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1500 से अधिक लाॅ के नए छात्रों के लिए एक सितम्बर से ऑनलाइन क्लास शुरू करने वाला JGLS बना पहला लाॅ स्कूल
1500 से अधिक लाॅ के नए छात्रों के लिए एक सितम्बर से ऑनलाइन क्लास शुरू करने वाला JGLS बना पहला लाॅ स्कूल

जिंदल ग्लोबल लॉ स्कूल (जेजीएलएस) ने अपने शैक्षणिक सत्र 2020-21 को आज से, अर्थात् 1 सितंबर 2020 से ऑनलाइन मोड में शुरू कर दिया है। विशेष रूप से, जेजीएलएस 1,500 से अधिक नए छात्रों (25 विभिन्न राज्यों और भारत के केंद्र शासित प्रदेशों और अंतर्राष्ट्रीय छात्रों से) के साथ इस शैक्षणिक सत्र के लिए कक्षाएं शुरू करने वाला पहला अग्रणी स्कूल बन गया है। इन छात्रों ने लाॅ स्कूल के यूजी और पीजी,दोनों स्तर के छह अलग-अलग शैक्षणिक डिग्री प्रोग्राम में दाखिला लिया है। ऐसा तब हुआ है जब देश में अधिकांश कानून...

(बलात्कार का प्रयास) निर्धारित साठ दिन की अवधि के भीतर अंतिम रिपोर्ट दायर न करने पर आईपीसी की धारा 511 रीड विद 376 का आरोपी बन जाता है वैधानिक जमानत का हकदार :  केरल हाईकोर्ट
(बलात्कार का प्रयास) निर्धारित साठ दिन की अवधि के भीतर अंतिम रिपोर्ट दायर न करने पर आईपीसी की धारा 511 रीड विद 376 का आरोपी बन जाता है वैधानिक जमानत का हकदार : केरल हाईकोर्ट

केरल हाईकोर्ट ने माना है कि साठ दिनों की अवधि के भीतर अंतिम रिपोर्ट दायर न करने पर बलात्कार के प्रयास (धारा 511 रीड विद 376) का आरोपी वैधानिक जमानत का हकदार बन जाता है।अदालत इस मामले में बलात्कार के प्रयास के आरोपी एक व्यक्ति की तरफ से दायर जमानत याचिका पर विचार कर रही थी। आरोपी ने तर्क दिया था कि वह सीआरपीसी की की धारा 167 (2) (ए) (ii) के तहत वैधानिक जमानत का हकदार है क्योंकि उसे 19 जून 2020 को गिरफ्तार किया गया था और साठ दिन की हिरासत की अवधि खत्म हो गई है।दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 167...

पीड़ित गरीब और रूढ़िवादी तबके की है, जहां अविवाहित महिला का यौन उत्पीड़न कलंक है: पंजाब और हरियाणा उच्‍च न्यायलय ने 7 महीने की देरी के बावजूद आरोपी को बलात्कार के आरोप में गिरफ्तारी पूर्व जमानत देने से इनकार किया
पीड़ित गरीब और रूढ़िवादी तबके की है, जहां अविवाहित महिला का यौन उत्पीड़न कलंक है: पंजाब और हरियाणा उच्‍च न्यायलय ने 7 महीने की देरी के बावजूद आरोपी को बलात्कार के आरोप में गिरफ्तारी पूर्व जमानत देने से इनकार किया

पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने गुरुवार को माना कि बलात्कार की घटना की रिपोर्ट करने में 7 महीने की देरी आरोपी को अग्रिम जमानत का हकदार नहीं बनाएगी। जस्टिस एचएस मादान ने कहा, "... याचिकाकर्ता की ओर से पेश विद्वान वकील ने दावा किया है कि पुलिस के पास आने और इस मामले की रिपोर्ट करने में लगभग 7 महीने की देरी हुई है, जो अभियोजन के मामले की सत्यता पर संदेह पैदा करता है ... लेकिन इस प्रकार की दलीलें गिरफ्तारी पूर्व जमानत देने के लिए एक याचिका का फैसला करते समय बहुत प्रासंगिक नहीं हैं।" सिंगल जज का...

धार्मिक स्थलों के भीतर मुहर्रम से जुडी धार्मिक रस्में अदा करें, तेलंगाना उच्च न्यायालय ने बीबीका आलम जूलुस ले जाने की प्रार्थना वाली याचिका खारिज की
'धार्मिक स्थलों के भीतर "मुहर्रम" से जुडी धार्मिक रस्में अदा करें', तेलंगाना उच्च न्यायालय ने "बीबीका आलम जूलुस" ले जाने की प्रार्थना वाली याचिका खारिज की

तेलंगाना उच्च न्यायालय ने बुधवार (26 अगस्त) को एक रिट याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें अल्वा बीबी से शुरू होने वाले जुलूस "बीबिका आलम जूलूस" को अनुमति देने की अनुमति मांगी गई थी। न्यायमूर्ति टी. विनोद कुमार की एकल पीठ ने देखा, "हालांकि धर्म का अधिकार एक मौलिक अधिकार है, लेकिन यह एक पूर्ण अधिकार नहीं है, क्योंकि अनुच्छेद के शुरुआती शब्द ही यह स्पष्ट करते हैं कि इस तरह का अधिकार "सार्वजनिक व्यवस्था, नैतिकता और स्वास्थ्य" प्रतिबंध के अधीन हैं। भारत के संविधान के अनुच्छेद 25 (2) के तहत, किसी भी...

Allahabad High Court expunges adverse remarks against Judicial Officer
'बेंच हंटिंग' और सवालों से सामना होने पर सुनवाई स्थगित करने की मांग करना बार के लिए स्वस्थ परम्परा नहीं : इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बगैर किसी उचित कारण के संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत कोर्ट के समक्ष रिट याचिका दायर करने वाले हापुड़ के याचिकाकर्ता को शुक्रवार को कड़ी फटकार लगायी।न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल की एकल पीठ ने सख्त टिप्पणी की, "इस तरह से बेंच का आखेट करने (बेंच हंटिंग) और सवाल पूछे जाने पर सुनवाई स्थगित करने की बार द्वारा मांग किये जाने की परम्परा स्वस्थ परिपाटी नहीं है।"एकल पीठ ने यह टिप्पणी उस वक्त की जब याचिकाकर्ता अपने किसी मौलिक अधिकार के हनन का कोई आधार नहीं बता सका, जिससे कि कोर्ट अपने...

आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने पूछा, क्या अधिवक्ताओं के कल्याण के लिए जारी किया गया सरकारी अनुदान लोन के रूप में दिया जा सकता है?
आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने पूछा, क्या अधिवक्ताओं के कल्याण के लिए जारी किया गया सरकारी अनुदान लोन के रूप में दिया जा सकता है?

आंध्र प्रदेश ने वकील समुदाय के कल्याण के लिए राज्य सरकार की ओर से दिए गए 25 करोड़ रुपए अनुदान के संवितरण के लिए महाधिवक्ता की अध्यक्षता में गठित विशेष समिति को यह विचार करने का निर्देश दिया है कि क्या उक्त राशि को ऋण के रूप में वितरित किया जा सकता है, ब्याज लगाया जा सकता है और पुनर्भुगतान भी प्राप्त किया जा सकता है। एडवोकेट सैयद जियाउद्दीन आंध्र प्रदेश की बार काउंसिल की 10 अगस्त की कार्यवाही को चुनौती दी है, जिसमें राज्य सरकार द्वारा जारी राशि को जरूरतमंद अधिवक्ताओं को पुनर्भुगतान और ब्याज के...

पैरोल के लिए कोई कैदी एफआईआर के सह-दोषियों के साथ समानता का दावा नहीं कर सकता : पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा पुलिस और डीएम की व्यक्तिपरक संतुष्टि ज़रूरी
पैरोल के लिए कोई कैदी एफआईआर के सह-दोषियों के साथ समानता का दावा नहीं कर सकता : पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा पुलिस और डीएम की व्यक्तिपरक संतुष्टि ज़रूरी

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने माना है कि " पैरोल पर रिहा होने के लिए कोई कैदी या अपराधी ''एफआईआर में अपने सह-दोषियों के साथ समानता का दावा नहीं कर सकता। क्योंंकि अपराध में प्रत्येक अभियुक्त द्वारा निभाई गई भूमिका एक समान नहीं हो सकती।''न्यायमूर्ति एचएस मदान की पीठ ने कहा कि पैरोल पर विचार करते समय स्वतंत्र रूप से उन अन्य मामलों के अपराधों की प्रकृति और गंभीरता का भी मूल्यांकन किया जाता है, जिनमें ऐसा आरोपी या दोषी शामिल है। ताकि इस बात का निर्धारण किया जा सके कि कहीं ऐसा आरोपी पैरोल पर रिहा...

[एनडीपीएस एक्ट] उड़ीसा हाईकोर्ट ने कहा, निर्धारित 180 दिनों के भीतर आरोपपत्र दायर करना अनिवार्य
[एनडीपीएस एक्ट] उड़ीसा हाईकोर्ट ने कहा, निर्धारित 180 दिनों के भीतर आरोपपत्र दायर करना अनिवार्य

उड़ीसा हाईकोर्ट ने निर्धारित नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (एनडीपीएस) एक्ट के तहत गिरफ्तार आरोपी के खिलाफ 180 दिनों के भीतर आरोप-पत्र दाखिल करने पर जोर दिया है। जस्टिस एसके पाणिग्रही एनडीपीएस की एक्ट की धारा 20 (बी) (ii) (सी) / 29 के तहत दर्ज एक एफआईआर के मामले में, जिसमें 270 किलो 200 ग्राम गांजा रखने का आरोप था, जमानत याचिका पर सुनवाई कर रहे थे। याचिकाकर्ता को अन्य आरोपी व्यक्तियों के साथ संबंधित सत्र न्यायाधीश-सह-विशेष न्यायाधीश की अदालत में 15.04.2019 को भेज दिया गया था। इसके...

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नहीं दी मुहर्रम के जुलूसों की अनुमति, कहा-आवश्यक धार्मिक प्रथाओं पर पूर्ण प्रतिबंध, महामारी के अभूतपूर्व संकट के अनुपात में है
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नहीं दी मुहर्रम के जुलूसों की अनुमति, कहा-आवश्यक धार्मिक प्रथाओं पर पूर्ण प्रतिबंध, महामारी के अभूतपूर्व संकट के अनुपात में है'

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुहर्रम में ताजियों की अनुमति देने से इनकार कर दिया है। ज‌स्टिस एसके गुप्ता और ज‌स्टिस शमीम अहमद की खंडपीठ ने शनिवार को याचिकाओं के एक बैच को खारिज़ करते हुए कहा, "भारी मन के साथ कहना पड़ रहा रहा है कि इन कठिन समयों में, मोहर्रम के 10 वें दिन से जुड़े शोक अनुष्ठानों / परंपराओं को विनियमित करने के लिए कोई दिशानिर्देश प्रदान कर पाना और निषेध उठाना संभव नहीं है।" कोर्ट ने कहा कि हम जिस अभूतपूर्व स्थिति का सामना कर रहे हैं, धर्म के लिए आवश्यक प्रथाओं का पूर्ण निषेध, उसी...

शादी में पति व पत्नी की बराबर की भागीदारी, बेहोशी की स्थिति में पति की संरक्षक बनने के लिए पत्नी ही सबसे उपयुक्त : बाॅम्बे हाईकोर्ट
'शादी में पति व पत्नी की बराबर की भागीदारी', बेहोशी की स्थिति में पति की संरक्षक बनने के लिए पत्नी ही सबसे उपयुक्त : बाॅम्बे हाईकोर्ट

बॉम्बे हाईकोर्ट ने माना है कि एक शादी में पति और पत्नी समान भागीदार होते हैं। इसलिए बेहोशी ( वेजिटेटिव स्टेज ) में लेटे पति की संरक्षक (गार्जियन) बनने के लिए पत्नी ही सबसे उपयुक्त इंसान होती है। कोर्ट ने सभी संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वह महिला को उसके पति के संरक्षक के तौर पर स्वीकार करें। महिला ने इस मामले में कोर्ट को बताया था कि उसके पति के इलाज पर होने वाला खर्च काफी बढ़ गया है। इसलिए वह अपने पति का पैसा निकालना चाहती थी,परंतु बैंक ने ऐसा करने से इनकार कर दिया।न्यायमूर्ति...

पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने वकील, क्लर्क और वादकारियों को आवेदन / याचिका पर टिकट चिपकाने के लिए सलाइवा का इस्तेमाल नहीं करने को कहा
पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने वकील, क्लर्क और वादकारियों को आवेदन / याचिका पर टिकट चिपकाने के लिए सलाइवा का इस्तेमाल नहीं करने को कहा

पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने एक नोटिस में कहा है कि वकील, क्लर्क और वादकारियों को आवेदन / याचिका पर कोर्ट फीस के टिकट लगाने/चिपकाने के लिए सलाइवा (लार) का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। रजिस्ट्रार जनरल संजीव बेरी द्वारा जारी नोटिस में कहा गया है कि COVID-19 के प्रसार पर रोक लगाने और न्यायाधीशों, कर्मचारियों, अधिवक्ताओं, क्लर्कों और वादकारियों के स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए मुख्य न्यायाधीश द्वारा निर्देशित किया गया है। यह नोटिस पिछले हफ्ते 21 अगस्त को जारी किया गया था। मई में जिला और सत्र...

बेंगलुरु दंगा मामले में संपत्ति के नुकसान का अनुमान लगाने/ जांच करने के लिए कर्नाटक हाईकोर्ट ने सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति एच के केम्पन्ना को क्लेम कमीश्नर  नियुक्त किया
बेंगलुरु दंगा मामले में संपत्ति के नुकसान का अनुमान लगाने/ जांच करने के लिए कर्नाटक हाईकोर्ट ने सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति एच के केम्पन्ना को क्लेम कमीश्नर नियुक्त किया

कर्नाटक हाईकोर्ट ने शुक्रवार को सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति एच एस केम्पन्ना को क्लेम कमीश्नर के रूप में नियुक्त किया है। उनकी नियुक्ति 11 अगस्त को डीजे हल्ली और केजी हल्ली पुलिस स्टेशनों की सीमाओं के अंतर्गत संपत्तियों को नष्ट करने के कारण हुए नुकसान का अनुमान लगाने व जांच करने के लिए की गई है। मुख्य न्यायाधीश अभय ओका और न्यायमूर्ति अशोक एस किन्गी की खंडपीठ ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वह अदालत के आदेश की वेब होस्टिंग के एक सप्ताह के भीतर एक अधिसूचना जारी करे,जिसमें क्लेम कमीश्नर की...

क्या निजी कार्यक्रम PoSH एक्ट के तहत कार्यस्थल की परिभाषा के अंतर्गत आएगा? सिक्किम हाईकोर्ट जांच करेगा
क्या "निजी कार्यक्रम" PoSH एक्ट के तहत "कार्यस्थल" की परिभाषा के अंतर्गत आएगा? सिक्किम हाईकोर्ट जांच करेगा

सिक्किम हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा है कि वह, जांच करेगा कि क्या "निजी होटल में निजी विवाह समारोह" में हुई यौन उत्पीड़न की घटना "कार्यस्थल" की परिभाषा के अंतर्गत आएगी, जैसा कि यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) कार्यस्थल अधिनियम, 2013 (PoSH अधिनियम) की धारा 2 (ओ) के तहत निर्धारित है। सिक्किम हाईकोर्ट ने कहा, "उक्त अधिनियम में" कार्यस्थल "शब्द की परिभाषा की जांच करने के बाद, ऐसा लगता है कि याचिकाकर्ता के पास अधिकार क्षेत्र पर एक मजबूत तर्कपूर्ण बिंदु है या इसकी कमी है। क्या" कार्यस्थल "की...

सीआरपीसी के तहत ऐसी कोई प्रक्रिया नहीं है जहां एक जवाबी मामले की प्रकृति में एक शिकायत को लंबित प्राथमिकी के साथ जोड़ा जा सके: त्रिपुरा हाईकोर्ट
सीआरपीसी के तहत ऐसी कोई प्रक्रिया नहीं है जहां एक जवाबी मामले की प्रकृति में एक शिकायत को लंबित प्राथमिकी के साथ जोड़ा जा सके: त्रिपुरा हाईकोर्ट

त्रिपुरा हाईकोर्ट (मुख्य न्यायाधीश अकील कुरैशी की बेंच) ने गुरूवार (20 अगस्त) को यह साफ़ किया है कि सीआरपीसी के तहत ऐसी कोई प्रक्रिया नहीं है जहां एक जवाबी मामले (Counter-case) की प्रकृति में एक शिकायत को उसी मामले से संबंधित, एक लंबित प्राथमिकी (FIR) के साथ जोड़ा जा सके। मामले की पृष्ठभूमि याचिकाकर्ता एक राजनीतिक संगठन की सदस्य है। उसके अनुसार उसने 'गणतन्त्रिक नारी समिति' द्वारा आयोजित एक प्रदर्शन में भाग लिया था, जो 1 जून, 2020 को मेलारमथ कालीबाड़ी के पास एच. जी. बसाक रोड पर हुआ था। ...