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गुजरात हाईकोर्ट ने यतिन ओझा को अदालत की अवमानना का दोषी करार दिया
गुजरात हाईकोर्ट ने मंगलवार को अधिवक्ता यतिन ओझा को अदालत की अवमानना के मामले में दोषी ठहराया है। जस्टिस सोनिया गोकानी और जस्टिस एन वी अंजारिया की पीठ ने यह फैसला ओझा के खिलाफ आपराधिक अवमानना के मामले में सुनाया है। ओझा के खिलाफ हाईकोर्ट ने स्वत संज्ञान लेते हुए आपराधिक अवमानना की कार्रवाई शुरू की थी। गुजरात हाईकोर्ट एडवोकेट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष ओझा ने सार्वजनिक तौर पर हाईकोर्ट के अंदर कुप्रशासन फैलने के आरोप लगाए थे। 18 जुलाई को, हाईकोर्ट ने वर्ष 1999 के पूर्ण न्यायालय के उस फैसले को वापिस...
होलकर राज्य के पूर्व शासक, महाराजा यशवंत राव होलकर की संपत्ति मध्य प्रदेश राज्य की हैः मध्य प्रदेश हाईकोर्ट
होलकर राज्य के तत्कालीन शासक, महाराजा यशवंत राव होलकर, की संपत्तियों के मौजूदा स्वामित्व के विवाद को हल करते हुए, मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने यह माना जाता है कि स्वामित्व मध्य प्रदेश राज्य का है।जस्टिस एससी शर्मा और जस्टिस शैलेंद्र शुक्ला की खंडपीठ ने एकल पीठ के आदेश को रद्द कर दिया, जिसने राजस्व अधिकारियों को खासगी (देवी अहिल्या बाई शंकर चैरिटीज) ट्रस्ट, इंदौर की सभी संपत्तियों में मध्य प्रदेश राज्य का नाम डालने से रोक दिया था, यह सुनिश्चित करने के लिए कि ट्रस्ट की संपत्ति अन्य...
सुशांत सिंह राजपूत की बहनों के खिलाफ एफआईआर में अब कोई हस्तक्षेप नहीं होगाः बॉम्बे हाईकोर्ट
मृतक अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की बहनों प्रियंका सिंह और मीतू सिंह ने मुंबई पुलिस द्वारा अभिनेत्री रिया चक्रवर्ती की शिकायत पर उनके खिलाफ दायर एफआईआर को रद्द करने के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट के समक्ष एक याचिका दायर की है। याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया है कि उनके खिलाफ एफआईआर स्पष्ट रूप से पटना में उनके पिता द्वारा रिया चक्रवर्ती के खिलाफ दायर एफआईआर का प्रतिवाद था। मंगलवार को न्यायमूर्ति एसएस शिंदे और न्यायमूर्ति एमएस कार्णिक की खंडपीठ के समक्ष यह मामला आया। याचिकाकर्ता बहनों प्रियंका और मीतू सिंह की...
प्रयागराज में 'दुर्गा पूजा' आयोजित करने को लेकर याचिका: इलाहाबाद HC ने याचिकाकर्ताओं को डीएम, प्रयागराज के समक्ष अपनी मांग रखने का निर्देश दिया
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सोमवार (28 सितंबर) को प्रयागराज शहर में दुर्गा पूजा की अनुमति के लिए दाखिल एक जनहित याचिका में कोई भी आदेश पारित करने से इनकार कर दिया।मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर और न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा की खंडपीठ ने यह टिप्पणी की कि, "हम इस विचार के हैं कि दुर्गा पूजा या किसी भी अन्य सामाजिक और धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन, उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा COVID-19 महामारी से निपटने के लिए निर्धारित दिशानिर्देशों के अधीन है।"न्यायालय ने अपने आदेश में कहा,"याचिकाकर्ता जिला मजिस्ट्रेट,...
[COVID के बीच मोहर्रम] 'जहां फरिश्ते पांव रखने से डरते हैं, वहां मूर्ख ही दौड़ लगाते हैं; परिस्थितियों के अनुसार कार्य करने में विफल रहा प्रशासन: गुजरात हाईकोर्ट ने रोष प्रकट किया
"जहां फरिश्ते पांव रखने से डरते हैं, वहां मूर्ख ही दौड़ लगाते हैं।"....यह पंक्ति पहली बार अलेक्जेंडर पोप ने अपनी 1711 की कविता "एन एसे ऑन क्रिटिसिज्म" में लिखी थी। वाक्यांश का आशय यह है कि अनुभवहीन या जल्दबाजी लोग उन चीजों में हाथ डालते हैं, जिन्हें करने से अनुभवी लोग बचते हैं। "हाल ही में, गुजरात हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका पर पारित एक आदेश का आमुख पूर्वोक्त पंक्तियों के साथ प्रस्तुत किया। मुख्य न्यायाधीश विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की खंडपीठ जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी,...
दिल्ली हाईकोर्ट ने एससीबीए के कार्यकारी समिति के सचिव पद को निलंबित करने के फैसले को चुनौती देने वाली अशोक अरोड़ा की याचिका खारिज की
दिल्ली हाईकोर्ट ने अशोक अरोड़ा द्वारा सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की कार्यकारी समिति के सचिव पद से निलंबित करने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी है।जस्टिस मुक्ता गुप्ता की सिंगल बेंच ने राहत देने से इनकार करते हुए कहा कि अशोक अरोड़ा प्रथम दृष्टया मामला अपने पक्ष में स्थापित करने में नाकाम रहे।8 मई को सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) ने कार्यकारी समिति (ईसी) की बैठक में यह फैसला लेने के बाद अपने सचिव अशोक अरोड़ा को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया था।इस संकल्प के माध्यम से यह भी...
[पहाड़ी क्षेत्रों में चिकित्सा सुविधाएं] उचित चिकित्सा सुविधा तक पहुँच एक मौलिक अधिकार है; राज्य के लिए उचित सुविधाएं प्रदान करना आवश्यक: उत्तराखंड HC
उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने शुक्रवार (25 सितंबर) को कहा कि उचित चिकित्सा सुविधा प्रत्येक नागरिक के मौलिक अधिकारों में से एक है। राज्य द्वारा उचित चिकित्सा सुविधाएं प्रदान की जानी हैं।कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रवि मलीमथ और न्यायमूर्ति आर. सी. खुल्बे की खंडपीठ एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमे राज्य और केंद्र द्वारा प्रस्तावित विभिन्न स्वास्थ्य योजनाओं को लागू करने के लिए उत्तरदाताओं को निर्देश देने की मांग की गयी थी। रेकॉर्ड पर मौजूद सामग्री पर विचार करने के बाद, न्यायालय का विचार था कि...
IDIA के दो स्कॉलर्स ने CLAT 2020 में टॉप रैंक प्राप्त की
IDIA चैरिटेबल ट्रस्ट के जय सिंह राठौर, आनंद कुमार और यशवंत कुमार द्वारा प्रशिक्षित तीन स्कॉलर ने क्रमशः AIR 3, 5 और 48 के साथ CLAT 2020 में शीर्ष रैंक हासिल की है। जय सिंह राठौर पटना जिले के एक छोटे से गाँव में रहते हैं और वित्तीय संघर्ष सहित कई मुद्दों पर नियंत्रण पाने के बाद उन्होंने CLAT 2020 की शीर्ष 5 सूची में अपने छात्रों को स्थान दिलाया है। उनके पिता एक किराने की छोटी-सी दुकान चलाते हैं और उनकी माँ एक गृहिणी हैं।कुमार पटना, बिहार के मोसौरी गाँव के निवासी हैं। उनके पिता, जो एक मैकेनिक...
(पाॅक्सो एक्ट के तहत अपराध) सत्र न्यायालय अग्रिम जमानत पर विचार नहीं कर सकता; केवल विशेष POCSO कोर्ट ही ऐसा करने के लिए सशक्त हैंः मद्रास हाईकोर्ट
मद्रास हाईकोर्ट (मदुरई बेंच) ने बुधवार (30 सितंबर) को कहा कि केवल प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रम सैक्सुअल एक्ट 2012 (पाॅक्सो एक्ट) के तहत गठित विशेष अदालतें ही अग्रिम जमानत याचिकाओं (पाॅक्सो एक्ट के तहत किए गए अपराधों के संबंध में) पर विचार करने के सशक्त हैं।जस्टिस एम सत्यनारायणन और जस्टिस वी भारतीदासन की खंडपीठ ने आगे कहा कि सत्र न्यायालय इस तरह के आवेदनों पर विचार नहीं कर सकती है। यह ध्यान देने वाली बात है कि मद्रास हाईकोर्ट (मदुरई बेंच) के सामने यह मामला जिला न्यायाधीश,करूर द्वारा आपराधिक...
केरल उच्च न्यायालय की पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति केके उषा का निधन
केरल उच्च न्यायालय की पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति केके उषा का सोमवार को निधन हो गया।जस्टिस केके उषा ने वर्ष 1961 में अधिवक्ता के रूप में दाखिला लिया था।उन्हें 1979 में केरल उच्च न्यायालय में सरकारी प्लीडर नियुक्त किया गया था। वह 25 फरवरी 1991 से 3 जुलाई 2001 तक केरल उच्च न्यायालय में न्यायाधीश और तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश रहीं। वह 2000 से 2001 तक मुख्य न्यायाधीश रहीं।वह बार से हाई कोर्ट न्यायपालिका में शामिल होने और चीफ जस्टिस बनने वाली पहली महिला रहीं । उच्च न्यायालय से सेवानिवृत्त होने के...
हाथरस केसः संयुक्त राष्ट्र ने भारत में महिलाओं के खिलाफ लगातार हो रहे यौन हिंसा के मामलों पर चिंता व्यक्त की
संयुक्त राष्ट्र ने भारत में महिलाओं के खिलाफ लगातार हो रहे यौन हिंसा के मामलों पर चिंता व्यक्त की है।हाथरस और बलरामपुर की घटनाओं के मद्देनजर जारी एक बयान में, संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि ये मामले याद दिलाते हैं कि वंचित समूहों की महिलाओं और लड़कियों को लिंग आधारित हिंसा का अधिक खतरा है।यूएन के भारत स्थित रेजिडेंट कोऑर्डिनेटर ने कहा है, "हाथरस और बलरामपुर में कथित बलात्कार और हत्या के हालिया मामले याद दिलाते हैं कि कई सामाजिक संकेतकों पर की गई प्रभावशाली प्रगति के बावजूद, वंचित सामाजिक समूहों...
[करेंसी नोटों का कूटकरण] 'यह अपराध देश की अर्थव्यवस्था को बाधित कर सकता है', इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अग्रिम जमानत याचिका ख़ारिज की
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने गुरुवार (01 अक्टूबर) को एक समीर खान द्वारा दायर अग्रिम जमानत अर्जी को खारिज कर दिया।यह याचिका, 2020 के केस क्राइम नंबर 638 के संबंध में, 489-ए (करेंसी नोटों या बैंक नोटों का कूटकरण), 489 -बी (कूटरचित या कूटकृत करेंसी नोटों या बैंक नोटों को असली के रूप में उपयोग में लाना), 489-सी (कूटरचित या कूटकृत करेंसी नोटों या बैंक नोटों को कब्जे में रखना), 489-डी (करेंसी नोटों या बैंक नोटों की कूटरचना या कूटकरण के लिए उपकरण या सामग्री बनाना या कब्जे में रखना) IPC के तहत अपराधों के...
दिल्ली कोर्ट ने जेएनयू के छात्र नेता उमर खालिद को जेल में सुरक्षा मुहैया कराने का आदेश दिया
दिल्ली की एक अदालत ने फरवरी में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई सांप्रदायिक हिंसा से जुड़े एक मामले में जेएनयू के पूर्व छात्र नेता उमर खालिद को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है।पटियाला हाउस कोर्ट के मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट देव सरो ने जेल अधिकारियों को भी पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करने और उचित सावधानी बरतने का निर्देश दिया की उन्हें कोई नुकसान न हो, जबकि जेल के भीतर सुरक्षा की मांग करते हुए उनके द्वारा दायर आवेदन पर कार्रवाई की गई ।मजिस्ट्रेट उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों के संबंध में खजुरी खास...
डिटेंशन को चुनौती देने वाली हैबियस कार्पस याचिका में अंतरिम जमानत केवल असाधारण परिस्थितियों में दी जा सकती है : मद्रास हाईकोर्ट
मद्रास हाईकोर्ट ने कहा है कि प्रिवेंटिव डिटेंशन को चुनौती देने वाली बंदी प्रत्यक्षीकरण (हैबियस कार्पस) याचिकाओं में अंतरिम जमानत केवल उन असाधारण परिस्थितियों में दी जा सकती है, जब यह सुनिश्चित किया जाता है कि न्यायालय का हस्तक्षेप अपरिहार्य है।यह मानते हुए जस्टिस टीएस सिवागणनाम और जस्टिस पुष्पा सत्यनारायण की खंडपीठ ने 15 जून को दिए गए उस आदेश को वापिस ले लिया है,जिसके तहत एक डिटेन्यू को अंतरिम जमानत दी गई थी। खंडपीठ ने इस मामले में तमिलनाडु सरकार की तरफ से डिटेन्यू की रिहाई पर की गई आपत्तियों...
24 मार्च से 30 सितंबर के बीच पटना हाईकोर्ट ने वर्चुअल मोड में 3,784सिविल और 14,273 आपराधिक मामलों का निपटारा किया
पटना हाईकोर्ट ने गुरुवार (01 अक्टूबर) को एक मामले की सुनवाई करते हुए [कोविड-19 की अवधि के दौरान बिहार में अदालतों के पुनः कार्य में, महामारी] ने इस तथ्य का उल्लेख किया कि 24.3.2020 (जब लॉकडाउन शुरू हुआ) और 30.9.2020 (बुधवार) के बीच, कुल 36,651 मामलों का उल्लेख किया गया था, जिनमें से 13,485 को सूचीबद्ध करने की अनुमति दी गई थी। मुख्य न्यायाधीश संजय करोल, न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह और न्यायमूर्ति हेमंत कुमार श्रीवास्तव की पूर्ण पीठ ने आगे कहा,"ई फाइलिंग मोड के माध्यम से 2844 सिविल और 7260...
[सर्विस रूल्स] सरकार एक मॉडल नियोक्ता होने के कारण ईस्ट इंडिया कंपनी के जैसे काम नहीं कर सकती है: कर्नाटक हाईकोर्ट
कर्नाटक हाईकोर्ट ने सोमवार (28 सितंबर) को कहा कि सरकार एक मॉडल नियोक्ता होने के कारण ईस्ट इंडिया कंपनी के जैसे काम नहीं कर सकती है, पुराने दिनों जैसे जब सेवा नियमों के जरिए आम तौर पर सेवा की स्थितियों को विनियमित किया जाता था।जस्टिस कृष्ण पी दीक्षित और जस्टिस पीएन देसाई की खंडपीठ एक सिविल सेवक की ओर से दायर रिट याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें कर्नाटक राज्य प्रशासनिक न्यायाधिकरण ('केएसएटी') की कालबुर्गी पीठ द्वारा आवेदन संख्या 1270/2020 पर 12.08.2020 को दिए गए आदेश को चुनौती दी गई थी। आदेश...
जामिया के छात्रों ने ट्यूशन शुल्क की माफी के लिए दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया
जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के छात्रों ने ट्यूशन फीस के साथ जिन सेवाओं का लाभ छात्रों ने नहीं उठाया है, उनका शुल्क माफ करने की मांग करते हुए जामिया के छात्रों ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। जामिया के फैकल्टी ऑफ लॉ के छात्रों द्वारा दायर की गई याचिका में तर्क दिया गया है कि कैंटीन, विकास शुल्क, सांस्कृतिक गतिविधियों आदि के तहत शुल्क वसूलना अनैतिक है, क्योंकि शारीरिक कक्षाओं के निलंबन के कारण छात्रों द्वारा सेवाओं का लाभ नहीं उठाया जा रहा है।याचिकाकर्ताओं ने आगे तर्क दिया है...
बॉम्बे हाईकोर्ट ने कंगना रनौत की बंगले में तोड़फोड़ के खिलाफ दायर याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा
बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को हिंदी फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत द्वारा बृहन्मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) द्वारा उनके बंगले के हिस्से को गिराने के खिलाफ दायर रिट याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया।जस्टिस एस जे कथावाला और जस्टिस आर आई छागला की एक बेंच ने कई दिनों तक हाई प्रोफाइल मामले में विस्तृत मौखिक दलीलें सुनने के बाद मामले को सुरक्षित रख लिया।सोमवार को, पक्षों के लिए वकीलों ने बेंच को बताया कि उन्होंने पहले बेंच द्वारा निर्देश के तहत लिखित तर्क प्रस्तुत किए हैं।क्रमश कंगना और मुंबई सिविल निकाय के...
गुजरात हाईकोर्ट ने जमानत आदेशों की डिजिटल हस्ताक्षरित प्रतियां जिला अदालतों को भेजने के लिए ई-रिट मॉड्यूल की शुरुआत की
गुजरात उच्च न्यायालय ने शुक्रवार (02 अक्टूबर) को उच्च न्यायालय से जमानत आदेशों की डिजिटल हस्ताक्षरित प्रतियां जिला अदालतों को भेजने के लिए ई रिट मॉड्यूल शुरू किया।उच्च न्यायालय की आईसीटी एवं ई-गवर्नेंस समिति के न्यायाधीशों की सिफारिश पर मुख्य न्यायाधीश विक्रम नाथ द्वारा महात्मा गांधी जयंती के अवसर पर राज्य भर के संबंधित जिला न्यायालयों को उच्च न्यायालय के डिजिटल हस्ताक्षरित जमानत आदेश उपलब्ध कराने के लिए एक नया मॉड्यूल शुरू किया गया है ।प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है-"ई-रिट मॉड्यूल नामक इस नए...
हाईकोर्ट वीकली राउंड अप : पिछले सप्ताह विभिन्न हाईकोर्ट के महत्वपूर्ण ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र
28 सितंबर 2020 से 1 अक्टूबर 2020 तक देश के विभिन्न हाईकोर्ट के कुछ महत्वपूर्ण ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र.....[अस्पतालों में मोबाइल पर प्रतिबंध] ' प्रतिबंध से मरीजों के मुक्त संचार का अधिकार प्रभावित होता है', कलकत्ता हाईकोर्ट ने सरकार से प्रतिबंध में ढील देने को कहाकलकत्ता हाईकोर्ट ने बुधवार (30 सितंबर) को उम्मीद जताई कि राज्य सरकार जनता के स्वास्थ्य के मुद्दों से समझौता किए बिना, अस्पतालों में मोबाइल फोन के उपयोग पर प्रतिबंध को ढीला करने के लिए उचित उपाय करेगी। अदालत ने कहा कि अस्पतालों में मोबाइल...





![[COVID के बीच मोहर्रम] जहां फरिश्ते पांव रखने से डरते हैं, वहां मूर्ख ही दौड़ लगाते हैं; परिस्थितियों के अनुसार कार्य करने में विफल रहा प्रशासन: गुजरात हाईकोर्ट ने रोष प्रकट किया [COVID के बीच मोहर्रम] जहां फरिश्ते पांव रखने से डरते हैं, वहां मूर्ख ही दौड़ लगाते हैं; परिस्थितियों के अनुसार कार्य करने में विफल रहा प्रशासन: गुजरात हाईकोर्ट ने रोष प्रकट किया](https://hindi.livelaw.in/h-upload/2020/08/29/500x300_380652-380617-muharram.jpg)

![[पहाड़ी क्षेत्रों में चिकित्सा सुविधाएं] उचित चिकित्सा सुविधा तक पहुँच एक मौलिक अधिकार है; राज्य के लिए उचित सुविधाएं प्रदान करना आवश्यक: उत्तराखंड HC [पहाड़ी क्षेत्रों में चिकित्सा सुविधाएं] उचित चिकित्सा सुविधा तक पहुँच एक मौलिक अधिकार है; राज्य के लिए उचित सुविधाएं प्रदान करना आवश्यक: उत्तराखंड HC](https://hindi.livelaw.in//356432-uttarakhand-hc-1.jpg)






![[सर्विस रूल्स] सरकार एक मॉडल नियोक्ता होने के कारण ईस्ट इंडिया कंपनी के जैसे काम नहीं कर सकती है: कर्नाटक हाईकोर्ट [सर्विस रूल्स] सरकार एक मॉडल नियोक्ता होने के कारण ईस्ट इंडिया कंपनी के जैसे काम नहीं कर सकती है: कर्नाटक हाईकोर्ट](https://hindi.livelaw.in/h-upload/2020/01/24/500x300_369483-karnataka-hc.jpg)



