हाईकोर्ट

मेरी पत्नी ने गर्भधारण न कर पाने के कारण आत्महत्या की: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उक्त दावा करने वाले आरोपी को पोटेंसी टेस्ट कराने का आदेश दिया
मेरी पत्नी ने गर्भधारण न कर पाने के कारण आत्महत्या की: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उक्त दावा करने वाले आरोपी को पोटेंसी टेस्ट कराने का आदेश दिया

यह देखते हुए कि गर्भधारण न कर पाने के लिए हमेशा महिला को ही दोषी नहीं ठहराया जाना चाहिए, क्योंकि कभी-कभी समस्या पुरुष के कारण भी हो सकती है, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में एक व्यक्ति को पोटेंसी टेस्ट (Potency Test) कराने का निर्देश दिया, जिस पर अपनी पत्नी की दहेज हत्या का आरोप है।जस्टिस शेखर यादव की पीठ ने एडिशनल सरकारी वकील को 10 दिनों के भीतर आरोपी (मोनू) का पोटेंसी टेस्ट (पौरूष परीक्षण) कराने और इसकी रिपोर्ट न्यायालय को सौंपने का निर्देश दिया।यह आदेश तब पारित किया गया, जब जमानत की मांग कर...

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बहाली को मानक उपाय के रूप में बरकरार रखा, कहा-पिछले वेतन का प्रतिशत तथ्यों के अधीन होगा
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बहाली को मानक उपाय के रूप में बरकरार रखा, कहा-पिछले वेतन का प्रतिशत तथ्यों के अधीन होगा

इलाहाबाद हाईकोर्ट की जस्टिस चंद्र कुमार राय की पीठ ने उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम (UPRTC) द्वारा एक बस कंडक्टर को बर्खास्त करने के मामले में दायर याचिका पर सुनवाई की। यहां, अनुशासनात्मक कार्यवाही की निष्पक्षता पर विचार किया गया, जिसके कारण कथित रूप से यात्रियों को बिना टिकट यात्रा करने की अनुमति देने के कारण प्रतिवादी को बर्खास्त कर दिया गया। तथ्यप्रतिवादी, एक बस कंडक्टर, एक बस लेकर जा रहा था, जिसका निरीक्षण याचिकाकर्ता UPRTC के एक अधिकारी द्वारा किया गया था। निरीक्षण में पाया गया कि...

कोविड-19 के दौरान सीमा विस्तार पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का लाभ केवल मांगने पर नहीं दिया जा सकता, खासकर जब पार्टी डिफॉल्ट में हो: इलाहाबाद हाईकोर्ट
कोविड-19 के दौरान सीमा विस्तार पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का लाभ केवल मांगने पर नहीं दिया जा सकता, खासकर जब पार्टी डिफॉल्ट में हो: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माना कि कोविड-19 के दौरान सीमा विस्तार का लाभ, सीमा विस्तार के लिए संज्ञान के अनुसार, किसी पक्ष को केवल मांगने पर नहीं दिया जा सकता है, खासकर तब जब इस तरह के विस्तार की मांग करने वाले पक्ष की ओर से चूक हो। मध्यस्थता एवं सुलह अधिनियम, 1996 की धारा 37 के तहत भारत संचार निगम लिमिटेड की अपीलों को खारिज करते हुए चीफ जस्टिस अरुण भंसाली और जस्टिस विकास बधवार की पीठ ने कहा, “विस्तार और सीमा के संज्ञान के मामले में निर्णय का लाभ, IN RE (सुप्रा) को केवल पूछने पर नहीं दिया जा सकता...

जमानत से इनकार करना एक विवेकपूर्ण अपवाद होना चाहिए, अनुच्छेद 21 के तहत व्यक्तिगत स्वतंत्रता बहुत कीमती है जिसे लापरवाही से बाधित नहीं किया जा सकता: जम्मू एंड कश्मीर हाईकोर्ट
जमानत से इनकार करना एक विवेकपूर्ण अपवाद होना चाहिए, अनुच्छेद 21 के तहत व्यक्तिगत स्वतंत्रता 'बहुत कीमती' है जिसे लापरवाही से बाधित नहीं किया जा सकता: जम्मू एंड कश्मीर हाईकोर्ट

संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत निहित व्यक्तिगत स्वतंत्रता के मौलिक मूल्य की पुष्टि करते हुए, जम्मू एंड कश्मीर एंउ लद्दाख हाईकोर्ट ने यौन अपराध और उत्पीड़न से जुड़े एक मामले में एक आरोपी को पूर्ण अग्रिम जमानत दे दी है। अंतरिम पूर्व गिरफ्तारी जमानत को पूर्ण प्रकृति का बनाते हुए जस्टिस मोहम्मद यूसुफ वानी ने इस बात पर जोर दिया कि जमानत से इनकार करना कोई नियमित मामला नहीं है और इसे केवल विवेकपूर्ण तरीके से, व्यक्तिगत और सामाजिक हितों के प्रति संवेदनशीलता के साथ ही लागू किया जाना चाहिए।जीएन नारा...

राजस्थान हाईकोर्ट ने ऑनलाइन कार्यवाही में अव्यवस्था फैलाने वाले घुसपैठिए की पहचान मांगी
राजस्थान हाईकोर्ट ने ऑनलाइन कार्यवाही में अव्यवस्था फैलाने वाले घुसपैठिए की पहचान मांगी

एक अवांछित घुसपैठिए द्वारा ऑनलाइन ओपन कोर्ट की कार्यवाही में तीखी और अपमानजनक टिप्पणियां करके बाधा डालने के बाद राजस्थान हाईकोर्ट ने रजिस्ट्रार जनरल और रजिस्ट्रार-सह-सीपीसी से उसकी पहचान का पता लगाने और वेबएक्स मीटिंग सिस्टम को संशोधित करने की संभावनाओं का पता लगाने के लिए कहा, जिससे कोई व्यक्ति न्यायालय की अनुमति के बिना ऑनलाइन अदालत की कार्यवाही में प्रवेश न कर सके।"इस न्यायालय के अनुसार ओपन कोर्ट कार्यवाही इस तरह से नहीं की जा सकती कि मुकदमे से अलग कोई भी व्यक्ति जबरन घुसकर अपनी मर्जी से कुछ...

सम्मान के साथ जीने के अधिकार में सप्तपदी समारोह के दौरान जीवनसाथी के प्रति लिए गए वैवाहिक वचनों को पूरा करने में सक्षम होना शामिल: राजस्थान हाईकोर्ट
सम्मान के साथ जीने के अधिकार में सप्तपदी समारोह के दौरान जीवनसाथी के प्रति लिए गए वैवाहिक वचनों को पूरा करने में सक्षम होना शामिल: राजस्थान हाईकोर्ट

राजस्थान हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि अनुच्छेद 21 में एक इंसान के रूप में सम्मान के साथ जीने का अधिकार शामिल है, जिसमें हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार सप्तपदी समारोह के दौरान लिए गए वैवाहिक वचनों के संदर्भ में एक अच्छे पति के रूप में कार्य करना भी शामिल है।जस्टिस अरुण मोंगा की पीठ आरोपी की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जो संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी से संबंधित धोखाधड़ी और आपराधिक विश्वासघात के अपराधों के लिए कई एफआईआर के संबंध में पिछले 2 वर्षों से न्यायिक हिरासत में था।याचिकाकर्ता अपनी पत्नी...

दिल्ली हाईकोर्ट ने अरविंद केजरीवाल को आवास आवंटित करने की याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया
दिल्ली हाईकोर्ट ने अरविंद केजरीवाल को आवास आवंटित करने की याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया

आम आदमी पार्टी (AAP) ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर कर भारत संघ (आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय) को पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक के रूप में अरविंद केजरीवाल को आवासीय आवास आवंटित करने का निर्देश देने की मांग की।जस्टिस संजीव नरूला की एकल पीठ ने शुक्रवार को मामले की सुनवाई की और केंद्र को नोटिस जारी किया।आप ने 31 जुलाई 2014 को आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय द्वारा जारी कार्यालय ज्ञापन के नियम 26 (iii) पर भरोसा किया, जो यह प्रावधान करता है कि किसी मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय पार्टी का पार्टी...

हाईकोर्ट ने पंजाब के DGP को NDPS मामलों में अभियोजन पक्ष के गवाहों के बार-बार गैर-हाजिर होने के बारे में स्पष्टीकरण देने का निर्देश दिया
हाईकोर्ट ने पंजाब के DGP को NDPS मामलों में अभियोजन पक्ष के गवाहों के बार-बार गैर-हाजिर होने के बारे में स्पष्टीकरण देने का निर्देश दिया

पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट ने DGP पंजाब से हलफनामा मांगते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष की निरंतर उदासीनता बर्दाश्त नहीं की जाएगी, जिसमें विशेष रूप से NDPS Act के तहत दर्ज मामलों में अभियोजन पक्ष के गवाहों के बार-बार गैर-हाजिर होने के बारे में स्पष्टीकरण दिया जाए।जस्टिस मंजरी नेहरू कौल ने कहा,"इस न्यायालय ने परेशान करने वाला पैटर्न देखा, जिसमें अभियोजन पक्ष के गवाह, मुख्य रूप से पुलिस अधिकारी, अदालती कार्यवाही में शामिल होने में विफल रहते हैं, जिससे न केवल मुकदमों के समापन में अनावश्यक देरी होती है...

धारा 47 सीपीसी | सह-मालिक केवल इसलिए निष्पादन पर आपत्ति नहीं कर सकता क्योंकि उसे मकान मालिक द्वारा बेदखली के मुकदमे में पक्ष नहीं बनाया गया था: झारखंड हाईकोर्ट
धारा 47 सीपीसी | सह-मालिक केवल इसलिए निष्पादन पर आपत्ति नहीं कर सकता क्योंकि उसे मकान मालिक द्वारा बेदखली के मुकदमे में पक्ष नहीं बनाया गया था: झारखंड हाईकोर्ट

झारखंड हाईकोर्ट ने एक फैसले में कहा है कि किसी संपत्ति का सह-स्वामी किसी डिक्री के निष्पादन पर केवल इसलिए आपत्ति नहीं कर सकता क्योंकि उसे सह-स्वामियों में से किसी एक द्वारा शुरू किए गए बेदखली मुकदमे में पक्षकार के रूप में शामिल नहीं किया गया था। यह निर्णय ऐसी कार्यवाही में सह-स्वामी के अधिकारों की सीमाओं को रेखांकित करता है। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि सिविल प्रक्रिया संहिता (CPC) की धारा 47 के तहत ऐसी आपत्ति स्वीकार्य नहीं है, क्योंकि सह-स्वामी के पास अपने अधिकारों की रक्षा के लिए वैकल्पिक...

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने योग्यता छिपाने के आरोपी IIM रोहतक निदेशक के खिलाफ कार्रवाई की अनुमति दी
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने योग्यता छिपाने के आरोपी IIM रोहतक निदेशक के खिलाफ कार्रवाई की अनुमति दी

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने IIM रोहतक के निदेशक डॉ. धीरज शर्मा के खिलाफ कार्रवाई करने पर केंद्र सरकार पर लगी रोक हटा दी, जिन पर आरोप है कि उन्होंने पद के लिए आवश्यक योग्यता प्रथम श्रेणी ग्रेजुएट डिग्री नहीं होने की बात छिपाई।न्यायालय ने 2022 में संघ द्वारा उन्हें भेजे गए कारण बताओ नोटिस से उत्पन्न होने वाली कार्रवाई पर रोक लगाई, यह देखते हुए कि इसे चुनौती देने वाली याचिका लंबित है।जस्टिस विनोद एस. भारद्वाज ने कहा,"प्रतिवादी (केंद्र सरकार) याचिकाकर्ता (धीरज शर्मा) को पहले से ही दिए गए उपर्युक्त...

वेतन निर्धारण में प्रशासनिक गलती के कारण रिटायरमेंट के बाद ब्याज सहित वसूली नहीं हो सकती: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट
वेतन निर्धारण में प्रशासनिक गलती के कारण रिटायरमेंट के बाद ब्याज सहित वसूली नहीं हो सकती: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट

जस्टिस सुश्रुत अरविंद धर्माधिकारी की एकल पीठ ने रिटायर सूबेदार से ब्याज सहित अतिरिक्त भुगतान की मांग करने वाले वसूली आदेश रद्द किया।न्यायालय ने माना कि रिटायर सरकारी कर्मचारियों से अतिरिक्त भुगतान की वसूली खासकर जब कोई गलत बयानी या धोखाधड़ी न हो, मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के नियम 9(4) सिविल सेवा पेंशन नियम 1976 के तहत रिटायरमेंट के चार साल बाद अस्वीकार्य है।न्यायालय ने इस बात पर जोर दिया कि मूल राशि की पुनर्गणना की जा सकती है लेकिन प्रशासनिक गलतियों के कारण किए गए अतिरिक्त भुगतान पर ब्याज लगाना खासकर...

वित्तीय बाधाएं समान पेंशन लाभ के संवैधानिक अधिकार को प्रभावित नहीं कर सकतीं: केरल हाईकोर्ट
वित्तीय बाधाएं समान पेंशन लाभ के संवैधानिक अधिकार को प्रभावित नहीं कर सकतीं: केरल हाईकोर्ट

केरल हाईकोर्ट के जज जस्टिस हरिशंकर वी. मेनन की एकल न्यायाधीश पीठ ने फैसला सुनाया कि 2006 से पहले के असम राइफल्स रिटायर कर्मचारी 2006 के बाद के रिटायर कर्मचारियों के समान संशोधित पेंशन लाभ के हकदार हैं।न्यायालय ने भारत संघ के वित्तीय बाधाओं का तर्क खारिज किया, जिसमें कहा गया कि मौद्रिक विचार मौलिक अधिकारों के उल्लंघन को उचित नहीं ठहरा सकते।सुप्रीम कोर्ट के उदाहरणों का अनुसरण करते हुए न्यायालय ने 2006 की कट-ऑफ तिथि को मनमाना और अनुच्छेद 14 का उल्लंघनकारी पाया, क्योंकि पेंशन एक सतत अधिकार है जिसे...

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने पूर्व विधायक धरम सिंह छोकर को PMLA मामले में गिरफ्तार करने का निर्देश दिया
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने पूर्व विधायक धरम सिंह छोकर को PMLA मामले में गिरफ्तार करने का निर्देश दिया

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) को धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 (PMLA) मामले में आरोपी हरियाणा के पूर्व Congress विधायक धरम सिंह छोकर को तत्काल गिरफ्तार करने का निर्देश दिया।आरोप है कि छोकर और उनके परिवार के स्वामित्व वाली कंपनी माहिरा इंफ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड ने 2021-2022 में वितरित किए जाने वाले 1,500 फ्लैटों के निर्माण के लिए घर खरीदारों से 363 करोड़ रुपये एकत्र किए। कंपनी के खातों निधियों को कथित तौर पर अन्य फर्मों को अग्रिम ऋण के रूप में निकाल लिया गया। साथ ही...

उचित भर्ती प्रक्रिया के बिना आकस्मिक श्रमिकों के नियमितीकरण का अधिकार नहीं: दिल्ली हाईकोर्ट
उचित भर्ती प्रक्रिया के बिना आकस्मिक श्रमिकों के नियमितीकरण का अधिकार नहीं: दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस चंद्रधारी सिंह की सिंगल जज बेंच ने पीएनबी के एक अस्थायी कर्मचारी की बर्खास्तगी और नियमितीकरण दावों से जुड़ी याचिकाओं पर फैसला सुनाया। अदालत ने औद्योगिक न्यायाधिकरण के अवैध समाप्ति के निष्कर्ष को बरकरार रखा, लेकिन बहाली से राहत को 2.5 लाख रुपये के मौद्रिक मुआवजे में संशोधित किया। अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के उदाहरणों का हवाला देते हुए कार्यकर्ता के नियमितीकरण के दावे को खारिज कर दिया, जो यह स्थापित करते हैं कि आकस्मिक श्रमिक उचित भर्ती प्रक्रिया के बिना नियमितीकरण का दावा...

ED/IT विभाग द्वारा खाते को फ्रीज करने के बावजूद चेक बाउंस की शिकायत सुनवाई योग्य, अगर शिकायतकर्ता धन की अपर्याप्तता स्थापित करता है: मद्रास हाईकोर्ट
ED/IT विभाग द्वारा खाते को फ्रीज करने के बावजूद चेक बाउंस की शिकायत सुनवाई योग्य, अगर शिकायतकर्ता 'धन की अपर्याप्तता' स्थापित करता है: मद्रास हाईकोर्ट

मद्रास हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि भले ही प्रवर्तन विभाग या आयकर विभाग द्वारा किसी खाते को अवरुद्ध या फ्रीज कर दिया गया हो, लेकिन परक्राम्य लिखत अधिनियम की धारा 138 के तहत एक शिकायत बनाए रखने योग्य होगी यदि शिकायतकर्ता यह साबित करने में सक्षम है कि फ्रीजिंग को रोकता है, खाते में ऋण का भुगतान करने के लिए पर्याप्त शेष राशि नहीं थी।जस्टिस जी जयचंद्रन ने कहा कि ऐसे मामलों में चेक लेने वाला यह बचाव कर सकता है कि खाता अवरुद्ध या फ्रीज किया गया है। अदालत ने लक्ष्मी डाइकेम बनाम भारत संघ मामले में...

आरोप तय होने के बाद आरोपी को खुलासे के लिए केवल एक अवसर दिया जा सकता है: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने दोहराया
आरोप तय होने के बाद आरोपी को खुलासे के लिए केवल एक अवसर दिया जा सकता है: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने दोहराया

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा है कि आरोप तय करने के बाद अदालत को खुलासा करने का केवल एक अवसर देने की आवश्यकता है और आरोपी इस सुविधा का लाभ उठाने का विकल्प चुन सकता है।जस्टिस कुलदीप तिवारी ने कहा, 'आरोप तय हो जाने के बाद अदालत को खुलासे का केवल एक मौका देना होता है और आरोपी इस सुविधा का लाभ उठाने का विकल्प चुन सकता है, लेकिन सिर्फ एक बार। अदालत ने आगे कहा कि अभियोजन पक्ष को केवल बयानों, दस्तावेजों, भौतिक वस्तुओं और प्रदर्शनों की सूची प्रस्तुत करने की आवश्यकता है, जिन पर जांच अधिकारी द्वारा...

अदालत CrPC की धारा 82 या 83 के तहत इस बात पर संतोष दर्ज किए बिना प्रक्रिया जारी नहीं कर सकती कि व्यक्ति जानबूझकर सेवा से बच रहे थे: पटना हाईकोर्ट ने दोहराया
अदालत CrPC की धारा 82 या 83 के तहत इस बात पर संतोष दर्ज किए बिना प्रक्रिया जारी नहीं कर सकती कि व्यक्ति जानबूझकर सेवा से बच रहे थे: पटना हाईकोर्ट ने दोहराया

पटना हाईकोर्ट ने दोहराया है कि CrPC की धारा 82 और 83 के तहत उद्घोषणा और कुर्की की प्रक्रिया का मुद्दा क्रमशः समन और वारंट के लिए सेवा रिपोर्ट के अभाव में प्रक्रियात्मक रूप से दोषपूर्ण है।जस्टिस पार्थ सारथी ने कहा कि ट्रायल कोर्ट को उद्घोषणा का सहारा लेने से पहले जानबूझकर सेवा से बचने के बारे में संतुष्टि दर्ज करनी चाहिए। पीठ ने कहा, ''निचली अदालत ने समन की कोई तामील रिपोर्ट या गिरफ्तारी के जमानती वारंट के बिना मामले की कार्यवाही आगे बढ़ाई। ट्रायल कोर्ट द्वारा अपनाई गई प्रक्रिया धारा 82 के तहत...

दिल्ली हाईकोर्ट ने सरकार से ऑटो रिक्शा का मीटर से किराया वसूलना सुनिश्चित करने को कहा
दिल्ली हाईकोर्ट ने सरकार से ऑटो रिक्शा का मीटर से किराया वसूलना सुनिश्चित करने को कहा

शहर में ऑटोरिक्शा में किराया मीटर लगाने पर नियम लागू करने पर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को सरकार से मौखिक रूप से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि लोग नियम का पालन करें और मीटर के अनुसार ऑटो किराए का भुगतान करें।इसके बाद अदालत ने आनंद मिश्रा द्वारा दायर याचिका का निस्तारण कर दिया और दिल्ली सरकार के परिवहन विभाग से कहा कि वह इस मुद्दे पर उनके प्रतिवेदन पर तीन सप्ताह के भीतर फैसला करे। याचिका में परिवहन विभाग को दिल्ली मोटर वाहन नियम, 1993 के नियम 74 को तत्काल...

S.50 NDPS Act| मजिस्ट्रेट के बजाय कस्टम ऑफिसर द्वारा तलाशी के लिए अनापत्ति नहीं के कम वांछनीय विकल्प वाला प्रोफार्मा निंदनीय: दिल्ली हाईकोर्ट
S.50 NDPS Act| मजिस्ट्रेट के बजाय 'कस्टम ऑफिसर द्वारा तलाशी के लिए अनापत्ति नहीं' के कम वांछनीय विकल्प वाला प्रोफार्मा निंदनीय: दिल्ली हाईकोर्ट

NDPS Act के तहत जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए, दिल्ली हाईकोर्ट ने NDPS ACTकी धारा 50 के तहत प्री-टाइप्ड प्रोफार्मा नोटिस रखने में सीमा कस्टम ऑफिसर की प्रथा की निंदा की है।न्यायालय ने कहा कि धारा 50 के तहत प्रोफार्मा नोटिस में आदर्श रूप से दो विकल्प होने चाहिए: पहला, व्यक्ति को राजपत्रित अधिकारी/मजिस्ट्रेट के समक्ष व्यक्तिगत तलाशी की आवश्यकता है और दूसरा, जिस व्यक्ति की तलाशी ली जानी है, उसे उपस्थित अधिकारी द्वारा खोजे जाने पर कोई आपत्ति नहीं है (यदि महिला अधिकारी की तलाशी ली जानी है तो वह...

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वरिष्ठ अधिकारी द्वारा एक ही मामले में जांच अधिकारी, अनुशासनात्मक प्राधिकारी और अपीलीय प्राधिकारी के रूप में कार्य करने पर राज्य सरकार पर 25 हजार का जुर्माना लगाया
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वरिष्ठ अधिकारी द्वारा एक ही मामले में जांच अधिकारी, अनुशासनात्मक प्राधिकारी और अपीलीय प्राधिकारी के रूप में कार्य करने पर राज्य सरकार पर 25 हजार का जुर्माना लगाया

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश राज्य पर 25,000 रुपये का जुर्माना लगाया है, क्योंकि एक वरिष्ठ राज्य अधिकारी ने एक कर्मचारी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही के मामले में जांच अधिकारी, अनुशासनात्मक प्राधिकारी और अपीलीय प्राधिकारी के रूप में कार्य किया। जस्टिस आलोक माथुर की एकल पीठ ने कहा, “श्री अजय कुमार शुक्ला [सचिव चुनाव अनुभाग, लखनऊ] ने वर्तमान मामले में तीनों ही पदों पर खुद काम किया है, जिससे न्याय में चूक हुई है और तदनुसार पूरी अनुशासनात्मक कार्यवाही दोषपूर्ण है। पूरी प्रक्रिया को कानून के...