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हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने टाउन एंड कंट्री प्लानिंग निदेशक की पूर्व अनुमति के बिना पहाड़ों को काटने पर रोक लगाई
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने टाउन एंड कंट्री प्लानिंग निदेशक की पूर्व अनुमति के बिना पहाड़ों को काटने पर रोक लगाई

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने हाल ही में राज्य सरकार को पर्यावरण, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग और ऐसे अन्य विभागों के परामर्श से दो महीने के भीतर संरक्षण और पहाड़ियों की कटाई के लिए एक नीति तैयार करने का निर्देश दिया है।यह निर्देश तत्कालीन चीफ जस्टिस एए सैयद और जस्टिस ज्योत्सना रेवल दुआ की पीठ ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया। याचिकाकर्ता ने जिला सोलन में खील झालसी से ग्राम कैंथारी (ग्राम कोरो सहित) गांव के बीच 6 किलोमीटर के क्षेत्र में सड़क के दोनों ओर अंधाधुंध और अव्यवस्थित निर्माण पर...

जब तक जाति-आधारित अपमान के इरादे से पीड़ित की जाति का उल्लेख न किया गया हो, एससी/एसटी एक्‍ट के तहत अपराध नहीं: कर्नाटक हाईकोर्ट
जब तक जाति-आधारित अपमान के इरादे से पीड़ित की जाति का उल्लेख न किया गया हो, एससी/एसटी एक्‍ट के तहत अपराध नहीं: कर्नाटक हाईकोर्ट

कर्नाटक हाईकोर्ट ने एक फैसले में माना कि अपमान या जातिवादी टिप्पणी के किसी इरादे के बिना केवल गालियां देना अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत अपराध नहीं है।ज‌स्टिस एम नागप्रसन्ना की सिंगल जज बेंच ने शैलेश कुमार वी की ओर से दायर याचिका को आंशिक रूप से स्वीकार किया, और अधिनियम की धारा 3(1)(आर) और (एस) के तहत लगाए गए आरोपों को खारिज कर दिया। हालांकि भारतीय दंड संहिता के तहत आरोपों के लिए कार्यवाही जारी रखने की अनुमति दी।कोर्ट ने कहा,"केवल पीड़ित की जाति का नाम लेना...

[सीआरपीसी की धारा 311] गवाह को केवल इसलिए वापस नहीं बुलाया जा सकता, क्योंकि पक्षकार क्रॉस एग्जामिनेशन के दौरान कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न पूछने में विफल रहा: गुजरात हाईकोर्ट
[सीआरपीसी की धारा 311] गवाह को केवल इसलिए वापस नहीं बुलाया जा सकता, क्योंकि पक्षकार क्रॉस एग्जामिनेशन के दौरान कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न पूछने में विफल रहा: गुजरात हाईकोर्ट

गुजरात हाईकोर्ट की एकल न्यायाधीश पीठ ने दोहराया कि अभियोजन पक्ष के गवाहों को सीआरपीसी की धारा 311 के तहत क्रॉस एग्जामिनेशन के लिए इस आधार पर वापस नहीं बुलाया जा सकता कि क्रॉस एग्जामिनेशन के दौरान कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न नहीं पूछे गए।जस्टिस उमेश ए त्रिवेदी ने आपराधिक पुनर्विचार याचिका खारिज करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता ने यह उल्लेख नहीं किया कि उक्त गवाहों से क्या पूछा जाना बाकी है। इसलिए वह यह दिखाने में विफल रहा है, कि गवाहों को वापस बुलाए बिना अदालत निर्णय देने में असमर्थ है।पुनर्विचार याचिका में...

हाईकोर्ट ऑफ कर्नाटक
टेंडर स्क्रूटनी कमेटी के अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप के परिणामस्वरूप वैध टेंडर रद्द नहीं किया जा सकता : कर्नाटक हाईकोर्ट

कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा है कि टेंडर आमंत्रित करने वाले प्राधिकारी को अनुबंध के निष्पादन और अवार्ड की अधिसूचना से पहले केवल टेंडर रद्द करने का अधिकार है। अदालत ने कहा कि एक बार अधिनिर्णय अधिसूचित हो जाने के बाद टेंडर शर्तों के उल्लंघन को छोड़कर टेंडर वापस लेने या रद्द करने की वैधानिक रूप से अनुमति नहीं है।जस्टिस एम नागप्रसन्ना ने मैसर्स एलेंजर्स मेडिकल सिस्टम्स लिमिटेड द्वारा दायर याचिका की अनुमति दी और कर्नाटक राज्य मेडिकल आपूर्ति निगम लिमिटेड को 27-10-2021 की टेंडर अधिसूचना के अनुसार कंपनी के...

Same Sex Marriage
दिल्ली हाईकोर्ट ने सेम सेक्स मैरिज को मान्यता देने की मांग वाली याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर किया

दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने सेम सेक्स मैरिज (Same Sex Marriage) को मान्यता देने की मांग वाली याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया।चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की एक खंडपीठ ने सेम सेक्स से संबंधित सभी याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया।इस महीने की शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट ने इसकी तरह की सभी याचिकाओं को खुद के पास ट्रांसफर किया था।जैसा कि अदालत को शीर्ष अदालत के आदेश के बारे में बताया गया, उसने आदेश दिया,"इस अदालत की राय है कि सुप्रीम...

पक्षकार जब यह निर्दिष्ट किए बिना समझौता करते हैं कि मुकदमा कैसे तय किया जाना है तो समझौता डिक्री पारित नहीं की जा सकती: केरल हाईकोर्ट
पक्षकार जब यह निर्दिष्ट किए बिना समझौता करते हैं कि मुकदमा कैसे तय किया जाना है तो समझौता डिक्री पारित नहीं की जा सकती: केरल हाईकोर्ट

केरल हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि पक्षकार जहां आपस में किए गए समझौते के आधार पर यह बताए बिना मुकदमे को निपटाने के लिए सहमत हुए हैं कि मुकदमे का फैसला कैसे किया जाना है या समझौते की शर्तें क्या हैं तो इस तरह के मुकदमे में न्यायालय द्वारा कोई डिक्री पारित नहीं जा सकती।जस्टिस अनिल के. नरेंद्रन और जस्टिस पी.जी. अजित कुमार की खंडपीठ ने फैमिली कोर्ट द्वारा दिए गए उस फैसले को खारिज करते हुए उपरोक्त आदेश पारित किया, जिसमें कहा गया कि पक्षकारों के बीच सभी लंबित मामलों को समझौते के संदर्भ में सुलझा लिया...

यौन अपराधों के पीड़ित या शिकायतकर्ता को आम तौर पर प्रतिवादी के रूप में शामिल होने की आवश्यकता नहीं: दिल्ली हाईकोर्ट ने विचारित दृष्टिकोण लेने के लिए एमिक्स क्यूरी नियुक्त किया
यौन अपराधों के पीड़ित या शिकायतकर्ता को आम तौर पर प्रतिवादी के रूप में शामिल होने की आवश्यकता नहीं: दिल्ली हाईकोर्ट ने 'विचारित दृष्टिकोण' लेने के लिए एमिक्स क्यूरी नियुक्त किया

दिल्ली हाईकोर्ट ने सीनियर एडवोकेट रेबेका जॉन को एमिकस क्यूरी के रूप में नियुक्त करते हुए यह तय करने में सहायता मांगी की कि भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और पॉक्सो एक्ट (POCSO Act) के तहत पीड़ित या यौन अपराधों के शिकायतकर्ता को जमानत याचिका या अपील पर सुनवाई की सूचना देना या पीड़ित या शिकायतकर्ता को पक्षकार के रूप में शामिल करने की आवश्यकता है या नहीं।सीआरपीसी की धारा 439 (1ए) में कहा गया,"भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (3) या 376AB या 376DA या 376DB के तहत जमानत अर्जी की सुनवाई के समय शिकायतकर्ता या...

न्यायालय उपयुक्त आर्बिट्रल ट्रिब्यूनल नियुक्त करने के लिए शक्तिहीन नहीं, भले ही पक्षकार आर्बिट्रेशन क्लॉज के तहत अपना अधिकार खो दे: बॉम्बे हाईकोर्ट
न्यायालय उपयुक्त आर्बिट्रल ट्रिब्यूनल नियुक्त करने के लिए शक्तिहीन नहीं, भले ही पक्षकार आर्बिट्रेशन क्लॉज के तहत अपना अधिकार खो दे: बॉम्बे हाईकोर्ट

बॉम्बे हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि भले ही आर्बिट्रेशन क्लॉज के अनुसार आर्बिट्रल ट्रिब्यूनल में अपने नामांकित व्यक्ति को नियुक्त करने का पक्षकार का अधिकार रद्द कर दिया गया हो, क्योंकि वह आर्बिट्रेशन का आह्वान नोटिस प्राप्त करने के बाद वैधानिक अवधि के भीतर अपने अधिकार का प्रयोग करने में विफल रहा। तो भी इससे यह नहीं होगा न्यायालय विवादों की प्रकृति पर विचार करने के बाद उपयुक्त आर्बिट्रेल ट्रिब्यूशन नियुक्त करने के लिए शक्तिहीन है।हाईकोर्ट मध्यस्थता और सुलह अधिनियम, 1996 (ए एंड सी एक्ट) की धारा 11...

Gauhati High Court
[पे एंड रिकवर] दुर्घटना के समय ड्राइवर के फर्जी लाइसेंस रखने मात्र से बीमा कंपनी तीसरे पक्ष को मुआवजा देने के दायित्व से मुक्त नहीं हो सकती: गुवाहाटी हाईकोर्ट

गुवाहाटी हाईकोर्ट (Gauhati High Court) ने कहा कि दुर्घटना के समय चालक द्वारा फर्जी लाइसेंस रखने मात्र से बीमा कंपनी तीसरे पक्ष को मुआवजा देने के दायित्व से मुक्त नहीं हो जाती है।जस्टिस अरुण देव चौधरी ने राम चंद्र सिंह बनाम राजाराम और अन्य 2018 8 SCC 799 और शमन्ना बनाम द ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड और अन्य 2018 9 SCC 650 पर भरोसा किया। इसमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ड्राइविंग लाइसेंस फेक होना बीमाकर्ता को दोषमुक्त नहीं करेगा और उस मामले में, 'पे एंड रिकवर' का सिद्धांत लागू होगा।इस मामले...

बॉम्बे हाईकोर्ट ने प्रथागत तलाक के तहत गुजारा भत्ता स्वीकार करने वाली महिला को भरण-पोषण की मंजूरी दी
बॉम्बे हाईकोर्ट ने 'प्रथागत तलाक' के तहत गुजारा भत्ता स्वीकार करने वाली महिला को भरण-पोषण की मंजूरी दी

बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) ने हाल ही में घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005 (डीवी अधिनियम) से महिलाओं के संरक्षण के तहत एक महिला को भरण-पोषण देने के आदेश को बरकरार रखा।कोर्ट ने देखा कि एक व्यक्ति का तलाक के लिए दीवानी अदालत में जाने से पता चलता है कि उसकी जाति में प्रथागत तलाक मौजूद नहीं है।जस्टिस एस जी मेहारे ने आदेश को लेकर पति की चुनौती में कहा,"किसी भी प्रथागत अधिकार का दावा करने के लिए, इस तरह के अधिकार का दावा करने वाले पक्ष यह साबित करने के लिए बाध्य हैं कि उनकी जाति या नस्ल के रीति-रिवाज...

बॉम्बे हाईकोर्ट, मुंबई
‘सेटलमेंट की कोशिशों के बाद पति के व्यवहार में कोई बदलाव नहीं आया, पत्नी को दोष नहीं दिया जा सकता’: बॉम्बे हाईकोर्ट ने तलाकशुदा महिला को भरण-पोषण देने के आदेश को बरकरार रखा

बॉम्बे हाईकोर्ट ने उस महिला को भरण-पोषण देने के आदेश को बरकरार रखा है, जिसके पति की तलाक की याचिका को फैमिली कोर्ट ने परित्याग और क्रूरता के आधार पर स्वीकार कर लिया था। इस तर्क से निपटते हुए कि तलाक की डिक्री से पहले उसने पर्याप्त कारण के बिना पति के साथ रहने से इनकार कर दिया था और इस तरह वह भरण-पोषण पाने की हकदार नहीं है, अदालत ने कहा कि वह अपने वैवाहिक घर वापस गई थी, लेकिन संभवतः उसने अपने पति के व्यवहार में कोई परिवर्तन नहीं देखा और उसने फिर से वैवाहिक घर छोड़ दिया, तो यह नहीं कहा जा...

Gauhati High Court
मुस्लिम लाॅ- मृत कर्मचारी की सभी जीवित विधवाएं असम सेवा (पेंशन) नियमों के तहत पारिवारिक पेंशन की हकदार हैंः हाईकोर्ट

गुवाहाटी हाईकोर्ट की तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश आरएम छाया, जस्टिस अचिंत्य मल्ला बुजोर बरुआ और जस्टिस सौमित्रा सैकिया की पीठ ने हाल ही में कहा था कि जहां पक्षकार मुस्लिम लाॅ(कानून) द्वारा शासित होते हैं, वहां दूसरी पत्नी या बाकी सभी पत्नियां 1969 के पेंशन नियमों के नियम 143(1) के तहत पारिवारिक पेंशन के लाभ की हकदार होती हैं। न्यायालय के समक्ष निम्नलिखित मुद्दे निर्धारित करने के लिए थेः (1) क्या मृत कर्मचारी की दूसरी या आगे की पत्नियां, जहां दोनों मुस्लिम कानून द्वारा शासित हैं, ऐसे मृत कर्मचारी...

लंबी अवधि के लिए शराब बंदी व्यापारियों के आजीविका के अधिकार का उल्लंघन : बॉम्बे हाईकोर्ट ने एमएलसी चुनाव मतदान के दौरान शराब बंदी की अवधि कम की
लंबी अवधि के लिए शराब बंदी व्यापारियों के आजीविका के अधिकार का उल्लंघन : बॉम्बे हाईकोर्ट ने एमएलसी चुनाव मतदान के दौरान शराब बंदी की अवधि कम की

बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र विधान परिषद स्नातक निर्वाचन क्षेत्रों के चुनाव के कारण ठाणे, पालघर, रायगढ़ और नासिक जिलों में शराब की बिक्री पर चार दिन के प्रतिबंध को घटाकर केवल मतदान के दिन कर दिया। कोर्ट ने यह निर्णय यह देखते हुए दिया कि लंबे समय तक प्रतिबंध से संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत व्यापारियों के आजीविका के अधिकार का उल्लंघन होगा।अदालत ने कहा,"आजीविका प्रदान करने वाले व्यापारिक प्रतिष्ठानों पर लंबी अवधि के लिए प्रतिबंधात्मक प्रतिबंध लगाना भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत स्थापित...

Gauhati High Court
[असम फेक एनकाउंटर] सरकार उचित कार्रवाई कर रही है, बिना पूर्ण तथ्यों की पुष्टि किए मीडिया रिपोर्ट के आधार पर जनहित याचिका पर सुनवाई नहीं की जा सकती: हाईकोर्ट

गुवाहाटी हाईकोर्ट ने शुक्रवार को असम में कथित 'फर्जी मुठभेड़ों' से संबंधित जनहित याचिका इस आधार पर खारिज कर दी कि याचिका में दिए गए बयान मुख्य रूप से बिना किसी पूर्ण तथ्यों के सत्यापन के विभिन्न वेबसाइटों से समाचार पत्रों की रिपोर्ट पर आधारित हैं।याचिकाकर्ता की दलील थी कि असम पुलिस द्वारा मई, 2021 से रिट याचिका दायर करने की तारीख तक की अवधि के दौरान 80 से अधिक फर्जी एनकाउंटर किए गए, जिसके परिणामस्वरूप 28 से अधिक आरोपी व्यक्तियों की मौत हो गई और 48 से अधिक घायल हो गए।उन्होंने आगे आरोप लगाया कि...

न्यायपालिका में अधिक विविधता, अधिक तटस्थता सुनिश्चित करेगी: एडवोकेट शाहरुख आलम
न्यायपालिका में अधिक विविधता, अधिक तटस्थता सुनिश्चित करेगी: एडवोकेट शाहरुख आलम

भारतीय न्यायपालिका में विविधता के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट की वकील और एक्टिविस्ट शाहरुख आलम ने कहा कि समाज के हाशिये से अधिक लोगों को अदालतों में पावरफुल सीटों पर लाने से निर्णयन की प्रक्रिया अधिक तटस्थ होगी। उन्होंने कहा,"न्यायिक तर्क के अलावा, जो प्रक्रिया का केवल एक हिस्सा है, बहुत अधिक व्यक्तिपरक मूल्यांकन है। अपने काम में मैंने देखा है कि जज किस तरह अभद्र भाषा या भड़काऊ भाषण का जवाब देते हैं। जहां अभद्र भाषा बोलने वाले परिचित हैं, वहां पुलिस, निचली न्यायपालिका, और कभी-कभी, यहां तक ​​कि...

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नागरिकों को सोशल मीडिया पर जिम्मेदारी के बिना बोलने का अधिकार नहीं देती: इलाहाबाद हाईकोर्ट
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नागरिकों को सोशल मीडिया पर जिम्मेदारी के बिना बोलने का अधिकार नहीं देती: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नागरिकों को सोशल मीडिया पर जिम्मेदारी के बिना बोलने का अधिकार नहीं देती है और न ही यह भाषा के हर संभव उपयोग के लिए मुक्त लाइसेंस प्रदान करती है।जस्टिस शेहर कुमार यादव ने कहा,"...यह संदेह की छाया से परे है कि सोशल मीडिया विचारों के आदान-प्रदान के लिए वैश्विक प्लेटफॉर्म है। इंटरनेट और सोशल मीडिया महत्वपूर्ण डिवाइस बन गए हैं, जिसके माध्यम से व्यक्ति अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अपने अधिकार का प्रयोग कर सकते हैं। लेकिन अभिव्यक्ति की...

धार्मिक सभाओं के आयोजन पर पूर्ण प्रतिबंध संभव नहीं: मद्रास हाईकोर्ट ने हिंदू संगठनों के सम्मेलन की अनुमति दी
"धार्मिक सभाओं के आयोजन पर पूर्ण प्रतिबंध संभव नहीं": मद्रास हाईकोर्ट ने हिंदू संगठनों के सम्मेलन की अनुमति दी

मद्रास हाईकोर्ट ने हाल ही में इंदु मक्कल काची-तमिझगम को 29 जनवरी 2023 को अपना राज्य सम्मेलन आयोजित करने की अनुमति दी। इंदु मक्कल काची तमिलनाडु में दक्षिणपंथी हिंदू राष्ट्रवादी पार्टी है। यह आरएसएस द्वारा तमिलनाडु में अपनी राजनीतिक गतिविधियों के लिए मोर्चे के रूप में स्थापित किया गया है।जस्टिस जी चंद्रशेखरन ने पुलिस इंस्पेक्टर, पुधु नगर पुलिस स्टेशन, कुड्डालोर के राज्य सम्मेलन और सार्वजनिक जुलूस आयोजित करने की अनुमति को खारिज करने के आदेश को चुनौती देने वाली पार्टी द्वारा दायर याचिका को स्वीकार...

जस्टिस मदन बी. लोकुर ने जयपुर में सांगानेर ओपन जेल का दौरा किया, यहां के उत्सवी माहौल की प्रशंसा करते हुए कहा- यह एक अच्छा एहसास
जस्टिस मदन बी. लोकुर ने जयपुर में सांगानेर ओपन जेल का दौरा किया, यहां के उत्सवी माहौल की प्रशंसा करते हुए कहा- यह एक अच्छा एहसास

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस मदन बी लोकुर ने शुक्रवार को जयपुर में सांगानेर ओपन जेल का दौरा करने के बाद ओपन जेल की अवधारणा के बारे में जयपुर में प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कैदियों और परिवार के सदस्यों के साथ बातचीत भी की।जयपुर में सांगानेर ओपन जेल, लगभग 400 कैदियों के साथ, 1950 के दशक से खुली और इसकी सुधारात्मक और पुनर्वास क्षमता के लिए कई समाचारों और वृत्तचित्रों का विषय रही है।जस्टिस लोकुर 2018 में जब सुप्रीम कोर्ट के जज थे, तब उन्होंने प्रत्येक जिले में ओपन जेल...

मोहसिन शेख की हत्या के मामले में कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी किया, नमाज़ पढ़कर लौटते समय 21 लोगों ने किया था हमला
मोहसिन शेख की हत्या के मामले में कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी किया, नमाज़ पढ़कर लौटते समय 21 लोगों ने किया था हमला

पुणे की एक सत्र अदालत ने 28 वर्षीय मुस्लिम युवक मोहसिन शेख की हत्या के सभी आरोपियों को बरी कर दिया, जिसमें कट्टरपंथी संगठन हिंदू राष्ट्र सेना (एचआरएस) प्रमुख धनंजय जयराम देसाई भी शामिल है। नौ साल पहले मोहसिन शेख की उस समय पीट-पीट कर हत्या कर दी गई थी, जब वह शाम के समय की नमाज़ पढ़कर लौट रहा था। सत्र न्यायाधीश एसबी सालुंखे ने 21 आरोपियों को सभी आरोपों से बरी कर दिया। हडपसर पुलिस ने आरोपियों पर आईपीसी की धारा 302 (हत्या), 307 (हत्या का प्रयास), 143 (गैरकानूनी सभा), 147/148 (दंगे, हथियार से...