वैश्विक टर्नओवर पर जुर्माने के नियम को लेकर एप्पल की याचिका, दिल्ली हाईकोर्ट ने जारी किया नोटिस
Amir Ahmad
1 Dec 2025 4:07 PM IST

दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को एप्पल की उस याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसमें कंपनी ने प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002 में किए गए संशोधन को चुनौती दी। इस संशोधन के तहत भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) को कंपनियों के खिलाफ उनके वैश्विक टर्नओवर के आधार पर जुर्माना लगाने का अधिकार दिया गया।
संशोधित प्रावधान के अनुसार यदि कोई कंपनी प्रभुत्व के दुरुपयोग या प्रतिस्पर्धा-विरोधी गतिविधियों की दोषी पाई जाती है तो उस पर पिछले तीन वित्तीय वर्षों के औसत टर्नओवर का अधिकतम 10 प्रतिशत तक जुर्माना लगाया जा सकता है।
चीफ जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने इस मामले की सुनवाई की।
एप्पल की ओर से सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील दी कि बहु-उत्पाद कंपनियों के मामले में यदि किसी एक उत्पाद को लेकर प्रभुत्व के दुरुपयोग का आरोप हो तो दंड उसी उल्लंघन से जुड़े भारतीय कारोबार के आधार पर ही लगाया जा सकता है, न कि कंपनी के पूरे वैश्विक कारोबार पर। उन्होंने कहा कि वैश्विक टर्नओवर के आधार पर जुर्माना लगाना सुप्रीम कोर्ट के अनुपातिकता और तर्कसंगतता संबंधी सिद्धांतों के खिलाफ है।
सिंघवी ने यह भी आपत्ति जताई कि यह संशोधन पूर्वव्यापी प्रभाव डालता है, क्योंकि इसे 6 मार्च 2024 से लागू किया गया और इसका असर पहले से लंबित मामलों पर भी पड़ सकता है।
सुनवाई के दौरान न्यायालय ने केंद्र सरकार और CCI की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट बलबीर सिंह से सवाल किया कि यदि किसी एक उत्पाद को लेकर कार्रवाई शुरू होती है तो अन्य उत्पादों के टर्नओवर को जुर्माने के निर्धारण में कैसे शामिल किया जा सकता है, क्या यह अव्यावहारिक और अनुचित नहीं होगा
इसके जवाब में बलबीर सिंह ने कहा कि CCI प्रासंगिक टर्नओवर की अवधारणा का पालन करता है, जबकि वैश्विक टर्नओवर का उपयोग केवल दंड की मात्रा तय करने के लिए होता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि आयोग ने एप्पल से भारतीय टर्नओवर की जानकारी ही मांगी है, न कि वैश्विक टर्नओवर की। वैश्विक टर्नओवर का सहारा केवल तब लिया जाता है, जब कंपनियां आवश्यक सूचनाएं उपलब्ध कराने से इंकार कर देती हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि एप्पल कार्यवाही को टालने का प्रयास कर रहा है।
इस पर अदालत ने स्पष्ट स्थिति जानने के लिए CCI से संक्षिप्त हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया।
बलबीर सिंह ने यह भी बताया कि एप्पल को CCI के समक्ष 8 दिसंबर तक अपना उत्तर दाखिल करना है। इस पर सिंघवी ने कहा कि आवश्यक जानकारियां जुटाने में समय लगेगा और तय समयसीमा के भीतर जवाब दाखिल करना संभव नहीं होगा।
अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 16 दिसंबर को निर्धारित की है।
याचिका में एप्पल ने कहा कि संशोधित प्रावधान के तहत तीन वित्तीय वर्षों तक के औसत वैश्विक टर्नओवर के 10 प्रतिशत तक दंड लगाया जा सकता है, जिससे कंपनी पर लगभग 38 अरब अमेरिकी डॉलर (लगभग हजारों करोड़ रुपये) तक का जुर्माना लगने की आशंका है। कंपनी का तर्क है कि इस तरह का जुर्माना मनमाना, असंवैधानिक, अत्यधिक अनुपातहीन और अन्यायपूर्ण होगा।
एप्पल ने कहा कि CCI को केवल उसी भारतीय इकाई के टर्नओवर के आधार पर दंड तय करना चाहिए, जिसने अधिनियम का उल्लंघन किया हो। याचिका में एक उदाहरण देते हुए कहा गया कि यदि किसी संस्था के स्टेशनरी कारोबार का कुल टर्नओवर 20,000 रुपये हो और उल्लंघन केवल खिलौना कारोबार से जुड़े 100 रुपये की आय से संबंधित हो, तो पूरे 20,000 रुपये के टर्नओवर पर जुर्माना लगाना न तो उचित है और न ही न्यायसंगत।

