Railway Accident| दावेदार घटना की तिथि के बाद निर्धारित उच्च मुआवजे का लाभ पाने का हकदार: सुप्रीम कोर्ट

Shahadat

14 Aug 2024 9:31 AM GMT

  • Railway Accident| दावेदार घटना की तिथि के बाद निर्धारित उच्च मुआवजे का लाभ पाने का हकदार: सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया कि रेलवे दुर्घटना मुआवजा दावेदारों में यदि दावा किया गया मुआवजा निर्णय की तिथि पर निर्धारित मुआवजे से कम है, तो वे उच्च राशि के हकदार हैं।

    दावेदारों ने रेलवे दुर्घटना (मुआवजा) नियम 1990 की अनुसूची I के अनुसार घटना की तिथि (वर्ष 2003) पर लागू 4 लाख रुपये मुआवजे का दावा किया। हालांकि, रेलवे ने 2016 में मुआवजे को बढ़ाकर 8 लाख रुपये कर दिया।

    रीना देवी के फैसले से संकेत लेते हुए अदालत ने कहा कि जब अवार्ड की तिथि पर दिया गया मुआवजा घटना की तिथि पर लागू मुआवजे से अधिक है तो दावेदार अवार्ड की तिथि पर दिए गए उच्च मुआवजे को प्राप्त करने के हकदार होंगे। इसलिए अदालत ने 8 लाख रुपये का अनुदान उचित ठहराया।

    सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि मृतक के शव से ट्रेन टिकट न मिलने से यह दावा खारिज नहीं हो जाता कि मृतक वास्तविक यात्री था। न्यायालय ने कहा कि एक बार मृतक के आश्रित यानी दावेदार जांच रिपोर्ट के आधार पर हलफनामा दाखिल करके प्रारंभिक साक्ष्य भार का निर्वहन कर लेते हैं कि मृतक ट्रेन में वास्तविक यात्री था। उसकी मौत चलती ट्रेन से गिरने के कारण हुई थी तो साक्ष्य भार रेलवे पर आ जाता है कि वह यह साबित करने का भार वहन करे कि मृतक यात्रा नहीं कर रहा था।

    रीना देवी (सुप्रा) मामले में इस न्यायालय की दो न्यायाधीशों की पीठ ने इस प्रश्न पर विचार किया कि मृतक का शव रेलवे परिसर में पाए जाने की स्थिति में साक्ष्य भार किस पक्ष पर होगा। इस न्यायालय ने माना कि प्रारंभिक भार दावेदार पर होगा, जिसे प्रासंगिक तथ्यों का हलफनामा दाखिल करके पूरा किया जा सकता है। एक बार दावेदार द्वारा ऐसा कर दिए जाने के बाद भार रेलवे पर आ जाएगा।

    चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि महत्वपूर्ण बात यह है कि उसने यह भी माना कि केवल टिकट न होने से यह दावा खारिज नहीं हो जाता कि मृतक वास्तविक यात्री था।

    वर्तमान मामले में दावेदारों ने प्रतिवादी द्वारा की गई जांच से उत्पन्न तथ्यों और रिपोर्ट का हवाला देते हुए हलफनामा दायर किया था, जिसमें दिखाया गया कि मृतक ट्रेन में यात्रा कर रहा था और उसकी मृत्यु यात्रा के दौरान गिरने से हुई।

    इसलिए न्यायालय ने कहा,

    “इसके बाद सबूत का भार रेलवे पर आ गया, जिसने अपना भार नहीं निभाया। इसलिए यह अनुमान कि मृतक संबंधित ट्रेन में एक वास्तविक यात्री था, उसका खंडन नहीं किया गया।”

    पोस्टमार्टम और जांच अधिकारी की रिपोर्ट में मृतक के चलती ट्रेन से गिरने के कारण घायल होने के बारे में पुष्टि मिलने पर न्यायालय ने निष्कर्ष निकाला कि “मृतक संबंधित ट्रेन में वास्तविक यात्री था और उसे ट्रेन से गिरने के कारण गंभीर चोटें आईं, जिससे उसकी मृत्यु हो गई। इसलिए अपीलकर्ता को मुआवज़ा मिलना चाहिए।”

    केस टाइटल: डोली रानी साहा बनाम भारत संघ, सिविल अपील संख्या 8605/2024

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