ईडी के समन में केवल असहयोग करना पीएमएलए के तहत गिरफ्तारी का आधार नहीं, ईडी समन किए गए व्यक्ति से अपराध स्वीकार करने की उम्मीद नहीं कर सकता : सुप्रीम कोर्ट
Sharafat
4 Oct 2023 11:27 AM IST
सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है कि धन शोधन निवारण अधिनियम 2002 की धारा 50 के तहत जारी समन के जवाब में केवल असहयोग के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा किसी व्यक्ति को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है।
जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस संजय कुमार की पीठ ने कहा,
"2002 के अधिनियम की धारा 50 के तहत जारी किए गए समन के जवाब में एक गवाह का असहयोग उसे धारा 19 के तहत गिरफ्तार करने के लिए पर्याप्त नहीं होगा।"
रियल एस्टेट समूह M3M के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पंकज बंसल और बसंत बंसल की गिरफ्तारी को अवैध करार देते हुए कोर्ट ने ऐसा कहा।
कोर्ट ने कहा कि ईडी द्वारा पूछे गए सवालों का जवाब देने में आरोपियों की विफलता जांच अधिकारी के लिए यह मानने के लिए पर्याप्त नहीं होगी कि वे धारा 19 के तहत गिरफ्तार किए जाने के लिए उत्तरदायी हैं, क्योंकि, शासनादेश के अनुसार धारा 19, किसी को केवल तभी गिरफ्तार किया जा सकता है जब अधिकारी के पास यह विश्वास करने का कारण हो कि वह व्यक्ति पीएमएलए के तहत अपराधों का दोषी है।
ईडी ने कहा कि आरोपियों द्वारा दिए गए जवाब '' टालमटोल करने वाले '' प्रकृति के थे।
अदालत ने ईडी के इस कारण को स्वीकार करने से इनकार करते हुए कहा,
"किसी भी स्थिति में, पूछताछ के लिए बुलाए गए व्यक्ति से अपराध स्वीकार करने की उम्मीद करना ईडी के लिए खुला नहीं है और यह दावा करना कि इस तरह के स्वीकारोक्ति से कम कुछ भी 'टालने वाला जवाब' होगा।" .
संतोष S/o द्वारकादास फफत बनाम महाराष्ट्र राज्य का हवाला देते हुए कोर्ट ने कहा कि हिरासत में पूछताछ 'स्वीकारोक्ति' के उद्देश्य से नहीं है क्योंकि आत्म-दोषारोपण के खिलाफ अधिकार संविधान के अनुच्छेद 20 (3) द्वारा प्रदान किया गया है। संतोष मामले में यह माना गया कि केवल इसलिए कि एक आरोपी ने कबूल नहीं किया, यह नहीं कहा जा सकता कि वह जांच में सहयोग नहीं कर रहा था।
फैसले से एक और महत्वपूर्ण निष्कर्ष इसका स्पष्ट फैसला है कि ईडी को आरोपी को गिरफ्तारी के आधार के बारे में लिखित रूप से सूचित करना होगा।
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