[प्रवासी महिला से बलात्कार] दुर्भाग्यपूर्ण है कि रोज़गार पाने के लिए तमिलनाडु आने वाली महिलाएं यौन उत्पीड़न का शिकार हो रही हैं: मद्रास हाईकोर्ट

LiveLaw News Network

10 Oct 2020 6:19 AM GMT

  • [प्रवासी महिला से बलात्कार] दुर्भाग्यपूर्ण है कि रोज़गार पाने के लिए तमिलनाडु आने वाली महिलाएं यौन उत्पीड़न का शिकार हो रही हैं: मद्रास हाईकोर्ट

    Madras High Court

    मद्रास उच्च न्यायालय ने गुरुवार (1 अक्टूबर) को एक मामले में यह टिप्पणी की कि यह देखना बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि पड़ोसी राज्यों से सैकड़ों किलोमीटर की दूरी पर स्थित तमिलनाडु में रोजगार पाने की आशा के साथ आने वाली महिलाएं, यौन शोषण का शिकार हो रही हैं।

    यह टिप्पणी मद्रास एचसी द्वारा एक दुर्भाग्यपूर्ण मामले के संबंध में की गई थी, जिसमें तिरुप्पुर जिले के पल्लदम में 22 वर्षीय एक प्रवासी मजदूर के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया था।

    जस्टिस एन. किरुबाकरन और पी. वेलमुरुगम की खंडपीठ ने आगे पुलिस महानिरीक्षक (पश्चिम क्षेत्र) को यह निर्देश दिया कि वह पल्लदम में महिला के साथ सामूहिक बलात्कार के मामले की निगरानी व्यक्तिगत रूप से करें और यह देखे कि दोषियों पर उचित कार्यवाही हो।

    इतना ही नहीं, खंडपीठ ने आगे सरकार को पीड़ित कानूनी सहायता योजना के तहत पीड़ित महिला को उचित कानूनी सहायता देने का निर्देश भी दिया।

    डिवीजन बेंच ने उपर्युक्त निर्देश, कोर्ट के समक्ष प्रैक्टिस करने वाले एक वकील ए.पी. सूर्यप्रकाशम द्वारा दिए गए एक आवेदन के बाद दिए, जिसमे उन्होंने ऐसे लोगों को भोजन, आश्रय, चिकित्सा सहायता और मौद्रिक मुआवजे के प्रावधान की मांग की थी।

    इसके अलावा, बेंच ने यह भी कहा,

    "प्रवासी मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी का भुगतान नहीं किया जाता है और इसलिए उन्हें स्थानीय कंपनियों के अलावा अन्य संगठनों द्वारा आसानी से चुना जाता है।"

    इस संबंध में, खंडपीठ ने निर्देश दिया कि सरकार द्वारा यह देखने के लिए उचित कदम उठाए जाएं कि प्रवासी मजदूरों को उचित भुगतान किया जाए।

    श्री जी. कार्तिकेयन, सहायक सॉलिसिटर जनरल ने न्यायालय द्वारा उठाए गए प्रश्नों के संबंध में निर्देश प्राप्त करने और प्रतिक्रिया देने के लिए समय मांगा।

    मामले को आदेशों के लिए पोस्ट कर दिया गया है।

    'द हिंदू' द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, इस मामले में, उत्तर प्रदेश में हाल के हाथरस गैंगरेप की घटना और इसी तरह के अन्य अपराधों का जिक्र करते हुए, जस्टिस किरुबाकरन ने बलात्कार और सामूहिक बलात्कार की कई घटनाओं पर अपनी पीड़ा व्यक्त की।

    जाहिर तौर पर, न्यायाधीश ने एक अध्ययन का भी उल्लेख किया, जिसमें दावा किया गया था कि आंकड़े इतने खतरनाक थे कि देश में हर 15 मिनट में एक महिला या लड़की के साथ बलात्कार हो रहा था, और उन्होंने कहा:

    "यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। महिलाओं के लिए कोई सुरक्षा नहीं है।"

    गौरतलब है कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने हाथरस गैंगरेप मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए कहा कि यह एक "अत्यंत संवेदनशील" मामला है, जो नागरिकों के बुनियादी मानव/मौलिक अधिकारों को छू रहा है।

    जस्टिस जसप्रीत सिंह और जस्टिस राजन रॉय की बेंच ने उत्तर प्रदेश के अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) के माध्यम से, पुलिस महानिदेशक, यूपी, लखनऊ, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक, कानून और व्यवस्था, यूपी, लखनऊ, जिला मजिस्ट्रेट, हाथरस, पुलिस अधीक्षक, हाथरस के माध्यम से यूपी राज्य को नोटिस जारी किया है और उन्हें सुनवाई की अगली तारीख 12 अक्टूबर को अदालत के समक्ष उपस्थित होने के लिए कहा है।

    गौरतलब है कि एक "हैरान कर देने वाली घटना" सुनने के दौरान जहां एक 15 साल की लड़की की जलाकर नृशंस हत्या कर दी गई थी, झारखंड उच्च न्यायालय ने हाल ही में टिप्पणी की थी कि, "हाथरस न केवल उत्तर प्रदेश राज्य में है, बल्कि झारखंड राज्य में भी है।"

    न्यायमूर्ति आनंद सेन की पीठ, झारखंड पुलिस द्वारा इस तरह के जघन्य मामले की जांच के तरीके से आश्चर्यचकित हुई।

    मामले के तथ्यों और परिस्थितियों ने, न्यायाधीश को, जघन्य हाथरस बलात्कार मामले से इस मामले की तुलना करने के लिए विवश किया।

    आदेश पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें



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