क्या इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य के लिए धारा 65बी साक्ष्य अधिनियम प्रमाणपत्र अनिवार्य करने वाला 'पीवी अनवर' निर्णय पूर्वव्यापी रूप से लागू होता है? सुप्रीम कोर्ट करेगा तय
Shahadat
13 Aug 2024 4:13 PM IST
सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर विचार किया कि क्या अनवर पीवी बनाम पीके बशीर एवं अन्य के मामले में दिए गए निर्णय को पूर्वव्यापी रूप से लागू किया जाना चाहिए या केवल भावी रूप से।
जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस उज्ज्वल भुयान की पीठ ने इस प्रश्न का उत्तर देने के लिए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की सहायता मांगी।
अनवर पीवी में सुप्रीम कोर्ट ने माना कि द्वितीयक साक्ष्य के रूप में इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड के साथ भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 65बी के तहत प्रमाणपत्र होना चाहिए, तभी वह न्यायालय में स्वीकार्य होगा। यह प्रमाणपत्र दस्तावेज़ बनाए जाने के समय प्राप्त किया जाना चाहिए, जिसके बिना इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य पर विचार नहीं किया जा सकता।
अदालत ने कहा,
“इस आवेदन में निर्धारण का मुद्दा यह है कि क्या इस न्यायालय के तीन जजों की पीठ का निर्णय “अनवर पी.वी. बनाम पी.के. बशीर एवं अन्य. 2015 में रिपोर्ट किया गया (1) एससीसी 108 भावी रूप से लागू होगा या, स्थापित सिद्धांत का पालन करते हुए कि कानून की घोषणा उस तारीख से संबंधित होगी, जब कानून लागू किया गया, उक्त निर्णय को पूर्वव्यापी होना होगा। संक्षिप्त प्रश्न का निर्धारण करने से पहले हम भारत के विद्वान सॉलिसिटर जनरल की सहायता लेना उचित समझते हैं।”
सुप्रीम कोर्ट ने रजिस्ट्री को निर्देश दिया कि वह भारत संघ के स्थायी वकील एडवोकेट एमके मरोरिया को आवेदन की पेपर बुक की सॉफ्ट कॉपी के साथ नोटिस जारी करे। एडवोकेट मरोरिया को सॉलिसिटर जनरल को जानकारी देने का निर्देश दिया गया, जिससे वह 22 अगस्त, 2024 को सुनवाई की अगली तारीख पर अदालत को सहायता प्रदान कर सकें।
2020 में अर्जुन पंडितराव खोतकर बनाम कैलाश कुशनराव गोरंट्याल में सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने पीवी अनवर में व्यक्त दृष्टिकोण की फिर से पुष्टि की। कहा कि फैसले पर फिर से विचार करने की आवश्यकता नहीं है।
2020 के फैसले ने शफी मोहम्मद बनाम हिमाचल प्रदेश राज्य के 2018 के फैसले को भी खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया कि धारा 65 के अधिदेश को उन मामलों में शिथिल किया जा सकता है, जहां पार्टी के पास डिवाइस का कब्जा नहीं था।
पीवी अनवर में सुप्रीम कोर्ट ने नवजोत संधू मामले में अपने पहले के फैसले को खारिज किया, जिसमें कहा गया कि धारा 65 बी एक अनिवार्य आवश्यकता नहीं थी।
केस टाइटल- अनवर पीवी बनाम पीके बशीर और अन्य।