मुख्य सुर्खियां
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने युवा वकील के यौन उत्पीड़न के आरोपी सरकारी वकील को अंतरिम जमानत दी
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने गुरुवार (03 सितंबर) को एक युवा वकील द्वारा दर्ज बलात्कार के मामले में एक सरकारी वकील को अंतरिम जमानत दे दी।उक्त मामले के संबंध में अपनी गिरफ्तारी से बचने के लिए सरकारी वकील की याचिका पर सुनवाई करते हुए लखनऊ में जस्टिस चंद्र धारी सिंह की एकल पीठ ने कहा,"आवेदक एक प्रतिष्ठित अधिवक्ता है और इस न्यायालय में पिछले 29 वर्षों से बिना किसी आपराधिक मामले के अभ्यास/वकालत कर रहा है। आवेदक, राज्य सरकार और विभागों और निगमों के लिए अतिरिक्त मुख्य स्थायी वकील था। आवेदक के खिलाफ पूरे...
'यह कल्याणकारी राज्य की तस्वीर नहीं', मध्य प्रदेश HC ने सेवानिवृत्त कर्नल की अनावश्यक गिरफ्तारी पर EOW और उनकी जमानत अर्जी खारिज करने पर ट्रायल कोर्ट को फटकार लगायी
भारतीय सेना के एक सेवानिवृत्त कर्नल को जमानत देते हुए, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने हाल ही में EOW (आर्थिक अपराध शाखा, भोपाल) को मामले में गिरफ्तारी करने (जबकि इसकी आवश्यकता नहीं थी) और आवेदक की जमानत याचिका खारिज करने के लिए निचली अदालत को फटकार लगायी। न्यायमूर्ति अतुल श्रीधरन की पीठ सीआरपीसी की धारा 439 के तहत दायर एक अर्जी पर सुनवाई कर रही थी। दरअसल याचिकाकर्ता के खिलाफ, आईपीसी की धारा 120 बी के साथ 420, 467, 468, 471, 472, 474 के तहत अपराध के लिए और अपराध क्रमांक 995 / 2020 पंजीकृत,...
NLSIU ने CLAT 2020 स्वीकार करने से इनकार किया, वर्ष 2020-21 के लिए एडमिशन अलग से होने वाले टेस्ट के आधार पर होंगे
एक महत्वपूर्ण कदम में,भारत की प्रमुख लॉ यूनिवर्सिटी, लॉ स्कूल ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी (एनएलएसआईयू), बैंगलोर ने शैक्षणिक वर्ष 2020-21 के 5 ईयर इंटिग्रेटिड बी.ए एलएल.बी (ऑनर्स) में प्रवेश के लिए कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट (CLAT) के स्कोर स्वीकार न करने का निर्णय लिया है।विश्वविद्यालय की तरफ से जारी एक संशोधित प्रवेश अधिसूचना में कहा गया है कि- ''विश्वविद्यालय शैक्षणिक वर्ष 2020-21 में प्रवेश के लिए CLAT 2020 के स्कोर को स्वीकार नहीं करेगा।''शैक्षणिक वर्ष 2020-21 के लिए प्रवेश विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित...
अन्वेषण के दौरान जब्त की गई तस्वीरों और वीडियो को सोशल मीडिया पर लीक और अपलोड नहीं किया जाए: J&K HC ने अन्वेषण एजेंसी को दिए निर्देश
जम्मू और कश्मीर हाईकोर्ट ने गुरूवार (3 सितंबर) को दिए एक आदेश में जांच/अन्वेषण एजेंसी को यह सुनिश्चित करने के लिए एक निर्देश जारी किया है कि अन्वेषण के दौरान जब्त की गई तस्वीरों और वीडियो-छवियों को सोशल मीडिया पर लीक और अपलोड नहीं किया जाए। न्यायमूर्ति संजय धर की पीठ ने यह आदेश याचिकाकर्ता-महिला की उस प्रार्थना पर दिया जिसके अंतर्गत उसने अदालत से यह मांग की थी कि पुलिस को यह निर्देशित किया जाए कि उनके द्वारा सोशल मीडिया पर याचिकाकर्ता के वीडियो और छवियों को प्रसारित न किया जाए। मामले की...
'योजना में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए पर्याप्त दिशानिर्देश शामिल हैं', इलाहाबाद हाईकोर्ट ने MPLAD योजना के तहत जारी निधि के उपयोग की जांच करने से किया इनकार
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने गुरुवार (03 सितंबर) को फैसला सुनाया कि न्यायालय, संसद सदस्य स्थानीय क्षेत्र विकास योजना (एमपीएलएडीएस) के तहत जारी किए गए धन के उपयोग के संबंध में जांच करने का निर्देश नहीं दे सकता है। जस्टिस पंकज मित्तल और जस्टिस योगेंद्र कुमार श्रीवास्तव की पीठ ने कहा कि इस योजना को निष्पादित करने के लिए और कार्य में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए स्कीम में पर्याप्त दिशानिर्देश मौजूद हैं और किसी भी शिकायत को, उचित प्रशासनिक अधिकारियों के समक्ष उठाया जा सकता है। उल्लेखनीय रूप से,...
अतिरिक्त महाधिवक्ता की नियुक्ति के खिलाफ दायर याचिका इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खारिज की
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोमवार को उस जनहित याचिका को खारिज कर दिया जिसमें कहा गया था कि राज्य में केवल एक ही महाधिवक्ता हो सकता है और अतिरिक्त महाधिवक्ता की नियुक्ति संविधान के तहत अनुज्ञेय है। जस्टिस पंकज कुमार जायसवाल और जस्टिस दिनेश कुमार सिंह की खंडपीठ ने कहा कि राज्य की ओर से न्यायालय की उचित/सुचारू सहायता सुनिश्चित करने के लिए अतिरिक्त महाधिवक्ता की नियुक्ति आवश्यक है। पीठ ने स्पष्ट किया कि एक अतिरिक्त महाधिवक्ता केवल महाधिवक्ता के कार्यालय के ''तत्काल और नियमित कार्य'' का निर्वहन करता है...
सुशांत सिंह-रिया मामला : ''मुंबई पुलिस के खिलाफ दुर्भावनापूर्ण अभियान चलाने'' के मामले में पूर्व आईपीएस अधिकारी बाॅम्बे हाईकोर्ट पहुंचे, क्राइम रिपोर्टिंग के लिए दिशा-निर्देश बनाने की मांग
महाराष्ट्र के कुल आठ पूर्व डीजीपी और पुलिस आयुक्तों ने बॉम्बे हाईकोर्ट के समक्ष एक जनहित याचिका दायर की है, जिसमें सुशांत सिंह राजपूत मौत मामले में मुंबई पुलिस के खिलाफ अनुचित, दुर्भावनापूर्ण और फर्जी मीडिया अभियान चलाने का आरोप लगाया गया है। पूर्व डीजीपी पीएस पारसीचा, के सुब्रमण्यम, डी शिवानंदन, संजीव दयाल और एससी माथुर व साथ में पूर्व आयुक्त एमएन सिंह, डीएन जाधव और केपी रघुवंशी की तरफ से यह याचिका दायर की गई है। जिसमें मांग की गई है कि भारतीय संघ, प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया, न्यूज ब्रॉडकास्टर...
'बार के सदस्यों की सहायता और पुनर्वास के लिए हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के खाते में दान दें' : मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने कई मामलों में जमानत देते समय रखी शर्त
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की जबलपुर बेंच ने सोमवार (31-अगस्त-2020) को 5 से अधिक जमानत आवेदन (धारा 438/439 सीआरपीसी के तहत दायर आवेदन) को स्वीकारते हुए आरोपियों/जमानत आवेदनकर्ताओं को इस शर्त पर जमानत दे दी कि वे बार (Bar) के उन सदस्यों की सहायता और पुनर्वास के लिए हाई कोर्ट बार एसोसिएशन, ग्वालियर के खाते में अदालत द्वारा निश्चित की गयी राशि स्वेच्छा से दान करेंगे, जो सदस्य COVID -19 महामारी के कारण और अदालतों के लॉकडाउन और प्रतिबंधात्मक कामकाज के चलते वित्तीय संकट का सामना कर रहे हैं। न्यायमूर्ति...
हिरासत में मौत के मामले की प्राथमिकी में जोड़ी हत्या की धारा, कोर्ट ने सेवानिवृत्त डीजीपी की अग्रिम ज़मानत निरस्त की
मोहाली के एक अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने मंगलवार को 1991 की हिरासत में मौत के एक मामले में राज्य के पूर्व पुलिस महानिदेशक एस.एस.सैनी की अग्रिम जमानत अर्जी निरस्त कर दी, क्योंकि उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी में पिछले दिनों ही हत्या की धारा भी जोड़ दी गई है। 11 मई को एक अन्य समतुल्य अदालत ने प्रारंभिक एफआईआर में सैनी को अग्रिम जमानत दे दी थी क्योंकि उस समय प्राथमिकी में हत्या की धारा नहीं जोड़ी गई थी।एएसजे रजनीश गर्ग ने कहा कि यह दोनों पक्षों द्वारा स्वीकार किया गया मामला है कि शुरू में आवेदक-अभियुक्त...
'अपीलकर्ताओं के खोए हुए वर्षों को वापस नहीं किया जा सकता', उडीसा हाईकोर्ट ने निचली अदालत द्वारा 34 साल पूर्व सुनाई सजा और दोषसिद्धि को रद्द किया
उड़ीसा हाईकोर्ट ने मंगलवार (1 सितंबर) को एक मामले में 34 साल पूर्व निचली अदालत द्वारा सुनाई गयी सजा और दोषसिद्धि को रद्द करते हुए यह टिप्पणी की कि न्याय में देरी, न्याय से वंचित करती है। न्यायमूर्ति एस. के. साहू की पीठ ने इस बात को भी रेखांकित किया कि स्पीडी ट्रायल का अधिकार एक मौलिक अधिकार है। और कोई भी अपीलकर्ताओं के खोए हुए वर्षों को पुनर्स्थापित नहीं कर सकता है। मामले की पृष्ठभूमि अपीलार्थी नित्या @ नित्यानंद बेहेरा और मधिया @ माधबा बेहेरा ने न्यायालय के विद्वान सत्र न्यायाधीश,...
भूषण पर जजमेंंट के संबंध में चिंता व्यक्त करते हुए इंटरनेशनल कमीशन ऑफ ज्यूरिस्ट ने कहा, भारत में अवमानना कानून की समीक्षा की जाए
अधिवक्ता प्रशांत भूषण को आपराधिक अवमानना के लिए दोषी ठहराते हुए सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले पर चिंता व्यक्त करते हुए ,इंटरनेशनल कमीशन ऑफ ज्यूरिस्ट (आईसीजे) ने देश में आपराधिक अवमाननाकानूनों की समीक्षा करने का आग्रह किया है।सुप्रीम कोर्ट द्वारा 14 अगस्त (दोषी करार देना) और 31 अगस्त (सजा देना) को पारित निर्णयों का हवाला देते हुए आयोग ने इस फैसले को उन अंतरराष्ट्रीय मानकों के साथ असंगत माना है ,जो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को सीमित करने के दायरे को ही सीमित करते हैं। वहीं यह फैसला इस...
गुजरात हाईकोर्ट ने 14 सितंबर से चरणबद्ध तरीके से प्रत्यक्ष (फ़िज़िकल) सुनवाई शुरू करने का फैसला किया
गुजरात हाईकोर्ट ने 14 सितंबर से प्रत्यक्ष (फ़िज़िकल)सुनवाई को चरणबद्ध तरीके से शुरू करने का फैसला किया है। मुख्य न्यायाधीश, उच्च न्यायालय द्वारा जारी प्रशासनिक आदेश में सूचित किया गया है कि साप्ताहिक रनिंग बोर्ड (कॉज़ लिस्ट) में मामलों को उठाने के लिए निम्नलिखित पीठों का गठन किया जाएगा: -जेल की सजा में अपीलों के लिए एक खंडपीठ, जिनमें अपीलकर्ता दोषी वर्तमान में जेल में बंद हैं; -जेल की सजा में अपीलों के लिए दो या तीन एकल जज पीठ, जिनमें अपीलकर्ता दोषी (वर्तमान में) जेल में बंद हैं; -पुराने...
सीआरपीसी की धारा 436-ए का लाभ केवल अंडरट्रायल को दिया जा सकता है, न कि एक दोषी को, जिसने अपनी सजा को चुनौती दी हैः बॉम्बे हाईकोर्ट (पूर्ण पीठ)
बॉम्बे हाईकोर्ट की एक पूर्ण पीठ ने माना है कि दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 436-ए के तहत लाभ केवल विचाराधीन कैदी को ही दिया जा सकता है, न कि एक दोषी को, जिसने सीआरपीसी की धारा 374 के तहत अपनी सजा को चुनौती दी हो। उच्च न्यायालय की नागपुर स्थित पीठ में मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता, न्यायमूर्ति आरके देशपांडे और न्यायमूर्ति एसबी शुक्रे ने उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ द्वारा उठाए गए एक सवाल का जवाब दिया, जिसमें पीठ ने कहा था कि मामले में आपराधिक मामलों में अक्सर पूछे जाने वाले सामान्य प्रश्न शामिल...
एक ही मामले में 2 जमानत याचिकाओं का दायर होना गंभीर चिंता का विषय, रजिस्ट्री ऐसे मामलों से बचने के लिए सॉफ्टवेर विकसित करे: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने सोमवार (31 अगस्त) को एक मामले में यह कहा कि एक याचिकाकर्ता द्वारा एक ही प्राथमिकी (FIR) से उत्पन्न होने वाली दो जमानत याचिकाओं को दायर किया जाना गंभीर चिंता का विषय है। दरअसल, न्यायमूर्ति ज्योत्स्ना रेवल दुवा की पीठ के समक्ष दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 439 के तहत दो अलग-अलग जमानत याचिकाओं को दो अलग-अलग वकीलों के माध्यम से एक ही याचिकाकर्ता, यानी सुनील कुमार द्वारा दाखिल किया गया था। इस स्थिति का संज्ञान लेते हुए, जो कि तत्काल मामले में उत्पन्न हुई और भविष्य में...
अनुच्छेद 21 के तहत बलात्कार, पीड़िता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन : गुवाहाटी हाईकोर्ट
संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत बलात्कार, पीड़िता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है। यह कहते हुए गुवाहाटी हाईकोर्ट ने एक बीस वर्षीय लड़की से बलात्कार करने के मामले में दोषी करार दिए एक व्यक्ति की तरफ से दायर अपील को खारिज कर दिया है। न्यायमूर्ति रूमी कुमारी फुकन ने कहा कि बलात्कार महिला के श्रेष्ठ सम्मान के लिए एक गंभीर आघात है और इसी तरह पूरे समाज के खिलाफ भी एक अपराध है। नासीरउद्दीन अली को आईपीसी की धारा 376 के तहत दोषी ठहराया गया था और ट्रायल कोर्ट ने उसे 9 (नौ) साल की अवधि के लिए सश्रम कारावास की...
एक ही व्यक्ति के दो आधार कार्ड, जन्म-तिथियां अलग-अलग: गुजरात हाईकोर्ट ने यूआईडीएआई को प्रामाणिकता सत्यापित करने का निर्देश दिया
गुजरात हाईकोर्ट की जस्टिस सोनिया गोकानी और जस्टिस एन वंजारिया की खंडपीठ ने गुरुवार को बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई करते हुए भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) को एक ही महिला के दो आधार कार्ड की वैधता की जांच करने और यह रिपोर्ट करने कि दोनों कार्डों में से कौन सा प्रामाणिक है, का निर्देश दिया। जस्टिस सोनिया गोकानी और जस्टिस एन वंजारिया की खंडपीठ ने महिला के मामा द्वारा दायर याचिका पर विचार किया। याचिकाकर्ता / महिला के मामा ने ने भारतीय दंड संहिता की धारा 363 और 366 के तहत दंडनीय...
'मजिस्ट्रेट के संज्ञान लेने के बाद CrPC की धारा 156 (3) के तहत अन्वेषण का आदेश नहीं दिया जा सकता', J&K हाईकोर्ट ने मजिस्ट्रेटों के प्रशिक्षण का आदेश दिया
जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने सोमवार (31 अगस्त) को एक फैसला सुनाया है जिसमे यह साफ़ किया कि एक बार मजिस्ट्रेट द्वारा अपराध का संज्ञान ले लिया जाए, उसके बाद दण्ड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 156 (3) के तहत अन्वेषण का आदेश नहीं दिया जा सकता है। न्यायमूर्ति अली मुहम्मद माग्रे की पीठ ने कहा कि एक बार जब कोई मजिस्ट्रेट अपराध का संज्ञान लेता है, तो उसके बाद उसे धारा 156 (3) के तहत अन्वेषणका आदेश देने से रोक दिया जाता है। यही नहीं, पीठ ने निदेशक, न्यायिक अकादमी को साथ ही यह निर्देश भी दिया कि वे...
''बिना किसी गलती के छात्र परेशान नहीं होने चाहिए'' : बाॅम्बे हाईकोर्ट का एनटीए को निर्देश, बाढ़/परिवहन/ संचार की परेशानी के कारण JEE में उपस्थित न हो पाने वाले छात्रों के आवेदन पर विचार करें
मंगलवार से शुरू हुए JEE Main Exam से पहले, बॉम्बे हाई कोर्ट ने मंगलवार सुबह विदर्भ क्षेत्र के बाढ़ प्रभावित इलाकों में रहने वाले छात्रों के लिए उक्त परीक्षा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। हालाँकि, न्यायालय ने कहा है कि यदि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का कोई भी छात्र परीक्षा में शामिल नहीं हो पाता है, तो वह श्रम्म् डंपद म्गंउपदंजपवद के सर्वोच्च निकाय के समक्ष अपना अभ्यावेदन या ज्ञापन प्रस्तुत कर सकता है। जिस पर उक्त निकाय को 15 दिनों के भीतर फैसला करना होगा।नागपुर पीठ के न्यायमूर्ति आरके देशपांडे और...
'डॉ कफील खान का भाषण घृणा या हिंसा को बढ़ावा नहीं देता, यह राष्ट्रीय अखंडता और नागरिकों की एकता का आह्वान करता है': इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने डॉ कफील खान पर लगाए गए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के आरोपों को रद्द कर दिया है और उन्हें तुरंत रिहा करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि 13 दिसंबर, 2019 को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में दिया गया डॉ कफील खान का भाषण, जिसके कारण उन्हें गिरफ्तार किया गया और बाद में उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के कड़े प्रावधानों के तहत हिरासत में लिया गया, "नफरत या हिंसा को बढ़ावा देने के किसी भी प्रयास का खुलासा नहीं करता है।"डॉ. कफील खान के खिलाफ एनएसए के तहत लगाए गए आरोप रद्द...

















