हाईकोर्ट वीकली राउंड अप : पिछले सप्ताह के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र

Shahadat

12 March 2023 4:30 AM GMT

  • हाईकोर्ट वीकली राउंड अप : पिछले सप्ताह के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र

    देश के विभिन्न हाईकोर्ट में पिछले सप्ताह (6 मार्च, 2023 से 10 मार्च, 2023) तक क्या कुछ हुआ, जानने के लिए देखते हैं हाईकोर्ट वीकली राउंड अप। पिछले सप्ताह हाईकोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र।

    आबकारी नीति लागू करने में मनीष सिसोदिया की अहम भूमिका, मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तारी जायज : दिल्ली कोर्ट

    दिल्ली की एक अदालत ने शुक्रवार को कहा कि आम आदमी पार्टी (आप) के नेता और दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने वर्ष 2021-22 के लिए दिल्ली आबकारी नीति के निर्माण और कार्यान्वयन में हर राज्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और प्रवर्तन निदेशालय द्वारा उनकी गिरफ्तारी (ईडी) में दर्ज मनी लॉन्ड्रिंग का मामला जायज है। विशेष न्यायाधीश एमके नागपाल ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आप नेता को 17 मार्च तक ईडी की सात दिन की हिरासत में भेजते हुए यह टिप्पणी की।

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    महिलाओं के लिए 100% आरक्षण असंवैधानिक, छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने नर्सरी डेमोंस्ट्रेटर असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती के लिए विज्ञापन रद्द किया

    छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने गुरुवार को छत्तीसगढ़ चिकित्सा शिक्षा (राजपत्रित) सेवा भर्ती नियमावली, 2013 ('नियम') की अनुसूची-III के तहत नोट-2 और सहायक प्रोफेसर (नर्सिंग) एवं डेमोंस्ट्रेटर के पदों पर सीधी भर्ती के लिए दिए गए विज्ञापन को रद्द कर दिया, जिसमें 100% सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित थीं। मुख्य न्यायाधीश अरूप कुमार गोस्वामी और जस्टिस नरेंद्र कुमार व्यास की खंडपीठ ने उपरोक्त योजना को असंवैधानिक घोषित करते हुए कहा,

    केस टाइटल : अभय कुमार किस्पोट्टा व अन्य। वी। छत्तीसगढ़ राज्य और अन्य।

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    सीआरपीसी की धारा 102 - अपराध का संदेह पैदा करने वाली परिस्थितियां पाए जाने पर ही पुलिस अधिकारी को किसी संपत्ति जब्त करने का अधिकार दिया गया है: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट

    हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने गुरुवार को एक आरोपी के खाते पर रोक लगाने का आदेश देते हुए कहा कि सीआरपीसी की धारा 102 ( पुलिस अधिकारी को कुछ संपत्ति को जब्त करने की शक्ति) एक शर्त के अस्तित्व पर पुलिस अधिकारी को कुछ संपत्ति को जब्त करने का अधिकार देती है, जो कि उक्त संपत्ति पर कथित रूप से चोरी की होने का संदेह है या जो ऐसी परिस्थितियों में पाई जा सकती है जो किसी अपराध के होने का संदेह पैदा करता है। जस्टिस विवेक सिंह ठाकुर ने उस याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की, जिसमें याचिकाकर्ता ने भारतीय स्टेट बैंक में अपने बचत बैंक खातों को रिलीज़ करने/डी-फ्रीज करने के लिए मजिस्ट्रेट द्वारा उसके आवेदन को खारिज करने के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाया था।

    केस टाइटल: अनीता अग्रवाल बनाम हिमाचल प्रदेश राज्य

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    एनआई एक्ट | कंपनी का अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता चेक का "ड्रॉअर" नहीं, वह धारा 143ए के तहत अंतरिम मुआवजे का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी नहीं: बॉम्बे हाईकोर्ट

    बॉम्बे हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि एक कंपनी का अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता, जो कंपनी की ओर से चेक पर हस्ताक्षर करता है, वह चेक का "आहर्ता" नहीं है और इसलिए ऐसा हस्ताक्षरकर्ता चेक अनादरण के मामले में निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट, 1881 की धारा 143ए के तहत अंतरिम मुआवजे का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी नहीं है।

    जस्टिस अमित बोरकर ने आगे कहा कि एनआई एक्ट की धारा 138 के तहत सजा के खिलाफ अपील दायर करते समय, जो व्यक्ति चेक का आहर्ता नहीं हैं, उसे अधिनियम की धारा 148 के संदर्भ में जमा करने की आवश्यकता नहीं है।

    केस टाइटल: लाइका लैब्स लिमिटेड और अन्य बनाम महाराष्ट्र राज्य और अन्य और जुड़े हुए मामले

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    अनुच्छेद 22(5) | बंदी की ओर से पेश प्रतिनिधित्व पर त्वरित विचार होना चाहिए: जेकेएल हाईकोर्ट

    जम्मू एंड कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने हाल ही में जम्मू-कश्मीर पब्लिक सेफ्टी एक्ट के तहत एक निवारक निरोध आदेश को रद्द करते हुए कहा कि संविधान के अनुच्छेद 22 (5) में "जितनी जल्दी हो सके" शब्द स्पष्ट रूप से संविधान निर्माताओं की चिंता को दर्शाता है कि बंदी की ओर से किए गए प्रतिनिधित्व पर अत्यावश्यकता की भावना के साथ विचार किया जाना चाहिए और बिना किसी परिहार्य विलंब के निस्तारित किया जाना चाहिए।

    केस टाइटल: आरिफ अहमद खान बनाम यूटी ऑफ जेएंडके।

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    आरक्षण बैसाखी की तरह है- केवल कमजोरों के लिए है; समाज के सभी वर्गों के लिए कोई अलग से आरक्षण नहीं: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट

    हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि आरक्षण को बैसाखियों की तरह है जो सभी लोगों को देने की आवश्यक नहीं हैं। ये केवल उन लोगों के लिए है जो अपने पैरों पर खड़े होने में सक्षम नहीं हैं या समाज में वंचित हैं। इसलिए, समाज के सभी वर्गों को अलग-अलग आरक्षण प्रदान करने का कोई प्रावधान नहीं है।

    चीफ जस्टिस विवेक सिंह ठाकुर ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए ये टिप्पणियां कीं, जिसके संदर्भ में याचिकाकर्ता ने प्रतिवादी राज्य की कार्रवाई पर हमला किया था, प्रतिवादी संख्या 5 को चुनाव लड़ने की अनुमति दी और उसके बाद उसे महिला (सामान्य) के लिए आरक्षित सीट पर नगरपालिका परिषद देहरा, जिला कांगड़ा के अध्यक्ष के रूप में चुना, इस आधार पर कि प्रतिवादी संख्या 5 सुनीता कुमारी, अनुसूचित जाति वर्ग से संबंधित होने के कारण, अध्यक्ष के रूप में चुनाव लड़ने के योग्य नहीं थी, जो सामान्य श्रेणी से संबंधित महिलाओं के लिए आरक्षित था।

    केस टाइटल: सुनीता शर्मा बनाम हिमाचल प्रदेश राज्य।

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    शादी के झूठे वादे पर बलात्कार के मामले में रिश्ते की लंबाई महत्वपूर्ण कारक: कर्नाटक हाईकोर्ट

    कर्नाटक हाईकोर्ट ने उस आरोपी के खिलाफ लगाए गए बलात्कार के आरोपों को खारिज कर दिया, जिस पर पीड़िता द्वारा की गई शिकायत पर मामला दर्ज किया गया। पीड़िता ने अपनी शिकायत में कहा कि आरोपी ने पांच साल से अधिक समय तक उसके साथ रिश्ते में रहने के कारण उससे शादी करने से इनकार कर दिया।

    जस्टिस एम नागप्रसन्ना की एकल न्यायाधीश पीठ ने आंशिक रूप से मल्लिकार्जुन देसाई गौदर द्वारा दायर याचिका की अनुमति दी और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 376, 376 (2) (एन), 354, 406 और 504 के तहत लगाए गए आरोप खारिज कर दिए। अदालत ने उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 323 और 506 और सपठित धारा 34 के तहत आरोपों को बरकरार रखा।

    केस टाइटल: मल्लिकार्जुन देसाई गौदर और कर्नाटक राज्य और अन्य

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    मध्यस्थ निर्णय को निष्पादित करने का क्षेत्राधिकार जिला न्यायालय के पास, वाणिज्यिक न्यायालय के पास नहीं: केरल हाईकोर्ट

    केरल हाईकोर्ट ने मंगलवार को कहा कि ‌डिस्ट्रिक्ट कोर्ट पास मध्यस्थ निर्णय को निष्पादित करने का अधिकार क्षेत्र है, जबकि वाणिज्यिक अदालतों को वाणिज्यिक न्यायालय अधिनियम, 2015 के तहत इस प्रकार के अधिकार क्षेत्र से सम्मानित नहीं किया गया है। जस्टिस सी एस डायस की एकल पीठ ने वाणिज्यिक न्यायालय अधिनियम, 2015 की योजना का मूल्यांकन किया, ताकि यह जवाब दिया जा सके कि मध्यस्थता अवॉर्ड के संबंध में दायर निष्पादन याचिका पर विचार करने के लिए एक वाणिज्यिक अदालत को अधिकार क्षेत्र दिया गया है या नहीं।

    केस टाइटल: एम/एस बीटा एक्जिम लॉजिस्टिक्स (पी) लिमिटेड वी एम/एस सेंट्रल रेलसाइड वेयरहाउस कं लिमिटेड

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    घायल से महज 'शराब की गंध' मोटर दुर्घटना में उसके दावे का खंडन नहीं करती: कर्नाटक उच्च न्यायालय

    कर्नाटक हाईकोर्ट ने हाल ही में स्पष्ट किया कि भले ही कोई व्यक्ति नशे में था या शराब की गंध आ रही थी, यह एक बस ड्राइवर के लिए सड़क दुर्घटना का कारण बनने और किसी को घायल करने का बहाना नहीं हो सकता।

    जस्टिस डॉ एचबी प्रभाकर शास्त्री की सिंगल जज बेंच ने दावेदार मुरुगन टी की ओर से दायर याचिका की अनुमति दी और याचिकाकर्ता की ओर से दायर दावा याचिका को खारिज करने के आदेश को रद्द कर दिया और मुआवजे की पात्रता के मुद्दे पर विचार करने के लिए मामले को वापस ट्रिब्यूनल को भेज दिया।

    केस टाइटल: मुरुगन टी और पी जयगोविंदा भट और अन्य।

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    एकपक्षीय डिक्री के खिलाफ अपील दायर करने में देरी की माफी मांगने वाली पार्टी को ट्रायल के दौरान इसकी अनुपस्थिति की व्याख्या करने की आवश्यकता नहीं: जेकेएल हाईकोर्ट

    जम्मू एंड कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने हाल ही में माना कि देरी की माफ़ी चाहने वाले को मुकदमे के दौरान उसकी अनुपस्थिति की अवधि की व्याख्या करने की आवश्यकता नहीं है, जो आवश्यक है वह देरी की अवधि के लिए स्पष्टीकरण, जो सीमा अधिनियम के अनुसार ‌काम करता है।

    जस्टिस विनोद चटर्जी कौल ने एक सिविल सेकंड अपील की सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की, जिसके संदर्भ में अपीलकर्ता ने जिला न्यायाधीश, कुलगाम द्वारा पारित फैसले को चुनौती दी थी, जिसके संदर्भ में उसने 24 ‌दिन की देरी की माफी की मांग वाली अर्जी को खारिज कर दिया था। परिणामस्वरूप, अपील भी खारिज कर दी गई क्योंकि निचली अदालत ने इसे समय-बाधित करार दिया।

    केस टाइटल: बशीर अहमद डार बनाम शमीमा व अन्य।

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    हिंदू उत्तराधिकार कानून आदिवासी महिलाओं के उत्तराधिकार के आड़े नहीं आएगा: मद्रास हाईकोर्ट

    मद्रास हाईकोर्ट ने हाल ही में समान उत्तराधिकार की मांग कर रही है आदिवासी महिलाओं का समर्थन‌ किया। अदालत ने कहा, हिंदू उत्तराधिकार कानून आदिवासी महिलाओं को बाहर नहीं करता, बल्कि रीति-रिवाजों को सकारात्मक रूप से शामिल करने का इरादा रखता है। हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम की धारा 2 के खंड (2) में कहा गया है कि यह अधिनियम अनुसूचित जनजाति के सदस्यों पर तब तक लागू नहीं होगा, जब तक कि केंद्र सरकार आधिकारिक राजपत्र में अधिसूचना द्वारा अन्यथा निर्देशित न करे।

    केस टाइटल: सरवनन और अन्य वी सेम्मयी और अन्य

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    मोटी राशि का लोन चुकाने में सक्षम व्यक्ति पत्नी और बच्चों के प्रति जिम्मेदारी से पीछे नहीं हट सकता: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट

    पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा कि जो व्यक्ति मोटी लोन राशि का भुगतान करने में सक्षम है, वह अपनी कानूनी रूप से विवाहित पत्नी और बच्चों के प्रति अपनी जिम्मेदारी से नहीं हट सकता। जस्टिस जगमोहन बंसल की पीठ ने भारतीय सेना में काम करने वाले लेफ्टिनेंट कर्नल संदीप मलिक को कुल 55,000 / रुपए भरण-पोषण के रूप में उनकी पत्नी और नाबालिग बेटियों को देने का निर्देश दिया।

    केस का नाम- संदीप मलिक बनाम रेणु व अन्य

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    सूचना आयोग RTI एक्ट के कथित उल्लंघन के लिए जुर्माना लगाने से पहले PIO को सुनने के लिए बाध्य: कर्नाटक हाईकोर्ट

    कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा कि यदि कर्नाटक राज्य सूचना आयोग द्वारा जन सूचना अधिकारी (PIO)पर दंड लगाने का आदेश उसके द्वारा प्रस्तुत लिखित स्पष्टीकरण पर विचार किए बिना या उसे मौखिक स्पष्टीकरण देने का अवसर दिए बिना पारित किया जाता है तो आदेश नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत का उल्लंघन है और रद्द किए जाने योग्य हैं। जस्टिस ज्योति मुलिमणि की एकल पीठ ने एम वेंकटेशप्पा द्वारा दायर याचिका स्वीकार कर ली और आयोग के दिनांक 18.01.2008 के उस आदेश को रद्द कर दिया जिसमें उसने याचिकाकर्ता पर 10,000 रूपये का जुर्माना लगाया था।

    केस टाइटल: एम वेंकटेशप्पा और कर्नाटक सूचना आयोग और अन्य

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    आर्बिट्रेटर को पक्षकार के खिलाफ एकपक्षीय कार्रवाई करने से पहले पर्याप्त नोटिस देना चाहिए: दिल्ली हाईकोर्ट

    दिल्ली हाईकोर्ट ने इस आधार पर एकपक्षीय पंचाट अधिनिर्णय रद्द कर दिया कि आर्बिट्रेटर इसके खिलाफ एकपक्षीय कार्रवाई करने से पहले पक्षकार को उचित नोटिस जारी करने में विफल रहा। साथ ही जांच करने के लिए पर्याप्त प्रयास करने में विफल रहा कि क्या पक्षकार की अनुपस्थिति पर्याप्त कारण दर्शाने के साथ या उसके बिना है।

    जस्टिस चंद्र धारी सिंह की पीठ ने कहा कि मध्यस्थता और सुलह अधिनियम, 1996 (ए एंड सी अधिनियम) के तहत यह हमेशा पसंद किया और प्रोत्साहित किया गया कि आर्बिट्रेटर किसी भी पक्षकार को नोटिस जारी करता है, जिसके खिलाफ वह कार्रवाई करना चाहता है। आंशिक रूप से भले ही ए एंड सी अधिनियम के तहत स्पष्ट शर्तों में इसे निर्धारित नहीं किया गया।

    केस टाइटल: मेसर्स मित्तल पिग्मेंट्स प्राइवेट लिमिटेड बनाम मेसर्स गेल गैस लिमिटेड

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    घरेलू हिंसा अधिनियम - अदालत पति को एक ही घर में रहने के बदले में पत्नी को आर्थिक खर्च का भुगतान करने का आदेश दे सकती है: कर्नाटक हाईकोर्ट

    कर्नाटक हाईकोर्ट ने हाल ही में ट्रायल कोर्ट द्वारा पारित एक आदेश को संशोधित किया जिसमें एक महिला को मासिक भरण पोषण के रूप में 6,000 रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया गया था और उसे पति के साझा घर में अलग रहने के लिए एक कमरा दिया था।

    जस्टिस वी श्रीशानंद की एकल न्यायाधीश की पीठ ने पत्नी से अलग हुए पति द्वारा दायर आवेदन को अनुमति दी, जिसने प्रति माह 6,000 रुपये के भरण पोषण की राशि का भुगतान करने और महिला को वैकल्पिक आवास के लिए 5,000 रुपये की अतिरिक्त राशि का भुगतान करने का अंडरटैकिंग दिया था।

    केस टाइटल : एबीसी और अन्य और एक्सवाईजेड

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    दूसरे राज्य में दर्ज ईडी के मामले में हस्तक्षेप नहीं कर सकते: कर्नाटक हाईकोर्ट

    कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा कि वो केवल इस आधार पर मुंबई में प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा शुरू की गई आपराधिक कार्यवाही में हस्तक्षेप नहीं कर सकता है कि आरोपी कर्नाटक में रह रहा है और बैंक अकाउंट भी कर्नाटक से संचालित कर रहा है।

    जस्टिस के नटराजन की एकल न्यायाधीश की पीठ ने विहान डायरेक्ट सेलिंग इंडिया प्राइवेट लिमिटेड द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया, जिसने प्रवर्तन निदेशालय द्वारा 2013 में दर्ज मामले को रद्द करने और यह घोषित करने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया कि ये सर्च मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट की धारा 17 के तहत अवैध और असंवैधानिक है।

    केस टाइटल: विहान डायरेक्ट सेलिंग इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और सहायक निदेशक, प्रवर्तन निदेशालय

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    यूजीसी विनियम विश्वविद्यालय को अनुशासनात्मक कार्यवाही के लंबित रहने के दौरान शिक्षक के छुट्टी का लाभ रद्द करने के लिए अधिकृत नहीं करता: कलकत्ता हाईकोर्ट

    कलकत्ता हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि यूजीसी विनियम, 2018 एक विश्वविद्यालय को अनुशासनात्मक कार्यवाही के लंबित रहने के दौरान शिक्षक के छुट्टी का लाभ रद्द करने के लिए अधिकृत नहीं करता है।

    यूजीसी विनियम, 2018 के खंड 8.2 (डी) पर भरोसा करते हुए जस्टिस कौशिक चंदा की एकल न्यायाधीश पीठ ने कहा, "मेरे विचार में, उक्त खंड उस स्थिति में की जाने वाली कार्रवाई की विधिवत रूप से रूपरेखा तैयार करता है जहां एक शिक्षक के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की गई है। उक्त नियम विश्वविद्यालय को किसी भी छुट्टी के लाभ को रद्द करने के लिए अधिकृत नहीं करता है, जहां एक शिक्षक के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही लंबित है।“

    केस टाइटल: राजेश के.वी. उर्फ राजेश कालेराकथ वेणुगोपाल बनाम विश्व भारती व अन्य

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    जुवेनाइल के रूप में सजा पुलिस कांस्टेबल के रूप में भविष्य के रोजगार को कलंकित नहीं करती है: मद्रास हाईकोर्ट

    मद्रास हाईकोर्ट ने नोट किया कि उम्मीदवार की नियुक्ति को केवल इस कारण से खारिज करना कि वह नाबालिग के रूप में बरी/दोषी था, किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम 2015 के उद्देश्यों के खिलाफ जाएगा।

    जस्टिस आर सुब्रमण्यम और जस्टिस सती कुमार सुकुमारकरूप ऐसे उम्मीदवार की मदद के लिए आगे आए, जिसने पुलिस कांस्टेबल के पद के लिए आवेदन किया। उनकी उम्मीदवारी को खारिज कर दिया गया, जब अधिकारियों को पता चला कि वह आपराधिक अपराध में शामिल थे। इसलिए लिखित परीक्षा और शारीरिक परीक्षा में उनका चयन हो जाने के बावजूद उनका नाम खारिज कर दिया गया।

    केस टाइटल: पुलिस सुपरिटेंडेंट बनाम एस राजेशकुमार

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    अनुच्छेद 311 | हर दोषसिद्धी पर दोषी कर्मचारी को स्वचालित और यांत्रिक रूप से हटाया नहीं जा सकता: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट

    हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि संविधान के अनुच्छेद 311 के खंड (2) के प्रोविसो(ए) में शामिल प्रावधान, सीसीएस (सीसीए) नियम 1965 के नियम 19 (i) के साथ पढ़ने पर निश्चित रूप से यह प्रावधान करते हैं कि सजा पर कर्मचारी को बिना किसी जांच के पद से बर्खास्त किया जा सकता है/ हटाया जा सकता है / घटाया जा सकता है, लेकिन यह नहीं माना जा सकता है कि इस तरह की हर सजा के बाद दोषी कर्मचारी को स्वत: और यांत्रिक रूप से हटा दिया जाएगा।

    केस टाइटल: मोहिंदर सिंह बनाम हिमाचल प्रदेश परिवहन निगम।

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    [धारा 457 सीआरपीसी] जब्त की गई वस्तुएं, जिन्हें अदालत के समक्ष पेश नहीं किया गया है, जांच लंबित होने पर भी रिलीज की जा सकती हैं: गुवाहाटी हाईकोर्ट

    गुवाहाटी हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि आपराधिक अदालत के पास सीआरपीसी की धारा 457 के तहत अधिकार क्षेत्र है कि वह जांच के चरण में जब्त की गई वस्तुओं को हिरासत में दे सकती है, जब जब्त की गई को उन वस्तुओं को अदालत में पेश नहीं किया जाता है।

    जस्टिस माइकल जोथनखुमा और जस्टिस मालाश्री नंदी की खंडपीठ सिंगल जज बेंच की ओर से संदर्भित याचिकाओं के एक बैच की सुनवाई कर रही थी, जिसे यह तय करने के लिए कि संद‌र्भित किया गया था कि क्या लंबित जांच, जब्त की गई वस्तुओं को न्यायालय द्वारा अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करके, या तो धारा 451 के तहत या धारा के तहत जारी किया जा सकता है।

    केस टाइटल: असम राज्य और अन्य बनाम राम शंकर मौर्य और अन्य संबंधित याचिकाएं

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    याचिकाकर्ता को 'विदेशी नहीं' बताने का पिछला आदेश अनुचित होने पर विदेशी ट्रिब्यूनल की कार्यवाही में रेस जुडिकाटा का सिद्धांत आकर्षित नहीं होता : गुवाहाटी हाईकोर्ट

    गुवाहाटी हाईकोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि यदि ट्रिब्यूनल के पिछले आदेश में यह निर्धारित करने के लिए कि वह व्यक्ति विदेशी नहीं है, कोई कारण नहीं बताया गया है तो यह निर्धारित करने के लिए कि कोई व्यक्ति विदेशी है या नहीं, विदेशी ट्रिब्यूनल के समक्ष बाद की कार्यवाही पर रेस जुडिकाटा (Res judicata) का सिद्धांत लागू नहीं होगा।

    जस्टिस अचिंत्य मल्ला बुजोर बरुआ और जस्टिस रॉबिन फुकन की खंडपीठ ने कहा: " कानून के तहत रेस जुडिकाटा के सिद्धांतों को संतुष्ट होने के लिए दो शर्तों की आवश्यकता होती है, यानी पहले का विवाद एक ही पक्ष के बीच होना चाहिए और दूसरा, पार्टियों के बीच के मुद्दे का फैसला किया जाना चाहिए। इस मुद्दे पर निर्णय लेने की शर्त यह है कि यह आवश्यक है कि यह एक तर्कपूर्ण आदेश द्वारा तय किया जाना चाहिए न कि केवल उस विचार को दर्शाने वाले आदेश द्वारा जिसे विदेशी न्यायाधिकरण ने बिना किसी कारण के लिया हो। इस दृष्टिकोण से हम याचिकाकर्ता की दलील को स्वीकार करने में असमर्थ हैं कि उसके खिलाफ बाद की कार्यवाही याचिकाकर्ता ... रेस जुडिकाटा के सिद्धांतों द्वारा वर्जित है। "

    केस टाइटल : रफीकुल इस्लाम बनाम भारत संघ और पांच अन्य।

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    वर्चुअल मोड में गवाह का एग्जामिनेशन आरोपी के अधिकारों को प्रभावित नहीं करती: केरल हाईकोर्ट

    केरल हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि अदालतों (केरल) के लिए इलेक्ट्रॉनिक वीडियो लिंकेज नियम, 2021 के प्रावधानों के अनुसार वर्चुअल मोड में गवाह का एग्जामिनेशन आरोपी के अधिकारों को प्रभावित नहीं करती है। जस्टिस ए बदरुद्दीन की एकल पीठ ने कहा कि नियम 8(25) के तहत अदालतों (केरल) के लिए इलेक्ट्रॉनिक वीडियो लिंकेज नियम, 2021 के तहत वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से गवाह का एग्जामिनेशन को दंड प्रक्रिया संहिता 1973, सिविल प्रक्रिया, 1908, क्रिमिनल रूल्स ऑफ प्रैक्टिस, केरल एंड सिविल रूल्स ऑफ प्रैक्टिस, केरल के प्रावधानों के अनुपालन के रूप में माना जाना है।

    केस टाइटल: गोपाल सी बनाम केंद्रीय जांच ब्यूरो

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    चार्जशीट को रद्द करने की प्रार्थना पर विचार करते समय अभियुक्त की ओर से पेश बचाव की जांच नहीं कर सकता: इलाहाबाद हाईकोर्ट

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में एक कहा कि कोर्ट‌ किसी आरोपपत्र को रद्द करने की प्रार्थना पर विचार करते समय उन बचावों की जांच नहीं कर सकती, जिन्हें अब तक अधीनस्थ न्यायालय के समक्ष पेश नहीं किया गया है।

    जस्टिस शेखर कुमार यादव की पीठ ने कालिका प्रताप सिंह नामक व्यक्ति द्वारा दायर याचिका पर विचार करने से इनकार करते हुए यह टिप्पणी की। उस व्यक्ति ने अपनी याचिका में एक महिला को कथित रूप से आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में उसके खिलाफ शुरू की गई आपराधिक कार्यवाही को रद्द करने की मांग की थी।

    केस टाइटल- कालिका प्रताप सिंह बनाम स्टेट ऑफ यूपी और अन्‍य [Appl U/S 482 No. - 33349 of 2022]

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    घरेलू हिंसा अधिनियम की धारा 12 के तहत आवेदन 'शिकायत' नहीं, सीआरपीसी की धारा 200-204 के तहत प्रक्रिया को आकर्षित नहीं करती है: मेघालय हाईकोर्ट

    मेघालय हाईकोर्ट ने हाल ही में फैसला सुनाया है कि घरेलू हिंसा अधिनियम की धारा 12 के तहत एक अर्जी शिकायत नहीं है और सीआरपीसी की धारा 200 (शिकायतकर्ता की जांच), 202 (प्रक्रिया जारी करने को स्थगित करना) और 204 (प्रक्रिया जारी करना) के तहत प्रक्रिया और कार्यवाही को पक्षकार या मजिस्ट्रेट आगे नहीं बढ़ा सकते हैं।

    जस्टिस डब्ल्यू डेंगदोह की पीठ ने यह टिप्पणी एक याचिका पर सुनवाई करते हुए की, जिसके संदर्भ में याचिकाकर्ता ने डीवी अधिनियम की धारा 12 डीवी अधिनियम के तहत आपराधिक कार्यवाही रद्द करने की मांग की थी, जो शिलांग में प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत के समक्ष लंबित थी।

    केस टाइटल: श्री अभिषेक अग्रवाल और अन्य बनाम श्रीमती कोमल पोद्दार

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