ताज़ा खबरें

INI CET 2024: AIMS कोटा को चुनौती देने वाली याचिका में INI CET सीट आवंटन परिणामों की घोषणा पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार
INI CET 2024: AIMS कोटा को चुनौती देने वाली याचिका में INI CET सीट आवंटन परिणामों की घोषणा पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार

सुप्रीम कोर्ट ने आज (14 अगस्त) राष्ट्रीय महत्व के संयुक्त प्रवेश परीक्षा (INI CET) 2024 परीक्षा के अंतिम सीट आवंटन परिणामों की घोषणा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया।AIMS से स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में स्नातकों को दिए जाने वाले 50 प्रतिशत से अधिक संस्थागत वरीयता कोटा को चुनौती देने वाली याचिका में रोक लगाने की याचिका दायर की गई थी। चीफ़ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस जे बी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की खांडपीठ ने जब मामले की सुनवाई 20 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दी तो याचिकाकर्ताओं ने अनुरोध...

क्या ऑनलाइन पोर्टल वकीलों के विज्ञापन प्रकाशित कर सकते हैं? सुप्रीम कोर्ट ने BCI से जवाब मांगा
क्या ऑनलाइन पोर्टल वकीलों के विज्ञापन प्रकाशित कर सकते हैं? सुप्रीम कोर्ट ने BCI से जवाब मांगा

सुप्रीम कोर्ट ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) से जवाब मांगा कि क्या ऑनलाइन पोर्टल को वकीलों के विज्ञापन प्रकाशित करने की अनुमति दी जा सकती है।जस्टिस हृषिकेश रॉय और जस्टिस एसवीएन भट्टी की खंडपीठ स्थानीय सेवाओं को सूचीबद्ध करने वाले ऑनलाइन पोर्टल 'जस्टडायल' द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें मद्रास हाईकोर्ट द्वारा हाल ही में पारित निर्णय को चुनौती दी गई, जिसमें बार काउंसिल को ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से काम मांगने वाले वकीलों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया था। हाईकोर्ट ने BCI...

Sanatana Dharma Row | तमिलनाडु से बाहर भी मामले जाने चाहिए: सुप्रीम कोर्ट ने उदयनिधि स्टालिन की याचिका पर नोटिस जारी किया
'Sanatana Dharma' Row | तमिलनाडु से बाहर भी मामले जाने चाहिए: सुप्रीम कोर्ट ने उदयनिधि स्टालिन की याचिका पर नोटिस जारी किया

सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि स्टालिन की याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसमें उन्होंने अपने विवादास्पद 'सनातन धर्म' संबंधी बयान को लेकर कई राज्यों में उनके खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों को एक साथ जोड़ने की मांग की।जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की खंडपीठ ने मौखिक रूप से कहा कि मामलों को तमिलनाडु से बाहर भी जाना होगा।जस्टिस खन्ना ने मौखिक रूप से टिप्पणी की,"आप तमिलनाडु राज्य में नहीं रह सकते, आपको बाहर जाना होगा। हमें बताएं कि कौन सा राज्य सबसे सुविधाजनक है।"संबंधित न्यायालयों के...

आपके पास मुफ्त में दी जाने वाली चीजों पर बर्बाद करने के लिए करोड़ों रुपये हैं, लेकिन उस व्यक्ति को मुआवजा देने के लिए नहीं, जिसकी जमीन अवैध रूप से ली गई: सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से कहा
'आपके पास मुफ्त में दी जाने वाली चीजों पर बर्बाद करने के लिए करोड़ों रुपये हैं, लेकिन उस व्यक्ति को मुआवजा देने के लिए नहीं, जिसकी जमीन अवैध रूप से ली गई': सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से कहा

सुप्रीम कोर्ट ने मौखिक रूप से महाराष्ट्र सरकार से कहा कि राज्य के पास मुफ्त में दी जाने वाली चीजों पर "बर्बाद करने के लिए" पैसे हैं, लेकिन उस व्यक्ति को मुआवजा देने के लिए पैसे नहीं हैं, जिसकी जमीन पर राज्य ने अवैध रूप से कब्जा किया।जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने कहा,"आपके पास सरकारी खजाने से मुफ्त में दी जाने वाली चीजों पर बर्बाद करने के लिए हजारों करोड़ रुपये हैं, लेकिन आपके पास उस व्यक्ति को देने के लिए पैसे नहीं हैं, जिसकी जमीन को कानून की उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना...

सुप्रीम कोर्ट ने बायजू के खिलाफ दिवालियेपन की प्रक्रिया बंद करने के NCLAT के आदेश पर रोक लगाई
सुप्रीम कोर्ट ने बायजू के खिलाफ दिवालियेपन की प्रक्रिया बंद करने के NCLAT के आदेश पर रोक लगाई

सुप्रीम कोर्ट ने NCLAT के उस आदेश पर रोक लगाई। उक्त आदेश में भारतीय क्रिकेट कंट्रोलर बोर्ड (BCCI) द्वारा एड-टेक फर्म बायजू के खिलाफ शुरू की गई दिवालियेपन की कार्यवाही को बंद कर दिया गया था। यह कार्यवाही दोनों पक्षकारों के बीच हुए समझौते के आधार पर 158 करोड़ रुपये के बकाये पर की गई थी।चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने NCLAT के फैसले को चुनौती देने वाली यूएस-आधारित ऋणदाता ग्लास ट्रस्ट कंपनी एलएलसी की अपील पर सुनवाई कर रही थी।कोर्ट...

Railway Accident| दावेदार घटना की तिथि के बाद निर्धारित उच्च मुआवजे का लाभ पाने का हकदार: सुप्रीम कोर्ट
Railway Accident| दावेदार घटना की तिथि के बाद निर्धारित उच्च मुआवजे का लाभ पाने का हकदार: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया कि रेलवे दुर्घटना मुआवजा दावेदारों में यदि दावा किया गया मुआवजा निर्णय की तिथि पर निर्धारित मुआवजे से कम है, तो वे उच्च राशि के हकदार हैं।दावेदारों ने रेलवे दुर्घटना (मुआवजा) नियम 1990 की अनुसूची I के अनुसार घटना की तिथि (वर्ष 2003) पर लागू 4 लाख रुपये मुआवजे का दावा किया। हालांकि, रेलवे ने 2016 में मुआवजे को बढ़ाकर 8 लाख रुपये कर दिया।रीना देवी के फैसले से संकेत लेते हुए अदालत ने कहा कि जब अवार्ड की तिथि पर दिया गया मुआवजा घटना की तिथि पर लागू मुआवजे से अधिक है तो...

POSH Act | राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को आंतरिक समितियों की जानकारी देने वाले ऑनलाइन डैशबोर्ड बनाने के लिए अनिवार्य बनाने पर विचार करेगा सुप्रीम कोर्ट
POSH Act | राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को आंतरिक समितियों की जानकारी देने वाले ऑनलाइन डैशबोर्ड बनाने के लिए अनिवार्य बनाने पर विचार करेगा सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013 (POSH Act) के कार्यान्वयन से संबंधित मामले में संकेत दिया कि वह सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को विभागों की आंतरिक समितियों (IC) के गठन और सदस्यों से संबंधित सभी प्रासंगिक जानकारी युक्त ऑनलाइन डैशबोर्ड तैयार करने का निर्देश देगा।आंतरिक समितियां वे हैं, जहां कार्यस्थलों पर यौन उत्पीड़न का सामना करने वाली महिलाएं POSH Act के अनुसार अपनी शिकायत दर्ज करा सकती हैं।एमिक्स क्यूरी एडवोकेट पद्मा प्रिया ने...

हम अंतरिम जमानत नहीं दे रहे: सुप्रीम कोर्ट ने CBI मामले में अरविंद केजरीवाल की जमानत याचिका पर नोटिस जारी किया
हम अंतरिम जमानत नहीं दे रहे: सुप्रीम कोर्ट ने CBI मामले में अरविंद केजरीवाल की जमानत याचिका पर नोटिस जारी किया

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (AAP) प्रमुख अरविंद केजरीवाल द्वारा कथित दिल्ली शराब नीति घोटाले के संबंध में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) द्वारा दर्ज मामले में जमानत की मांग करने वाली याचिका पर नोटिस जारी किया।जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की खंडपीठ ने CBI द्वारा गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली केजरीवाल द्वारा दायर अन्य याचिका पर भी नोटिस जारी किया। मामले की अगली सुनवाई 23 अगस्त को होगी।सीनियर एडवोकेट डॉ. एएम सिंघवी ने कहा कि केजरीवाल को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में...

NIA को स्पष्टीकरण देना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट ने आरोपपत्र में वर्णित गवाह के बयान और वास्तविक बयान के बीच विसंगति को चिन्हित किया
'NIA को स्पष्टीकरण देना चाहिए': सुप्रीम कोर्ट ने आरोपपत्र में वर्णित गवाह के बयान और वास्तविक बयान के बीच विसंगति को चिन्हित किया

प्रतिबंधित संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) से कथित संलिप्तता के लिए गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को जमानत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) द्वारा दायर आरोपपत्र में संरक्षित गवाह के बयान को "पूरी तरह से विकृत" बताया।जस्टिस अभय ओक और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की खंडपीठ ने पाया कि आरोपपत्र में दिया गया बयान मजिस्ट्रेट द्वारा दर्ज किए गए वास्तविक बयान से अलग है।आरोपपत्र में संरक्षित गवाह जेड का एक बयान शामिल था, जिसमें आरोप लगाया गया कि 29 मई, 2022 को अपीलकर्ता ने अहमद पैलेस में...

सुप्रीम कोर्ट ने स्कूल भर्ती घोटाले मामले में ED समन को चुनौती देने वाली अभिषेक बनर्जी और उनकी पत्नी की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा
सुप्रीम कोर्ट ने स्कूल भर्ती घोटाले मामले में ED समन को चुनौती देने वाली अभिषेक बनर्जी और उनकी पत्नी की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को टीएमसी सांसद अभिषेक बनर्जी और उनकी पत्नी रुजिरा बनर्जी द्वारा स्कूल भर्ती घोटाले मामले में प्रवर्तन निदेशालय के समन को चुनौती देने वाली याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा। दोनों ने दावा किया कि कोलकाता उनका सामान्य निवास स्थान है, उन्होंने ईडी के समन को चुनौती दी क्योंकि उन्हें नई दिल्ली में उपस्थित होने को कहा गया था।जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की पीठ दो याचिकाओं पर विचार कर रही थी - एक, अभिषेक बनर्जी और उनकी पत्नी रुजिरा द्वारा दायर की गई, और दूसरी,...

S. 193 IPC | किसी वादी के खिलाफ झूठी गवाही की कार्यवाही कब शुरू की जा सकती है? सुप्रीम कोर्ट ने समझाया
S. 193 IPC | किसी वादी के खिलाफ झूठी गवाही की कार्यवाही कब शुरू की जा सकती है? सुप्रीम कोर्ट ने समझाया

वादी के खिलाफ झूठी गवाही की कार्यवाही रद्द करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय दंड संहिता, 1860 (आईपीसी) की धारा 193 के तहत झूठी गवाही के अपराध के लिए कार्यवाही शुरू करने के लिए मानदंड निर्धारित किए।जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस संजय करोल और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ उत्तराखंड हाईकोर्ट के उस फैसले के खिलाफ वादी द्वारा दायर अपील पर फैसला कर रही थी, जिसमें जमानत रद्द करने की कार्यवाही में न्यायालय के समक्ष झूठा हलफनामा दाखिल करने के लिए अपीलकर्ता के खिलाफ आईपीसी की धारा 193 के तहत शिकायत दर्ज करने का...

यथास्थिति के आदेश की अनदेखी कर इमारतें गिराने वाले अधिकारियों से मुआवज़ा वसूलें: सुप्रीम कोर्ट ने पटना के अधिकारियों की खिंचाई की
यथास्थिति के आदेश की अनदेखी कर इमारतें गिराने वाले अधिकारियों से मुआवज़ा वसूलें: सुप्रीम कोर्ट ने पटना के अधिकारियों की खिंचाई की

सुप्रीम कोर्ट ने यथास्थिति के आदेश की अनदेखी कर कुछ संरचनाओं को गिराने के लिए पटना नगर निगम और जिला प्रशासन के अधिकारियों की कड़ी आलोचना की।इस मामले में याचिकाकर्ता कथित तौर पर सार्वजनिक भूमि पर उनके द्वारा बनाए गए घरों और इमारतों को गिराने के निर्देशों से व्यथित थे।याचिकाकर्ताओं ने बिहार सार्वजनिक भूमि अतिक्रमण अधिनियम, 1956 की धारा 11 के तहत पारित बेदखली आदेशों को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट के समक्ष रिट याचिकाएं दायर की थीं। हालांकि, हाईकोर्ट ने उन्हें राहत देने से इनकार किया, जिसके बाद उन्होंने...

क्या विचाराधीन कैदियों की अधिकतम हिरासत अवधि को सीमित करने वाली धारा 479 BNSS पूर्वव्यापी रूप से लागू होगी? सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा
क्या विचाराधीन कैदियों की अधिकतम हिरासत अवधि को सीमित करने वाली धारा 479 BNSS पूर्वव्यापी रूप से लागू होगी? सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से यह स्पष्ट करने को कहा कि क्या भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 479 - दंड प्रक्रिया संहिता की जगह - देश भर के विचाराधीन कैदियों पर पूर्वव्यापी रूप से लागू होगी। यह प्रावधान अधिकतम अवधि प्रदान करता है, जिसके लिए किसी विचाराधीन कैदी को हिरासत में रखा जा सकता है।धारा 479 BNSS धारा 436ए सीआरपीसी के अनुरूप है।यह मुद्दा तब उठा जब जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच भारत में जेलों में भीड़भाड़ के मुद्दे को संबोधित करने के लिए शुरू की गई जनहित याचिका...

याचिका खारिज होने पर आत्महत्या की धमकी देने वाले याचिकाकर्ता को सुप्रीम कोर्ट ने यह कहा
याचिका खारिज होने पर आत्महत्या की धमकी देने वाले याचिकाकर्ता को सुप्रीम कोर्ट ने यह कहा

जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस आर. महादेवन की सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने याचिकाकर्ता को व्यक्तिगत रूप से सुना, जिसने इंजीनियरिंग कॉलेजों में कई मुद्दों को इंगित करते हुए याचिका दायर की।हिंदी में बोलने वाले याचिकाकर्ता ने अदालत को बताया कि वह सुप्रीम कोर्ट और अन्य मंचों के समक्ष उपाय खोजने के लिए इधर-उधर भटक रहा है। याचिकाकर्ता ने याचिका में सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के कई जजों, प्रधानमंत्री और भारत के राष्ट्रपति के सचिव को प्रतिवादी के रूप में जोड़ा था।जस्टिस खन्ना ने उनसे हिंदी...

क्या इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य के लिए धारा 65बी साक्ष्य अधिनियम प्रमाणपत्र अनिवार्य करने वाला पीवी अनवर निर्णय पूर्वव्यापी रूप से लागू होता है? सुप्रीम कोर्ट करेगा तय
क्या इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य के लिए धारा 65बी साक्ष्य अधिनियम प्रमाणपत्र अनिवार्य करने वाला 'पीवी अनवर' निर्णय पूर्वव्यापी रूप से लागू होता है? सुप्रीम कोर्ट करेगा तय

सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर विचार किया कि क्या अनवर पीवी बनाम पीके बशीर एवं अन्य के मामले में दिए गए निर्णय को पूर्वव्यापी रूप से लागू किया जाना चाहिए या केवल भावी रूप से।जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस उज्ज्वल भुयान की पीठ ने इस प्रश्न का उत्तर देने के लिए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की सहायता मांगी।अनवर पीवी में सुप्रीम कोर्ट ने माना कि द्वितीयक साक्ष्य के रूप में इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड के साथ भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 65बी के तहत प्रमाणपत्र होना चाहिए, तभी वह न्यायालय में...

लाडली बहना जैसी योजनाओं पर रोक लगाएंगे : सुप्रीम कोर्ट ने भूमि अधिग्रहण मुआवजा न देने पर महाराष्ट्र सरकार को चेताया
लाडली बहना जैसी योजनाओं पर रोक लगाएंगे : सुप्रीम कोर्ट ने भूमि अधिग्रहण मुआवजा न देने पर महाराष्ट्र सरकार को चेताया

सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को मामले में उचित मुआवजा राशि न देने के लिए कड़ी फटकार लगाई, जिसमें राज्य ने करीब छह दशक पहले व्यक्ति की संपत्ति पर अवैध रूप से कब्जा कर लिया था और इसके बदले में उसे अधिसूचित वन भूमि आवंटित कर दी थी।कोर्ट ने सख्त चेतावनी देते हुए कहा कि अगर राज्य सरकार जमीन खोने वाले व्यक्ति को उचित मुआवजा नहीं देती है तो वह "लाडली बहना" जैसी योजनाओं पर रोक लगाने का आदेश देगी और अवैध रूप से अधिग्रहित भूमि पर बने ढांचों को गिराने का निर्देश देगी।जस्टिस गवई ने कहा,"हम आपकी सभी...

गिरफ्तारी से बचने के लिए धक्का-मुक्की करना आपराधिक बल प्रयोग नहीं माना जा सकता : सुप्रीम कोर्ट ने आईपीसी की धारा 353 के तहत दोषसिद्धि खारिज की
गिरफ्तारी से बचने के लिए धक्का-मुक्की करना आपराधिक बल प्रयोग नहीं माना जा सकता : सुप्रीम कोर्ट ने आईपीसी की धारा 353 के तहत दोषसिद्धि खारिज की

सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय दंड संहिता, 1860 (आईपीसी) की धारा 353 के तहत अपीलकर्ता को दोषमुक्त करने और सजा सुनाए जाने को खारिज किया।वर्तमान अपील में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के 14 अक्टूबर, 2009 के आदेश को चुनौती दी गई, जिसमें स्पेशल जज द्वारा धारा 353 के तहत अपीलकर्ता को दोषसिद्ध किए जाने और 1000 रुपये का जुर्माना लगाए जाने की पुष्टि की गई थी।इस मामले में शिकायतकर्ता ने शिक्षा गारंटी भवन के निर्माण के लिए गठित समिति के अध्यक्ष के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। अपीलकर्ता को अध्यक्ष के खिलाफ झूठे आरोप...