ब्रेकिंग- बॉम्बे हाईकोर्ट ने अनिल देशमुख की जमानत के आदेश पर रोक बढ़ाने से इनकार किया

Brij Nandan

27 Dec 2022 10:08 AM GMT

  • Anil Deshmukh

    Anil Deshmukh

    बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) ने भ्रष्टाचार मामले में राज्य के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख (Anil Deshmukh) की जमानत के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया, क्योंकि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने जमानत आदेश पर रोक की अवधि बढ़ाने की मांग करते हुए वेकेशन बैंच का दरवाजा खटखटाया था।

    जस्टिस संतोष चपलगांवकर ने नियमित अदालत के पहले के आदेश के आलोक में सीबीआई की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया और कहा कि आगे जमानत पर रोक के आदेश को अब और नहीं बढ़ाया जाएगा।

    जस्टिस एम.एस. कार्णिक की सिंगल जज पीठ ने 21 दिसंबर को जमानत आदेश के प्रभाव को आज तक (27 दिसंबर) तक रोकते हुए कहा था,

    "यह स्पष्ट किया जाता है कि किसी भी परिस्थिति में रोक बढ़ाने के अनुरोध पर विचार नहीं किया जाएगा।"

    जमानत आदेश को चुनौती देने के मामले में सुप्रीम कोर्ट के समक्ष सुनवाई नहीं हो पाने के बाद सीबीआई ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। सुप्रीम कोर्ट 2 जनवरी, 2023 तक छुट्टियों के कारण बंद है।

    जस्टिस कार्णिक ने 12 दिसंबर को देशमुख को जमानत देते हुए जमानत आदेश को 10 दिनों के बाद प्रभावी बनाया था ताकि सीबीआई तब तक इसे चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सके।

    देशमुख का जमानत आदेश बुधवार, 28 दिसंबर से प्रभावी हो जाएगा।

    देशमुख 2 नवंबर, 2021 से हिरासत में हैं। हाईकोर्ट ने पूर्व गृह मंत्री को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में भी जमानत दी थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज करने से इनकार कर दिया था।

    सीबीआई ने देशमुख के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 और भारतीय दंड संहिता की धारा 120 बी के तहत अपराधों के लिए मामला दर्ज किया था।

    याचिका के अनुसार, प्रारंभिक जांच से, प्रथम दृष्टया पता चला है कि देशमुख के खिलाफ एक संज्ञेय अपराध बनता है जहां उन्होंने अज्ञात अन्य लोगों के साथ सार्वजनिक कर्तव्य के अनुचित और बेईमान प्रदर्शन के लिए अनुचित लाभ प्राप्त करने का प्रयास किया था।

    सुप्रीम कोर्ट के समक्ष 16 दिसंबर को दायर सीबीआई की याचिका में कहा गया है कि हाईकोर्ट ने जमानत देते हुए गंभीर त्रुटि की है क्योंकि वह देशमुख को जमानत देने के परिणाम पर विचार करने में विफल रही, जबकि आगे की जांच अभी भी लंबित है।


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