हाईकोर्ट
पुलिस गवाह के बयानों की सच्चाई नहीं परख सकती': MP हाईकोर्ट ने जांच अधिकारी को लगाई फटकार, SP को तलब किया
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने उस मामले में पुलिस की निंदा की, जिसमें 3 वर्षीय बच्चे की मौत होने वाले हादसे की जांच करने के बजाय जांच अधिकारी (IO) ने शिकायतकर्ता और गवाहों से इस तरह सवाल किए कि उनकी बातों को खारिज करने की कोशिश की जा रही थी।हाईकोर्ट ने SP को अगले सुनवाई के दिन व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का निर्देश दिया और सुनवाई को 14 नवंबर तक स्थगित कर दिया। चीफ़ जस्टिस संजीव सचदेव और जस्टिस विनय सारफ की खंडपीठ ने कहा: "हमारे सामने प्रस्तुत दस्तावेजों के अनुसार, शिकायतकर्ता, उनकी पत्नी और...
व्यवसाय सीमित हो सकता है लेकिन पर्यावरण को नुकसान नहीं होना चाहिए: ग्रीन पटाखों की बिक्री पर रोक के खिलाफ याचिका पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट की टिप्पणी
ग्रीन पटाखों की बिक्री और खरीद पर लगे प्रतिबंधों को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने टिप्पणी की कि व्यवसाय को सीमित किया जा सकता है लेकिन पर्यावरण को नुकसान नहीं होना चाहिए।कोर्ट 2017 में हाईकोर्ट द्वारा पारित आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा था। पर्यावरण को होने वाले नुकसान को कम करने के लिए हाईकोर्ट ने 2017 में निर्देश दिया था कि केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़, पंजाब और हरियाणा राज्य पिछले वर्ष यानी 2016 में जारी किए गए अस्थायी लाइसेंसों की कुल...
दिल्ली हाईकोर्ट ने 2020 दंगा मामले में पुलिस की याचिका खारिज की, ताहिर हुसैन से जुड़े आगजनी केस में गवाह को दोबारा बुलाने की मांग ठुकराई
दिल्ली हाईकोर्ट ने पुलिस द्वारा दायर उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें 2020 के उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों से जुड़े आगजनी मामले के ट्रायल में अभियोजन गवाह को फिर से बुलाने की मांग करने वाले ट्रायल कोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई थी। इस मामले के आरोपियों में से एक पूर्व आम आदमी पार्टी (AAP) नेता ताहिर हुसैन भी हैं।मामले को कुछ देर सुनने के बाद जस्टिस नीना बंसल कृष्णा ने अपने आदेश में कहा,"दलीलें सुनी गईं, रिकॉर्ड का अवलोकन किया गया। याचिका खारिज की जाती है। कोई मेरिट नहीं है।"पुलिस के वकील ने तर्क...
राजस्थान सरकार ने ट्रांसजेंडर को OBC श्रेणी में रखने के फैसले का हाईकोर्ट में किया बचाव, कहा - आरक्षण नीति कार्यपालिका का विषय
राजस्थान सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग ने हाई कोर्ट में अपने उस सर्कुलर का बचाव किया, जिसमें ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के रूप में वर्गीकृत किया गया, बजाय इसके कि उन्हें क्षैतिज आरक्षण (Horizontal Reservation) दिया जाए।जनवरी, 2023 के इस सर्कुलर को चुनौती देने वाली याचिका के जवाब में सरकार ने कहा कि नीति-निर्माण का क्षेत्र, जिसमें आरक्षण नीति भी शामिल है। इसकी सीमा तथा संरचना कार्यपालिका और विधायी क्षमता का विषय है।सरकार ने तर्क दिया कि वैधानिक ढांचे का उल्लंघन...
दिल्ली हाईकोर्ट ने सरकारी रोज़गार में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को आरक्षण न देने पर अधिकारियों को फटकारा
दिल्ली हाईकोर्ट ने न्यायालय स्थापना में विभिन्न पदों पर भर्ती से संबंधित सार्वजनिक रोज़गार में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को 5 साल की आयु छूट और 5% अर्हक अंकों में छूट प्रदान करने के लिए अधिकारियों को उचित निर्णय लेने का निर्देश दिया।चीफ जस्टिस डी.के. उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा 2014 के NALSA मामले में दिए गए ऐतिहासिक फैसले के बावजूद अधिकारियों द्वारा ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के कल्याण को सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाए गए। इसमें सार्वजनिक...
सोसायटी पुनर्विकास के लिए डेवलपर नियुक्ति हेतु टेंडर अनिवार्य नहीं, बॉम्बे हाईकोर्ट ने शासकीय प्रस्ताव को निर्देशात्मक बताया
बॉम्बे हाईकोर्ट ने हाल ही में दोहराया कि 4 जुलाई, 2019 को जारी शासकीय प्रस्ताव (Government Resolution - GR) जिसमें सोसायटी के पुनर्विकास के लिए डेवलपर को अंतिम रूप देने हेतु टेंडर जारी करना अनिवार्य किया गया, वह अनिवार्य नहीं बल्कि निर्देशात्मक प्रकृति का है।जस्टिस श्याम सुमन और जस्टिस मंजुषा देशपांडे की खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि डेवलपर नियुक्त करने के लिए केवल टेंडर जारी न करना ही यह मतलब नहीं होगा कि किसी कानून के उद्देश्य का उल्लंघन हुआ है।हाईकोर्ट के इस मुद्दे पर दिए गए विभिन्न फैसलों का...
दिल्ली हाईकोर्ट ने PFI की याचिका को विचार योग्य माना, केंद्र को नोटिस जारी किया
दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार (13 अक्टूबर) को पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) की उस याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया, जिसमें संगठन पर लगाए गए पांच साल के प्रतिबंध की पुष्टि करने वाले गैरकानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) ट्रिब्यूनल के आदेश को चुनौती दी गई।हाईकोर्ट ने आदेश देते हुए यह महत्वपूर्ण निर्णय लिया कि प्रतिबंध की पुष्टि करने वाले आदेश को चुनौती देने वाली PFI की याचिका हाईकोर्ट के समक्ष विचार योग्य है।यह ध्यान देने योग्य है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने UAPA, 1967 के तहत PFI और...
जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने 25 पुस्तकों की ज़ब्ती पर अंतरिम राहत देने से किया इनकार
जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने सोमवार (13 अक्टूबर) को उन याचिकाओं में अंतरिम राहत देने से इनकार किया, जिनमें कथित तौर पर अलगाववाद को बढ़ावा देने के आरोप में भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 98 के तहत 25 पुस्तकों की ज़ब्ती को चुनौती दी गई थी।चीफ जस्टिस अरुण पल्ली, जस्टिस रजनेश ओसवाल और जस्टिस शहज़ाद अज़ीम की तीन जजों की विशेष पीठ ने अंतरिम राहत देने से इनकार किया। हालांकि पीठ ने याचिकाओं पर नोटिस जारी किया।पीठ ने इस मुद्दे पर दायर एक जनहित याचिका (PIL) पर नोटिस जारी करने से इनकार करते हुए...
पैरोल न देने पर दिल्ली हाईकोर्ट ने अधिकारियों को लताड़ा, कहा- लंबे कारावास से जेल में अराजकता फैल सकती है
दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली जेल नियम 2018 की अवहेलना करने के लिए राज्य के अधिकारियों को कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि इन अधिकारियों में लंबे समय से जेल में बंद कैदियों के प्रति कोई संवेदनशीलता नहीं है।जस्टिस नीना बंसल कृष्णा ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि पैरोल और फरलो के माध्यम से बिना किसी रुकावट के लंबे समय तक कैद से जेल के अंदर अनुशासनहीनता और अराजकता की स्थिति पैदा हो सकती है।कोर्ट ने कहा कि अधिकारी यह महसूस नहीं करते कि निर्धारित समय सीमा के भीतर पैरोल या फरलो न देने से केवल अशांति फैलती...
भारत का औपनिवेशिक हैंगओवर: दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र अभी भी मानहानि की सज़ा जेल में दे रहा है
सितंबर 2025 में, सुप्रीम कोर्ट फाउंडेशन फॉर इंडिपेंडेंट जर्नलिज्म प्राइवेट लिमिटेड एवं अन्य बनाम अमिता सिंह की याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत हो गया, जो द वायर के खिलाफ दायर एक आपराधिक मानहानि शिकायत से उत्पन्न हुआ मामला था। समन जारी होने से एक बार फिर यह बहस छिड़ गई: क्या भारत में मानहानि एक अपराध बनी रहनी चाहिए, या इस औपनिवेशिक अवशेष से छुटकारा पाने का समय आ गया है? हालांकि, यह कोई नया सवाल नहीं है। सुब्रमण्यम स्वामी बनाम भारत संघ (2016) में, सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) 1860...
दिल्ली हाईकोर्ट का अवलोकन: दृष्टि दोष से पीड़ित अधिकारी का सेना में शामिल होना राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा
दिल्ली हाईकोर्ट ने यह महत्वपूर्ण टिप्पणी की कि भारतीय सेना में दृष्टि दोष से पीड़ित किसी अधिकारी का शामिल होना देश की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर रूप से हानिकारक हो सकता है।जस्टिस सी. हरि शंकर और जस्टिस ओम प्रकाश शुक्ला की खंडपीठ ने एनडीए और नौसेना अकादमी परीक्षा (II) 2024 में प्रवेश के लिए आवेदन करने वाले उमा महेश्वरा शास्त्री दुर्बका को राहत देने से इनकार किया।दुर्बका ने अपनी सेवा के लिए सेना, वायु सेना, नौसेना अकादमी और नौसेना को वरीयता दी थी। उन्होंने बेंगलुरु के एयर कमोडोर, कमांडेंट...
यूपी राज्य में गोद लेना केवल रजिस्टर्ड डीड द्वारा ही हो सकता है, केवल नोटरीकृत दत्तक ग्रहण विलेख अमान्य: इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माना कि पंजीकरण अधिनियम, 1908 की धारा 17(3) में राज्य संशोधन के आधार पर केवल पंजीकृत दत्तक ग्रहण विलेख यूपी राज्य में मान्य है। न्यायालय ने कहा कि केवल गोद लेने के दस्तावेज का नोटरीकरण इसे उत्तराधिकार साबित करने के लिए वैध नहीं बनाता है।जस्टिस राजन रॉय और जस्टिस प्रशांत कुमार की बेंच ने की,"यूपी राज्य में लागू अधिनियम, 1956 की संशोधित धारा 16(2) और यूपी राज्य में लागू अधिनियम, 1908 की धारा 17 (1)(एफ) और (3) को संयुक्त रूप से पढ़ने से यह स्पष्ट हो जाता है कि 01.01.1977 के बाद...
सत्य की घातक कीमत: भारत में पत्रकारों की हत्याओं का क्रूर यथार्थ
28 सितंबर, 2025 को, राजीव प्रताप नामक एक पत्रकार का शव उत्तराखंड की भागीरथी नदी में मिला। वह पिछले दस दिनों से लापता थे और कथित तौर पर एक स्वतंत्र पत्रकार थे जो मुख्य रूप से भ्रष्टाचार और सरकारी कुप्रबंधन से जुड़े मुद्दों पर काम करते थे। यह पहली बार नहीं है कि किसी पत्रकार की हत्या हुई हो, इससे पहले मुकेश चंद्रशेखर नामक एक पत्रकार का शव एक टैंक में ठूंसा हुआ मिला था। 2017 में, धार्मिक अतिवाद के खिलाफ लिखने वाली एक प्रसिद्ध लेखिका और पत्रकार गौरी लंकेश की उनके घर के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई...
अधर में वैधता: CBI पर न्यायिक समर्थन और विधायी चुप्पी
राजनीतिक रूप से संवेदनशील मामलों में पुलिस जांच संदेह के घेरे में रहती है, लेकिन ऐसे मामलों में सभी संबंधित पक्ष एक स्वर में सीबीआई जांच की मांग करते हैं। देश की जनता में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के प्रति जो विश्वास है, उसे देखते हुए, कुछ विसंगतियों के बावजूद, यह बेहद चिंताजनक है कि व्यापक अधिकार और व्यापक अधिकार क्षेत्र वाली देश की यह प्रमुख जांच एजेंसी अपनी ज़िम्मेदारी के लिए स्थगन आदेश पर निर्भर है। 2013 में, गौहाटी हाईकोर्ट ने अधिकार क्षेत्र, शक्तियों और वैधानिक आधार के अभाव सहित...
बिना सबूत के जीवनसाथी पर बार-बार बेवफाई का आरोप लगाना, प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाना क्रूरता है: दिल्ली हाईकोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि बिना किसी सबूत के बार-बार जीवनसाथी पर बेवफाई का आरोप लगाना और उत्पीड़न के साथ-साथ व्यक्ति की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाना क्रूरता का चरम रूप है।यह रेखांकित करते हुए कि विवाह विश्वास और सम्मान पर टिका है, जस्टिस अनिल क्षेत्रपाल और जस्टिस हरीश वैद्यनाथन शंकर की खंडपीठ ने कहा:"क्रूरता इस बात में नहीं है कि व्यभिचार साबित हुआ या नहीं, वास्तव में यह नहीं था, बल्कि आरोपों की लापरवाह, कलंकपूर्ण और असत्यापित प्रकृति में निहित है। विवरण पुष्टि या सबूत के बिना जीवनसाथी पर बेवफाई...
असफल निविदाकर्ता अंतिम चरण में निविदा शर्तों को चुनौती नहीं दे सकता: इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट (लखनऊ पीठ) ने हाल ही में कहा कि किसी निविदा प्रक्रिया में भाग लेने वाले और बाद में असफल घोषित किए गए पक्ष को बाद के चरण में विशेष रूप से प्रक्रिया के काफी आगे बढ़ जाने के बाद निविदा शर्तों को चुनौती देने की अनुमति नहीं दी जा सकती।जस्टिस शेखर बी. सराफ और जस्टिस प्रशांत कुमार की खंडपीठ ने अवनि परिधि एनर्जी एंड कम्युनिकेशंस प्राइवेट लिमिटेड द्वारा संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत दायर रिट याचिका खारिज की, जिसमें तकनीकी मूल्यांकन और संपूर्ण निविदा प्रक्रिया को चुनौती देते हुए आरोप...
दूसरी महिला से बेटी का जन्म पति के अवैध संबंध को साबित करता है, पत्नी का अलग रहना जायज़: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने माना कि दूसरी महिला से बेटी का जन्म स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि पति का अपनी पहली पत्नी से विवाहित रहते हुए भी उसके साथ संबंध है। न्यायालय ने कहा कि इस आचरण ने पत्नी को अलग रहने के लिए मजबूर किया, इसलिए उस पर परित्याग का आरोप नहीं लगाया जा सकता।जस्टिस विवेक सिंह ठाकुर ने टिप्पणी की:"बेटी का जन्म... स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि या तो अपीलकर्ता पहले से ही किसी के साथ संबंध में था या उसके बाद संबंध विकसित हुए... प्रतिवादी को अलग रहने के लिए मजबूर किया गया।"याचिकाकर्ता देश...
गुजरात हाईकोर्ट ने अदालत में मामले की पेंडेंसी के बावजूद दुकान ध्वस्त करने पर नगर पालिका को फटकारा
गुजरात हाईकोर्ट ने शुक्रवार (10 अक्टूबर) को आनंद जिले की खंबट नगर पालिका द्वारा जारी एक नोटिस की कार्रवाई पर स्थगन (स्टे) दे दिया। इस नोटिस में एक व्यक्ति को उसकी दुकान खाली करने के लिए कहा गया था, जिसे उसने नीलामी जीतने के बाद 9 साल के पट्टे पर लिया था। नोटिस में कहा गया था कि यदि व्यक्ति दुकान खाली नहीं करता है तो कब्जा हटाने की कार्रवाई की जाएगी।कोर्ट ने स्थगन दिया क्योंकि जानकारी मिली कि आज सुबह दुकान का एक हिस्सा ध्वस्त कर दिया गया, जबकि नगर पालिका को ज्ञात था कि याचिकाकर्ता ने जबरन...
पर्सनेलिटी राइट्स मामले में सुधीर चौधरी को राहत, हाईकोर्ट ने उनके खिलाफ AI और डीपफेक वीडियो हटाने का आदेश दिया
दिल्ली हाईकोर्ट ने डीडी न्यूज़ के संपादक-इन-चीफ और पत्रकार सुधीर चौधरी के व्यक्तित्व अधिकारों की सुरक्षा के लिए अंतरिम आदेश पारित किया। चौधरी ने सोशल मीडिया पर उनके खिलाफ कथित तौर पर गुमराह करने वाले और AI-जनरेटेड वीडियो के प्रसार पर रोक लगाने की मांग की।जस्टिस मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा ने अपने आदेश में कहा कि मुकदमे में उल्लिखित लिंक्स के अतिरिक्त चौधरी YouTube पर डीपफेक वीडियो से संबंधित अन्य लिंक्स भी दाखिल करना चाहते हैं।अदालत ने इसके बाद निर्देश दिया,"निषेधाज्ञा प्रदान की जाती है। हम इसे...
भाई और पूर्व पत्नी के खिलाफ नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी का 100 करोड़ का मानहानि मुकदमा खारिज
बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक्टर नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी को बड़ा झटका देते हुए उनके भाई शमसुद्दीन सिद्दीकी और पूर्व पत्नी अंजना पांडे के खिलाफ दायर किए गए 100 करोड़ के मानहानि और प्रतिष्ठा की हानि के दावे वाले दीवानी मुकदमा खारिज किया।जस्टिस जितेंद्र जैन की सिंगल बेंच ने गैर-अभियोजन के आधार पर इस मुकदमा खारिज कर दिया।नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी ने यह मुकदमा 2008 से शुरू हुए घटनाक्रमों के आधार पर दायर किया था। मुकदमे के अनुसार, नवाज़ुद्दीन ने अपने भाई शम्सुद्दीन को उसकी बेरोज़गारी के कारण अपना प्रबंधक नियुक्त किया था।...




















