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इतिहास में पहली बार सुप्रीम कोर्ट ने बधिर वकीलों के लिए साइन लेंग्वेज इंटरप्रेटर नियुक्त किया
इतिहास में पहली बार सुप्रीम कोर्ट ने बधिर वकीलों के लिए साइन लेंग्वेज इंटरप्रेटर नियुक्त किया

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को बधिर वकील साराह सन्नी के लिए साइन लेंग्वेज इंटरप्रेटर नियुक्त किया। ऐतिहासिक रूप से सुप्रीम कोर्ट ने कभी भी अपने खर्च पर इंटरप्रेटर नियुक्त नहीं किया है।चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा,"आज हमारे पास साराह के लिए इंटरप्रेटर है। वास्तव में हम सोच रहे हैं कि संविधान पीठ की सुनवाई के लिए हमारे पास इंटरप्रेटर होगा, जिससे हर कोई उसका अनुसरण कर सके।"इंटरप्रेटर को एडवोकेट साराह सन्नी के साथ वर्चुअल सुनवाई विंडो में देखा गया।संयोगवश अदालत में मौजूद सीनियर...

जस्टिस कौल ने एशिया-पैसिफिक रीज़न के इंटरनेशनल लीगल फोरम को संबोधित किया, कहा- भारत आर्बिट्रेशन-फ्रेंडली
जस्टिस कौल ने एशिया-पैसिफिक रीज़न के इंटरनेशनल लीगल फोरम को संबोधित किया, कहा- भारत आर्बिट्रेशन-फ्रेंडली

सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस संजय किशन कौल ने गुरुवार (5 अक्टूबर) को एशिया-पैसिफिक रीजन के 12वें इंटरनेशनल लीगल फोरम में हिस्सा लिया। फोरम का विषय- "राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा और अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक संबंधों के प्रतिभागियों के अधिकारों का संतुलन" था।जस्टिस कौल ने अपने संबोधन में कहा कि न्यायपालिका को द्विपक्षीय निवेश संधियों के तहत न्यायिक निकायों द्वारा पारित अवार्ड में हस्तक्षेप करने में संयम बरतना चाहिए। उन्होंने कहा कि आमतौर पर द्विपक्षीय समझौतों में विवादों को आर्बिट्रेशन के जरिए सुलझाने का...

राज्य सरकार को मोबाइल टावरों के निर्माण पर परमिट फीस लगाने का अधिकार है: सुप्रीम कोर्ट
राज्य सरकार को मोबाइल टावरों के निर्माण पर परमिट फीस लगाने का अधिकार है: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि राज्य सरकार के पास मोबाइल टावरों के निर्माण पर परमिट फीस लगाने की क्षमता है। न्यायालय ने इस तर्क को खारिज कर दिया कि राज्य को ऐसा करने का अधिकार देने वाले संसदीय कानून के अभाव में मोबाइल टावरों पर परमिट फीस नहीं वसूली जा सकती।न्यायालय ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के एक फैसले को बरकरार रखा जिसमें कहा गया कि छत्तीसगढ़ सरकार के पास नगर निगमों/नगर पालिकाओं/ग्राम पंचायतों के क्षेत्राधिकार में मोबाइल टावर के निर्माण की मंजूरी देते समय एकमुश्त परमिट फीस वसूलने के उद्देश्य से...

तीन साल हिरासत में लेकिन केवल सात गवाहों की जांच: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा कि त्वरित सुनवाई के अधिकार को बनाए रखने के लिए धारा 37 एनडीपीएस एक्ट में ढील दी जा सकती है, जमानत दी
तीन साल हिरासत में लेकिन केवल सात गवाहों की जांच: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा कि त्वरित सुनवाई के अधिकार को बनाए रखने के लिए धारा 37 एनडीपीएस एक्ट में ढील दी जा सकती है, जमानत दी

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने यह देखते हुए कि 'त्वरित सुनवाई के अधिकार' का उल्लंघन किया गया है, एक ऐसे व्यक्ति को जमानत दे दी, जो 3 साल से अधिक समय से हिरासत में था, जिस पर व्यावसायिक मात्रा में प्रतिबंधित पदार्थ रखने का आरोप था। जस्टिस एनएस शेखावत ने कहा कि चूंकि आरोपी के त्वरित मुकदमे के अधिकार का उल्लंघन किया गया है, इसलिए धारा 37 के तहत निर्धारित शर्तों से छुटकारा पाया जा सकता है।कोर्ट ने कहा,"रिकॉर्ड से यह भी पता चलता है कि याचिकाकर्ता 2 साल और 11 महीने से अधिक समय से हिरासत में है और अब...

विवाहिता ने 24 सप्ताह की गर्भावस्था को टर्मिनेट करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, मेडिकल जांच के निर्देश
विवाहिता ने 24 सप्ताह की गर्भावस्था को टर्मिनेट करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, मेडिकल जांच के निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को 24 सप्ताह से अधिक गर्भवती एक विवाहित महिला की गर्भावस्था को चिकित्सकीय रूप से समाप्त करने के ‌लिए याचिका पर विचार किया। सुनवाई के दरमियान शीर्ष अदालत ने मौखिक रूप से कहा कि यदि ऐसी याचिका की अनुमति दी जाती है तो यह ऐसे माता-पिता के लिए सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे खोल देगा जो अंतिम समय में घबरा जाते हैं।याचिकाकर्ता दो बच्चों की मां है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वह लैक्टेशनल एमेनोरिया और पोस्ट पॉर्टम डिप्रेशन से पीड़ित है और इसलिए दंपति तीसरे बच्चे को पालने की...

अनुच्छेद 142 को कानून के खिलाफ लागू नहीं किया जा सकता: सुप्रीम कोर्ट ने खरीदार की जमा राशि के लिए SARFAESI नियमों के तहत समय बढ़ाने से इनकार किया
'अनुच्छेद 142 को कानून के खिलाफ लागू नहीं किया जा सकता': सुप्रीम कोर्ट ने खरीदार की जमा राशि के लिए SARFAESI नियमों के तहत समय बढ़ाने से इनकार किया

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत सुप्रीम कोर्ट की अंतर्निहित शक्तियां अपने दायरे में व्यापक हैं, हालांकि इनका प्रयोग कोर्ट के समक्ष विचार के ‌लिए मौजूद मामले या कारण पर लागू कानून को प्रतिस्‍थापित करने के ल‌िए नहीं किया जा सकता है। मामले की सुनवाई कर रही जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस बेला त्रिवेदी की पीठ ने कहा,“इससे इनकार नहीं किया जा सकता कि अनुच्छेद 142 के तहत शक्तियों का प्रयोग करते हुए अदालत इस विषय से संबंधित किसी भी मूल वैधानिक प्रावधान की अनदेखी नहीं कर...

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली शराब घोटाला मामले में राजनीतिक दल को आरोपी क्यों नहीं बनाया गया सवाल पर स्पष्टीकरण दिया
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली शराब घोटाला मामले में 'राजनीतिक दल को आरोपी क्यों नहीं बनाया गया' सवाल पर स्पष्टीकरण दिया

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (5 अक्टूबर) को स्पष्ट किया कि दिल्ली शराब नीति घोटाला मामले में कथित लाभार्थी 'राजनीतिक दल' को आरोपी नहीं बनाए जाने के संबंध में मनीष सिसौदिया की जमानत पर सुनवाई के दौरान बुधवार को पीठ के द्वारा उठाए गए सवाल पर स्पष्टीकरण दिया। जस्टिस संजीव खन्ना और आरोपी एसवीएन भट्टी की पीठ ने मौखिक रूप से कहा कि वह केवल एक कानूनी प्रश्न पूछ रहे थे।पीठ ने कहा,"हम स्पष्ट करना चाहते हैं कि हमारा कल का प्रश्न किसी को आरोपी बनाने के लिए नहीं था। मान लीजिए कि अभियोजन पक्ष के अनुसार यदि A...

सुप्रीम कोर्ट ने NLU कंसोर्टियम से पूछा कि क्या 2023-24 के लिए NLU-त्रिपुरा में आवेदन करने वाले छात्रों को समायोजित किया जा सकता है
सुप्रीम कोर्ट ने NLU कंसोर्टियम से पूछा कि क्या 2023-24 के लिए NLU-त्रिपुरा में आवेदन करने वाले छात्रों को समायोजित किया जा सकता है

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में नेशनल लॉ यूनिवर्सिटीज (NLU) के कंसोर्टियम से पूछा कि क्या NLU उन छात्रों को समायोजित कर सकता है जिन्होंने शैक्षणिक वर्ष 2023-24 के लिए नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी त्रिपुरा में प्रवेश के लिए आवेदन किया था। न्यायालय ने निराशा के साथ कहा कि NLU त्रिपुरा सुविधाओं और शिक्षकों की कमी के कारण शैक्षणिक वर्ष 2022-23 के लिए अपना संचालन शुरू नहीं कर सका और प्रवेश लेने वाले सभी 90 छात्रों को फीस वापस कर दी गई। कोर्ट ने इस स्थिति को "असंतोषजनक स्थिति" बताया।अगले शैक्षणिक वर्ष 2023-24...

यदि इस तरह के प्रथागत अधिकार का अस्तित्व स्थापित हो तो प्रथागत तलाक के माध्यम से हिंदू विवाह को समाप्त किया जा सकता है: सुप्रीम कोर्ट
यदि इस तरह के प्रथागत अधिकार का अस्तित्व स्थापित हो तो प्रथागत तलाक के माध्यम से हिंदू विवाह को समाप्त किया जा सकता है: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक हिंदू विवाह को प्रथागत तलाक विलेख (customary divorce deed) के माध्यम से समाप्त किया जा सकता है, बशर्ते ऐसे प्रथागत अधिकार का अस्तित्व स्थापित हो। यह हिंदू विवाह अधिनियम 1955 की धारा 29(2) के आधार पर है, जिसमें कहा गया है कि अधिनियम का कोई भी प्रावधान हिंदू विवाह के विघटन को प्राप्त करने के लिए रीति-रिवाज द्वारा मान्यता प्राप्त या किसी विशेष अधिनियम द्वारा प्रदत्त किसी भी अधिकार को प्रभावित नहीं करेगा।साथ ही न्यायालय ने कहा कि प्रथागत तलाक विलेख पर भरोसा करने वाले पक्ष...

सुप्रीम कोर्ट में 7 जजों की बेंच ने सदन में वोट/ बोलने के लिए रिश्वत लेने पर सासंदों/ विधायकों को छूट के दायरे का परीक्षण किया
सुप्रीम कोर्ट में 7 जजों की बेंच ने सदन में वोट/ बोलने के लिए रिश्वत लेने पर सासंदों/ विधायकों को छूट के दायरे का परीक्षण किया

सुप्रीम कोर्ट की एक संविधान पीठ ने बुधवार को सवाल किया कि क्या भ्रष्टाचार के आरोपी विधायकों/ सांसदों को केवल इस आशंका पर छूट दी जानी चाहिएकि ऐसी छूट के अभाव का कार्यपालिका द्वारा राजनीतिक विपक्ष को निशाना बनाने के लिए दुरुपयोग किया जा सकता है।भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एएस बोपन्ना,जस्टिस एमएम सुंदरेश, जस्टिस पीएस नरसिम्हा, जस्टिस जेबी पारदीवाला, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस मनोज मिश्रा की सात-न्यायाधीशों की पीठ 1998 के पीवी नरसिम्हा राव के फैसले की शुद्धता पर विचार कर रही...

COVID-19 के दौरान परिसीमा अवधि बढ़ाने के आदेश उस अवधि पर भी लागू होते हैं, जब तक देरी माफ की जा सकती है: सुप्रीम कोर्ट
COVID-19 के दौरान परिसीमा अवधि बढ़ाने के आदेश उस अवधि पर भी लागू होते हैं, जब तक देरी माफ की जा सकती है: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (03.10.2023) को कलकत्ता हाईकोर्ट का आदेश रद्द कर दिया। इस आदेश में देरी के आधार पर लिखित प्रस्तुति को रिकॉर्ड पर लेने से इनकार कर दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने माना कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा इन री: कॉग्निजेंस फॉर एक्सटेंशन ऑफ लिमिटेशन में पारित आदेशों की श्रृंखला का लाभ COVID-19 महामारी के आलोक में परिसीमा अवधि को बढ़ाने से अपीलकर्ताओं को लाभ होगा। अपीलकर्ता ने हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी।न्यायालय ने स्पष्ट किया कि उसके द्वारा 08.03.2021 को पारित आदेश ने वादकारियों के...

सुप्रीम कोर्ट ने बधिर वकील को दी यह सुविधा, पहली बार साइन लेंग्वेज इंटरप्रेटर की सहायता से करेगा सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने बधिर वकील को दी यह सुविधा, पहली बार साइन लेंग्वेज इंटरप्रेटर की सहायता से करेगा सुनवाई

भारतीय न्यायिक प्रणाली के भीतर पहुंच और समावेशिता में सुधार लाने के उद्देश्य से सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री बधिर वकील सारा सनी की सहायता के लिए अदालत द्वारा नियुक्त भारतीय सांकेतिक भाषा (आईएसएल) दुभाषिया के अनुरोध वाले आवेदन पर विचार करने के लिए तैयार है। यह आवेदन एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड संचिता ऐन द्वारा दायर किया गया है, जो पेशे में सनी की सीनियर हैं। विशेष रूप से ऐन ने पहले सनी के लिए सीजेआई की पीठ के समक्ष कानूनी कार्यवाही का अनुवाद करने के लिए इंटरप्रेटर सौरव रॉयचौधरी की उपस्थिति की व्यवस्था की...

पत्रकारिता पर आतंकवाद के रूप में मुकदमा नहीं चलाया जा सकता: मीडिया समूहों ने सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ को पत्र लिखकर इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस की जब्ती पर मानदंड की मांग की
'पत्रकारिता पर आतंकवाद के रूप में मुकदमा नहीं चलाया जा सकता': मीडिया समूहों ने सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ को पत्र लिखकर इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस की जब्ती पर मानदंड की मांग की

'न्यूज़क्लिक' से जुड़े पत्रकारों और लेखकों के घरों पर दिल्ली पुलिस की सिलसिलेवार छापेमारी के मद्देनजर, प्रेस क्लब ऑफ इंडिया और कई अन्य मीडिया संगठनों ने भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ को पत्र लिखकर न्यायपालिका से मांग की है कि कदम उठाएं और मीडिया के खिलाफ जांच एजेंसियों के दमनकारी इस्तेमाल को खत्म करें। उन्होंने पुलिस द्वारा पत्रकारों के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को जब्त करने पर न्यायपालिका से दिशानिर्देश देने की मांग की है। पत्र में कहा गया है, ''..पिछले 24 घंटों के घटनाक्रम ने हमारे पास...

आप 25 साल तक अंदर रह सकते हैं लेकिन 58 लोगों की जान चली गई: सुप्रीम कोर्ट ने कोयंबटूर ब्लास्ट मामले में दोषियों को जमानत देने से इनकार किया
"आप 25 साल तक अंदर रह सकते हैं लेकिन 58 लोगों की जान चली गई": सुप्रीम कोर्ट ने कोयंबटूर ब्लास्ट मामले में दोषियों को जमानत देने से इनकार किया

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (4 अक्टूबर) को कोयंबटूर सीरियल बम ब्लास्ट मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे दोषियों को जमानत देने से इनकार कर दिया। इसके साथ ही अदालत ने दोषियों को कोई भी राहत देने से इनकार कर दिया। वर्तमान मामला 1998 के कोयंबटूर सिलसिलेवार बम विस्फोटों के इर्द-गिर्द घूमता है, जिसमें 58 लोग मारे गए थे और 200 से अधिक अन्य घायल हुए थे। जस्टिस संजय किशन कौल, सुधांशु धूलिया और सीटी रविकुमार की पीठ ने इस केस की सुनवाई की।पीठ ने अपराध को "नृशंस" करार देते हुए दोषियों की इस दलील को स्वीकार करने...

सुप्रीम कोर्ट ने वकीलों को सीनियर डेजिग्नेशन देने की प्रथा को चुनौती देने वाली याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा
सुप्रीम कोर्ट ने वकीलों को सीनियर डेजिग्नेशन देने की प्रथा को चुनौती देने वाली याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एडवोकेट्स एक्ट, 1961 की धारा 16 और 23(5) के तहत अधिवक्ताओं को "सीनियर" के रूप में नामित करने के सिस्टम के खिलाफ दायर याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। एडवोकेट मैथ्यूज जे नेदुम्पारा ने याचिका दायर की है। उन्होंने तर्क दिया है कि इस तरह के पदनाम ने विशेष अधिकारों वाले अधिवक्ताओं का एक वर्ग तैयार किया है, और इसे केवल जजों और सीनियर एडवोकेट्स, नेताओं, मंत्रियों के रिश्तेदारों के लिए आरक्षित मान लिया गया है, जिसका नतीजा लीगल इंडस्ट्री पर "एकाधिकार" हो गया।पीठ में...

ईडी को आरोपी को गिरफ्तारी का आधार  लिखित में क्यों बताना चाहिए? सुप्रीम कोर्ट ने समझाया
ईडी को आरोपी को गिरफ्तारी का आधार लिखित में क्यों बताना चाहिए? सुप्रीम कोर्ट ने समझाया

सुप्रीम कोर्ट ने पंकज बंसल बनाम भारत संघ मामले में एक ऐतिहासिक फैसले मेंकहा है कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को आरोपी को गिरफ्तारी के कारण लिखित रूप में बताने होंगे। जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस पीवी संजय कुमार की पीठ ने कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम की धारा 19, जो ईडी के अधिकारियों को मनी लॉन्ड्रिंग अपराध के आरोपी किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार करने की शक्ति देती है, इस अभिव्यक्ति का उपयोग करती है। अभियुक्त को 'ऐसी गिरफ्तारी के आधार के बारे में सूचित किया जाएगा। धारा में यह निर्दिष्ट नहीं...

दिल्ली ‌शराब नी‌ति: राजनीतिक दल को आरोपी क्यों नहीं बनाया, जबकि वह क‌‌‌थित लाभार्थी है? सुप्रीम कोर्ट ने मनीष सिसौदिया की जमानत पर ईडी से पूछा
दिल्ली ‌शराब नी‌ति: राजनीतिक दल को आरोपी क्यों नहीं बनाया, जबकि वह क‌‌‌थित लाभार्थी है? सुप्रीम कोर्ट ने मनीष सिसौदिया की जमानत पर ईडी से पूछा

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को आम आदमी पार्टी नेता और दिल्‍ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई की। ‌सिसोदिया के खिलाफ दिल्ली शराब नीति संबंध‌ित कथित घोटोले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबाआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने दो मामले दर्ज किए हैं।बुधवार को जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एसवीएन भट्टी की पीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए सीबाआई और ईडी ने पूछा कि कथित तौर पर लाभार्थी होने के बाद भी राजनीतिक दल को पीएमएलए के तहत मामले में आरोपी क्यों नहीं बनाया गया है?जस्टिस संजीव...

पीएमएलए | आरोपी की गिरफ्तारी अगर धारा 19 के अनुसार वैध नहीं है तो रिमांड का आदेश फेल हो जाएगा: सुप्रीम कोर्ट
पीएमएलए | आरोपी की गिरफ्तारी अगर धारा 19 के अनुसार वैध नहीं है तो रिमांड का आदेश फेल हो जाएगा: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि प्रवर्तन निदेशालय ने अगर किसी व्यक्ति को गिरफ्तार किया है और कोर्ट धारा 167 सीआरपीसी के तहत शक्तियों का प्रयोग करते हुए उसे रिमांड पर ले रही हैं तो यह सत्यापित करना और सुनिश्‍चित करना उसका कर्तव्य है कि गिरफ्तारी धारा 19 पीएमएल एक्ट, 2002 की आवश्यकताओं के अनुसार वैध है।सुप्रीम कोर्ट ने यह भी माना कि अगर अदालत इस कर्तव्य को उचित गंभीरता और परिप्रेक्ष्य के साथ नहीं निभा पाती है तो रिमांड का आदेश उसी आधार पर विफल हो जाता है।उल्लेखनीय है कि पीएमएलए एक्ट की धारा 19 के तहत...

सुप्रीम कोर्ट में यूएपीए मामले की सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने पीएफआई के साथ कथित संबंधों के लिए एनआईए द्वारा यूएपीए के तहत गिरफ्तार किए गए वकील को जमानत देने के मद्रास हाईकोर्ट का आदेश बरकरार रखा

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (03.10.2023) को मदुरै के वकील मोहम्मद अब्बास को जमानत देने के मद्रास हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखा, जिन्हें राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने प्रतिबंधित पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) संगठन के साथ कथित संबंधों के लिए गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया था।जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस पंकज मित्तल की खंडपीठ ने अब्बास की जमानत की पुष्टि करते हुए कहा कि उन्हें जमानत शर्तों का ईमानदारी से पालन करना होगा, अन्यथा उनकी जमानत रद्द की जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी...

ईडी के समन में केवल असहयोग करना पीएमएलए के तहत गिरफ्तारी का आधार नहीं,  ईडी समन किए गए व्यक्ति से अपराध स्वीकार करने की उम्मीद नहीं कर सकता : सुप्रीम कोर्ट
ईडी के समन में केवल असहयोग करना पीएमएलए के तहत गिरफ्तारी का आधार नहीं, ईडी समन किए गए व्यक्ति से अपराध स्वीकार करने की उम्मीद नहीं कर सकता : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है कि धन शोधन निवारण अधिनियम 2002 की धारा 50 के तहत जारी समन के जवाब में केवल असहयोग के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा किसी व्यक्ति को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है। जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस संजय कुमार की पीठ ने कहा, "2002 के अधिनियम की धारा 50 के तहत जारी किए गए समन के जवाब में एक गवाह का असहयोग उसे धारा 19 के तहत गिरफ्तार करने के लिए पर्याप्त नहीं होगा।"रियल एस्टेट समूह M3M के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पंकज बंसल और बसंत बंसल की...