[बॉलीवुड प्रोड्यूसरों का मुकदमा] 'टीवी चैनल नहीं चला सकते बदनाम करने का अभियान': दिल्ली हाईकोर्ट ने रिपब्लिक टीवी और टाइम्स नाउ को प्रोग्राम कोड का पालन करने को कहा

LiveLaw News Network

9 Nov 2020 9:31 AM GMT

  • [बॉलीवुड प्रोड्यूसरों का मुकदमा] टीवी चैनल नहीं चला सकते बदनाम करने का अभियान: दिल्ली हाईकोर्ट ने रिपब्लिक टीवी और टाइम्स नाउ को प्रोग्राम कोड का पालन करने को कहा

    रिपब्लिक टीवी और टाइम्स नाउ द्वारा की गई कथित अपमानजनक रिपोर्टिंग के खिलाफ फिल्म प्रोडक्शन हाउसों द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने आज सभी पक्षों को नोटिस जारी किया। कोर्ट ने उन्हें जवाब दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया है। साथ ही, कोर्ट ने टीवी चैनलों को प्रोग्राम कोड का पालन करने और मौजूदा मामले के समाधान पर "गंभीर विचार" करने निर्देश दिया है।

    ज‌स्ट‌िस राजीव शकधर की पीठ ने मुकदमे की आवश्यक पार्टियों के रूप में फेसबुक और गूगल को और हटा दिया, हालांकि, इसने कथित अपमानजनक वीडियो को हटाने के लिए, यूट्यूब को फिलहाल कोई निर्देश जारी करने से इनकार किया है।

    मामले को 14 दिसंबर को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है।

    चूंकि रिप‌ब्‍ल‌िक टीवी के मालिक अर्नब गोस्वामी न्यायिक हिरासत में हैं, इसलिए चैनल की ओर से पेश एडवोकेट मालविका त्रिवेदी जवाब देने के लिए अधिक समय मांगा, हालांकि जस्टिस शकधर ने उनकी प्रार्थना स्वीकार नहीं की और कहा कि "संगठन के अन्य लोग जवाब पर काम करेंगे"।

    कोर्ट ने टाइम्स नाउ और रिपब्लिक टीवी द्वारा केबल टीवी एक्ट एंड रूल्स, और प्रोग्राम कोड का पालन करने के लिए दिए गए आश्वासनों को भी अपने आदेश में दर्ज किया है।

    मुकदमे के वादियों में आमिर खान, शाहरुख खान, सलमान खान, अजय देवगन, अनिल कपूर समेत कई चर्च‌ित हस्‍तियां और यशराज फिल्म्स, धर्मा प्रोडक्शन नाडियाडवाला, एक्सेल, विधु विनोद चोपड़ा फिल्म्स, रिलायंस बिग जैसे प्रोडक्शन हाउस शामिल हैं।

    हिंदी फिल्म उद्योग के 34 बड़े प्रोडक्शन हाउसों और चार प्रमुख एसोसिएशनों ने संयुक्त रूप से रिपब्लिक टीवी के अर्नब गोस्वामी और प्रदीप भंडारी, टाइम्स नाउ के नविका कुमार और राहुल शिवशंकर जैसे पत्रकारों, कई अज्ञात प्रतिवादियों और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों को, "बॉलीवुड सदस्यों के खिलाफ गैर-जिम्मेदार, अपमानजनक और अवमाननापूर्ण टिप्पण‌ियां" प्रकाशित करने से, रोकने के लिए मुकदमा दायर किया है।

    प्रोडक्शन हाउसों की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट राजीव नायर ने अदालत में अर्नब गोस्वामी की रिपोर्टिंग के नमूने पेश किए; जिसमें 'बॉलीवुड के किंगपिन', 'पाकिस्तान से पैसे लेने वाले', 'भाई-भतीजावाद करने वाले', 'बॉलीवुड की सड़ांध मारती साजिश, जो चुराई गई स्क्रिप्ट का इस्तेमाल करती है' जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया गया था। सीनियर एडवोकेट नय्यर ने गोस्वामी द्वारा फिल्म उद्योग के बारे में की गई अपमानजनक रिपोर्टिंग के आरोप के पक्ष में उसकी एक रिपोर्ट का अंश भी पढ़ा, "कंगना सही थी, सुशांत के लायक नहीं थी यह इंडस्ट्री। कोई भी इत्र बॉलीवुड की बदबू को खत्म नहीं कर सकता, बॉलीवुड का बॉयकॉट करें, बॉलीवुड की गंदगी का साफ करें।"

    बॉलीवुड और ड्रग की सांठगांठ पर भी नायर ने अर्नब की रिपोर्टिंग के अंश पढ़े, जिसमें 'बॉलीवुड और ड्रग की सांठगांठ का खुलासा, ड्रग्स की तरह बदबू मार रहा बॉलीवुड का अभिजात्य वर्ग, दीपिका पादुकोण को 'माल' चाहिए, जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया गया।

    यह बताते हुए कि अर्नब ने अपनी खबरों में बताया था कि बॉलीवुड के पाकिस्तान के साथ संबंध हैं, एडवोकेट नैय्यर ने कहा कि अर्नब की रिपोर्टिंग सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले से शुरू हुई थी, और ड्रग पेडलिंग से होते हुए बॉलीवुड के पाकिस्तान और आईएसआईएस के साथ संबंध तक पहुंच गई।

    नैय्यर ने कहा कि अर्नब ने अपनी रिपोर्टों में बॉलीवुड अभिनेता, शाहरुख खान के खिलाफ कथित रूप से 'भारत-विरोधी गतिविधियां' करने के विशेष आरोप लगाए और उनसे पूछा था कि क्या खान के खिलाफ कोई कार्रवाई की जाएगी? नैय्यर ने कहा कि अर्नब ने कथित रूप से खान को जिहाद का समर्थक और 'इमरान खान की विचारधारा' का समर्थन बताया और खान से मांग की थी कि वह सार्वजनिक बयान जारी कर इसकी निंदा करें।

    नैयर ने कहा कि रिपब्लिक टीवी ने अपनी टीआरपी बढ़ाने के लिए इस तरह की रिपोर्टिंग का इस्तेमाल शुरू किया, जिसके बाद टाइम्स नाउ जैसे अन्य टीवी चैनलों ने भी उसका अनुसरण शुरु किया और एक कदम आगे बढ़ते हुए उन्होंने अपने शो में व्हाट्सएप चैट्स' ‌दिखाना शुरू कर दिया।

    नैयर ने बताया‌ कि टाइम्स नाउ ने राष्ट्रीय अपराध ब्यूरो द्वारा बॉलीवुड अभिनेत्री रिया चक्रवर्ती से पूछे गए सवालों की सूची भी दिखाई गई। यह जांच में हस्तक्षेप है।

    नैयर ने मांग की कि बॉलीवुड के खिलाफ रिपब्लिक टीवी और टाइम्स नाउ द्वारा किए गए 'भद्दे ट्वीट' को हटाए जाने का कोर्ट को निर्देश देना चाहिए। विभोर आनंद मामले पर भरोसा करते हुए, नैय्यर ने कहा कि 'इस लगातार पक्षपाती रिपोर्टिंग से सार्वजनिक धारणा को प्रभावित किया जा रहा था।'

    एडवोकेट अखिल सिब्बल ने नैय्यर की दलीलों को आगे बढ़ाते हुए कहा कि टीवी चैनलों ने अपने शो में 'बॉलीवुड के खिलाफ अपमानजनक बयान' दिए, जो उस "लाइसेंस और अधिकारों का विकृतकरण था, जिसका पत्रकार आम तौर पर आनंद लेते हैं।"

    अदालत से हस्तक्षेप का अनुरोध करते हुए, एडवोकेट सिब्बल ने तर्क दिया कि अदालत द्वारा आत्म-नियमन की पुरानी उम्मीदों के खिलाफ, मीडिया द्वारा ऐसा कोई भी संयम नहीं दिखाया गया है।

    सिब्बल ने कहा कि मीडिया हाउस संदेहास्पद सामग्र‌‌ियों के जर‌िए मीडिया ट्रायल कर रहे हैं, जबकि ऐसी साम‌ग्रियों की कोर्ट ने कोई जांच नहीं की है। सिब्बल ने कहा कि चैनल प्रोग्राम कोड के खुला उल्लंघन कर रहे, जबकि वह बाध्यकारी है। उन्होंने कहा कि ऐसे वीडियो यूट्यूब पर दिखाए जा रहे हैं, जिन्हें हटाए जाने का निर्देश दिया जाए।

    फिल्म प्रोडक्शन हाउस के मामले को संक्ष‌िप्त में पेश करते हुए, सीनियर एडवाइजर नैयर ने कहा कि "अपमान, गोपनीयता के अधिकार के उल्लंघन, व्यक्तिगत सुरक्षा को खतरे में डालना, ‌हा‌निप्रद झूठ बोलना, प्रोग्राम कोड का उल्लंघन, और समानांतर जांच (डिफेंडेंट्स द्वारा) आदि आरोप हैं।"

    इस बिंदु पर, न्यायालय ने नैयर से पूछा कि मानहानि का दावा करने वाले व्यक्ति इस मामले में वादी क्यों नहीं बन गए, जिस पर नय्यर ने जवाब दिया कि वे वादी एसोसिएशन का हिस्सा थे। अदालत ने तब माना कि व्यक्तियों को अलग-अलग पक्ष के रूप में आना चाहिए था, और पूछा कि क्या इन व्यक्तियों द्वारा किसी भी क्षति का दावा किया गया है, जिसका जवाब नैयर ने ना में दिया। अदालत ने कहा कि इससे पता चलता है कि ये व्यक्ति 'नुकसान का दावा करने में भी हिचकिचाते हैं।'

    सीनियर एडवोकेट अरविंद निगम ने गूगल और यूट्यब की ओर से पेश हुए, और कहा कि उन्हें पर्याप्त नोटिस और कागजात नहीं दिए गए हैं और कहा कि मौजूदा मामले में यूट्यूब को पार्टी बनाए जाने का कोई कारण नहीं है क्योंकि इसमें गूगल पहले से ही एक पार्टी है"।

    सीनियर एडवोकेट साजन पूवय्या ट्विटर की ओर से पेश हुए। उन्होंने कहा कि ट्विटर, अपनी वेबसाइट पर पोस्ट की गई सामग्री को नियंत्रित नहीं करता है, इसलिए इसे पार्टी नहीं बनाया जाना चाहिए।

    टाइम्स नाउ के पत्रकारों नविका कुमार और आर शिवशंकर के लिए पेश सीनियर एडवोकेट संदीप सेठी ने कहा कि मामले में 38 आरोप‌ियों में 35 कंपनियां हैं और प्रोडक्‍शन हाउसों की गोपनीयता का उल्लंघन किसी भी प्रकार नहीं किया गया है।

    जस्टिस शेखर ने कहा की, "प्रोग्राम कोड का अनुपालन करने की आवश्यकता है। जब स्व-नियमन का अभ्यास नहीं करेंगे तो क्या करना चाहिए? हम इस बारे में क्या करें?"

    उन्होंने कहा कि 'अदालत और अधिकारियों के समक्ष ली गई शपक्ष काम नहीं कर रही है, यह बहुत ही विनाशकारी है।'

    अदालत ने कहा कि टीवी चैनल जांच कर सकते हैं, लेकिन वे किसी के खिलाफ दुर्भावनापूर्ण अभियान नहीं चला सकते। कोर्ट ने कहा कि एफआईआर भी नहीं थी, फिर भी चैनलों ने व्यक्तियों को आरोपी कहना शुरू कर दिया। अदालत ने चैनलों से कहा कि, "इस तरह की लगातार गलत रिपोर्ट‌िंग से प्रशिक्षित और शिक्षित दिमाग भी प्रभावित होते हैं।"

    अदालत ने राजकुमारी डायना की मौत के मामले में मीडिया की भूमिका का भी उल्लेख किया। अदालत ने सभी प्रतिवादी चैनलों को चेतावनी दी कि इसके अवलोकन उन सभी पर लागू होते हैं, और यदि वे प्रोग्राम कोड का पालन नहीं करते हैं, तो अदालत इसे बलपूर्वक लागू करेगी।

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