मोटी राशि का लोन चुकाने में सक्षम व्यक्ति पत्नी और बच्चों के प्रति जिम्मेदारी से पीछे नहीं हट सकता: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट
Shahadat
9 March 2023 3:24 PM IST
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा कि जो व्यक्ति मोटी लोन राशि का भुगतान करने में सक्षम है, वह अपनी कानूनी रूप से विवाहित पत्नी और बच्चों के प्रति अपनी जिम्मेदारी से नहीं हट सकता।
जस्टिस जगमोहन बंसल की पीठ ने भारतीय सेना में काम करने वाले लेफ्टिनेंट कर्नल संदीप मलिक को कुल 55,000 / रुपए भरण-पोषण के रूप में उनकी पत्नी और नाबालिग बेटियों को देने का निर्देश दिया।
अदालत ने कहा,
"याचिकाकर्ता होम लोन और कार लोन चुकाने के लिए मोटी रकम का भुगतान करने में सक्षम है। हालांकि वह अपनी कानूनी रूप से विवाहित पत्नी और बच्चों के प्रति अपनी जिम्मेदारी से बचने की कोशिश कर रहा है। याचिकाकर्ता को अपनी जिम्मेदारी से बचने की अनुमति नहीं दी जा सकती, जो कि केवल वैधानिक नहीं है बल्कि सामाजिक और नैतिक भी है।"
न्यायालय ने यह भी कहा कि जो व्यक्ति बहुत उच्च पद पर आसीन होता है, अपने परिवार के सदस्यों के प्रति सामाजिक और नैतिक रूप से अधिक जिम्मेदार होता है।
पीठ मलिक द्वारा दायर पुनर्विचार याचिका पर विचार कर रही थी, जिसने फैमिली कोर्ट, सोनीपत के अतिरिक्त प्रधान न्यायाधीश के आदेश के खिलाफ उत्तरदाताओं को प्रति माह 55,000/- रूपये 25,000/- प्रतिवादी नंबर 1-पत्नी और याचिकाकर्ता की प्रतिवादी नंबर 2 और 3-नाबालिग बेटियों में से प्रत्येक को 15,000 / - प्रति माह रुपये के भरण-पोषण देने का निर्देश दिया।
मालिक ने नवंबर 2011 में अपनी पत्नी (प्रतिवादी नंबर 1) से शादी की, उसने अदालत के समक्ष तर्क दिया कि उसका घर का 66,000 रु का खर्च है। इस प्रकार, वह उत्तरदाताओं को 55,000/- रूपये प्रति माह की राशि का भुगतान नहीं कर सकता।
हालांकि, अदालत ने कहा कि उनका कुल वेतन वास्तव में 1.98 लाख रूपए है। हालांकि, उन्हें 66,000 रुपए घर का किराया मिल रहा है, क्योंकि वह होम लोन और कार लोन का भुगतान कर रहा है। वह आगे भविष्य निधि और अन्य वैधानिक कटौतियों के लिए योगदान दे रहा है।
इसे देखते हुए कोर्ट ने कहा कि होम लोन और कार लोन के लिए मोटी रकम चुकाने में सक्षम होने के बावजूद, वह अपनी कानूनी रूप से विवाहित पत्नी और बच्चों के प्रति अपनी जिम्मेदारी से बचने की कोशिश कर रहा है।
इसलिए यह देखते हुए कि उसे अपनी पत्नी और बच्चों के प्रति अपनी जिम्मेदारी से विचलित होने की अनुमति नहीं दी जा सकती, कोर्ट ने फैमिली कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा, क्योंकि यह निष्कर्ष निष्पक्ष पाया गया।
इसी के साथ याचिका खारिज कर दी गई।
केस का नाम- संदीप मलिक बनाम रेणु व अन्य
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