संपादकीय

मोटर वाहन दुर्घटना : सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस द्वारा पहली दुर्घटना रिपोर्ट दर्ज करने के लिए कई दिशा-निर्देश जारी किए, स्पेशल पुलिस यूनिट गठन करने को कहा
मोटर वाहन दुर्घटना : सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस द्वारा पहली दुर्घटना रिपोर्ट दर्ज करने के लिए कई दिशा-निर्देश जारी किए, स्पेशल पुलिस यूनिट गठन करने को कहा

मोटर वाहन संशोधन अधिनियम 2019 और संबंधित नियमों का उचित अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए, न्यायालय ने सभी राज्यों के पुलिस विभाग को तीन महीने के भीतर प्रत्येक पुलिस स्टेशन में एक स्पेशल यूनिट और प्रशिक्षित पुलिस अधिकारियों को तैनात करने का निर्देश दिया।जस्टिस एस अब्दुल नज़ीर और जस्टिस जेके माहेश्वरी की पीठ ने कहा, "एमवी संशोधन अधिनियम और उसके तहत बनाए गए नियमों के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए मोटर दुर्घटना दावा मामलों से निपटने के लिए निर्दिष्ट प्रशिक्षित पुलिसकर्मियों की प्रतिनियुक्ति की आवश्यकता...

जमानत और व्यक्तिगत स्वतंत्रता: सुप्रीम कोर्ट के साल 2022 के कुछ उल्लेखनीय जजमेंट/ऑर्डर
जमानत और व्यक्तिगत स्वतंत्रता: सुप्रीम कोर्ट के साल 2022 के कुछ उल्लेखनीय जजमेंट/ऑर्डर

भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने इस महीने की शुरुआत में टिप्पणी की थी कि सुप्रीम कोर्ट के लिए कोई मामला छोटा नहीं है और उसे व्यक्तिगत स्वतंत्रता से संबंधित मामलों में हस्तक्षेप करना चाहिए। पिछले वर्ष व्यक्तिगत स्वतंत्रता के संबंध में सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित आदेशों पर एक विस्तृत नज़र डालने से संकेत मिलता है कि शीर्ष अद्लात ने कई मामलों में भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत मौलिक अधिकार की गारंटी दी है।इस वर्ष की सबसे बड़ी हाइलाइट्स में से एक यह थी कि शीर्ष अदालत ने केंद्र को...

यूपी शहरी निकाय चुनाव बिना ओबीसी कोटे के कराने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया
यूपी शहरी निकाय चुनाव बिना ओबीसी कोटे के कराने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया

इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) द्वारा राज्य निर्वाचन आयोग/राज्य सरकार को ओबीसी आरक्षण प्रदान किए बिना शहरी स्थानीय निकाय चुनावों को तुरंत अधिसूचित करने का निर्देश देने के दो दिन बाद, यूपी सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के समक्ष विशेष अनुमति याचिका (SLP) दायर की है।गौरतलब हो कि 27 दिसंबर को जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय और जस्टिस सौरभ लवानिया की खंडपीठ ने शहरी स्थानीय निकाय चुनावों में ओबीसी कोटा प्रदान करने वाला राज्य सरकार की...

कर्नाटक सरकार ने मैरिटल रेप के लिए पति पर मुकदमा चलाने का समर्थन किया; सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट जजमेंट के पक्ष में हलफनामा दाखिल
कर्नाटक सरकार ने मैरिटल रेप के लिए पति पर मुकदमा चलाने का समर्थन किया; सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट जजमेंट के पक्ष में हलफनामा दाखिल

कर्नाटक सरकार ने मैरिटल रेप के मामले में पति के खिलाफ मुकदमा चलाने का समर्थन किया। राज्य सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले का समर्थन करते हुए सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया, जिसमें पत्नी के साथ जबरन यौन संबंध के लिए भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 376 के तहत पति के खिलाफ लगाए गए आरोपों को बरकरार रखा गया।इस संबंध में, यह ध्यान देने योग्य है कि केंद्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट के समक्ष दायर याचिकाओं में आईपीसी की धारा 375 के अपवाद 2 को चुनौती देते हुए मैरिटल रेप को आपराधिक बनाने पर स्पष्ट रुख...

राइट टू बी फॉरगेटन- केरल हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को फैमिली केस और इन-कैमरा सुनवाई में व्यक्तिगत पहचान को मिटाने की अनुमति दी
राइट टू बी फॉरगेटन- केरल हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को फैमिली केस और इन-कैमरा सुनवाई में व्यक्तिगत पहचान को मिटाने की अनुमति दी

केरल हाईकोर्ट ने "राइट टू बी फॉरगेटन" पर महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए गुरुवार को कहा कि पक्षकारों के अनुरोध पर परिवार और वैवाहिक मामलों के संबंध में पक्षकारों की व्यक्तिगत जानकारी को हाईकोर्ट की वेबसाइट पर प्रकाशित नहीं किया जा सकता।यह मानते हुए कि निजता के अधिकार के आधार पर व्यक्तिगत जानकारी के संरक्षण का दावा ओपन कोर्ट न्याय प्रणाली में सह-अस्तित्व में नहीं हो सकता है, न्यायालय ने हालांकि वैवाहिक मामलों में और ऐसे मामलों में जहां कानून ओपन कोर्ट सिस्टम (मामलों) को मान्यता नहीं देता है, उनमें...

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ के कार्यकाल में सुप्रीम कोर्ट के काम में आई तेजी, 40 दिनों में निपटाए गए 6844 मामले
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ के कार्यकाल में सुप्रीम कोर्ट के काम में आई तेजी, 40 दिनों में निपटाए गए 6844 मामले

आंकड़ों से पता चला है कि चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डी वाई चंद्रचूड़ के कार्यकाल में सुप्रीम कोर्ट के काम में तेजी आई है। 40 दिनों में कुल 6,844 मामले निपटाए गए। 9 नवंबर से 16 दिसंबर के बीच 5,898 नए मामले दर्ज किए गए, जबकि निपटाए गए मामलों की संख्या ज्यादा है।जब से चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठतम जज के साथ-साथ उसके प्रशासनिक प्रमुख के रूप में कार्यभार संभाला, तब से 5,898 नए मामले दायर किए गए और इसकी तुलना में कुल 6,844 मामलों का निपटारा किया गया।इसलिए, प्रतिदिन औसतन 179 नए मामलों की...

Justice BN Srikrishna
एक जज और एक पत्रकार को स्वतंत्र होना चाहिए; अगर वे लड़खड़ाते हैं तो पूरा लोकतंत्र हिल जाता है: जस्टिस बीएन श्रीकृष्ण

"एक जज और एक पत्रकार को अनिवार्य रूप से स्वतंत्र होना चाहिए; अगर वे लड़खड़ाते हैं तो पूरा लोकतंत्र हिल जाता है।"सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस बी एन श्रीकृष्ण ने शनिवार को मुंबई प्रेस क्लब द्वारा आयोजित रेडइंक्स पुरस्कार समारोह में ये बातें कहीं।जस्टिस बी एन श्रीकृष्ण ने कहा कि आज के माहौल में चर्चा का शब्द राम है, क्या मैं सही हूं? तो मैं रामायण को कोट कर देता हूं। मैं नहीं जानता कि वास्तव में राम को मानने वाले कितने लोगों ने रामायण पढ़ी है।जस्टिस ने आगे कहा,"विभीषण द्वारा अपने बड़े भाई...

मैं नहीं चाहता कि अदालत भगवा हो : सरकार का न्यायाधीशों की नियुक्ति पर नियंत्रण होने से बेहतर है कोलेजियम सिस्टम : कपिल सिब्बल
'मैं नहीं चाहता कि अदालत भगवा हो' : सरकार का न्यायाधीशों की नियुक्ति पर नियंत्रण होने से बेहतर है कोलेजियम सिस्टम : कपिल सिब्बल

सीनियर एडवोकेट और पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने मिरर नाउ चैनल को दिए एक साक्षात्कार में कहा, भले ही कॉलेजियम प्रणाली सही नहीं है, लेकिन यह इससे बेहतर है कि न्यायाधीशों की नियुक्ति पर सरकार का पूरा नियंत्रण हो।उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार का सभी सार्वजनिक कार्यालयों पर नियंत्रण है और यदि वह "अपने स्वयं के न्यायाधीशों" की नियुक्ति करके न्यायपालिका पर भी कब्जा कर लेती है तो यह लोकतंत्र के लिए खतरनाक होगा। "वे (सरकार) अपने लोगों को वहां (न्यायपालिका) चाहते हैं। अब यूनिवर्सिटी में...

CJI Chandrachud
न्यायपालिका में अधीनता की भावना हमें सर्वश्रेष्ठ इनपुट प्राप्त करने से रोकती है : सीजेआई चंद्रचूड़

भारत के मुख्य न्यायाधीश डॉ डी वाई चंद्रचूड़ ने शनिवार को न्यायपालिका में अनकहे पदानुक्रम (Hierarchy) के बारे में बात की जहां बार से सीधे नियुक्त न्यायाधीशों को सीधे न्यायिक सेवाओं से नियुक्त किए गए न्यायाधीशों से बेहतर माना जाता है। उन्होंने कहा, "सेवाओं से आने वाले और बार से आने वालों के बीच एक विभाजन है। मुझे लगता है कि यह विभाजन समाप्त होना चाहिए। सेवाओं से आने वालों का हाईकोर्ट को समृद्ध बनाने में बहुत कुछ योगदान है। "बार के सदस्य कानूनी पेशे के साथ हाल के अनुभव की ताजगी की भावना लाते हैं,...