तीस हजारी हिंसा मामला: दिल्ली हाईकोर्ट ने जांच आयोग का कार्यकाल 31 दिसंबर, 2021 तक बढ़ाया

LiveLaw News Network

25 Feb 2021 5:27 AM GMT

  • तीस हजारी हिंसा मामला: दिल्ली हाईकोर्ट ने जांच आयोग का कार्यकाल 31 दिसंबर, 2021 तक बढ़ाया

    दिल्ली हाईकोर्ट ने नवंबर 2019 में तीस हजारी अदालत परिसर में पुलिस और वकीलों के बीच हुई हिंसक झड़प की घटना की जाँच के लिए गठित जाँच आयोग का कार्यकाल हाल ही में बढ़ा दिया है।

    यह देखते हुए कि जांच चल रही है और कई गवाहों की जांच अभी बाकी है और मार्च 2020 से देश में लॉकडाउन लगा हुआ है। इसके साथ ही COVID-19 महामारी की स्थिति को देखते हुए मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की खंडपीठ ने 31 दिसंबर 2021 तक जांच आयोग का कार्यकाल बढ़ा दिया है।

    आयोग के बारे में

    अदालत ने तीस हजारी कोर्ट कॉम्प्लेक्स, नई दिल्ली में हुई उस हिंसक घटना का संज्ञान लेते हुए घटना की जांच के लिए 3 नवंबर, 2019 को एक आयोग के गठन का निर्देश दिया था।

    यह मामला दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट में पुलिस अधिकारियों और वकीलों के बीच हुई हाथापाई से जुड़ा है, जो कथित तौर पर अदालत परिसर के भीतर पार्किंग विवाद को लेकर हुई थी।

    दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा 3 नवंबर, 2019 और 16 दिसंबर, 2019 को विस्तृत आदेश पारित करते हुए दिल्ली के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस एसपी गर्ग को जांच का नेतृत्व करने के लिए नियुक्त किया था।

    यह ध्यान दिया जा सकता है कि जांच आयोग का कार्यकाल 31 दिसंबर, 2020 तक बढ़ाया गया था (1 जून, 2020 को कोर्ट के पहले के आदेश की विवेचना)।

    17 दिसंबर, 2020 के अनुसार, न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) एसपीजीगर्ग से प्राप्त, 178 गवाहों की गवाही सुनी है। हालांकि, कई गवाहों की जांच होनी अभी बाकी है और इसलिए हाईकोर्ट ने आयोग के कार्यकाल का विस्तार करना उचित समझा।

    हाथपाई की घटना के बारे में

    अदालत परिसर के भीतर पार्किंग विवाद को लेकर 2 नवंबर 2019 दोपहर को पुलिस और वकीलों के बीच हाथापाई हुई थी।

    बताया गया कि एक घटना के रूप में स्थिति हिंसक हो गई, क्योंकि गोलीबारी में दो वकील घायल हो गए थे। इस पर बार काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कार पार्किंग के मुद्दे पर दिल्ली पुलिस को तीस हजारी कोर्ट में वकीलों पर बर्बरतापूर्वक गोलीबारी करने की निंदा की थी।

    इस घटना में कई वकील घायल हो गए थे और बीसीआई ने मामले का संज्ञान लिया था।

    केस का शीर्षक - न्यायालय का स्वतः संज्ञान बनाम भारत संघ और अन्य। [W.P. (C) 11652/2019]

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