दिल्ली हाईकोर्ट

न्यूनतम 75% उपस्थिति के बिना स्टूडेंट दिल्ली यूनिवर्सिटी कॉलेज छात्र संघ चुनाव नहीं लड़ सकते: हाईकोर्ट
न्यूनतम 75% उपस्थिति के बिना स्टूडेंट दिल्ली यूनिवर्सिटी कॉलेज छात्र संघ चुनाव नहीं लड़ सकते: हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि न्यूनतम 75% उपस्थिति के मानदंडों को पूरा नहीं करने वाले स्टूडेंट को दिल्ली यूनिवर्सिटी कॉलेज छात्र संघ चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं दी जा सकती।जस्टिस मिनी पुष्करणा ने कहा कि यदि किसी उम्मीदवार की उपस्थिति न्यूनतम 75% उपस्थिति के मानदंड से कम है तो संबंधित कॉलेज ऐसे व्यक्ति का नामांकन अस्वीकार करने के अपने अधिकार में होगा।अदालत मुस्कान नामक महिला द्वारा दायर याचिका पर विचार कर रहा था, जिसमें 11 सितंबर को जारी चुनाव नोटिस को चुनौती दी गई। इसके तहत उसका नामांकन सत्यवती...

DUSU चुनाव से पहले अधिकारियों को कर्तव्य निभाने की याद दिलाना विडंबना: दिल्ली हाईकोर्ट
DUSU चुनाव से पहले अधिकारियों को कर्तव्य निभाने की याद दिलाना विडंबना: दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को कहा कि वह उम्मीद करता है कि 18 सितंबर को होने वाले दिल्ली यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स यूनियन (DUSU) चुनावों में कोई नियम उल्लंघन नहीं होगा। चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने कहा कि चुनावों का सही संचालन सुनिश्चित करना यूनिवर्सिटी, दिल्ली पुलिस, उम्मीदवारों और उनके संगठनों की जिम्मेदारी है।दिल्ली पुलिस के वकील ने कोर्ट को बताया कि 149 ट्रैफिक स्टाफ और 35 मोटरसाइकिलें तैनात की गई हैं और 24 अगस्त से अब तक 4,593 चालान उम्मीदवारों द्वारा किए गए...

दिल्ली हाईकोर्ट ने संजू वर्मा की याचिका खारिज की, शमा मोहम्मद द्वारा दायर मानहानि केस जारी रहेगा
दिल्ली हाईकोर्ट ने संजू वर्मा की याचिका खारिज की, शमा मोहम्मद द्वारा दायर मानहानि केस जारी रहेगा

दिल्ली हाईकोर्ट ने BJP प्रवक्ता संजू वर्मा द्वारा दायर आवेदन को खारिज कर दिया। इस आवेदन में उन्होंने कांग्रेस प्रवक्ता शमा मोहम्मद द्वारा उनके खिलाफ दायर मानहानि के मुकदमे को रद्द करने की मांग की थी।जस्टिस पुरुषेंद्र कुमार कौरव ने कहा कि मुकदमे को खारिज करने का कोई आधार नहीं है। वहीं वर्मा द्वारा उठाए गए मुद्दे ऐसे हैं, जिनकी जांच सुनवाई के दौरान की जानी चाहिए, न कि मुकदमे को खारिज करने के आधार पर।वर्मा ने अपनी याचिका में तर्क दिया था कि शमा मोहम्मद को मुकदमा दायर करने का कोई कारण नहीं है,...

दिल्ली हाईकोर्ट ने बाढ़ प्रभावित फसलों की देखभाल के लिए हत्या के दोषी की पैरोल बढ़ाई
दिल्ली हाईकोर्ट ने बाढ़ प्रभावित फसलों की देखभाल के लिए हत्या के दोषी की पैरोल बढ़ाई

दिल्ली हाईकोर्ट ने हत्या के दोषी को हाल ही में आई बाढ़ से प्रभावित अपनी फसलों की देखभाल करने के लिए पैरोल की अवधि चार सप्ताह के लिए बढ़ाई।जस्टिस अरुण मोंगा की पीठ ने प्रवीण राणा नामक दोषी को पहले कोर्ट द्वारा लगाई गई शर्तों पर ही चार सप्ताह की पैरोल दी।कोर्ट ने कहा,"याचिकाकर्ता की निरंतर उपस्थिति न केवल अप्रत्याशित है बल्कि भगवान के कार्य (भारी बारिश) के कारण भी आवश्यक है। यह उसके परिवार की आजीविका का एकमात्र स्रोत है, जिस पर उसकी विधवा मां और दो नाबालिग बच्चे पूरी तरह से निर्भर हैं। पानी कम...

पिता के जीवित रहते दादा की संपत्ति में हिस्सा नहीं मांग सकते: दिल्ली हाईकोर्ट का अहम फैसला
पिता के जीवित रहते दादा की संपत्ति में हिस्सा नहीं मांग सकते: दिल्ली हाईकोर्ट का अहम फैसला

दिल्ली हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि एक हिंदू व्यक्ति अपने दादा की संपत्ति में तब तक हिस्सा नहीं मांग सकता, जब तक कि उसके माता-पिता जीवित हों। कोर्ट ने हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 की धारा 8 का हवाला देते हुए यह बात कही।जस्टिस पुरुषेंद्र कुमार कौरव ने हिंदू महिला द्वारा अपने पिता और बुआ के खिलाफ दायर याचिका खारिज करते हुए यह फैसला सुनाया। महिला ने अपने दादा की मृत्यु के बाद उनकी संपत्ति में हिस्सा मांगा था।महिला ने तर्क दिया कि चूंकि संपत्ति उसके दादा की स्व-अर्जित है, इसलिए यह पैतृक...

वादी को CPC के तहत प्रतिवाद दायर करने का कोई निहित अधिकार नहीं: दिल्ली हाईकोर्ट
वादी को CPC के तहत प्रतिवाद दायर करने का कोई निहित अधिकार नहीं: दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि वादी द्वारा प्रतिवाद दायर करना केवल न्यायिक रूप से स्वीकृत है और यह पक्षकार का वैधानिक अधिकार नहीं है।प्रतिवाद, जिसे प्रत्युत्तर भी कहा जाता है, वादी द्वारा दीवानी मुकदमे में प्रतिवादी के लिखित बयान के जवाब में दायर किया जाता है - अपना रुख स्पष्ट करने या प्रतिवादी के दावों का खंडन करने के लिए।जस्टिस गिरीश कठपालिया ने कहा,"सिविल प्रक्रिया संहिता प्रतिवाद दायर करने की परिकल्पना नहीं करती है। हालांकि यह न्यायिक रूप से स्वीकृत है कि एक बार प्रतिवाद रिकॉर्ड में दर्ज...

पति की मौत के बाद दोबारा शादी कर भी ससुराल को मुकदमों में घसीटने पर महिला पर जुर्माना: दिल्ली हाईकोर्ट
पति की मौत के बाद दोबारा शादी कर भी ससुराल को मुकदमों में घसीटने पर महिला पर जुर्माना: दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने एक महिला पर ₹50,000 का जुर्माना लगाया है, क्योंकि उसने अपने ससुराल पक्ष को लगातार मुकदमों में घसीटा, जबकि उसके पति का निधन हो चुका था और वह खुद दूसरी शादी भी कर चुकी थी।जस्टिस अरुण मोंगा ने कहा कि महिला ने ससुराल वालों को “सिर्फ बदले की भावना से” और कानून के दुरुपयोग से परेशान किया है। कोर्ट ने टिप्पणी की कि उसका आचरण “कानून की प्रक्रिया के दुरुपयोग का पाठ्यपुस्तक उदाहरण” है। कोर्ट ने कहा कि पति की मृत्यु के बाद भी वह अपने सास-ससुर को लगातार मुकदमों में उलझाकर “सिर्फ...

सैलरी स्लिप पेश न करने पर पत्नी को गुजारा भत्ता से किया जा सकता है इनकार: दिल्ली हाईकोर्ट
सैलरी स्लिप पेश न करने पर पत्नी को गुजारा भत्ता से किया जा सकता है इनकार: दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि यदि कोई पत्नी अपनी आय की अपर्याप्तता या वित्तीय कठिनाई को साबित करने के लिए अपनी नवीनतम वेतन पर्ची पेश करने में विफल रहती है तो अदालत उसके खिलाफ प्रतिकूल निष्कर्ष निकाल सकती है और उसे पति से गुजारा भत्ता देने से इनकार कर सकती है।जस्टिस डॉ. स्वर्ण कांता शर्मा ने पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की। यह याचिका पत्नी द्वारा दायर की गई, जिसे फैमिली कोर्ट ने गुजारा भत्ता देने से इनकार कर दिया।फैमिली कोर्ट ने पति को उनकी बेटी का भरण-पोषण...

सहमति से वयस्क रिश्ते में रह सकते हैं, भले ही उनमें से कोई एक विवाहित हो: दिल्ली हाईकोर्ट
सहमति से वयस्क रिश्ते में रह सकते हैं, भले ही उनमें से कोई एक विवाहित हो: दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि दो सहमति से वयस्कों के बीच के रिश्ते को, भले ही उनमें से एक विवाहित हो, अदालतें पुराने नज़रिए से नहीं देख सकतीं। साथ ही जज ऐसे व्यक्तियों पर अपनी व्यक्तिगत नैतिकता नहीं थोप सकते।जस्टिस स्वर्णकांत शर्मा ने कहा,"यदि दो वयस्क, भले ही उनमें से एक विवाहित हो, साथ रहने या यौन संबंध बनाने का फैसला करते हैं तो उन्हें ऐसे फैसले के परिणामों की ज़िम्मेदारी भी लेनी चाहिए। जज अपने सामने आने वाले पक्षों पर अपनी व्यक्तिगत नैतिकता नहीं थोप सकते। साथ ही अदालतें इस बात को नज़रअंदाज़ नहीं...

PMLA का सख्ती से पालन किए बिना ज़ब्त संपत्ति को अपने पास रखने की अनुमति देना प्रक्रियात्मक सुरक्षा उपायों के उद्देश्य को कमज़ोर करता है: दिल्ली हाईकोर्ट
PMLA का सख्ती से पालन किए बिना ज़ब्त संपत्ति को अपने पास रखने की अनुमति देना प्रक्रियात्मक सुरक्षा उपायों के उद्देश्य को कमज़ोर करता है: दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को फैसला सुनाया कि PMLA के प्रावधानों का सख्ती से पालन किए बिना ज़ब्त संपत्ति को अपने पास रखने की अनुमति देना इस अधिनियम के विधायी अधिदेश का उल्लंघन होगा। इसमें प्रक्रियात्मक सुरक्षा उपायों को शामिल करने के मूल उद्देश्य को ही कमज़ोर करेगा।जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद और जस्टिस हरीश वैद्यनाथन शंकर की खंडपीठ ने कहा कि PMLA के तहत तलाशी, ज़ब्ती, ज़ब्ती, कुर्की और रखने की प्रक्रियाएं प्रक्रियात्मक सुरक्षा उपायों से जुड़ी हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि राज्य की कार्रवाई...

जीवित जन्म लेने पर व्यवहार्य भ्रूण के अधिकारों के लिए कोई कानून नहीं, कानून निर्माताओं को इस मुद्दे पर ध्यान देना चाहिए: दिल्ली हाईकोर्ट
जीवित जन्म लेने पर व्यवहार्य भ्रूण के अधिकारों के लिए कोई कानून नहीं, कानून निर्माताओं को इस मुद्दे पर ध्यान देना चाहिए: दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि कानून को व्यवहार्यता के स्तर पर मातृ स्वायत्तता और भ्रूण के अधिकारों के बीच संतुलन को स्पष्ट रूप से रेखांकित करना चाहिए।जस्टिस अरुण मोंगा ने कहा कि वैधानिक सीमा से परे टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी करने के मामलों की बढ़ती संख्या के साथ भ्रूण की व्यवहार्यता का प्रश्न गर्भपात न्यायशास्त्र में काफी महत्वपूर्ण हो गया।अदालत ने कहा,"कानून को व्यवहार्यता के स्तर पर मातृ स्वायत्तता और भ्रूण के अधिकारों के बीच संतुलन को स्पष्ट रूप से रेखांकित करना चाहिए। निस्संदेह, जब तक...

दिल्ली हाईकोर्ट ने नए डेंटल कॉलेज खोलने के लिए राज्य सरकार की NOC अनिवार्य करने वाला नियम बरकरार रखा
दिल्ली हाईकोर्ट ने नए डेंटल कॉलेज खोलने के लिए राज्य सरकार की NOC अनिवार्य करने वाला नियम बरकरार रखा

दिल्ली हाईकोर्ट ने भारतीय दंत चिकित्सा परिषद (नए डेंट कॉलेजों की स्थापना, नए या हायर रिसर्च या ट्रेनिंग कोर्स शुरू करना और डेंटल कॉलेजों में एडमिशन क्षमता में वृद्धि) विनियम, 2006 के खंड 6(2)(ई) के प्रभाव को बरकरार रखा, जो नए डेंटल कॉलेजों की स्थापना, नए रिसर्च कोर्स आदि की अनुमति से संबंधित है।उल्लेखनीय है कि ये विनियम डेंटल एक्ट, 1948 की धारा 20 में निहित शक्तियों का प्रयोग करते हुए भारतीय दंत चिकित्सा परिषद द्वारा तैयार किए गए ।विनियम 6 पात्रता और अर्हता मानदंडों से संबंधित है।विनियम 6(2) में...