्म न्यूज़लॉन्ड्री की नौ महिला कर्मियों द्वारा दायर मानहानि मुकदमा ख़ारिज करने की मांग करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया। इन महिला पत्रकारों का आरोप है कि मित्रा ने एक्स प्लेटफ़ॉर्म पर उनके खिलाफ अशोभनीय और अपमानजनक टिप्पणियां पोस्ट कीं, जिससे उनकी गरिमा और प्रतिष्ठा को ठेस पहुंची।मित्रा ने सिविल प्रक्रिया संहिता की आदेश 7 नियम 11 के तहत मुकदमे को अस्वीकार करने के लिए आवेदन दाखिल किया। इसके साथ विलंब माफी का भी अनुरोध किया। यह मामला जस्टिस...

फॉरेंसिक प्रगति से दशकों बाद भी खुल सकते हैं सच के द्वार : दिल्ली हाईकोर्ट 2017 की संदिग्ध मौत की जांच CBI को सौंपने का आदेश
फॉरेंसिक प्रगति से दशकों बाद भी खुल सकते हैं सच के द्वार : दिल्ली हाईकोर्ट 2017 की संदिग्ध मौत की जांच CBI को सौंपने का आदेश

दिल्ली हाईकोर्ट ने 23 वर्षीय होटल मैनेजर की वर्ष 2017 में हुई संदिग्ध मौत की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) को सौंपने का आदेश दिया। अदालत ने दिल्ली पुलिस द्वारा की गई जांच पर गंभीर सवाल खड़े करते हुए कहा कि फॉरेंसिक तकनीक में निरंतर प्रगति के कारण कई पुराने मामलों में भी निर्णायक साक्ष्य प्राप्त हुए हैं, इसलिए सत्य की खोज कभी देर से नहीं होती।जस्टिस तुषार राव गडेला ने अपने आदेश में कहा कि दुनिया में कई ऐसे उदाहरण हैं, जहां अपराधियों को दशकों बाद आधुनिक वैज्ञानिक जांच के आधार पर पकड़ा गया।...

झारखंड हाईकोर्ट ने कैदियों को दिए जाने वाले खाने की क्वालिटी की जांच के लिए जेलों के इंस्पेक्शन का निर्देश दिया
झारखंड हाईकोर्ट ने कैदियों को दिए जाने वाले खाने की क्वालिटी की जांच के लिए जेलों के इंस्पेक्शन का निर्देश दिया

झारखंड हाईकोर्ट ने अलग-अलग डिस्ट्रिक्ट लीगल सर्विसेज़ अथॉरिटीज़ (DLSA) को अलग-अलग जेलों का इंस्पेक्शन करने का निर्देश दिया ताकि कैदियों को दिए जाने वाले खाने की क्वालिटी की जांच की जा सके और यह चेक किया जा सके कि यह जेल मैनुअल के अनुसार है या नहीं।कोर्ट ने आगे निर्देश दिया कि DLSA या झारखंड स्टेट लीगल सर्विसेज़ अथॉरिटी जेलों में दिए जाने वाले खाने की क्वालिटी की अक्सर ऐसी जांच करेगी।कोर्ट एक आदमी के अपील करने वाले की सुनवाई कर रहा था, जिसने स्पेशल जज, NIA के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें उसकी...

पासपोर्ट पाना संवैधानिक अधिकार, नागरिकों को विदेश यात्रा के लिए ज़रूरत साबित करने की ज़रूरत नहीं: जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट
पासपोर्ट पाना संवैधानिक अधिकार, नागरिकों को विदेश यात्रा के लिए 'ज़रूरत' साबित करने की ज़रूरत नहीं: जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट

इस बात पर ज़ोर देते हुए कि पासपोर्ट रखने का अधिकार सीधे तौर पर एक नागरिक के निजी आज़ादी के बुनियादी अधिकार से आता है, जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने कहा कि किसी भी व्यक्ति को पासपोर्ट या नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC) पाने के लिए विदेश यात्रा की कोई ज़रूरी या अर्जेंट ज़रूरत दिखाने की ज़रूरत नहीं है।जस्टिस संजय धर ने यह ज़रूरी बात एंटीकरप्शन, अनंतनाग के स्पेशल जज का आदेश रद्द करते हुए कही, जिसमें उन्होंने NOC जारी करने की एप्लीकेशन को इस आधार पर खारिज कर दिया था कि एप्लीकेंट ने विदेश यात्रा...

आंगनवाड़ी सेंटर की जगह कर्मचारी तय नहीं कर सकते, उन्हें निर्देशों का पालन करना होगा: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट
आंगनवाड़ी सेंटर की जगह कर्मचारी तय नहीं कर सकते, उन्हें निर्देशों का पालन करना होगा: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने एक आंगनवाड़ी कर्मचारी को नौकरी से निकालने का फैसला सही ठहराया, जिसने आंगनवाड़ी सेंटर को उसके घर से लोकल महिला मंडल भवन में शिफ्ट करने के डिपार्टमेंट के आदेशों को बार-बार नहीं माना।कोर्ट ने कहा कि जगह तय करना उसका फैसला नहीं था, उसे बस निर्देशों का पालन करना था।जस्टिस ज्योत्सना रेवाल दुआ ने कहा:“यह याचिकाकर्ता का काम नहीं था कि वह तय करे कि आंगनवाड़ी सेंटर कहां चलाना है। एक कर्मचारी के तौर पर उससे बस इतना ही कहा गया था कि वह दिए गए निर्देशों का पालन करे… न कि उन पर बैठकर...

सिर्फ़ वास्तविक कानूनी उदाहरणों पर भरोसा करें: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने ट्रायल जजों को ऑनलाइन टूल्स के इस्तेमाल के बारे में ट्रेनिंग देने की मांग की
'सिर्फ़ वास्तविक कानूनी उदाहरणों पर भरोसा करें': पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने ट्रायल जजों को ऑनलाइन टूल्स के इस्तेमाल के बारे में ट्रेनिंग देने की मांग की

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने ज्यूडिशियल अधिकारियों को ऑनलाइन जानकारी और टेक्नोलॉजी के ज़िम्मेदारी और सही इस्तेमाल के बारे में ट्रेनिंग देने की मांग की।यह तब हुआ जब कुरुक्षेत्र के एक एडिशनल सेशंस जज ने अग्रिम जमानत याचिका खारिज करते हुए पूरा ऑर्डर पढ़े बिना एक लीगल पोर्टल के ऑनलाइन पॉप-अप नोटिफिकेशन की हेडलाइन पर भरोसा कर लिया।हाईकोर्ट ने पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ के सभी ज्यूडिशियल अधिकारियों को डिजिटल कानूनी जानकारी के ज़िम्मेदारी और असली इस्तेमाल के बारे में जागरूक करने और ट्रेनिंग देने की...

CCI के ग्लोबल टर्नओवर पेनल्टी नियम के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट पहुंची Apple कंपनी, $38 बिलियन की पेनल्टी का किया दावा
CCI के 'ग्लोबल टर्नओवर' पेनल्टी नियम के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट पहुंची Apple कंपनी, $38 बिलियन की पेनल्टी का किया दावा

Apple INC ने कॉम्पिटिशन एक्ट, 2002 में हुए अमेंडमेंट को चुनौती देते हुए दिल्ली हाईकोर्ट में अपील दायर की, जिससे कॉम्पिटिशन कमीशन ऑफ़ इंडिया (CCI) को किसी कंपनी के ग्लोबल टर्नओवर के आधार पर पेनल्टी लगाने की इजाज़त मिल गई।चीफ जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला की डिवीजन बेंच 03 दिसंबर को इस मामले की सुनवाई करेगी।Apple ने कॉम्पिटिशन एक्ट की धारा 27(b) में 2023 के अमेंडमेंट और 2024 की मॉनेटरी पेनल्टी गाइडलाइंस को चुनौती दी।यह प्रोविज़न CCI को पिछले तीन फाइनेंशियल ईयर के एवरेज...

हाईकोर्ट के सामने क्रिमिनल रिवीजन सुनवाई योग्य, लेकिन आमतौर पर पहले सेशन कोर्ट जाना चाहिए: झारखंड हाईकोर्ट
हाईकोर्ट के सामने क्रिमिनल रिवीजन सुनवाई योग्य, लेकिन आमतौर पर पहले सेशन कोर्ट जाना चाहिए: झारखंड हाईकोर्ट

झारखंड हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि सेशन जज का रिवीजनल जूरिस्डिक्शन और हाईकोर्ट की अंदरूनी शक्तियां एक साथ काम करती हैं। इसलिए एक का इस्तेमाल करने से दूसरे का सहारा लेने पर रोक नहीं लगती। हालांकि, ज्यूडिशियल डिसिप्लिन के तौर पर हाईकोर्ट आमतौर पर अपनी अंदरूनी शक्तियों का इस्तेमाल करने से बचता है, जब सेशन जज के सामने उतना ही असरदार उपाय मौजूद हो।जस्टिस संजय कुमार द्विवेदी की सिंगल जज बेंच भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (BNSS) की धारा 438 और 442 के तहत फाइल की गई क्रिमिनल रिवीजन पिटीशन पर...

पांच साल बीत गए, दिशा सालियान की मौत की जांच अभी तक खत्म क्यों नहीं हुई? बॉम्बे हाईकोर्ट ने मुंबई पुलिस से किए सवाल
पांच साल बीत गए, दिशा सालियान की मौत की जांच अभी तक खत्म क्यों नहीं हुई? बॉम्बे हाईकोर्ट ने मुंबई पुलिस से किए सवाल

बॉम्बे हाईकोर्ट ने गुरुवार को दिवंगत बॉलीवुड एक्टर सुशांत सिंह राजपूत की मैनेजर दिशा सालियान की मौत की धीमी जांच को लेकर महाराष्ट्र सरकार से सवाल किए।जस्टिस अजय गडकरी और जस्टिस रंजीतसिंह भोंसले की डिवीजन बेंच ने जानना चाहा कि सालियान की मौत के 5 साल बाद भी मुंबई पुलिस मामले में अपनी जांच पूरी क्यों नहीं कर पाई।जस्टिस गडकरी ने पब्लिक प्रॉसिक्यूटर मृण्मय देशमुख से कहा,"पांच साल बीत गए हैं और आप अभी भी कह रहे हैं कि जांच चल रही है...यह क्या है? पांच साल पहले ही बीत चुके हैं...किसी की मौत हो...

भारत-पाकिस्तान संघर्ष के दौरान पाकिस्तान ज़िंदाबाद का नारा लगाने के आरोपी को मिली ज़मानत
भारत-पाकिस्तान संघर्ष के दौरान 'पाकिस्तान ज़िंदाबाद' का नारा लगाने के आरोपी को मिली ज़मानत

पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट ने मई में भारत और पाकिस्तान के बीच लड़ाई के दौरान “पाकिस्तान ज़िंदाबाद” का नारा लगाने के आरोपी एक आदमी को स्थायी ज़मानत दी। कोर्ट ने कहा कि भारतीय न्याय संहिता (BNS), 2023 के सेक्शन 152 के तहत अपराध बनता है या नहीं, यह ट्रायल का मामला होगा।जस्टिस राजेश भारद्वाज ने कहा,"आरोपों की सच्चाई का पता ट्रायल खत्म होने के बाद और ट्रायल कोर्ट के सामने दोनों पक्षकारों द्वारा पेश किए जाने वाले सबूतों की जांच के बाद ही लगाया जाएगा।"यह अर्जी अमीन ने दायर की थी, जिन्होंने पुलिस...