हाईकोर्ट वीकली राउंड अप : पिछले सप्ताह हाईकोर्ट के कुछ ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र

LiveLaw News Network

1 March 2021 4:15 AM GMT

  • हाईकोर्ट वीकली राउंड अप : पिछले सप्ताह हाईकोर्ट के कुछ ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र

    22 फरवरी 2021 से 26 फरवरी 2021 तक हाईकोर्ट के कुछ ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र

    ट्रैफिक कानूनों के उल्लंघन के बावजूद, घायल पीड़ितों की दुर्दशा पर विचार करने की मानसिकता की समीक्षा करने का सही समय है': मद्रास हाईकोर्ट

    मद्रास हाईकोर्ट ने कहा कि यह उन सभी हितधारकों के लिए सही समय है जो मोटर दुर्घटना के मामलों से जूझ रहे हैं और घायल पीड़ितों, द्वारा ट्रैफिक कानूनों के उल्लंघन के बावजूद, की दुर्दशा पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करना और उन्हें मुआवजे देने के लिए उनकी मानसिकता की समीक्षा करनी चाहिए। न्यायमूर्ति के. मुरली शंकर की एकल पीठ ने एक बस चालक के मामले को निपटाने के दौरान, जिसे मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण द्वारा चार व्यक्तियों को ले जाने वाले दोपहिया वाहन के साथ दुर्घटना के लिए जिम्मेदार ठहराया गया था, कहा कि,

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    दलित लेबर एक्टिविस्ट नोदीप कौर को पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने जमानत दी

    पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने गुरुवार (26 फरवरी) को एक्टिविस्ट नोदीप कौर को जमानत दे दी। कौर के खिलाफ तीन एफआईआर दर्ज की गई हैं, जिनमें से एक मामले में उन्हें जमानत दी गई है। जस्टिस अवनीश झिंगन की खंडपीठ ने उनकी जमानत याचिका और उनके मामले में दर्ज एक स्वतः संज्ञान (दोनों मामलों की एक साथ सुनवाई हुई) पर सुनवाई करते हुए उन्हें जमानत दे दी। जमानत याचिका यह कहते हुए कि उन्हें किसान आंदोलन के पक्ष में बड़े पैमाने पर समर्थन जुटाने में सफल होने के कारण निशाना बनाया गया और झूठे मामले में फंसाया गया है,

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    पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब, हरियाणा और केंद्रशासित प्रदेश चंदीगढ़ में सांसदों और विधायकों के खिलाफ लंबित सभी मामलों का विवरण मांगा

    पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने गुरुवार (25 फरवरी) को पंजाब, हरियाणा राज्य और केंद्रशासित प्रदेश चंडीगढ़ में सांसदों / विधायकों (वर्तमान या पूर्व ) के खिलाफ लंबित सभी मामलों की जानकारी मांगी। न्यायमूर्ति राजन गुप्ता और न्यायमूर्ति करमजीत सिंह की खंडपीठ ने पुलिस महानिरीक्षक रैंक के अधिकारी को आवश्यक सूचना प्रस्तुत करने के लिए सुनवाई की अगली तारीख पर उपस्थित रहने का निर्देश दिया है। गौरतलब है कि इसी तरह का निर्देश पंजाब, हरियाणा और केद्रशासित प्रदेश चंडीगढ़ के जिला न्यायाधीशों को भी ऐसे मामलों का विवरण प्रस्तुत करने और उनके शीघ्र निपटान को सुनिश्चित करने के लिए जारी किया गया था।

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    कर्नाटक हाईकोर्ट ने 100 प्रतिशत ट्यूशन फीस वसूलने संबंधी प्राइवेट स्कूलों की याचिका पर नोटिस जारी किया

    कर्नाटक हाईकोर्ट ने सभी श्रेणी के अनऐडेड (वित्त अपोषित) प्राइवेट शिक्षण संस्थानों को बच्चों के माता पिता से शैक्षणिक सत्र 2019-20 की तरह ही सत्र 2020-21 में भी केवल 70 फीसदी ट्यूशन फीस लेने और कोई अन्य प्रभार संग्रहित न करने के संबंध में 29 जनवरी को जारी अधिसूचना को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर बुधवार को राज्य सरकार को नोटिस जारी किया। न्यायमूर्ति आर. देवदास की एकल पीठ ने नोटिस जारी करते हुए राज्य सरकार को 10 दिनों के भीतर अपना जवाब दायर करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा कि वह प्रतिवादियों द्वारा जवाब दायर करने के तत्काल बाद सुनवाई करेगा।

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    बार काउंसिल ऑफ यूपी ने बीसीआई के उसकी गतिविधियों और चुनाव की निगरानी करने के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया

    दिल्ली हाईकोर्ट ने स्टेट बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश द्वारा दायर एक याचिका पर बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) से जवाब मांगा है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि बीसीआई यूपी बार काउंसिल के कामकाज में दखल देने का प्रयास कर रहा है। न्यायमूर्ति प्रतिभा एम. सिंह की एकल पीठ ने बीसीआई के लिए पेश हुए वकील से मामले में वर्तमान अगले सप्ताह तक निर्देश लेने को कहा है। पृष्ठभूमि बार काउंसिल ऑफ यूपी और उसके अध्यक्ष ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा जारी किए गए दो सर्कुलर को चुनौती देते हुए आरोप लगाया है कि इसके कामकाज में दखल देने के लिए ये सर्कुलर जारी किए गए है।

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    इलाहाबाद हाईकोर्ट 1 मार्च से परंपरागत तरीके से मामलों की सुनवाई करेगा

    इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर के आदेशों के तहत जारी एक अधिसूचना के अनुसार, मामलों की फिजिकल सुनवाई उक्त तारीख से नियमित रूप से होगी। इसे सुविधाजनक बनाने के लिए सभी न्यायाधीश और उनके सहायक कर्मचारी पूरी जिम्मेदारी से हाईकोर्ट की कार्यवाही में भाग लेंगे। फिजिकल सुनवाई के लिए निम्नलिखित दिशानिर्देश जारी किए गए हैं: अधिवक्ताओं की एंट्री 1. केवल उन अधिवक्ताओं को ई-पास के माध्यम से हाईकोर्ट में प्रवेश करने की अनुमति दी जाएगी, जिनके मामले (ओं) को उस दिन न्यायालय द्वारा सुना जाएगा।

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    उसके खिलाफ कोई कठोर कार्रवाई नहीं की जाएगी': दिल्ली कोर्ट ने टूलकिट मामले में शांतनु मुलुक की अग्रिम जमानत याचिका पर 9 मार्च तक सुनवाई स्थगित की

    दिल्ली की एक अदालत ने गुरुवार को तीन कृषि कानूनों को लेकर किसानों के विरोध प्रदर्शन के समर्थन में सोशल मीडिया पर शेयर की गई टूलकिट मामले में शांतनु मुलुक द्वारा दायर अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई स्थगित कर दी। हालांकि अदालत ने शांतनु की ओर से पेश हुए वकील द्वारा प्रस्तुत किए गए तर्कों पर मुलुक को अंतरिम संरक्षण प्रदान किया। तब तक के लिए अदालत ने यह सुनिश्चित किया कि शांतनु के खिलाफ राज्य द्वारा कोई कठोर कार्रवाई नहीं की जाएगी।

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    'मंजूरी देने वाले प्राधिकरण के लिए समझदारी से आदेश पारित करना अनिवार्य है': बॉम्बे हाईकोर्ट ने यांत्रिक तौर पर जारी अभियोजन के आदेश को रद्द किया

    बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम (Prevention of Corruption) के तहत किसी व्यक्ति के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति या मंजूरी देने के आदेश में यह दिखाई देना चाहिए कि मंजूरी देने वाले प्राधिकरण (Sanctioning Authority) ने अपनी समझदारी से आदेश पारित किया, लेकिन इसे देखने पर पता चलता है कि यह आदेश यांत्रिक तौर पर पारित किया गया है। न्यायमूर्ति एसके शिंदे की एकल पीठ ने कहा कि आमतौर पर मंजूरी देने वाला प्राधिकरण, निर्णय लेने में सबसे सही व्यक्ति है, जो उसके सामने रखी गई जांच रिपोर्ट के आधार पर है कि क्या सरकारी कर्मचारी पर भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत मुकदमा चलाया जाना चाहिए या नहीं। यह लोक-सेवक को तुच्छ और घिनौने मुकदमों के खिलाफ एक सुरक्षा प्रदान करता है।

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    तीस हजारी हिंसा मामला: दिल्ली हाईकोर्ट ने जांच आयोग का कार्यकाल 31 दिसंबर, 2021 तक बढ़ाया

    दिल्ली हाईकोर्ट ने नवंबर 2019 में तीस हजारी अदालत परिसर में पुलिस और वकीलों के बीच हुई हिंसक झड़प की घटना की जाँच के लिए गठित जाँच आयोग का कार्यकाल हाल ही में बढ़ा दिया है। यह देखते हुए कि जांच चल रही है और कई गवाहों की जांच अभी बाकी है और मार्च 2020 से देश में लॉकडाउन लगा हुआ है। इसके साथ ही COVID-19 महामारी की स्थिति को देखते हुए मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की खंडपीठ ने 31 दिसंबर 2021 तक जांच आयोग का कार्यकाल बढ़ा दिया है।

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    पत्नी को पति की संपत्त‌ि मानने की मध्ययुगीन धारणा अब भी मौजूद, चाय देने से इनकार करना एकाएक या गंभीर रूप से भड़कने का कारण नहींः बॉम्बे हाईकोर्ट

    बॉम्बे हाईकोर्ट ने यह देखते हुए कि पत्नी को पति की संपत्त‌ि मानने की मध्ययुगीन धारणा अब तक मौजूद है, सदोष हत्या का प्रयास, जिसमें हत्या न हुई हो, के दोषी एक व्यक्ति के प्रति किसी भी प्रकार की उदारता दिखाने से इनकार कर दिया। जस्टिस रेवती मोहिते डेरे ने पति की इस दलील को खारिज कर दिया कि उसकी पत्नी ने चाय बनाने से इनकार करके उसे एकाएक और गंभीर रूप से भड़कने का कारण दिया। उन्होंने दलील को "भद्दा, स्पष्ट रूप से अस्थिर और अरक्षणीय" बताया।

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    केरल हाईकोर्ट में चार नए न्यायाधीश ने संभाला पदभार, न्यायाधीशों की संख्या 40 हुई

    केरल हाईकोर्ट में चार नए न्यायाधीशों को गुरुवार को अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में शपथ दिलाई गई। जस्टिस मुरली पुरुषोत्तमन, जस्टिस ज़ियाद रहमान, जस्टिस करुणाकरण बाबू और जस्टिस डॉ. कौसर एदप्पगाथ ने दो साल तक केरल हाईकोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। मुख्य न्यायाधीश एस. मणिकुमार ने इन न्यायाधीशों को पद की शपथ दिलाई।

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    अमेरिकी महिला से दुष्कर्म के आरोपी व्यक्ति की जमानत दिल्ली हाईकोर्ट ने मंजूर की, पीड़िता नहीं चाहती मामले को बढ़ाना

    दिल्ली हाईकोर्ट ने अमेरिकी महिला के साथ बलात्कार के सह-आरोपी की नियमित जमानत याचिका हाल ही में मंजूर कर ली। न्यायमूर्ति अनु मल्होत्रा ने उस वक्त जमानत याचिका मंजूर कर ली जब उन्हें यह अवगत कराया गया कि बलात्कार पीड़िता ने मामले को आगे बढ़ाने से इनकार कर दिया है। बेंच ने कहा कि ट्रायल कोर्ट की ओर से पीड़िता के लिए नियुक्त वकील ने मामले से खुद को अलग करने की अनुमति मांगी थी। यहां तक कि अमेरिकी न्याय विभाग के एटर्नी ने भी उन्हें सूचित किया था कि पीड़िता इस मामले को अब आगे नहीं बढ़ाना चाहती।

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    एक अंधे व्यक्ति को नौकरी से हटाना पीडब्ल्यूडी अधिनियम, 2016 के तहत अधिकारों का उल्लंघन: कलकत्ता हाईकोर्ट

    कलकत्ता हाईकोर्ट ने हरिंगाता महाविद्यालय द्वारा एक अंधे प्रोफेसर को मुख्य रूप से उनकी शारीरिक विकलांगता के आधार पर बंगाली भाषा विभाग के प्रमुख के पद से हटाने के आदेश को रद्द कर दिया। न्यायमूर्ति रवि कृष्ण कपूर की एकल पीठ ने उल्लेख किया कि दिनांक 31 जुलाई, 2017 को जारी अधिसूचना, जिसमें याचिकाकर्ता को पद से हटा दिया गया था, वह विकलांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम, 2016 के प्रावधानों का सीधा उल्लंघन है।

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    नाबालिग का मासिक भरण पोषण इस निर्देश के साथ बैंक अकाउंट में जमा नहीं करवाया जा सकता कि बालिग होने पर उसे दे दिया जाएगा : केरल हाईकोर्ट

    केरल हाईकोर्ट ने एक फैमिली कोर्ट के उस आदेश को रद्द कर दिया है,जिसके तहत एक पिता को निर्देश दिया गया था कि वह अपनी नाबालिग बच्ची का निर्वाह भत्ता उसके नाम से खोले गए बैंक खाते में जमा करवाए और यह राशि बच्ची के बालिग होने के बाद ही उसे प्राप्त होगी। जस्टिस मैरी जोसेफ की सिंगल बेंच इस मामले में फैमिली कोर्ट के निर्देशों के खिलाफ नाबालिग की मां की तरफ से दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। फैमिली कोर्ट के निर्देश के अनुसार नाबालिग बच्ची के भरण पोषण/निर्वाह भत्ते की राशि उसकी मां को देने की बजाय एसबी खाते में जमा करवाई जानी थी। साथ ही यह राशि बैंक अधिकारियों द्वारा बच्ची के बालिग होने के बाद ही उसे दी जानी थी।

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    'एक बार एक पार्टी के लिए पेश हुई'- कलकत्ता हाईकोर्ट जज ने दोनों पक्षों द्वारा आपत्ति न लेने के बावजूद भी अपने आदेश को वापस लेते हुए कहा "यह सबसे अच्छा और एकमात्र उपलब्ध रास्ता है"

    कलकत्ता हाईकोर्ट ने (सोमवार) एक ट्रेडमार्क विवाद में पारित अपने निषेधाज्ञा (Injunction) के आदेश को वापस लिया, क्योंकि इस मामले की अध्यक्षता करने वाली न्यायाधीश एक समान ट्रेडमार्क के संबंध में एक पक्ष के लिए पेश हुई थी। न्यायमूर्ति मौसमी भट्टाचार्य की एकल पीठ ने पक्षकारों द्वारा यह आश्वासन दिए जाने के बाद भी कि उन्हें न्यायालय द्वारा दिए गए निर्णय पर कोई आपत्ति नहीं है, फिर भी अपने द्वारा पारित आदेश को वापस लिया। पीठ का मानना है कि मामला जारी रखना, सबसे अच्छा और एकमात्र कार्रवाई है क्योंकि वह एक ही ट्रेडमार्क के संबंध में एक पक्ष के लिए उपस्थित हुई थी जिस पर पार्टी ने वर्तमान कार्यवाही में विशिष्टता का दावा किया था।

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    धार्मिक जुलूसों को सकारात्मकता/भाईचारा फैलाना चाहिए और किसी भी सांप्रदायिक अशांति का कारण नहीं होना चाहिए: मद्रास उच्च न्यायालय

    याचिकाकर्ता सहित आम जनता को मंदिर के आसपास जुलूस निकालने की रस्म (गिरीवलम) निभाने की अनुमति देते हुए, मद्रास उच्च न्यायालय (मदुरै बेंच) ने हाल ही में देखा कि सभी धार्मिक जुलूस, सकारात्मकता और भाईचारे का प्रसार करते हुए होने चाहिए और वे किसी भी तरीके से सांप्रदायिक अशांति का कारण नहीं होने चाहिए। न्यायमूर्ति आर. हेमलता की खंडपीठ एक एम. थंगराज (पूर्व एमएमसी) की याचिका पर सुनवाई की, जिन्होंने अदालत से पहले अर्लीमीग पद्मगिरीश्वर स्वामी और अरुलमिगु अबिरामी अम्बिगई मंदिर के बाहर अनुष्ठान "गिरिवलम" में भाग लेने की अनुमति देने के लिए अदालत के समक्ष प्रार्थना की।

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    "90% तक जली महिला को इस तरह नहीं रखा जा सकता": झारखंड हाईकोर्ट ने मेल से भेजी गई शिकायत के आधार पर मामले का स्वतः संज्ञान लिया

    झारखंड हाईकोर्ट ने पिछले सप्ताह एमजीएम अस्पताल, जमशेदपुर के लापरवाही भरे रवैये के खिलाफ ई-मेल से आई एक शिकायत का संज्ञान लिया। शिकायत में आरोप लगाया था कि 90% जल चुकी एक महिला को अर्धनग्न अवस्‍था में और बिना उचित चिकित्सीय सुविधाओं के छोड़ दिया गया था। चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ के समक्ष पेश होकर मेल भेजने वाले एडवोकेट अनूप अग्रवाल ने अदालत को बताया कि महिला की जलने से मृत्यु हो गई। शुरु में उसे बर्न वार्ड में नहीं रखा गया। वह एक बिस्तर पर पड़ी रही।

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    टूलकिट मामले में दिल्ली कोर्ट ने शांतनु मुलुक की अग्रिम जमानत याचिका पर कल तक के लिए सुनवाई स्थगित की

    दिल्ली की एक अदालत ने बुधवार को तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के विरोध प्रदर्शन के सिलसिले में सोशल मीडिया पर शेयर की गई टूलकिट मामले के सह-आरोपी शांतनु मुलुक की अग्रिम जमानत अर्जी पर कल यानी गुरुवार तक के लिए सुनवाई स्थगित कर दी। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश, धर्मेंद्र राणा ने अतिरिक्त लोक अभियोजक इरफान अहमद के अनुरोध पर मामले की सुनवाई स्थगित कर दी। शांतनु की ओर से अधिवक्ता सरीम नावेद उपस्थित हुए। नावेद ने अदालत को सूचित किया कि बॉम्बे हाईकोर्ट ने शांतनु को 10 दिनों के लिए अग्रिम जमानत दे दी थी, जो उसे 26 फरवरी 2021 तक अंतरिम संरक्षण प्रदान करेगी, मगर इसके बाद शांतनु को दिल्ली पुलिस द्वारा गिरफ्तारी की आशंका है। इसे देखते हुए न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा ने मामले की सुनवाई गुरुवार तक के लिए स्थगित कर दी।

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    माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण और कल्याण अधिनियम 2007 के तहत ट्रिब्यूनल के आदेश के खिलाफ केवल सीनियर सिटीजन और माता-पिता अपील करने के हकदार हैं': मद्रास हाईकोर्ट

    मद्रास हाईकोर्ट ने कहा है कि माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण और कल्याण अधिनियम , 2007 के तहत केवल वरिष्ठ नागरिक और माता-पिता ही ट्रिब्यूनल के पारित आदेश के खिलाफ अपील दायर करने के हकदार हैं। मुख्य न्यायाधीश संजीब बनर्जी और न्यायमूर्ति सेंथिलकुमार राममूर्ति की खंडपीठ ने उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें घोषणा की गई थी कि माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण और कल्याण अधिनियम की धारा 16 के तहत पारित आदेश के खिलाफ कोई भी पीड़ित पक्ष अपील दायर कर सकता है।

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