हम अंतरिम जमानत नहीं दे रहे: सुप्रीम कोर्ट ने CBI मामले में अरविंद केजरीवाल की जमानत याचिका पर नोटिस जारी किया

Amir Ahmad

14 Aug 2024 8:16 AM GMT

  • हम अंतरिम जमानत नहीं दे रहे: सुप्रीम कोर्ट ने CBI मामले में अरविंद केजरीवाल की जमानत याचिका पर नोटिस जारी किया

    सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (AAP) प्रमुख अरविंद केजरीवाल द्वारा कथित दिल्ली शराब नीति घोटाले के संबंध में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) द्वारा दर्ज मामले में जमानत की मांग करने वाली याचिका पर नोटिस जारी किया।

    जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की खंडपीठ ने CBI द्वारा गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली केजरीवाल द्वारा दायर अन्य याचिका पर भी नोटिस जारी किया। मामले की अगली सुनवाई 23 अगस्त को होगी।

    सीनियर एडवोकेट डॉ. एएम सिंघवी ने कहा कि केजरीवाल को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में तीन मौकों पर अंतरिम जमानत मिली जबकि मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (PMLA) की धारा 45 के कड़े प्रावधान हैं। उन्होंने 10 मई और 12 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित अंतरिम जमानत आदेशों और 20 जून को पीएमएलए मामले में ट्रायल कोर्ट द्वारा पारित नियमित जमानत का भी हवाला दिया।

    कहा गया कि ट्रायल कोर्ट के 20 जून के आदेश पर दिल्ली हाईकोर्ट ने मौखिक उल्लेख के आधार पर रोक लगा दी थी।

    सिंघवी ने आश्चर्य जताया कि जब केजरीवाल को PMLA के कड़े प्रावधानों के तहत जमानत मिली है तो उन्हें CBI मामले में नियमित जमानत से कैसे वंचित किया जा सकता है, क्योंकि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम में मनी लॉन्ड्रिंग कानून के समान कठोर शर्तें नहीं हैं।

    उन्होंने CBI द्वारा की गई गिरफ्तारी को बीमा गिरफ्तारी करार दिया, जो ED मामले में केजरीवाल की रिहाई से ठीक पहले 26 जून को की गई थी।

    जब सिंघवी ने बताया कि केजरीवाल ने अंतरिम जमानत भी मांगी तो जस्टिस कांत ने कहा,

    "हम कोई अंतरिम जमानत नहीं दे रहे हैं।"

    सीनियर वकील ने अगले सप्ताह सबसे छोटी तारीख का अनुरोध करते हुए कहा कि केजरीवाल स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना कर रहे हैं। तदनुसार, पीठ ने मामले को अगले सप्ताह 23 अगस्त को सूचीबद्ध किया।

    केजरीवाल की सुप्रीम कोर्ट में नवीनतम याचिका एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड विवेक जैन के माध्यम से दायर की गई, जिसमें 5 अगस्त के दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई, जिसके तहत CBI की गिरफ्तारी के खिलाफ उनकी याचिका एकल न्यायाधीश की पीठ ने जमानत के लिए ट्रायल कोर्ट जाने की स्वतंत्रता के साथ खारिज कर दिया था।

    AAP प्रमुख को 26 जून, 2024 को CBI ने औपचारिक रूप से गिरफ्तार किया था जबकि वह कथित शराब नीति घोटाले से उत्पन्न धन शोधन मामले में प्रवर्तन निदेशालय की हिरासत में थे।

    कुछ सप्ताह बाद 12 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अंतरिम जमानत दी, जबकि ED की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली उनकी याचिका को बड़ी बेंच को भेज दिया। हालांकि CBI द्वारा उनकी गिरफ्तारी के कारण वे न्यायिक हिरासत में ही रहे।

    CBI की गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए और जमानत की मांग करते हुए केजरीवाल ने दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया।

    5 अगस्त को जस्टिस नीना बंसल कृष्णा ने CBI की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली उनकी याचिका खारिज की लेकिन जहां तक जमानत का सवाल है, उन्हें ट्रायल कोर्ट जाने की स्वतंत्रता दी गई।

    हाईकोर्ट के आदेश से व्यथित होकर केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

    मामले की पृष्ठभूमि

    दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा उन्हें अंतरिम संरक्षण देने से इनकार करने के बाद 21 मार्च को ED ने केजरीवाल को गिरफ्तार किया था। उसके बाद वे तब तक हिरासत में रहे, जब तक कि 10 मई को सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें अंतरिम रिहाई (लोकसभा चुनावों के उद्देश्य से) का लाभ नहीं दे दिया। यह अवधि 2 जून को समाप्त हो गई।

    दिल्ली के CM ने शुरू में ED की गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। हालांकि 9 अप्रैल को उनकी याचिका खारिज कर दी गई। इससे व्यथित होकर उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया, जिसने 15 अप्रैल को उनकी याचिका पर नोटिस जारी किया।

    मामले की घटनापूर्ण सुनवाई में सिंघवी ने केजरीवाल की ओर से दलीलें पेश कीं। नेता की गिरफ्तारी की आवश्यकता और समय पर सवाल उठाने के अलावा सीनियर वकील ने आरोप लगाया कि ED ने उनके पक्ष में सामग्री छिपाई।

    पूरी कार्यवाही के दौरान ED का मामला यह रहा कि यह दिखाने के लिए प्रत्यक्ष सबूत थे कि केजरीवाल ने 100 करोड़ रुपये मांगे थे, जो गोवा चुनाव खर्च के लिए आप को दिए गए।

    आगे यह भी कहा गया कि AAP प्रमुख के रूप में अप्रत्यक्ष दायित्व के अलावा, केजरीवाल सीधे तौर पर भी उत्तरदायी हैं, क्योंकि उन्होंने आबकारी नीति तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

    केजरीवाल को अंतरिम जमानत के सवाल पर पक्षों की सुनवाई हुई तो पीठ ने ED की गिरफ्तारी के समय पर सवाल उठाया, यह देखते हुए कि ECIR अगस्त, 2022 में दर्ज की गई थी, लेकिन केजरीवाल को लगभग 1.5 साल बाद (चुनाव से पहले) गिरफ्तार किया गया। अंततः अंतरिम राहत दी गई और केजरीवाल को अस्थायी रूप से जेल से रिहा कर दिया गया।

    इसके बाद 20 जून को दिल्ली CM को ED मामले में दिल्ली की एक अदालत ने इस आधार पर जमानत दे दी कि ED अपराध की आय के संबंध में उनके खिलाफ कोई प्रत्यक्ष सबूत देने में विफल रही।

    इस आदेश पर दिल्ली हाईकोर्ट ने 25 जून को रोक लगा दी, यह टिप्पणी करते हुए कि अवकाश न्यायाधीश ने ED की पूरी सामग्री को देखे बिना इसे पारित कर दिया और यह विकृतता को दर्शाता है। उसी दिन CBI ने शराब नीति मामले के सिलसिले में केजरीवाल को गिरफ्तार कर लिया।

    9 जुलाई को दिल्ली की एक अदालत ने ED द्वारा दायर 7वीं पूरक अभियोजन शिकायत का संज्ञान लिया, जिसमें केजरीवाल और आम आदमी पार्टी का नाम है।

    12 जुलाई को केजरीवाल को ED मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम जमानत दे दी, जबकि गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली उनकी याचिका इस सवाल की जांच करने के लिए बड़ी बेंच को भेज दी गई कि क्या गिरफ्तारी की जरूरत या अनिवार्यता को PMLA की धारा 19 में एक शर्त के रूप में पढ़ा जाना चाहिए।

    केस टाइटल- अरविंद केजरीवाल बनाम केंद्रीय जांच ब्यूरो

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