हाईकोर्ट

Transfer of Property Act | एग्रीमेंट टू सेल से संपत्ति में कोई हक़ नहीं बनता: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दोहराया सिद्धांत
Transfer of Property Act | एग्रीमेंट टू सेल से संपत्ति में कोई हक़ नहीं बनता: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दोहराया सिद्धांत

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक बार फिर स्पष्ट किया कि ट्रांसफर ऑफ प्रॉपर्टी एक्ट (Transfer of Property Act) की धारा 54 के अनुसार एग्रीमेंट टू सेल (बिक्री का समझौता) संपत्ति में कोई हक़, स्वामित्व या हित पैदा नहीं करता। अदालत ने कहा कि ऐसा समझौता केवल उस अधिकार को जन्म देता है, जिसके आधार पर भविष्य में विधिवत पंजीकृत सेल डीड हासिल की जा सकती है, लेकिन इससे संपत्ति पर कोई कानूनी स्वामित्व नहीं मिलता।जस्टिस मनोज कुमार निगम ने सुप्रीम कोर्ट के महत्वपूर्ण फैसलों स्टेट ऑफ यूपी बनाम डिस्ट्रिक्ट जज तथा रंभाई...

निर्णयों में मेडिकल रिपोर्ट से चोटों का विवरण अनिवार्य रूप से प्रस्तुत करें: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश की निचली अदालतों को निर्देश दिया
'निर्णयों में मेडिकल रिपोर्ट से चोटों का विवरण अनिवार्य रूप से प्रस्तुत करें': इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश की निचली अदालतों को निर्देश दिया

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश राज्य के सभी ट्रायल कोर्ट के जजों को सख्त निर्देश जारी किया कि वे अपने निर्णयों में मेडिकल रिपोर्ट में दर्ज चोटों का विवरण अनिवार्य रूप से प्रस्तुत करें।जस्टिस राजीव मिश्रा और जस्टिस डॉ. अजय कुमार-द्वितीय की खंडपीठ ने कहा कि यह देखकर 'दुख' हो रहा है कि ट्रायल कोर्ट अपने आदेशों में इस महत्वपूर्ण फोरेंसिक विवरण को छोड़ रही हैं, जबकि लंबे समय से प्रशासनिक परिपत्रों में ऐसा करने की आवश्यकता थी।यह निर्देश दहेज के आरोपी पति को बरी किए जाने के खिलाफ दायर आपराधिक अपील...

मानसिक पुनर्वास केंद्र के निवासी भी वोट डाल सकते हैं, जब तक किसी सक्षम अदालत ने अयोग्य घोषित न किया हो: केरल हाईकोर्ट
मानसिक पुनर्वास केंद्र के निवासी भी वोट डाल सकते हैं, जब तक किसी सक्षम अदालत ने अयोग्य घोषित न किया हो: केरल हाईकोर्ट

केरल हाईकोर्ट ने आगामी 2025 लोकसभा चुनावों में एक मानसिक स्वास्थ्य पुनर्वास केंद्र के निवासियों को मतदान का अधिकार देने का रास्ता साफ कर दिया है। अदालत ने कहा कि बिना किसी प्रमाण के यह मान लेना कि ऐसे केंद्र के सभी निवासी मानसिक रूप से अक्षम हैं और अपनी इच्छा से वोट नहीं डाल सकते, पूरी तरह गलत है।जस्टिस पी.वी. कुन्हीकृष्णन की पीठ ने एक याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें दावा किया गया था कि पुनर्वास केंद्र में रहने वाले करीब 60 लोग मानसिक रूप से चुनौतीग्रस्त हैं और वे स्वतंत्र इच्छा से मतदान नहीं कर...

पैरोल के लिए एक साल की सजा की शर्त अनिवार्य नहीं, SLP दाखिल करने पर मिल सकती है छूट: दिल्ली हाईकोर्ट
पैरोल के लिए एक साल की सजा की शर्त अनिवार्य नहीं, SLP दाखिल करने पर मिल सकती है छूट: दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि दिल्ली जेल नियमावली के तहत पैरोल के लिए निर्धारित न्यूनतम एक वर्ष की कैद की शर्त बिल्कुल कठोर नहीं है और विशेष परिस्थितियों में इसे ढीला किया जा सकता है। ऐसे मामलों में, जब नियमों का सख़्त पालन किसी कैदी के मौलिक या वैधानिक अधिकारों को बाधित कर दे, यह शर्त लागू नहीं होगी।जस्टिस रविंद्र दुदेजा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में दोषसिद्धि के खिलाफ SLP (विशेष अनुमति याचिका) दायर करना ऐसी ही एक 'विशेष परिस्थिति' है, जिसके लिए नियमों में लचीलेपन की आवश्यकता है। यह आदेश उस...

अपराध जघन्य लेकिन पूर्वनियोजित नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 5 महीने की चचेरी बहन के बलात्कार-हत्या मामले में मृत्युदंड आजीवन कारावास में बदला
अपराध जघन्य लेकिन पूर्वनियोजित नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 5 महीने की चचेरी बहन के बलात्कार-हत्या मामले में मृत्युदंड आजीवन कारावास में बदला

इलाहाबाद हाईकोर्ट (लखनऊ पीठ) ने मंगलवार को 5 महीने की चचेरी बहन के बलात्कार और हत्या के मामले में 27 वर्षीय आरोपी की दोषसिद्धि बरकरार रखी।हालांकि, हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट द्वारा दी गई मृत्युदंड की पुष्टि करने से इनकार किया और उसे बिना किसी छूट के शेष जीवन के लिए आजीवन कारावास में बदल दिया।जस्टिस रजनीश कुमार और जस्टिस राजीव सिंह की खंडपीठ ने अपने 65-पृष्ठीय फैसले में निष्कर्ष निकाला कि अभियोजन पक्ष ने परिस्थितियों की एक श्रृंखला के माध्यम से भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 302, 364, 376 (क)(ख)...

उपलब्ध क्रेडिट से अधिक राशि पर खाता-बही को ब्लॉक नहीं किया जा सकता: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट
उपलब्ध क्रेडिट से अधिक राशि पर खाता-बही को ब्लॉक नहीं किया जा सकता: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने उन आदेशों को रद्द कर दिया, जिनमें करदाताओं के इलेक्ट्रॉनिक क्रेडिट लेज़र से उक्त आदेश पारित होने के समय उपलब्ध इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) से अधिक राशि डेबिट करने की अनुमति नहीं दी गई थी।जस्टिस लिसा गिल और जस्टिस मीनाक्षी आई. मेहता की खंडपीठ ने नियम 86-A के तहत इलेक्ट्रॉनिक क्रेडिट लेज़र को ब्लॉक करने के लिए गुजरात हाईकोर्ट द्वारा समय एलॉयज के मामले में और उसके बाद दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा बेस्ट कॉर्प साइंस, किंग्स सिक्योरिटी गार्ड सर्विसेज, करुणा राजेंद्र रिंगशिया और...

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने विवाह के बहाने बलात्कार करने के आरोप में दर्ज FIR खारिज की, कहा- यह वैवाहिक संस्था की अवहेलना
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने विवाह के बहाने बलात्कार करने के आरोप में दर्ज FIR खारिज की, कहा- यह वैवाहिक संस्था की अवहेलना

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने विवाह के बहाने बलात्कार करने के आरोप में दर्ज FIR खारिज करते हुआ कहा, "यह अकल्पनीय है कि एक कानूनी रूप से विवाहित महिला को विवाह के वादे पर यौन संबंध बनाने के लिए प्रेरित किया जा सकता है।"जस्टिस शालिनी सिंह नागपाल ने कहा,"जब एक पूर्णतः परिपक्व, विवाहित महिला विवाह के वादे पर यौन संबंध बनाने के लिए सहमति देती है। ऐसा करना जारी रखती है तो यह केवल विवाह संस्था की अवहेलना है, न कि तथ्यों की गलत धारणा द्वारा प्रलोभन का कार्य। ऐसे मामले में याचिकाकर्ता पर आपराधिक दायित्व...

माँ की पेंशन पर निर्भर नहीं रह सकते: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने बेदखली की अनुमति दी, कहा- मकान मालिक अपनी दुकान का उपयोग आजीविका के लिए कर सकता है
माँ की पेंशन पर निर्भर नहीं रह सकते: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने बेदखली की अनुमति दी, कहा- मकान मालिक अपनी दुकान का उपयोग आजीविका के लिए कर सकता है

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा कि जब मकान मालिक के पास अपनी दुकान उपलब्ध हो और उसकी ज़रूरत वास्तविक हो तो उसे किराए की दुकान से अपना व्यवसाय जारी रखने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।कोर्ट ने टिप्पणी की कि मकान मालिक की माँ की पेंशन आजीविका का स्थायी स्रोत नहीं है। कोर्ट ने आगे कहा कि मकान मालिक का कहीं और किरायेदार होना उसकी दुकान चलाने के लिए अपनी संपत्ति वापस लेने की वास्तविक आवश्यकता को स्थापित करता है।जस्टिस विवेक सिंह ठाकुर ने टिप्पणी की:"याचिकाकर्ता अपनी माँ के वेतन या पेंशन पर निर्भर नहीं...

न्याय के पहियों में घर्षण: 38 साल पुराने वसीयत विवाद का निपटारा करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने जताई निराशा, जारी किए प्रशासन पत्र
न्याय के पहियों में घर्षण: 38 साल पुराने वसीयत विवाद का निपटारा करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने जताई निराशा, जारी किए प्रशासन पत्र

दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में 38 साल पुराने वसीयत विवाद का निपटारा करते हुए टिप्पणी की कि यह मामला न्याय के पहियों में उस घर्षण का उदाहरण है, जिसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने यशपाल जैन बनाम सुशीला देवी और अन्य मामले में चेतावनी दी थी।जस्टिस पुरुशैन्द्र कुमार कौरव ने कहा कि इस विवाद का फैसला करने में 38 साल लंबा समय लगा। इस बीच अधिकांश मूल पक्षकारों की मृत्यु हो गई और अनगिनत वकीलों को बदला गया।जज ने टिप्पणी की,"न्याय वितरण प्रणाली बार, पीठ और पक्षकारों के बीच आपसी विश्वास पर कार्य करती है। प्रत्येक...

सामान्य श्रेणी के यात्रियों को प्रीमियम श्रेणी में यात्रा करने वालों के समान सुरक्षा मानकों का अधिकार: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने रेलवे से कहा
सामान्य श्रेणी के यात्रियों को प्रीमियम श्रेणी में यात्रा करने वालों के समान सुरक्षा मानकों का अधिकार: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने रेलवे से कहा

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने इस बात पर ज़ोर दिया कि प्रत्येक यात्री, चाहे वह किसी भी श्रेणी में यात्रा कर रहा हो, रेल प्रशासन से सुरक्षा, देखभाल और सतर्कता के समान मानकों का हकदार है।जस्टिस हिमांशु जोशी की पीठ ने एक यात्री के भीड़भाड़ वाली ट्रेन से गिरने के कारण अपने दोनों पैर गंवाने के बाद सुरक्षित यात्रा की स्थिति सुनिश्चित करने में विफल रहने के लिए रेलवे को उत्तरदायी ठहराया।पीठ ने कहा,"यह न्यायालय यह टिप्पणी करने के लिए बाध्य है कि रेल प्रशासन को सामान्य श्रेणी में यात्रा करने वाले यात्रियों के...

1996 गाज़ियाबाद बस धमाका: पुलिस के बयान मान्य नहीं, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आरोपी को भारी मन से बरी किया
1996 गाज़ियाबाद बस धमाका: पुलिस के बयान मान्य नहीं, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आरोपी को 'भारी मन से' बरी किया

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 1996 के मोदीनगर–गाज़ियाबाद बस बम धमाका मामले में दोषी ठहराए गए मोहम्मद इलियास को बरी कर दिया है। 51 पन्नों के विस्तृत फैसले में अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोप साबित करने में पूरी तरह विफल रहा और पुलिस द्वारा रिकॉर्ड किया गया इलियास का कथित इक़बाल-ए-जुर्म भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 25 के चलते कानूनी रूप से स्वीकार नहीं किया जा सकता।जस्टिस सिद्धार्थ और जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा की खंडपीठ ने कहा कि पुलिस के समक्ष दिया गया कथित बयान एक वरिष्ठ अधिकारी द्वारा टेप पर...

पति की तलाक याचिका का बदला लेने के लिए अलग होने के 20 महीने बाद दर्ज की गई FIR: हाईकोर्ट ने पत्नी की क्रूरता की FIR खारिज की
पति की तलाक याचिका का बदला लेने के लिए अलग होने के 20 महीने बाद दर्ज की गई FIR: हाईकोर्ट ने पत्नी की क्रूरता की FIR खारिज की

राजस्थान हाईकोर्ट ने पति के खिलाफ दर्ज की गई धारा 498ए की क्रूरता FIR को रद्द करते हुए कहा है कि यह मामला स्पष्ट रूप से प्रतिशोध (retaliation) के तौर पर दायर किया गया था। अदालत ने पाया कि पत्नी ने पति से अलग रहने के लगभग 20 महीने बाद यह FIR दर्ज कराई, और वह भी तब जब पति ने तलाक की कार्यवाही शुरू की। इस तरह की देरी और परिस्थितियाँ यह दर्शाती हैं कि मामला केवल बदला लेने के लिए दर्ज किया गया था।जस्टिस आनंद शर्मा की बेंच ने अपने फैसले में यह भी रेखांकित किया कि पत्नी ने तलाक याचिका का विरोध करते हुए...

पासओवर/स्थगन को वकील का अधिकार न समझें, यह सिर्फ अदालत की शिष्टाचार-भर सुविधा: दिल्ली हाईकोर्ट
पासओवर/स्थगन को वकील का अधिकार न समझें, यह सिर्फ अदालत की शिष्टाचार-भर सुविधा: दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि अदालत द्वारा वकीलों को दिया जाने वाला पासओवर (pass over) या स्थगन (adjournment) किसी भी स्थिति में उनका अधिकार नहीं है, बल्कि यह केवल अदालत की ओर से दी गई एक शिष्टाचार-आधारित सुविधा है।जस्टिस गिरिश काथपालिया ने यह टिप्पणी उस समय की जब अदालत 2006 से लंबित एक सिविल मुकदमे में बचाव पक्ष के गवाह की जिरह करने का अधिकार बंद किए जाने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिकाकर्ता की ओर से यह दावा किया गया कि ट्रायल कोर्ट ने उचित अवसर नहीं दिया और 1...

आरोपित के निष्पक्ष मुक़दमे के अधिकार को पुलिस की निजता पर प्राथमिकता: राजस्थान हाईकोर्ट ने अधिकारी के मोबाइल लोकेशन रिकॉर्ड सुरक्षित रखने का आदेश दिया
आरोपित के निष्पक्ष मुक़दमे के अधिकार को पुलिस की निजता पर प्राथमिकता: राजस्थान हाईकोर्ट ने अधिकारी के मोबाइल लोकेशन रिकॉर्ड सुरक्षित रखने का आदेश दिया

राजस्थान हाईकोर्ट ने मादक पदार्थ नियंत्रण कानून के एक मामले में आरोपी द्वारा लगाए गए गंभीर आरोपों को देखते हुए महत्वपूर्ण आदेश पारित किया। आरोपी का कहना था कि जिस पुलिस अधिकारी ने उसके ख़िलाफ़ बरामदगी दिखाई वह घटना से पहले ही स्थल पर मौजूद था और उसी ने उसके पास से बरामद दिखाए गए पदार्थ को वहां रखा। इसी पृष्ठभूमि में न्यायालय ने उक्त अधिकारी के मोबाइल टावर लोकेशन का रिकॉर्ड सुरक्षित रखने का निर्देश दिया।जस्टिस अनुप कुमार ढांड ने अपने आदेश में स्पष्ट कहा कि यद्यपि इस प्रकार का निर्देश पुलिस...

बच्चे की कस्टडी तय करते समय माता-पिता के अप्रमाणित अनैतिक कृत्य प्रासंगिक नहीं: दिल्ली हाईकोर्ट
बच्चे की कस्टडी तय करते समय माता-पिता के अप्रमाणित अनैतिक कृत्य प्रासंगिक नहीं: दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को कहा कि बच्चों की कस्टडी के मामलों में निर्णय एक माता-पिता द्वारा दूसरे पर "नैतिक आचरण के अप्रमाणित आरोप" के आधार पर नहीं हो सकता।जस्टिस अनिल क्षेत्रपाल और जस्टिस हरीश वैद्यनाथन शंकर की खंडपीठ ने कहा कि कस्टडी विवादों में नाबालिग बच्चे का कल्याण माता-पिता के कानूनी अधिकारों से ऊपर, नियंत्रित और सर्वोपरि सुनवाई योग्य होता है।कोर्ट ने कहा,"हालांकि माता-पिता की वित्तीय स्थिरता या संपन्नता एक प्रासंगिक कारक हो सकती है, लेकिन यह अकेले भावनात्मक सुरक्षा, अपनेपन की भावना और...

जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट: बिना किसी आपराधिक इरादे के जोर से खींचने पर महिलाओं का सिर ढकने वाला कपड़ा गिरना शरम-भंग नहीं
जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट: बिना किसी आपराधिक इरादे के जोर से खींचने पर महिलाओं का सिर ढकने वाला कपड़ा गिरना 'शरम-भंग' नहीं

जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में स्पष्ट किया कि किसी महिला का सिर ढकने वाला कपड़ा (हिजाब/दुपट्टा/ओढ़नी) महज़ जोर लगने के कारण गिर जाना तब तक 'शरम-भंग' (Section 354 IPC) के अपराध की श्रेणी में नहीं आता, जब तक आरोपी का स्पष्ट इरादा महिला की मर्यादा भंग करने का न हो। अदालत ने कहा कि महिला के साथ किसी भी प्रकार का बल प्रयोग या हमला तभी दंडनीय है, जब उसके पीछे महिला की गरिमा को ठेस पहुँचाने का उद्देश्य या ऐसी संभावना का ज्ञान मौजूद हो।जस्टिस संजय धर एक याचिका पर सुनवाई कर...

अंतरिम निषेधाज्ञा पर केवल नोटिस जारी करने का आदेश अपील योग्य नहीं: दिल्ली हाईकोर्ट का स्पष्ट निर्देश
अंतरिम निषेधाज्ञा पर केवल नोटिस जारी करने का आदेश अपील योग्य नहीं: दिल्ली हाईकोर्ट का स्पष्ट निर्देश

दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में यह साफ कर दिया कि अंतरिम निषेधाज्ञा (इंजंक्शन) के लिए दायर आवेदन पर केवल नोटिस जारी करने का आदेश न तो निषेधाज्ञा देने के समान है और न ही उसे अस्वीकार करने के रूप में देखा जा सकता है। अदालत ने कहा कि ऐसा आदेश न तो अंतिम निर्णय है और न ही अपील योग्य, इसलिए इसे वाणिज्यिक न्यायालय अधिनियम, 2015 की धारा 13 के तहत चुनौती नहीं दी जा सकती।जस्टिस सी. हरि शंकर और जस्टिस ओम प्रकाश शुक्ला की खंडपीठ ने यह फैसला परपेचुअल विज़न एलएलपी एवं अन्य द्वारा दायर अपील खारिज करते हुए...

हेड कॉन्स्टेबल पर रिश्वत लेते दिखाने वाले एडिटिड वीडियो मामले में पत्रकार को मिली अग्रिम ज़मानत
हेड कॉन्स्टेबल पर रिश्वत लेते दिखाने वाले एडिटिड वीडियो मामले में पत्रकार को मिली अग्रिम ज़मानत

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने सोमवार 17 नवंबर को तेज़ इंडिया यूट्यूब चैनल पर वायरल हुए वीडियो के मामले में पत्रकार रफ़ीक़ ख़ान की अग्रिम ज़मानत मंज़ूर की। ख़ान पर आरोप है कि उन्होंने वीडियो को एडिट कर ऐसा दिखाया कि रतलाम के एक हेड कॉन्स्टेबल ने ऑटोरिक्शा चालक से रिश्वत ली।मामले की डायरी के अनुसार हेड कॉन्स्टेबल ने थाना प्रभारी को लिखित शिकायत दी कि रेलवे स्टेशन क्षेत्र में ड्यूटी के दौरान उन्हें ऑटोरिक्शा चालक वाहनों की आवाजाही में बाधा डालता मिला। चालक के भागने पर कुछ दूरी पर उसे रोककर 'नो पार्किंग...