सुशांत सिंह राजपूत की मौत पर असंवेदनशील रिपोर्टिंग का मामला: एनबीएसए ने आजतक पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया, जी न्यूज,इंडिया टीवी व न्यूज 24 को माफी मांगने का निर्देश

LiveLaw News Network

8 Oct 2020 11:34 AM GMT

  • सुशांत सिंह राजपूत की मौत पर असंवेदनशील रिपोर्टिंग का मामला: एनबीएसए ने  आजतक पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया, जी न्यूज,इंडिया टीवी व न्यूज 24 को  माफी मांगने का निर्देश

    समाचार प्रसारण मानक प्राधिकरण (एनबीएसए) ने इलेक्ट्रॉनिक समाचार चैनल आजतक, जी न्यूज, न्यूज 24 और इंडिया टीवी को निर्देश दिया है कि वह अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत को सनसनीखेज बनाने व असंवेदनशील रिपोर्टिंग करने के मामले में माफी मांगे और उसका प्रसारण किया जाए।

    स्वशासी प्राधिकरण ने आजतक, जी न्यूज और न्यूज 24 चैनल को वो असंवेदनशील टैग लाइन्स चलाने से भी रोक दिया है,जिनमें मृतक की निजता का उल्लंघन करने और उसकी गरिमा को प्रभावित करने का प्रभाव था।

    जबकि, आजतक के साथ इंडिया टीवी को भी राजपूत की लाश की तस्वीरें दिखाने का दोषी पाया गया है।

    यह भी कहा गया कि,

    ''हालांकि समाचारों को रिपोर्ट करना समाचार चैनलों का कर्तव्य है, जो सार्वजनिक हित में हो सकता है और जिन व्यक्तियों पर रिपोर्ट की जा रही है, उन्हें इस तरह की मीडिया रिपोर्टों से न्याय मिल सकता है। परंतु समाचार को ढंग से प्रस्तुत करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है, ताकि वह मृतक की गोपनीयता का उल्लंघन न करें और न ही एक दुखद घटना को सनसनीखेज बनाया जाना चाहिए। यह भी महत्वपूर्ण है कि मृतक को अनावश्यक रूप से मीडिया की चकाचैंध का हिस्सा नहीं बनाया जाना चाहिए।''

    आजतक के निर्लज्ज ''हिट-विकेट'' टैगलाइन का जिक्र करते हुए प्राधिकरण ने कहा,

    ''ऐसा प्रतीत होता है कि सवाल सुशांत सिंह राजपूत से पूछे जा रहे हैं, जो अब मर चुका है। इसलिए टैगलाइन अपमानजनक हैं, जो गोपनीयता का उल्लंघन व मृतक की गरिमा को प्रभावित करती है।''

    जी न्यूज द्वारा चलाई गई एक टैगलाइन का हवाला देते हुए, 'पटना का सुशांत, मुम्बई में फेल क्यूं?, प्राधिकरण ने कहा कि,

    ''टैगलाइन ... यह धारणा देती है कि आत्महत्या करना असफलता है और इसलिए टैगलाइन मृतक की गोपनीयता और गरिमा का उल्लंघन करती है। आत्महत्या के विभिन्न कारण हो सकते हैं, लेकिन यह धारणा बनाई जा रही है कि एक छोटे शहर के लड़के ने मेट्रो शहर में आकर आत्महत्या कर ली। जो उसकी ''विफलता'' थी।''

    इसी तरह, यह निष्कर्ष निकाला गया है कि न्यूज 24 द्वारा चलाई गई टैगलाइन ''अपमानजनक थी और मृतक की गरिमा को प्रभावित करती है'' जो यह संकेत देती है कि सुशांत अपनी फिल्म छिछोरे में उनके द्वारा दिए गए आत्महत्या विरोधी संदेश को भूल गए थे।

    प्राधिकरण ने कहा,

    ''निस्संदेह, मीडिया को बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार है। इस बात पर भी संदेह नहीं किया जा सकता है कि जब सुशांत सिंह राजपूत जैसे जाने पहचाने व्यक्तित्व आत्महत्या करते हैं, तो यह न केवल एक बड़ी खबर बन जाती है, बल्कि चर्चा का विषय भी बन सकती है, जो विभिन्न शिकायतों और परिकल्पना पर आधारित हो सकती है। इसलिए, ऐसे कार्यक्रमों का प्रसारण को न तो हतोत्साहित किया जा सकता है और न ही आलोचना की जा सकती है। भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में न केवल अभिव्यक्ति के माध्यम से जानकारी को व्यक्त करने, प्रकाशित करने और प्रचार करने का अधिकार है, बल्कि जानकारी प्राप्त करना भी शामिल है। सूचना का प्रसार करके, मीडिया इस अधिकार का लाभ उठाने के लिए नागरिकों को सुविधा प्रदान कर रहा है।''

    यह भी कहा गया कि,

    ''अगर आजतक, जी न्यूज और न्यूज 24 द्वारा दिखाए गए कार्यक्रम इस तरह की टैगलाइन के बिना होते,तो हो सकता है कि यह मृतक की गोपनीयता, सनसनीखेज और गरिमा से संबंधित दिशानिर्देशों का उल्लंघन न होता। हालांकि, चूंकि कार्यक्रम में उपरोक्त टैगलाइनों को चलाया गया था,इसलिए एनबीएसए का मानना था कि उक्त प्रसारकों ने सूचना को कवर करने के लिए बनाए गए विशिष्ट दिशानिर्देश का उल्लंघन किया है।''

    इसी बीच, प्राधिकरण ने आजतक और इंडिया टीवी को निर्देश दिया है कि वह राजपूत की लाश की तस्वीरों को सार्वजनिक करने के लिए माफी मांगे। ।

    कथित तौर पर, आजतक ने बेडरूम से दिवंगत श्री राजपूत की लाश की तस्वीरें प्रसारित की थी। इतना ही उन्होंने गला घोंटने के लिए इस्तेमाल किए गए कपड़े के रंग के साथ-साथ मरने के लिए इस्तेमाल की गई विधि का भी स्पष्ट रूप से वर्णन किया था।

    इंडिया टीवी पर भी आरोप लगाया गया है कि उसने बार-बार शरीर के होठों के रंग और राजपूत की गर्दन पर निशान का विस्तार से वर्णन किया था। वहीं यह भी आरोप है कि उन्होंने बार-बार अपार्टमेंट से कपड़े में ढके हुए शरीर को बाहर निकालते हुए भी दिखाया था।

    प्राधिकरण ने कहा कि यह एनबीएसए दिशानिर्देशों का ''जबरदस्त उल्लंघन'' है। जो इस प्रकार हैं-

    -मौलिक मानक-खण्ड बी,जिसमें कहा गया है कि ''रिपोर्टिंग को सनसनीखेज नहीं बनाना चाहिए या दर्शकों के बीच घबराहट, बैचेनी या अवांछनीय डर पैदा करने वाली नहीं होना चाहिए।''

    -कानून व व्यवस्था, अपराध व हिंसा - खंड 3.6, जिसमें कहा गया है कि ''मृतकों के साथ सम्मान से व्यवहार किया जाना चाहिए। मृत या कटे-फटे शरीर के क्लोज-अप नहीं दिखाए जाने चाहिए।''

    -न्याय, निष्पक्षता और वस्तुनिष्ठा से संबंधित दिशानिर्देश

    -गोपनीयता

    -दुःख और मौत की स्थितियों पर रिपोर्टिंग करते समय प्रसारकों को विवेक और संवेदनशीलता का प्रयोग करना चाहिए।

    -पब्लिक ऑर्डर को प्रभावित करने वाली खबरों के प्रसारण के लिए बनाए गए दिशानिर्देशों के खंड 3.1 में कहा गया है कि ''कंटेंट को ग्लैमराइज नहीं करना चाहिए या अपराध को सनसनीखेज नहीं बनाना चाहिए या आत्महत्या सहित आपराधिक कार्यों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।''

    गौरतलब है कि प्राधिकरण ने राजपूत की लाश को अपने टेलीकास्ट में दिखाने के लिए न्यूज नेशन को राहत दे दी है क्योंकि उन्होंने इसके लिए पश्चाताप व्यक्त किया है और आश्वासन दिया है कि इसे दोहराया नहीं जाएगा। एबीपी माझा को भी चेतावनी के साथ छोड़ दिया गया है क्योंकि प्राधिकरण ने पाया कि उन्होंने शरीर की क्लोज-अप तस्वीरों का प्रसारण नहीं किया था।

    आजतक को 1,00,000 रुपये का जुर्माना देने का निर्देश दिया गया है क्योंकि उन्होंने कुछ ट्वीट्स प्रसारित करने और अभिनेता को उनके लिए जिम्मेदार ठहराने से पहले एक उचित सावधानी नहीं बरती थी या उनकी सत्यता जानने के लिए परिश्रम नहीं किया था।

    कथित तौर पर, आजतक ने फर्जी ट्वीट्स के आधार पर झूठा आरोप लगाते हुए कहा था कि राजपूत ने तीन ट्वीट पोस्ट किए थे, जिनको उसने 14 जून, 2020 को अपनी मौत से कुछ घंटे पहले डिलीट कर दिया था। हालांकि, बाद में चैनल ने ट्वीट को डिलीट कर दिया था और लेख को भी हटा दिया था।

    इसी को गंभीरता से लेते हुए प्राधिकरण ने कहा,

    ''ब्रॉडकास्टर को ट्वीट को टेलीकास्ट/अपलोड करने से पहले इसके लिए परिश्रम और सत्यापन का संचालन करना चाहिए था ना कि अपलोड करने के बाद। इस तरह की तत्परता एक मूल सिद्धांत है और पत्रकारिता नैतिकता की आवश्यकता भी। बिना सत्यापन के ट्वीट का टेलीकास्ट करना जनता के बीच गलत सूचना फैलाने की प्रवृत्ति थी। एनबीएसए ने पाया कि प्रसारक ने सत्यतता से संबंधित रिपोर्टिंग दिशानिर्देशों का उल्लंघन किया है जो बताते हैं किः

    (1) यदि संभव हो तो जानकारी को पहले एक से अधिक स्रोतों से इकट्ठा किया जाना चाहिए।

    (2) समाचार-एजेंसियों से प्राप्त रिपोर्ट के लिए उनको श्रेय दिया जाना चाहिए और जहाँ संभव हो, इनको सत्यापित किया जाना चाहिए।

    (3) आरोपों को सही रूप में रिपोर्ट किया जाना चाहिए।

    (4) तथ्य के त्रुटियों को जल्द से जल्द ठीक किया जाना चाहिए, तथ्य के सही संस्करण के प्रसारण को पर्याप्त प्रमुखता दी जानी चाहिए।''

    अंत में, प्राधिकरण ने पाया है कि आजतक ने प्राइवेसी के संबंध में भी उनके दिशानिर्देशों का उल्लंघन किया है क्योंकि उनके संवाददाताओं ने राजपूत के माता-पिता के घर में घुसकर उसके परिवार के विभिन्न सदस्यों से सवाल पूछे थे, जो परेशान और शोक की स्थिति में थे।

    गौरतलब है कि एबीपी न्यूज चैनल के पत्रकारों ने भी राजपूत की चचेरी बहन का इंटरव्यू लिया था। हालांकि, प्राधिकरण ने चैनल को एक चेतावनी के साथ छोड़ दिया है क्योंकि इस बात पर ध्यान दिया गया कि चचेरी बहन ने ''स्वेच्छा से'' यह साक्षात्कार दिया था।

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