“दुर्भावना रखने वाले व्यंग्य की आड़ में नहीं छिप सकते” : 'Ba**ds of Bollywood' के खिलाफ मानहानि मुकदमे में समीयर वानखेड़े ने दिल्ली हाई कोर्ट से कहा
Praveen Mishra
2 Dec 2025 11:43 PM IST

दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार (2 दिसंबर) को IRS अधिकारी समीयर वानखेड़े द्वारा नेटफ्लिक्स की सीरीज़ “Ba*ds of Bollywood” (निर्देशक आर्यन ख़ान) में उनकी कथित मानहानिकारक प्रस्तुति के खिलाफ दायर इंटरिम इंजंक्शन याचिका पर आदेश सुरक्षित रख लिया।
जस्टिस पुरुषेन्द्र कुमार कौड़ा ने वानखेड़े, रेड चिलीज़ एंटरटेनमेंट और नेटफ्लिक्स की विस्तृत सुनवाई के बाद आदेश सुरक्षित किया।
अदालत ने इंटरिम इंजंक्शन पर दो मुख्य प्रश्न निर्धारित किए–
- क्या यह वाद दिल्ली में सुनवाई योग्य (Maintainable) है?
- क्या संपूर्ण रूप से देखने पर सीरीज़ में वानखेड़े का प्रस्तुतिकरण prima facie मानहानि के actionable harm में परिवर्तित होता है?
वानखेड़े की ओर से सिनियर एडवोकेट जे. साई दीपक ने कहा कि यह वाद दिल्ली में बनाए रखने योग्य है। उन्होंने तर्क दिया कि वानखेड़े के रिश्तेदार दिल्ली में रहते हैं, उनके खिलाफ विभागीय कार्यवाही दिल्ली में लंबित है, और हिंदुस्तान टाइम्स व इंडियन एक्सप्रेस जैसे मीडिया संस्थान—जिन्होंने उनके विरुद्ध लेख प्रकाशित किए—भी दिल्ली में स्थित हैं।
उन्होंने कहा, “गलत किए गए काम (wrong done test) और संशोधित plaint के आधार पर दिल्ली अदालत की क्षेत्राधिकार शर्तें पूरी होती हैं।”
दीपक ने आगे कहा कि प्रतिवादी कोई ऐसा निर्णय नहीं दिखा सके जहाँ पक्षकारों के बीच पूर्व विवाद होने के बावजूद मानहानि के दावे को नकार दिया गया हो।
उन्होंने कहा, “मेरे मामले में तो स्पष्ट पूर्व इतिहास है। निर्देशक स्वयं पहले गिरफ्तार हुए थे। कंटेंट सीधा मुझे निशाना बनाता है। उनके मेरे प्रति विद्वेष और प्रतिशोध की भावना साफ दिखाई देती है।”
उन्होंने एपिसोड से आपत्तिजनक अंश हटाने की मांग करते हुए कहा कि जब तक यह कंटेंट उपलब्ध है, वानखेड़े को अपूरणीय क्षति हो रही है।
“यह स्पष्ट रूप से दुर्भावना (malice) का मामला है। दुर्भावना रखने वाले लोग फ्री स्पीच और व्यंग्य की आड़ नहीं ले सकते,” उन्होंने कहा।
दूसरी ओर, रेड चिलीज़ एंटरटेनमेंट की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता नीरज किशन कौल ने वाद की क्षेत्रीय प्रासंगिकता का विरोध करते हुए कहा कि यह वाद दिल्ली में बनाए रखने योग्य नहीं है और इसे मुंबई में दायर किया जाना चाहिए था।
वाद में एक अन्य गंभीर आरोप यह भी है कि सीरीज़ के एक दृश्य में एक पात्र “सत्यमेव जयते” नारा बोलते हुए अश्लील इशारा दिखाता है, जो राष्ट्रीय सम्मान अपमान निवारण अधिनियम, 1971 का उल्लंघन है और दंडनीय अपराध है।
इसके अलावा, वाद में यह भी कहा गया है कि सीरीज़ की सामग्री सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम और भारतीय न्याय संहिता (BNS) की विभिन्न धाराओं के विपरीत है, क्योंकि यह अश्लील और आपत्तिजनक सामग्री के माध्यम से राष्ट्रीय भावना को आहत करने का प्रयास करती है।

