सुप्रीम कोर्ट ने NLU कंसोर्टियम से पूछा कि क्या 2023-24 के लिए NLU-त्रिपुरा में आवेदन करने वाले छात्रों को समायोजित किया जा सकता है

Sharafat

5 Oct 2023 6:23 AM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट ने NLU कंसोर्टियम से पूछा कि क्या 2023-24 के लिए NLU-त्रिपुरा में आवेदन करने वाले छात्रों को समायोजित किया जा सकता है

    सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में नेशनल लॉ यूनिवर्सिटीज (NLU) के कंसोर्टियम से पूछा कि क्या NLU उन छात्रों को समायोजित कर सकता है जिन्होंने शैक्षणिक वर्ष 2023-24 के लिए नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी त्रिपुरा में प्रवेश के लिए आवेदन किया था।

    न्यायालय ने निराशा के साथ कहा कि NLU त्रिपुरा सुविधाओं और शिक्षकों की कमी के कारण शैक्षणिक वर्ष 2022-23 के लिए अपना संचालन शुरू नहीं कर सका और प्रवेश लेने वाले सभी 90 छात्रों को फीस वापस कर दी गई। कोर्ट ने इस स्थिति को "असंतोषजनक स्थिति" बताया।

    अगले शैक्षणिक वर्ष 2023-24 में सुविधाओं की उपलब्धता के साथ एनएलयू त्रिपुरा ने नई प्रवेश प्रक्रिया शुरू की। हालांकि, प्रवेश प्रक्रिया कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट (CLAT) के तहत आयोजित नहीं की गई थी, क्योंकि एनएलयू त्रिपुरा केवल अगले शैक्षणिक वर्ष (2024-25) से CLAT के तहत कवर किया जाएगा।

    अदालत को बताया गया कि ऐसे अभ्यर्थी हैं जिन्हें अन्य एनएलयू में प्रवेश मिला है, लेकिन निकटता के कारण वे अन्य संस्थानों में नहीं जाना चाहते हैं।

    इस पृष्ठभूमि में जो उम्मीदवार छूट गए हैं और प्रवेश पाने के इच्छुक हैं, उनके संबंध में न्यायालय ने कंसोर्टियम की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट मनिंदर सिंह से पूछा कि क्या उन छात्रों को 2023-2024 के प्रवेश के लिए समायोजित किया जा सकता है। बशर्ते वे दिखाएं कि उन्हें प्रवेश मिल गया है।

    इस पर सिंह ने अपेक्षित निर्देश प्राप्त करने के लिए कुछ समय की मांग की। न्यायालय ने तदनुसार मामले को 16 अक्टूबर, 2023 को सूचीबद्ध किया।

    जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस सुधांशु धूलिया की खंडपीठ ने की।

    इससे पहले न्यायालय ने इस तथ्य के आधार पर बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) को वर्तमान कार्यवाही में एक पक्ष के रूप में शामिल किया था कि उसने एनएलयू, त्रिपुरा को मान्यता प्रदान की थी, भले ही उसके पास फैकल्टी और बुनियादी ढांचा नहीं था।

    रिट याचिका उन्नीस छात्रों द्वारा दायर की गई थी जिन्होंने 2022-2023 प्रवेश रद्द करने के एनएलयू त्रिपुरा के फैसले को चुनौती दी थी।

    केस टाइटल : सौम्या संजय और अन्य बनाम नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी त्रिपुरा अगरतला और अन्य। डब्ल्यूपी(सी) नंबर 41/2023

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