हाईकोर्ट
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने अपने परिसर में वादियों, वकीलों से पार्किंग फीस वसूलने पर रोक लगाई
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने निषेधाज्ञा जारी करते हुए निर्देश दिया कि उसके परिसर में वाहन पार्क करने वाले किसी भी वादी, एडवोकेट आदि से फीस न लिया जाए।चीफ जस्टिस शील नागू और जस्टिस अनिल क्षेत्रपाल की खंडपीठ ने कहा,"यह न्यायालय निषेधाज्ञा जारी करता है कि अब से हाईकोर्ट आने वाले किसी भी वादी, कर्मचारी, सरकारी अधिकारी, वकील आदि से कोई पार्किंग फीस नहीं ली जाएगी।"कोर्ट ने आगे कहा कि इस आदेश का कोई भी उल्लंघन कोर्ट की अवमानना माना जाएगा।पृथ्वी राज यादव द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए ये...
अवैध बर्खास्तगी के मामलों में भी मौद्रिक मुआवजा बहाली का विकल्प हो सकता है: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की जस्टिस जीएस अहलूवालिया की एकल पीठ ने एक बर्खास्त दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी को बहाल करने के बजाय मौद्रिक मुआवजा देने के श्रम न्यायालय के फैसले को बरकरार रखा। न्यायालय ने माना कि जब बर्खास्तगी औद्योगिक विवाद अधिनियम की धारा 25-एफ का उल्लंघन करती है, तब भी पिछले वेतन के साथ बहाली एक स्वतः उपाय नहीं है।सुप्रीम कोर्ट के उदाहरणों से प्रेरणा लेते हुए, न्यायालय ने इस बात पर जोर दिया कि दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों के लिए, मौद्रिक मुआवजा बहाली की तुलना में न्याय के उद्देश्यों को...
पर्यावरण संरक्षण अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार का अभिन्न अंग: राजस्थान हाईकोर्ट ने जल निकायों के अतिक्रमण पर स्वत: संज्ञान जनहित याचिका शुरू की
राजस्थान हाईकोर्ट ने नदियों के किनारों और कई अन्य जल निकायों पर बड़े पैमाने पर अतिक्रमण और अवैध निर्माण का स्वत: संज्ञान लिया है और इसे जल (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम 1974 का सीधा उल्लंघन और सरकारी प्रशासन की निष्क्रियता करार दिया है। जस्टिस अनूप कुमार ढांड ने इस बात पर प्रकाश डाला कि पर्यावरण का संरक्षण और सुरक्षा भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार का एक अविभाज्य हिस्सा है, जो मानव अधिकारों की रक्षा के अलावा, एक प्रजाति को विलुप्त होने से बचाने और संरक्षित करने का...
वैधानिक कैंटीन कर्मचारी मुख्य नियोक्ता के कर्मचारी, औद्योगिक न्यायालय के पास क्षेत्राधिकार: बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि कर्मचारी उचित व्यवहार के हकदार
बॉम्बे हाईकोर्ट की जस्टिस संदीप वी मार्ने की एकल पीठ ने कैंटीन कर्मचारियों की रोजगार स्थिति पर औद्योगिक न्यायालय के अधिकार क्षेत्र को चुनौती देने वाली टाटा स्टील की याचिका को खारिज कर दिया। न्यायालय ने माना कि वैधानिक कैंटीन में काम करने वाले कर्मचारी मुख्य नियोक्ता के कर्मचारी हैं। न्यायालय ने टाटा स्टील के इस तर्क को खारिज कर दिया कि कर्मचारी ठेकेदार के कर्मचारी हैं, और पाया कि टाटा स्टील द्वारा निरंतर रोजगार और पर्यवेक्षण से नियोक्ता-कर्मचारी संबंध स्थापित होता है। श्रमिकों को राहत देने वाले...
आरोपी को सबक के तौर पर कारावास का स्वाद चखाने के लिए जमानत याचिका खारिज नहीं की जानी चाहिए: इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि किसी गैर-दोषी व्यक्ति की जमानत याचिका को सबक के तौर पर या उसके आचरण की अस्वीकृति के तौर पर कारावास का स्वाद चखाने के उद्देश्य से खारिज नहीं किया जाना चाहिए।जस्टिस अरुण कुमार सिंह देशवाल की पीठ ने कहा कि जमानत याचिका पर विचार करते समय आरोपों की गंभीरता और सजा की गंभीरता के अलावा इस बात पर भी सबसे अधिक विचार किया जाना चाहिए कि क्या आरोपी की ओर से फरार होने या गवाहों के साथ छेड़छाड़ या पीड़ित या गवाहों को डराने-धमकाने की संभावना है।एकल न्यायाधीश ने माया तिवारी की जमानत...
प्रतिवादी लिखित बयान दाखिल किए बिना CPC के आदेश 7 नियम 11-डी के तहत वाद खारिज करने की मांग कर सकता है: हाईकोर्ट
संपत्ति टाइटल विवाद की सुनवाई करते हुए झारखंड हाईकोर्ट ने कहा कि एक बार मुकदमा शुरू होने और नोटिस जारी होने के बाद प्रतिवादी को CPC के आदेश 7 नियम 11-डी के तहत वाद खारिज करने की मांग करने का अधिकार है भले ही लिखित बयान दाखिल न किया गया हो।ऐसा करते हुए हाईकोर्ट ने पाया कि प्रतिवादी का वाद खारिज करने के लिए याचिकाकर्ता की याचिका खारिज करने वाले ट्रायल कोर्ट का आदेश तथ्यों और कानून दोनों के आधार पर गलत था।जस्टिस सुभाष चंद की एकल पीठ ने अपने आदेश में कहा,"एक बार मुकदमा शुरू हो जाने और उसे पंजीकृत...
“न्यायाधीश अनुशासनात्मक प्राधिकार की भूमिका का अतिक्रमण नहीं कर सकते”: आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने अनुशासनात्मक कार्यवाही को बीच में रोकने के आदेश को रद्द किया
आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने एकल न्यायाधीश के उस आदेश को खारिज कर दिया, जिसमें करदाता की याचिका को स्वीकार कर लिया गया था और अनुशासनात्मक कार्यवाही को बीच में ही रद्द कर दिया गया था, खास तौर पर उस समय जब जांच पूरी हो चुकी थी। जस्टिस जी नरेन्द्र और जस्टिस किरणमयी मांडवा की खंडपीठ ने कहा कि “न्यायाधीश अनुशासनात्मक प्राधिकारी की भूमिका का अतिक्रमण नहीं कर सकते थे और कार्यवाही को बीच में ही रोक नहीं सकते थे। कानून के अनुसार मामले की गुणवत्ता पर विचार करने के बाद दंड लगाने या न लगाने का अधिकार केवल...
सभी पुलिस स्टेशनों के हर कमरे में ऑडियो सुविधा के साथ सीसीटीवी कैमरा होना चाहिए, किसी भी चूक को अवमानना माना जाएगा: एमपी हाईकोर्ट
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की जबलपुर पीठ ने पुलिस थाने में कथित अत्याचार के एक मामले में पुलिस महानिदेशक को निर्देश दिया कि वे तीन महीने के भीतर राज्य भर के जिलों के पुलिस थानों के प्रत्येक कमरे में ऑडियो सुविधा के साथ सीसीटीवी कैमरा लगाना सुनिश्चित करें, ऐसा न करना अवमानना के बराबर होगा। न्यायालय ने यह टिप्पणी करते हुए कहा कि वर्तमान मामले में याचिकाकर्ता को संबंधित पुलिस थाने में पुलिसकर्मियों ने "बुरी तरह पीटा" और वह भी "जानबूझकर" ऐसे कमरे में, जिसमें सीसीटीवी कैमरा नहीं था।याचिकाकर्ता द्वारा...
बेटे को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में बहू के खिलाफ पिता की विरोध याचिका उसकी अनुकंपा नियुक्ति से इनकार करने का आधार नहीं: राजस्थान हाईकोर्ट
मृतक सरकारी कर्मचारी के पिता द्वारा दायर याचिका को खारिज करते हुए राजस्थान हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि मृतक की पत्नी के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में नकारात्मक पुलिस रिपोर्ट के खिलाफ विरोध याचिका का लंबित होना उसकी अनुकंपा नियुक्ति से इनकार करने का पर्याप्त आधार नहीं है।जस्टिस महेंद्र कुमार गोयल की पीठ दो याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। पहली याचिका मृतक सरकारी कर्मचारी के पिता द्वारा दायर की गई, जिसमें उनके बेटे की मृत्यु के बाद उनकी बहू को अनुकंपा नियुक्ति से वंचित करने की मांग की...
ट्रांसफर प्राइसिंग | आर्थिक रूप से बेहतर स्तर पर काम करने वाली संस्थाओं को लागत-प्लस मूल्य निर्धारण पर काम करने वाली संस्थाओं के तुलनीय के रूप में शामिल नहीं किया जा सकता: दिल्ली हाईकोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट ने दोहराया कि उच्च लाभ मार्जिन वाली संस्थाओं को अंतर्राष्ट्रीय लेनदेन के लिए आर्म्स लेंथ प्राइस निर्धारित करने के लिए लागत-प्लस मार्कअप आधार पर काम करने वाली संस्थाओं के तुलनीय के रूप में शामिल नहीं किया जा सकता।जस्टिस यशवंत वर्मा और जस्टिस रविंदर डुडेजा की खंडपीठ ने अपीलकर्ता- कैडेंस डिजाइन की तुलनीय सूची से TCS ई-सर्व इंटरनेशनल लिमिटेड, TCS ई-सर्व और इंफोसिस बीपीओ लिमिटेड को बाहर करने का आदेश दिया।अपीलकर्ता ने प्रस्तुत किया कि वह लागत-प्लस मूल्य निर्धारण पर काम करता है, लेकिन...
आप सीएम नहीं हैं: हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र चुनाव लड़ने के लिए BJP नेता को अंतरिम जमानत देने से किया इनकार, कहा- अरविंद केजरीवाल का आदेश लागू नहीं
बॉम्बे हाईकोर्ट ने गुरुवार को भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेता दिगंबर अगवाने को आगामी महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए अंतरिम जमानत देने से इनकार करते हुए कहा कि चुनाव लड़ने का अधिकार मौलिक अधिकार नहीं है। आवेदक जेल से ही आगामी चुनाव लड़ सकता है।एकल जज जस्टिस मनीष पिटाले ने अगवाने की इस दलील को स्वीकार करने से इनकार करते हुए कहा कि अरविंद केजरीवाल के मामले में सुप्रीम कोर्ट का हालिया फैसला उनके मामले पर भी लागू होगा, क्योंकि वह भी आगामी चुनाव लड़ने के लिए अंतरिम जमानत मांग रहे हैं, ठीक उसी...
पंजाब में धान के भंडारण के लिए FCI गोदाम में भंडारण की कथित कमी पर हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब में खरीफ विपणन सत्र 2024-2025 के लिए FCI भंडारण सुविधा से धान उठाने और मिल्ड चावल के लिए जगह बनाने के निर्देश देने की मांग वाली याचिका पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा।कथित तौर पर FCI के गोदामों में भंडारण स्थान की कमी और मंडियों में नए धान की आवक ने राज्य में संकट को बढ़ा दिया। किसानों ने 13 अक्टूबर से अपने धान की खरीद न किए जाने के विरोध में पूरे पंजाब में विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया।चीफ जस्टिस शील नागू और जस्टिस अनिल क्षेत्रपाल ने संघ की ओर से उपस्थित एएसजी...
दिव्यांगता पेंशन तभी अस्वीकार की जा सकती है, जब मेडिकल बोर्ड यह रिकॉर्ड करे कि सैन्य सेवा में शामिल होने के समय बीमारी मौजूद थी: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा कि सैन्य सेवा में दिव्यांगता पेंशन तभी अस्वीकार की जा सकती है, जब सेवा में शामिल होने के समय मेडिकल बोर्ड यह रिकॉर्ड करे कि अधिकारी की चिकित्सा स्थिति ने उसे सैन्य सेवा के लिए अयोग्य बना दिया है।जस्टिस सुरेश्वर ठाकुर और जस्टिस सुदीप्ति शर्मा ने कहा कि दिव्यांगता पेंशन किसी सैन्य अधिकारी तभी अस्वीकार की जा सकती है, जब संबंधित व्यक्ति को सैन्य सेवा में स्वीकार किए जाने के समय मेडिकल बोर्ड द्वारा उसके किसी बीमारी से ग्रस्त होने के बारे में कुछ नोटिंग दर्ज की जाती...
केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी के परिजनों ने 2.5 करोड़ रुपये के बदले में चुनावी टिकट देने के आरोपों से संबंधित मामला खारिज करने के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया
केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी के भाई गोपाल जोशी और उनके बेटे अजय जोशी जिन्हें गुरुवार को धोखाधड़ी के एक मामले में गिरफ्तार किया गया, उन्होंने अपने खिलाफ दर्ज FIR रद्द करने की मांग करते हुए कर्नाटक हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।याचिकाकर्ता की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट डी आर रविशंकर ने तर्क दिया कि यह मामला पूरी तरह से वित्तीय लेनदेन से संबंधित है। आरोपित अपराध के लिए कोई मामला नहीं बनता।पूर्व जेडी(S) विधायक देवानंद चव्हाण की पत्नी सुनीता चव्हाण द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत पर जोशी, उनके बेटे और दो...
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने MUDA मामले में राज्यपाल की मंजूरी बरकरार रखने के आदेश के खिलाफ कर्नाटक हाईकोर्ट में की अपील
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कर्नाटक हाईकोर्ट में उस आदेश के खिलाफ अपील दायर की, जिसमें राज्यपाल थावर चंद गहलोत का फैसला बरकरार रखा गया। उक्त फैसले में कथित रूप से करोड़ों रुपये के मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) "घोटाले" में मुख्यमंत्री के खिलाफ जांच/अभियोजन की मंजूरी दी गई थी।अपील में अंतरिम राहत के तौर पर एकल न्यायाधीश पीठ के 24 सितंबर के आदेश के क्रियान्वयन पर रोक लगाने की मांग की गई।जस्टिस एम नागप्रसन्ना की एकल न्यायाधीश पीठ ने सिद्धारमैया द्वारा दायर याचिका खारिज करते हुए कहा कि...
बॉम्बे हाईकोर्ट ने चाय ब्रांड 'GIRNAR' को भारत में जाना-माना ट्रेडमार्क माना, कहा- यह 'घर-घर में जाना-पहचाना नाम' बन गया है
बॉम्बे हाईकोर्ट ने ट्रेड मार्क अधिनियम के अर्थ के भीतर भारत में एक प्रसिद्ध ट्रेडमार्क के रूप में लोकप्रिय खाद्य और पेय चिह्न 'GIRNAR' को हेक किया है, यह देखते हुए कि इसकी मान्यता और साख किसी भी विशिष्ट वर्ग की वस्तुओं या सेवाओं से परे फैली हुई है।ऐसा करते हुए अदालत ने यह भी कहा कि व्यापार चिह्न 'GIRNAR' वास्तव में भारत में एक घरेलू नाम बन गया है। हाईकोर्ट GIRNAR फूड एंड बेवरेजेज प्राइवेट लिमिटेड (वादी) द्वारा दायर एक मुकदमे पर विचार कर रहा था, जिसमें टीएनआई प्लास्टिक (प्रतिवादी) के खिलाफ पूर्व...
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने 'रिश्वत लेने' के लिए आपराधिक मामला दर्ज होने के कारण बर्खास्त किए गए संविदा सरकारी कर्मचारी को बहाल किया
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की जबलपुर पीठ ने एक मामले में मध्य प्रदेश सड़क विकास निगम में संविदा के आधार पर कार्यरत एक कनिष्ठ सहायक की सेवा समाप्ति के आदेश को पलट दिया। ऐसा करते हुए न्यायालय ने कहा कि प्राधिकरण ने याचिकाकर्ता की सेवा समाप्ति का कठोर कदम उठाया है, क्योंकि उसके खिलाफ कथित रूप से रिश्वत लेने के आरोप में आपराधिक मामला दर्ज किया गया था। यह तब है, जब मध्य प्रदेश सड़क विकास निगम (सेवा भारती तथा सेवा शर्तें) नियम, 2016 में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, जिसमें कहा गया हो कि केवल अपराध दर्ज होने पर...
हाईकोर्ट जजेज एक्ट के तहत पारिवारिक पेंशन राज्य विधि आयोग के अध्यक्ष पर भी लागू: इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माना कि हाईकोर्ट जज (वेतन और सेवा की शर्तें) अधिनियम, 1954 और उसके तहत बनाए गए नियमों के तहत "पारिवारिक पेंशन" नियम उत्तर प्रदेश राज्य विधि आयोग अधिनियम, 2010 के तहत राज्य विधि आयोग के अध्यक्ष को दी जाने वाली पेंशन पर लागू होंगे। जस्टिस सौमित्र दयाल सिंह और जस्टिस डोनाडी रमेश की पीठ ने कहा कि हालांकि उत्तर प्रदेश राज्य विधि आयोग अधिनियम, 2010 और उत्तर प्रदेश राज्य विधि आयोग (अध्यक्ष के वेतन और भत्ते और सेवा की शर्तें) नियम, 2011 में अध्यक्ष के लिए 'पारिवारिक पेंशन' का विशेष...
हाईकोर्ट के विपरीत वन न्यायाधिकरण के पास समीक्षा की कोई 'अंतर्निहित शक्ति' नहीं: केरल हाईकोर्ट
केरल हाईक्कौर्ट की पांच जजों की खंडपीठ ने माना है कि केरल निजी वन (वेस्टिंग और असाइनमेंट) अधिनियम के तहत गठित ट्रिब्यूनल के पास समीक्षा की कोई अंतर्निहित शक्ति नहीं है और इस प्राधिकरण को समीक्षा की अनुमति देने वाले प्रावधानों का पता लगाया जाना चाहिए।ऐसा करते हुए खंडपीठ ने कहा कि धारा 8B (3) के तहत ट्रिब्यूनल की समीक्षा की शक्ति को अधिनियम की धारा 8 B(1) में उल्लिखित आधारों के अलावा अन्य आधारों पर नहीं बढ़ाया जा सकता है। संदर्भ के लिए, अनुभाग 8B(1) में कहा गया है कि अधिनियम के तहत एक संरक्षक...
मंदसौर गोलीकांड: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने जांच आयोग की रिपोर्ट विधानसभा में पेश करने की याचिका खारिज की
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने 2017 के मंदसौर किसान गोलीकांड पर जैन आयोग की रिपोर्ट विधानसभा के समक्ष पेश करने की मांग करने वाली याचिका को खारिज कर दिया, यह देखते हुए कि आयोग द्वारा राज्य सरकार को रिपोर्ट सौंपे जाने के 6-7 साल बीत चुके हैं।अदालत ने कहा कि जांच आयोग अधिनियम में कोई परिणाम नहीं दिया गया था यदि आयोग की रिपोर्ट 6 महीने की समयावधि के भीतर विधानसभा के समक्ष नहीं रखी गई थी, जैसा कि उल्लेख किया गया है। यह मामला इस बात से संबंधित था कि क्या जांच आयोग अधिनियम की धारा 3 (4) के तहत राज्य सरकार को...