एक अंधे व्यक्ति को नौकरी से हटाना पीडब्ल्यूडी अधिनियम, 2016 के तहत अधिकारों का उल्लंघन: कलकत्ता हाईकोर्ट

LiveLaw News Network

25 Feb 2021 3:00 AM GMT

  • एक अंधे व्यक्ति को नौकरी से हटाना पीडब्ल्यूडी अधिनियम, 2016 के तहत अधिकारों का उल्लंघन: कलकत्ता हाईकोर्ट

    कलकत्ता हाईकोर्ट ने हरिंगाता महाविद्यालय द्वारा एक अंधे प्रोफेसर को मुख्य रूप से उनकी शारीरिक विकलांगता के आधार पर बंगाली भाषा विभाग के प्रमुख के पद से हटाने के आदेश को रद्द कर दिया।

    न्यायमूर्ति रवि कृष्ण कपूर की एकल पीठ ने उल्लेख किया कि दिनांक 31 जुलाई, 2017 को जारी अधिसूचना, जिसमें याचिकाकर्ता को पद से हटा दिया गया था, वह विकलांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम, 2016 के प्रावधानों का सीधा उल्लंघन है।

    संबंधित कॉलेज ने कहा,

    "दी गई अधिसूचना के एक खंड पर यह स्पष्ट होता है कि नेत्रहीनता के आधार पर शारीरिक विकलांगता को छोड़कर लगाए गए अन्य आरोपों का कोई आधार नहीं है, जिसके चलते याचिकाकर्ता को बंगाली विभाग से विभागीय प्रमुख के रूप में हटा दिया गया है।"

    बेंच ने कहा कि हमें पता चला है कि उक्त अधिसूचना प्रत्यक्ष तौर पर विकलांग अधिनियम के अधिकारों के 3 प्रावधानों का उल्लंघन है, विशेष रूप से उक्त अधिनियम की धारा 20 के प्रावधानों का उल्लंघन है।

    धारा 20 में यह प्रावधान है कि कोई भी सरकारी प्रतिष्ठान किसी भी व्यक्ति को रोजगार से संबंधित किसी भी मामले में विकलांगता के साथ भेदभाव नहीं करेगा। प्रत्येक सरकारी प्रतिष्ठान विकलांगता वाले कर्मचारियों को उचित आवास और उचित अवरोध मुक्त और अनुकूल वातावरण प्रदान करेगा।

    इस मामले में याचिकाकर्ता, डॉ शिशिर कुमार विश्वास ने प्रस्तुत किया कि मेमो में उनके संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है। उन्होंने यह दावा करने के लिए PwD अधिनियम की धारा 20 पर भी भरोसा किया कि उनके रोजगार से संबंधित किसी भी मामले में किसी भी व्यक्ति के साथ कोई भेदभाव नहीं किया जा सकता है।

    उन्होंने तर्क दिया कि उत्तरदाता अधिकारियों के कार्य अवैध और भेदभावपूर्ण हैं और मेमो भी प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन है।

    सिंगल बेंच ने पाया कि कॉलेज की प्रबंध समिति द्वारा की गई कार्रवाई का समर्थन करने के लिए रिकॉर्ड पर कुछ भी नहीं है।

    इस प्रकार बेंच ने मेमो के आदेश को रद्द किया और उत्तरदाता-अधिकारियों को कानून के अनुसार उचित कदम उठाने का निर्देश दिया।

    केस शीर्षक: डॉ. शिशिर कुमार विश्वास बनाम पश्चिम बंगाल राज्य

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