हाईकोर्ट
किसी हाई-प्रोफ़ाइल मामले में बरी होना.. और आपराधिक न्याय प्रणाली का ढांचागत संकट
मलयालम फ़िल्म अभिनेता दिलीप को एक बेहद चर्चित अपहरण और यौन उत्पीड़न साजिश मामले में हाल ही में मिले बरी होने के आदेश ने एक बार फिर भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली को तीखी सार्वजनिक और कानूनी समीक्षा के केंद्र में ला खड़ा किया है। पूरा विस्तृत फ़ैसला अभी अपलोड भी नहीं हुआ है, लेकिन केरल और उसके बाहर जन-प्रतिक्रियाएं गहराई से बंटी हुई हैं। एक वर्ग इस फ़ैसले को आरोपी की पूर्ण जीत के रूप में देख रहा है, जबकि दूसरा मानता है कि न्याय पीड़िता के साथ खड़ा होने में विफल रहा है। यह ध्रुवीकरण टीवी डिबेट,...
फेसबुक पर 'राष्ट्र-विरोधी' पोस्ट: J&K&L हाईकोर्ट ने निवारक हिरासत सही बताई, बंदी की याचिका खारिज
जम्मू और कश्मीर हाईकोर्ट ने फेसबुक पर सुरक्षा चिंताओं को बढ़ाने वाली सामग्रियाँ पोस्ट करने के आरोप में हिरासत में लिए गए व्यक्ति के खिलाफ पारित निवारक हिरासत आदेश को बरकरार रखा है। अदालत ने माना कि निरोधक प्राधिकार का यह निर्णय यांत्रिक नहीं था, बल्कि ऐसे समुचित सामग्री पर आधारित था जिससे यह संतोषजनक रूप से निष्कर्ष निकाला जा सकता था कि व्यक्ति को भविष्य में हानि पहुँचाने वाली गतिविधियों से रोकने के लिए उसकी हिरासत आवश्यक है।जस्टिस संजय धर ने दर्ज किया कि अधिकारियों ने detenue की फेसबुक...
नाबालिग से यौन अपराध जघन्य अपराध; एकमात्र घटना पर भी डिटेंशन संभव : मद्रास हाईकोर्ट
मद्रास हाईकोर्ट ने हाल ही में यह स्पष्ट किया है कि नाबालिग के विरुद्ध यौन अपराध समाज के खिलाफ गंभीर और जघन्य अपराध है, और ऐसी स्थिति में केवल एक घटना के आधार पर भी तमिलनाडु गूंडास एक्ट के तहत आरोपी के खिलाफ डिटेंशन आदेश पारित किया जा सकता है।जस्टिस जी.के. इलंथिरैयन और जस्टिस आर. पूर्णिमा की खंडपीठ ने एक हैबियस कॉर्पस याचिका खारिज करते हुए कहा कि आरोपी द्वारा उठाया गया यह तर्क अस्वीकार्य है कि “एक घटना” से सार्वजनिक व्यवस्था बाधित नहीं होती और इसलिए डिटेंशन उचित नहीं है।यौन अपराध के मामले में 'एक...
ज़ी एंटरटेनमेंट बनाम शेयरचैट-मोज मामला: दिल्ली हाईकोर्ट ने क्षेत्राधिकार मान्य किया, वाद लौटाने से इनकार
दिल्ली हाईकोर्ट ने ज़ी एंटरटेनमेंट द्वारा शेयरचैट और मोज प्लेटफॉर्म के खिलाफ दायर कॉपीराइट उल्लंघन वाद को लौटाने से इंकार कर दिया। अदालत ने माना है कि इस मामले की सुनवाई के लिए दिल्ली हाईकोर्ट के पास क्षेत्रीय अधिकारिता मौजूद है।जस्टिस मिनी पुष्कर्णा ने मोहल्ला टेक प्राइवेट लिमिटेड (शेयरचैट एवं मोज की स्वामी संस्था) की उस अर्जी को खारिज कर दिया, जिसमें कथित क्षेत्राधिकार के अभाव का हवाला देते हुए वादपत्र लौटाने का अनुरोध किया गया।यह वाद सोशल नेटवर्किंग मंच शेयरचैट और शॉर्ट-वीडियो मंच मोज के...
लिव-इन रिश्ते में रह रहे बालिग जोड़े को संरक्षण का अधिकार, भले ही युवक 21 वर्ष से कम हो: राजस्थान हाईकोर्ट
राजस्थान हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण आदेश में स्पष्ट किया कि यदि महिला और पुरुष दोनों बालिग हैं तथा आपसी सहमति से लिव-इन संबंध में रह रहे हैं, तो उन्हें पुलिस संरक्षण पाने का पूरा अधिकार है, भले ही युवक की आयु 21 वर्ष से कम हो।जस्टिस अनूप कुमार ढंड की एकलपीठ ने यह आदेश 18 वर्षीय युवती और 19 वर्षीय युवक द्वारा दायर याचिका पर पारित किया।याचिकाकर्ताओं ने अपने परिवारजनों से जान के खतरे की आशंका जताते हुए पुलिस सुरक्षा की मांग की थी।मामले में याचिकाकर्ताओं ने बताया कि वे विवाह करना चाहते हैं, किंतु युवक...
पूर्व वकील से अनापत्ति प्रमाणपत्र केवल सदाचार की प्रक्रिया, नया वकील बिना NOC के भी जमानत पर बहस कर सकता है: इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में स्पष्ट किया कि किसी आपराधिक मामले में पुराने वकील से अनापत्ति प्रमाणपत्र (NOC) लेना केवल सदाचार की प्रक्रिया है कोई कानूनी अनिवार्यता नहीं। यदि नया वकील अपने मुवक्किल द्वारा विधिवत अधिकृत है तो वह बिना एनओसी के भी जमानत याचिका प्रस्तुत कर सकता है।जस्टिस राजेश सिंह चौहान एवं जस्टिस अभयदेश कुमार चौधारी की खंडपीठ ने यह टिप्पणी दहेज मृत्यु से संबंधित एक मामले की सुनवाई के दौरान की।इसमें अपीलकर्ता मनोरमा शुक्ला जिनकी अगस्त 2021 में अपर सत्र...
ECI गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक पार्टी के अंदरूनी विवादों पर फैसला नहीं कर सकता: दिल्ली हाईकोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि भारतीय चुनाव आयोग (ECI) किसी गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक पार्टी के अंदरूनी विवादों पर फैसला नहीं कर सकता। ऐसे विवादों को सिविल मुकदमे में ही सुलझाना होगा।जस्टिस मिनी पुष्करणा ने कहा,"ECI किसी रजिस्टर्ड गैर-मान्यता प्राप्त पार्टी के अंदरूनी विवादों के मामले में किसी भी विरोधी गुट को मान्यता नहीं देगा, क्योंकि इन विवादों को सुलझाना ECI का काम नहीं है। एक रजिस्टर्ड और गैर-मान्यता प्राप्त पार्टी में ऐसे आपसी विवादों को सिविल मुकदमे में ही सुलझाना होगा।"कोर्ट...
ECI गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक पार्टी के अंदरूनी विवादों पर फैसला नहीं कर सकता: दिल्ली हाईकोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि भारतीय चुनाव आयोग (ECI) किसी गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक पार्टी के अंदरूनी विवादों पर फैसला नहीं कर सकता। ऐसे विवादों को सिविल मुकदमे में ही सुलझाना होगा।जस्टिस मिनी पुष्करणा ने कहा,"ECI किसी रजिस्टर्ड गैर-मान्यता प्राप्त पार्टी के अंदरूनी विवादों के मामले में किसी भी विरोधी गुट को मान्यता नहीं देगा, क्योंकि इन विवादों को सुलझाना ECI का काम नहीं है। एक रजिस्टर्ड और गैर-मान्यता प्राप्त पार्टी में ऐसे आपसी विवादों को सिविल मुकदमे में ही सुलझाना होगा।"कोर्ट...
सीनियर सिटीजन एक्ट का दुरुपयोग नहीं किया जा सकता: बॉम्बे हाईकोर्ट ने बेटे की बेदखली आदेश रद्द किया
बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार (8 दिसंबर) को कहा कि वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण एवं कल्याण अधिनियम, 2007 एक कल्याणकारी कानून है, जिसका उद्देश्य असहाय एवं संवेदनशील वरिष्ठ नागरिकों की सुरक्षा करना है। अदालत ने स्पष्ट किया कि इस अधिनियम का उपयोग वरिष्ठ नागरिक *अपने बच्चों को कानून का पालन किए बिना बेदखल करने के साधन* के रूप में नहीं कर सकते।जस्टिस रियाज़ छागला और जस्टिस फरहान दुबाश की खंडपीठ ने ट्रिब्यूनल और अपीलीय ट्रिब्यूनल के उन आदेशों को रद्द कर दिया, जिनमें मुंबई के आंधेरी स्थित एक बंगले से 53...
जम्मू-कश्मीर के उपमुख्यमंत्री के मानहानि मामले में दिल्ली हाईकोर्ट का निर्देश: सोशल मीडिया अपलोडरों को पक्षकार बनाया जाए
दिल्ली हाईकोर्ट ने जम्मू-कश्मीर के उपमुख्यमंत्री सुरिंदर कुमार चौधरी को निर्देश दिया कि वह अपनी मानहानि याचिका में उन व्यक्तियों को भी पक्षकार बनाएं, जिन्होंने उनके विरुद्ध कथित आपत्तिजनक सामग्री सोशल मीडिया पर अपलोड की।जस्टिस अमित बंसल ने चौधरी द्वारा दायर उस आवेदन को स्वीकार कर लिया, जिसके माध्यम से मामले की सुनवाई की तारीख आगे किए जाने की मांग की गई थी। यह प्रकरण पहले 13 जनवरी 2026 को सूचीबद्ध था, जिसे अब 16 दिसंबर को सुनवाई के लिए तय किया गया।अदालत ने अपने आदेश में कहा कि वादी अपलोडरों को...
कर्नाटक हाईकोर्ट ने मासिक धर्म अवकाश संबंधी सरकारी आदेश पर लगाई रोक
कर्नाटक हाईकोर्ट ने औद्योगिक प्रतिष्ठानों में कार्यरत महिला कर्मचारियों को प्रति माह एक दिन का सवेतन मासिक धर्म अवकाश देने संबंधी राज्य सरकार के आदेश पर अंतरिम रोक लगाई।अदालत ने 20 नवंबर को जारी उस सरकारी अधिसूचना के क्रियान्वयन को फिलहाल स्थगित कर दिया, जिसमें विभिन्न कानूनों के तहत पंजीकृत औद्योगिक प्रतिष्ठानों को सभी स्थायी, संविदा एवं आउटसोर्स महिला कर्मचारियों को यह अवकाश देने का निर्देश दिया गया था।जस्टिस ज्योति एम ने मामले की सुनवाई के दौरान सरकार को नोटिस स्वीकार करने का निर्देश देते हुए...
अजमेर शरीफ़ दरगाह पर कार्रवाई से पहले सुनवाई अनिवार्य: दिल्ली हाईकोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि अजमेर स्थित ख्वाजा साहब दरगाह परिसर के भीतर और उससे जुड़े क्षेत्रों में किसी भी ढांचे को हटाने या ध्वस्त करने से पहले प्रभावित पक्षों को अनिवार्य रूप से सुनवाई का अवसर दिया जाए।न्यायालय ने स्पष्ट किया कि बिना प्रक्रिया का पालन किए सीधे कार्रवाई करना प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के विरुद्ध होगा।जस्टिस सचिन दत्ता ने कहा कि 22 नवंबर को जारी हटाने के नोटिस के आधार पर कोई भी त्वरित या एकतरफा कदम उठाने से पहले संबंधित प्रत्येक व्यक्ति को अलग-अलग कारण...
SC/ST Act का 'गलत इस्तेमाल' नहीं होना चाहिए: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 9 साल की देरी के बाद दर्ज FIR में ज़मानत दी
SC-ST Act 1989 के तहत रेप और अपराधों के आरोपों से जुड़ी FIR में दो आरोपियों को ज़मानत देते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि स्पेशल कानून के तहत पीड़ित को दिए गए अधिकारों का "गलत इस्तेमाल और गलत इस्तेमाल नहीं होना चाहिए"।जस्टिस अनिल कुमार-X की बेंच ने अपील करने वालों [अज़नान खान और फुरकान इलाही] को ज़मानत दी, जिसमें मुख्य रूप से FIR दर्ज करने में 9 साल की बिना वजह की देरी और विक्टिम, जो खुद एक प्रैक्टिसिंग वकील हैं, के 'गलत' बर्ताव को ध्यान में रखा गया।संक्षेप में मामलापीड़िता ने इस साल...
महिला का साझा घर का अधिकार ससुराल वालों के घर में हमेशा के लिए रहने का लाइसेंस नहीं: दिल्ली हाईकोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट ने माना कि घरेलू हिंसा एक्ट की धारा 17 के तहत महिला का साझा घर का अधिकार सुरक्षा का अधिकार है, न कि मालिकाना हक का अधिकार या ससुराल वालों की जगह पर हमेशा के लिए रहने का लाइसेंस, खासकर तब जब ऐसे कब्जे से सीनियर सिटिजन को साफ नुकसान होता हो।जस्टिस अनिल क्षेत्रपाल और जस्टिस हरीश वैद्यनाथन शंकर की डिवीजन बेंच ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने हमेशा माना कि ऐसे अधिकार को सीनियर सिटिजन माता-पिता के अपनी प्रॉपर्टी पर शांति से कब्जे और उसके इस्तेमाल के अधिकारों के साथ बैलेंस किया जाना...
NDPS मामलों में ट्रायल पेंडिंग रहने तक जमानत देने के 'रीजनेबल ग्राउंड्स' को BSA के तहत 'प्रूफ' नहीं माना जा सकता: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट
जमानत आवेदन के मामले में 'रीजनेबल ग्राउंड्स' की बैलेंस्ड व्याख्या के महत्व पर ज़ोर देते हुए जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने इस बात पर ज़ोर दिया कि ऐसे ग्राउंड्स सिर्फ़ शक से आगे जाने चाहिए, लेकिन पक्के सबूत से कम होने चाहिए।जस्टिस मोहम्मद यूसुफ वानी की बेंच ने आगे कहा,“'रीजनेबल ग्राउंड्स' शब्दों का मतलब 'भारतीय साक्ष्य अधिनियम' में इस्तेमाल किए गए साबित होने के तौर पर नहीं पढ़ा जा सकता। मेरी राय में ऐसी व्याख्या कोर्ट को ट्रायल पेंडिंग रहने तक बेल देने की मिली शक्ति को खत्म कर देगी। 'रीजनेबल...
2023 विक्रम अवॉर्ड: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने एडवेंचर स्पोर्ट्स कैटेगरी में माउंटेनियर भावना डेहरिया के सलेक्शन को चुनौती देने वाली अर्जी खारिज की
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने सोमवार (8 दिसंबर) को माउंटेनियर मधुसूदन पाटीदार की अर्जी खारिज की, जिसमें 2023 विक्रम अवॉर्ड (एडवेंचर स्पोर्ट्स कैटेगरी) के लिए अवॉर्डी को चुनने में राज्य सरकार की तरफ से 'निष्क्रियता और भेदभाव' का आरोप लगाया गया था और खास तौर पर माउंटेनियर भावना डेहरिया के सिलेक्शन को चुनौती दी गई थी।जस्टिस प्रणय वर्मा ने कहा कि पाटीदार मध्य प्रदेश अवॉर्ड रूल्स, 2021 के तहत विचार के लिए अयोग्य हैं, क्योंकि उनका माउंट एवरेस्ट समिट, जो उनके दावे का एक ज़रूरी आधार है, तय पांच साल की...
कोर्ट अमेंडमेंट एप्लीकेशन पर फैसला करते समय लोकल कमिश्नर की रिपोर्ट की सच्चाई का पता नहीं लगा सकता: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा कि ऑर्डर 6 रूल 17 CPC के तहत किसी एप्लीकेशन पर फैसला करते समय अपील कोर्ट लोकल कमिश्नर की रिपोर्ट की सच्चाई पर सवाल नहीं उठा सकता, क्योंकि इसकी सच्चाई की जांच करना पार्टियों के अधिकार क्षेत्र में आता है और इसे सबूतों के ज़रिए परखा जाना चाहिए।कोर्ट ने आगे कहा कि अमेंडमेंट की इजाज़त देने का मतलब उसे स्वीकार करना नहीं है, रेस्पोंडेंट के पास अभी भी लिखित बयान और सबूतों के ज़रिए बदली हुई दलीलों को चुनौती देने का मौका होगा।जस्टिस अजय मोहन गोयल ने कहा:“रिपोर्ट पर आपत्ति...
बालिग अविवाहित बेटी CrPC की धारा 125 के तहत पिता से भरण-पोषण मांग सकती है: दिल्ली हाईकोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि बालिग अविवाहित बेटी CrPC की धारा 125 के तहत पिता से मेंटेनेंस मांगने के लिए मां के साथ जॉइंट एप्लीकेशन फाइल कर सकती है।जस्टिस अमित महाजन ने कहा कि एक बालिग हिंदू बेटी हिंदू एडॉप्शन एंड मेंटेनेंस एक्ट, 1956 की धारा 20 के तहत अपने पिता से मेंटेनेंस पाने की हकदार है, जब तक वह अविवाहित है और अपनी कमाई और प्रॉपर्टी से अपना मेंटेनेंस नहीं कर सकती।जज ने एक पिता की उस अर्जी को खारिज कर दिया, जिसमें फैमिली कोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई थी। फैमिली कोर्ट ने अपने इस आदेश में बेटी...
भारत का संविधान: तनाव में वर्तमान, नाजुक भविष्य
क्या सरकार की ओर से कार्य करने वाले राष्ट्रपति संविधान के अनुच्छेद 143 के तहत सुप्रीम कोर्ट के सलाहकार क्षेत्राधिकार को लागू करके सुप्रीम कोर्ट के किसी निर्णय या बाध्यकारी मिसाल को पूर्ववत करने की कोशिश कर सकते हैं?क्या सुप्रीम कोर्ट "कार्यात्मक संदर्भ" में कानून के बारे में अपने दृष्टिकोण को व्यक्त करने की आड़ में, संविधान के तहत निर्वाचित विधायिका के आवश्यक कार्यों और कामकाज को अपंग कर सकता है?क्या सुप्रीम कोर्ट भारत के राष्ट्रपति के संवैधानिक कार्यालय को अपनी राय देते हुए चुनिंदा रूप से...
NCDRC के आदेशों के खिलाफ आर्टिकल 226 की रिट केवल 'अपवादात्मक परिस्थितियों' में ही स्वीकार्य: इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (NCDRC) के आदेशों को चुनौती देने वाली रिट याचिका संविधान के आर्टिकल 226 के तहत तो दायर की जा सकती है, लेकिन इस अधिकार का उपयोग केवल अत्यंत अपवादात्मक परिस्थितियों में ही किया जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि सामान्य परिस्थितियों में किसी भी पक्षकार को वैकल्पिक उपाय, यानी हाईकोर्ट की सुपरवाइजरी जुरिस्डिक्शन के तहत आर्टिकल 227 का सहारा लेना होगा।जस्टिस शेखर बी. सराफ और जस्टिस प्रशांत कुमार की खंडपीठ ने एम/एस साहू लैंड...




















