'आप पिंजरे में हैं, अपनी स्वतंत्रता ले लो' : दिल्ली कोर्ट ने काव्य शैली में ज़मानत आदेश लिखा (ऑर्डर पढ़ेंं)

LiveLaw News Network

8 Nov 2020 7:35 AM GMT

  • आप पिंजरे में हैं, अपनी स्वतंत्रता ले लो : दिल्ली कोर्ट ने काव्य शैली में ज़मानत आदेश लिखा (ऑर्डर पढ़ेंं)

    दिल्ली की एक सत्र न्यायालय ने अपने निष्कर्षों को दर्ज करने के लिए एक काव्यात्मक शैली अपनाई और फरवरी 2020 में दिल्ली दंगों के दौरान दंगा करने व हत्या का प्रयास करने के आरोपी एक व्यक्ति को जमानत दे दी।

    कविता का एक अंश इस प्रकार हैः

    " Take your freedom from the cage you are in;

    Till the trial is over, the state is reigned in.

    The State proclaims; to have the cake and eat it too;

    The Court comes calling; before the cake is eaten, bake it too,"

    एएसजे अमिताभ रावत द्वारा लिखी गई इस कविता में केस के तथ्यों को दर्ज किया गया है और वह कारण भी बताए गए हैं कि जिनके आधार पर आरोपी को जमानत देने का मामला बनता है।

    इस मामले में, पीड़ित राहुल को गोली लगी थी और वह घायल हो गया था। हालाँकि, पुलिस उसका बयान दर्ज कर पाती,इससे पहले ही वह गायब हो गया। इस प्रकार, एक चश्मदीद कांस्टेबल सतीश द्वारा दिए गए बयान के आधार पर आरोपी बाबू पर मामला दर्ज किया गया था।

    याचिकाकर्ता-अभियुक्त ने एक इमरान की तरह समानता के आधार पर जमानत दिए जाने की मांग की थी। इमरान को भी कांस्टेबल सतीश के बयान के आधार पर गिरफ्तार किया था और बाद में उसे जमानत मिल गई थी।

    मामले के तथ्यों को देखने के बाद एएसजे रावत ने कहा कि याचिकाकर्ता इमरान की तुलना में बेहतर स्थिति में है और इमरान को पहले ही जमानत दी जा चुकी है। इसलिए याचिकाकर्ता के आवेदन में मैरिट या योग्यता है।

    आदेश को ''अलग तरीके'' से पारित करने की अपनी इच्छा व्यक्त करते हुए, न्यायाधीश ने लिखा किः

    "State opposing tooth and nail.

    Summers bygone, winters have arrived;

    But crime you did, and Rahul cried.

    I am not the one, I am not the one;

    Too grave the charge, don't pretend.

    Whom did I attack, where is he;

    Oh! That we know, in the trial we will see.

    You say I have said & I deny from the first blush;

    Rahul may be gone yet Satish said.

    Didn't we say; don't rush;

    Let me go, let me go, even Imran is on bail.

    Even then, even then;

    it wouldn't be a smooth sail.

    Stop! Stop! Stop! Stop;

    I have heard, heard a lot.

    Mind is clear, with claims tall;

    Its my time to take a call.

    Babu has a sordid past;

    proof is scant, which may not last.

    His omnipotence can't be assumed;

    Peril to vanished Rahul, is legally fumed.

    Take your freedom from the cage you are in;

    Till the trial is over, the state is reigned in.

    The State proclaims; to have the cake and eat it too;

    The Court comes calling; before the cake is eaten, bake it too."

    अदालत ने इस प्रकार याचिकाकर्ता को 10,000 रुपये की राशि का व्यक्तिगत बांड व एक स्थानीय ज़मानतदार प्रस्तुत करने की शर्त पर जमानत दे दी। साथ ही उसे निर्देश दिया है कि वह न्यायालय की पूर्व अनुमति के बिना एनसीटी, दिल्ली के अधिकार क्षेत्र से बाहर नहीं जाएगा।

    ऑर्डर डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें



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